13.1 – ऑप्शन पेन थ्योरी के साथ मेरे अनुभव 

बाजार में ऐसे बहुत सारे सिद्धांत हैं जिनको लेकर हमेशा विवाद बना रहता है। ऐसे ही सिद्धांतों की लिस्ट में से एक है – ऑप्शन पेन थ्योरी का, जिसे कभी-कभी मैक्स पेन भी कहते हैं। बहुत सारे लोग इस सिद्धांत को मानते हैं लेकिन उतने ही लोग ऐसे भी हैं जो इस सिद्धांत को बिल्कुल भी नहीं मानते हैं। मैं अलग अलग समय पर इन दोनों ही पक्षों में रह चुका हूं। ऑप्शन पेन थ्योरी को अपनाने के शुरुआती दिनों में, मैं कभी भी इससे पैसे नहीं बना सका, हालांकि बाद में जब मैंने अपनी रिस्क लेने की क्षमता के हिसाब से इस थ्योरी को कुछ बदलाव के साथ इस्तेमाल किया तो मुझे इससे अच्छे नतीजे मिलने लगे। इस अध्याय में मैं इस बारे में भी चर्चा करूंगा।

अब मैं ऑप्शन पेन थ्योरी के बारे में आपको बताने की कोशिश करूंगा और इस पर भी चर्चा करूंगा कि मुझे इसमें क्या पसंद है और कौन सी बातें मुझे पसंद नहीं आती हं। उसके आधार पर आप यह फैसला कर सकते हैं कि आपको ऑप्शन पेन थ्योरी के साथ रहना है या नहीं। 

ऑप्शन पेन थ्योरी को समझने के लिए आपको ओपन इंट्रेस्ट को समझना होगा। 

तो आइए शुरू करते हैं

13.2 – मैक्स पेन थ्योरी

ऑप्शन पेन की शुरुआत 2004 में हुई थी, तो एक तरह से अभी इसे नई थ्योरी माना जा सकता है। जहां तक मेरी जानकारी है इस थ्योरी के बारे में कोई भी शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध नहीं है, मुझे नहीं पता कि इस थ्योरी की इतनी उपेक्षा क्यों की गई है। 

ऑप्शन पेन थ्योरी उस धारणा पर आधारित है कि 90% ऑप्शन वर्थलेस होकर स्क्वायर होते हैं इसलिए आमतौर पर ऑप्शन बेचने वाले या ऑप्शन के राइटर, ऑप्शन को खरीदने वाले के मुकाबले ज्यादा बार पैसे बनाते हैं। 

अब अगर यह अगर यह बात सही है तो इसके आधार पर हम कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं – 

    1. किसी भी समय ऑप्शन बेचने वाले और ऑप्शन खरीदने वाले में से सिर्फ एक ही पैसे बना सकता है, दोनों नहीं। ऊपर के वक्तव्य से साफ है कि आमतौर पर ऑप्शन बेचने वाला ही पैसे बनाता है।
    2. अगर सिर्फ ऑप्शन बेचने वाला ही ज्यादा पैसे बनाता है तो, इसका मतलब यह है एक्सपायरी के दिन ऑप्शन की कीमत ऐसी जगह पर पहुंच जानी चाहिए जहां पर ऑप्शन राइटर (बेचने वाले) को कम से कम नुकसान हो। 
    3. अगर प्वाइंट 2 में कही गई बात सही है तो इसका मतलब यह है कि ऑप्शन की कीमत को तोड़े मरोड़े जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। कम से कम एक्सपायरी के दिन तो जरूर ऐसा हो सकता है। 
    4. अब अगर प्वाइंट 3 की बात सही है तो इसका मतलब यह है कि बाजार में ऐसे ट्रेडर होते हैं जो कि ऑप्शन की कीमतों को कम से कम एक्सपायरी के दिन तो अपने मनमाफिक तरीके से बदलवा सकते हैं। 
    5. अब अगर बाजार में ऐसे ट्रेडर का समूह हैं जो कीमत को अपने हिसाब से बदलवा सकता है, तो यह समूह ऑप्शन बेचने वाले (ऑप्शन राइटर्स) का होगा क्योंकि वही ऑप्शन बाजार में सबसे ज्यादा बार पैसे बनाते हैं।

ऊपर निकाले गए निष्कर्षों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि बाजार में एक्सपायरी के समय, कीमत का कोई ऐसा स्तर जरूर होगा जहां पर ऑप्शन बेचने वाले यानी ऑप्शन राइटर को कम से कम नुकसान हो। यानी उसको कम से कम पेन (pain) हो (ऑप्शन खरीदने वाले को सबसे अधिक पेन हो)। अगर आप कीमत के इस स्तर को पहचान सकें, तो आप इस बात का अनुमान भी लगा सकते हैं कि बाजार कहां एक्सपायर होगा। ऑप्शन पेन थ्योरी यही काम करती है, यह पता लगाती है कि बाजार में एक्सपायरी किस कीमत पर होगी, जहाँ ऑप्शन बेचने वाले को कम से कम नुकसान हो रहा है।

optionspain.com में ऑप्शन पेन की एक परिभाषा दी गई है – ऑप्शन बाजार में ऑप्शन खरीदने वाले और बेचने वाले के बीच में धन का लेनदेन जीरो सम गेम (zero sum game) की तरह होता है (यानी जितना एक का नुकसान होता है और दूसरे का उतना ही फायदा होता है)। ऑप्शन की एक्सपायरी के दिन अंडरलाइंग स्टॉक की कीमत ऐसे स्तर पर पहुंच जाती है जहां पर ऑप्शन खरीदने वाले को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। यह कीमत बाजार में मौजूद सभी आउटस्टैंडिंग ऑप्शन के आधार पर निकाली जाती है और इसे ऑप्शन पेन कहते हैं। वास्तव में यह ऑप्शन बेचने वाले लोगों के समूह की तय की गई वह कीमत है जहां पर वह तोड़ मरोड़ कर स्टॉक की कीमत को पहुंचाना चाहते हैं।

13.3 – मैक्सिमम (Maximum/अधिकतम) पेन की गणना 

अब हम मैक्स पेन की निकालने के तरीके को अलग अलग चरणों के तौर पर देखते हैं। हो सकता है कि अभी आपको इसे समझने में थोड़ी दिक्कत हो, लेकिन फिर भी आप इसे समझने की कोशिश कीजिए। बाद में जब हम उदाहरण देंगे तो आप इसे अच्छे से समझ पाएंगे। 

कदम 1- एक्सचेंज में मौजूद सभी ऑप्शन स्ट्राइक की एक सूची बनाइए और इनमें से हर एक स्ट्राइक पर मौजूद कॉल और पुट ऑप्शन के ओपन इंट्रेस्ट को लिख लीजिए। 

कदम 2 – आपने जितने स्ट्राइक को नोट किया है, बारी-बारी से ये मान लीजिए कि बाजार इसी स्ट्राइक पर एक्सपायर होगा।

कदम 3 – अब कदम 2 में निकाले गए एक्सपायरी के हर स्तर पर इस बात की गणना कीजिए कि उस स्ट्राइक पर ऑप्शन राइटर को (कॉल और पुट दोनों के ऑप्शन राइटर को) कितने पैसे का नुकसान हो रहा है। 

कदम 4 – एक्सपायरी के निकाले गए हर स्तर पर कॉल और पुट ऑप्शन के राइटर को होने वाले नुकसान को जोड़ लीजिए।

कदम 5 – देखिए कि किस स्ट्राइक पर ऑप्शन राइटर को सबसे कम नुकसान हो रहा है। 

कीमत के जिस स्तर पर ऑप्शन राइटर को सबसे कम नुकसान हो रहा हो, उसी जगह पर ऑप्शन खरीदने वाले को मैक्सिमम पर यानी सबसे ज्यादा नुकसान होता है, इसलिए यह वह बिंदु है जहां पर बाजार एक्सपायर होने की सबसे अधिक संभावना है।

इसको समझने के लिए एक बहुत ही सीधा उदाहरण लेते हैं। आप को समझाने के लिए मैं मान लेता हूं कि बाजार में निफ्टी के सिर्फ तीन स्ट्राइक मौजूद है। मैंने इनमें से हर एक के लिए कॉल और पुट के ओपन इंट्रेस्ट को निकाला है।

स्ट्राइक कॉल ओपन इंट्रेस्ट पुट ओपन इंट्रेस्ट
7700 1823400 5783025
7800 3448575 4864125
7900 5367450 2559375

 

स्थिति 1 – मान लीजिए कि बाजार 7700 पर एक्सपायर होता है 

आपको याद होगा कि जब आप कॉल ऑप्शन को बेचते यानी राइट करते हैं तो आपको नुकसान तभी होता है बाजार स्ट्राइक के ऊपर चला जाए। इसी तरीके से जब आप पुट ऑप्शन को राइट करते हैं तो आपको नुकसान तब होता है जब बाजार स्ट्राइक कीमत से नीचे चला जाए। 

इसलिए अगर बाजार 7700 पर एक्सपायर होता है तो कॉल ऑप्शन को राइट करने वाली यानी बेचने वाले को नुकसान नहीं होगा, मतलब 7700, 7800 और 7900 के स्ट्राइक पर ऑप्शन बेचने वालों को मिला हुआ प्रीमियम अपने पास रखने का मौका मिल जाएगा। 

लेकिन पुट ऑप्शन को राइट करने या बेचने वाले मुश्किल में पड़ जाएंगे। सबसे पहले 7900 PE के राइटर को देखते हैं– 

7700 की एक्सपायरी पर 7900 PE के राइटर को 200 प्वाइंट का नुकसान होगा। क्योंकि ओपन इंटरेस्ट 2559375 है इसलिए नुकसान को अगर रुपयों में निकाला जाए तो 

200 * 2559375  = Rs 5,11,875,000 

7800 के राइटर को 100 प्वाइंट का नुकसान होगा और रुपयों में इसकी कीमत होगी 

100 * 4864125  = Rs 4,86,412,500 

7700 PE के राइटर को नुकसान नहीं होगा 

तो अगर बाजार 7700 पर एक्सपायर होता है तो ऑप्शन बेचने वालों को कुल नुकसान होगा

 कॉल ऑप्शन बेचने वालों (राइटर) को कुल नुकसान + पुट ऑप्शन बेचने वालों (राइटर) को कुल नुकसान

= 0 + Rs 5,11,875,000 + Rs 4,86,412,500

= Rs 9,98,287,500

याद रखिए कि कॉल ऑप्शन राइटर को होने वाला रुपयों का कुल नुकसान = 7700 CE के राइटर को होने वाला नुकसान + 7800 CE के राइटर को होने वाला नुकसान +  7900 CE के राइटर को होने वाला नुकसान 

इसी तरीके से, पुट ऑप्शन के राइटर को होने वाला कुल नुकसान = 7700 PE के राइटर को होने वाला नुकसान + 7800 PE के राइटर को होने वाला नुकसान +  7900 PE के राइटर को होने वाला नुकसान

स्थिति 2 – मान लीजिए कि बाजार 7800 पर एक्सपायर होता है 

7800 पर, कॉल ऑप्शन के इन राइटर्स को नुकसान होगा 

7700 CE के राइटर को 100 प्वाइंट का नुकसान होगा। इसको अगर ओपन इंट्रेस्ट से गुणा किया जाए तो हमें इसकी रुपए में कीमत मिल जाएगी 

100 * 1823400  = Rs 1,82,340,000 

7800 CE और 7900 CE के बेचने वालों को कोई नुकसान नहीं होगा 

7700 PE और 7800 PE बेचने वाले को कोई नुकसान नहीं होगा 

7900 PE के राइटर को 100 प्वाइंट का नुकसान होगा इसको अगर हम ओपन इंट्रेस्ट ओपन इंटरेस्ट से गुणा करें तो हमें रुपयों में इसकी कीमत मिल जाएगी

100 * 2559375  = Rs 2,55,937,500

इस तरह से 7800 की एक्सपायरी पर ऑप्शन के बेचने वालों का कुल नुकसान होगा

= Rs 1,82,340,000 + Rs 2,55,937,500

= Rs 4,38,277,500

स्थिति 3 – मान लीजिए कि बाजार 7900 पर एक्सपायर होता है 

7900 पर इन कॉल ऑप्शन राइटर को नुकसान होगा –

7700 CE के राइटर को 200 प्वाइंट का नुकसान होगा, रुपयों में इसकी कीमत होगी –

200 * 1823400  = Rs 3,64,680,000 

7800 CE के राइटर को 100 प्वाइंट का नुकसान होगा और रुपयों में इसकी कीमत होगी

 100 * 3448575  = Rs 3,44,857,500

7900 CE के राइटर को मिला हुआ प्रीमियम अपने पास रखने का मौका मिल जाएगा 

क्योंकि बाजार 7900 पर एक्सपायर हो रहा है इसलिए पुट ऑप्शन के सभी राइटर को भी प्रीमियम अपने पास रखने का मौका मिल जाएगा।

तो इस तरीके से ऑप्शन राइटर को होने वाला कुल नुकसान होगा 

= Rs 3,64,680,000 + Rs 3,44,857,500

= Rs 7,09,537,500

तो इस तरह से हमने सभी संभावित एक्सपायरी पर ऑप्शन राइटर को होने वाले नुकसान की रुपयों में कीमत निकाल ली है। इसको नीचे के टेबल में देखते हैं-

स्ट्राइक कॉल ऑप्शन OI पुट ऑप्शन OI कॉल में नुकसान पुट में नुकसान कुल नुकसान
7700 1823400 5783025 0 998287500 998287500
7800 3448575 4864125 182340000 255937500 438277500
7900 5367450 2559375 7095375000 0 7095375000

अब क्योंकि हमने ऑप्शन राइटर को होने वाले नुकसान को निकाल लिया है तो अब हम पता लगा सकते हैं कि बाजार के किस स्तर पर एक्सपायर होने की संभावना है।

ऑप्शन पेन थ्योरी के हिसाब से, बाजार उस स्तर पर एक्सपायर होगा जहां पर ऑप्शन बेचने वाले को कम से कम नुकसान हो (कम से कम पेन हो)। अब ऊपर के टेबल से साफ है कि यह स्तर 7800 का होगा। जहां पर ऑशन बेचने वालों को करीब 43.82 करोड़ (438277500) का नुकसान हो रहा है जोकि 7700 और 7900 पर होने वाले कुल नुकसान से कम है। 

तो आपने देखा कि इस को निकालना कितना आसान है। वैसे मैंने सिर्फ तीन स्ट्राइक को लिया है जबकि बाजार में बहुत सारे स्ट्राइक मौजूद होते हैं, खासकर निफ्टी के लिए। इसलिए कई बार यह गणना काफी मुश्किल हो जाती है। इस मुश्किल से बचने का तरीका यह है कि आप माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल जैसी चीज का इस्तेमाल करें। 

मैंने 10 मई 2016 के लिए मैक्सिमम (Maximum/अधिकतम) पेन का स्तर निकाला है, इसे आप नीचे के चित्र में देख सकते हैं-

बाजार में उपलब्ध सभी स्ट्राइक के लिए हमें यह मानना होता है कि बाजार इसी स्तर पर एक्सपायर होगा और फिर कॉल और पुट ऑप्शन के नुकसान की रुपए में कीमत निकालनी होती है। इसी कीमत को अंतिम कॉलम में कुल कीमत के नीचे दिखाया गया है । एक बार आपने कुल कीमत निकाल ली तो हमें सिर्फ यह देखना होता है कि किस स्तर पर सबसे कम ऑप्शन राइटर को सबसे कम नुकसान हो रहा है। आप यह काम इस काम के लिए कुल कीमतों के बार ग्राफ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, यह बार ग्राफ कुछ ऐसा दिखेगा – 

जैसा कि आप ग्राफ में देख सकते हैं कि 7800 का स्ट्राइक वह स्तर है जहां पर ऑप्शन राइटर को सबसे कम रुपयों का नुकसान हो रहा है। तो ऑप्शन पेन थ्योरी के हिसाब से 7800 बाजार का वो स्तर है जहां पर मई सीरीज को एक्सपायर होना चाहिए। 

अब जब आपने एक्सपायरी का स्तर निकाल लिया है, तो आप इस जानकारी का उपयोग कैसे करेंगे, इसके कई उपयोग हैं। 

ज्यादातर ट्रेडर पेन स्तर का इस्तेमाल राइट करने की सही स्ट्राइक चुनने के लिए करते हैं। इस उदाहरण में 7800 एक्सपायरी का स्तर है इसलिए आप 7800 के ऊपर का कॉल ऑप्शन या फिर 7800 के नीचे का पुट ऑप्शन राइट कर (बेच) सकते हैं ताकि प्रीमियम आपको मिल सके।

13.4 – मेरे किए कुछ बदलाव

अपने ट्रेडिंग के शुरुआती दिनों में मैं ऑप्शन पेन के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक हुआ करता था। मुझे इससे जुड़ी हुई हर बात सही लगती थी। मैं हर तरीके के आंकड़ों पर नजर रखता था, एक्सपायरी स्तर को देखता था, फिर ऑप्शन राइट करता था, लेकिन हर बार बाजार किसी नए स्तर पर बंद हो जाता था और मुझे नुकसान होता था। नुकसान होने पर मैं यह सोचता था कि मेरे अपनी गणना में कहीं गलती है या फिर यह थ्योरी ही गलत है। 

इसीलिए मैंने ऑप्शन पेन थ्योरी में अपने रिस्क के हिसाब से कुछ बदलाव किए, जैसे –  

  1. ओपन इंट्रेस्ट हर दिन बदलते हैं। इसका मतलब यह है कि 10 मई को ऑप्शन पेन थ्योरी आपको यह बता सकती है कि एक्सपायरी 7800 पर होगी जबकि 20 मई को यही थ्योरी आपको बता सकती है एक्सपायरी 8000 पर होगी। इसलिए मैंने अपनी गणना करने के लिए दिन निश्चित कर दिया। मैंने अपने लिए एक्सपायरी से 15 दिन पहले का दिन निश्चित किया। 
  2. मैंने ऑप्शन पेन के आम तरीके से एक्सपायरी का स्तर निकाला।
  3. मैं इस एक्सपायरी के स्तर में 5% का सुरक्षा कुशन यानी बफर (buffer) जोड़ने लगा। जैसे एक्सपायरी के 15 दिन पहले अगर पेन थ्योरी यह बता रही है कि एक्सपायरी 7800 पर होगी तब मैं उसमें 5% का बफर जोड़ लेता था जिससे मेरे लिए एक्सपायरी का नया स्तर होता था 7800 + 7800 का 5% =  8190 या 8200 का स्ट्राइक। 
  4. इसके बाद मैं यह उम्मीद करता था कि बाजार 7800 से 8200 के बीच में एक्सपायर होगा 
  5. मैं इस एक्सपायरी के स्तर के आधार पर अपनी स्ट्रैटेजी बनाता था। मेरा सबसे पसंदीदा स्ट्राइक होता था 8200 के ऊपर का कॉल ऑप्शन खरीदना। 
  6. मैं पुट ऑप्शन खरीदने से बचता था क्योंकि मुझे लगता था कि बाजार में लालच के मुकाबले डर ज्यादा तेजी से फैलता है मतलब बाजार में बढ़त के मुकाबले गिरावट ज्यादा तेजी से आती है। 
  7. मैं बेचे हुए ऑप्शन को एक्सपायरी तक होल्ड करता था और आमतौर पर इस दौरान ऐवरेजिंग (Averaging) करने से बचता था।

जब से मैंने अपने इन सुधारों का इस्तेमाल करना शुरू किया, तब से, मुझे बाजार से नतीजे अच्छे मिलने लगे। लेकिन मैंने कभी अपने नतीजों का रिकॉर्ड नहीं रखा इसलिए यह नहीं बता सकता कि मुझे कितना मुनाफा हुआ। लेकिन अगर आप में से किसी को प्रोग्रामिंग आती है तो आप बहुत आसानी से मेरे इस तर्क को स्तर को जांच सकते हैं और इस जांच के नतीजे सबके साथ बांट सकते हैं। एक बात और, मुझे काफी समय बाद में समझ में आया कि मैं जो 5% था बफर या कुशन ले रहा था वह वास्तव में वही स्ट्राइक हैं जो 1.5 से 2% तक की स्टैंडर्ड डेविएशन दूर हैं। इसका मतलब है कि बाजार के इस स्तर पर एक्सपायर होने की संभावना करीब 34% है। 

अगर आपको मेरी बात नहीं समझ में आ रही है तो मेरी सलाह होगी कि आप स्टैंडर्ड डेविएशन और डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ रिटर्न का अध्याय पढ़ें। 

ऑप्शन पेन की गणना को एक्सेल में आप यहां से download कर सकते हैं

13.5 – पुट कॉल रेश्यो

पुट कॉल रेश्यो को निकालना काफी आसान होता है। जब बाजार में बहुत ज्यादा तेजी या बहुत ज्यादा मंदी होती है तो यह रेश्यो हमें इस बात को बता देता है। पुट कॉल रेश्यो यानी PCR को एक कांट्रेरियन इंडिकेटर (Contrarian Indicator) माना जाता है, मतलब यह कि जब PCR बताता है कि बाजार में बहुत ज्यादा मंदी है तो इसका मतलब है कि यहां से बाजार की दिशा अब पलटने वाली है यानी बाजार यहां से घूमने वाला है। ऐसे में ट्रेडर तेजी का रुख अपना लेते हैं। इसी तरह से. अगर PCR यह बताता है कि बाजार में बहुत ज्यादा तेजी है तब ट्रेडर मानता है कि बाजार के पलटने और नीचे गिरने की संभावना है। 

PCR की गणना करने के लिए पुट के कुल ओपन इंट्रेस्ट को कॉल के कुल ओपन इंटरेस्ट से विभाजित किया जाता है। आमतौर पर यह संख्या 1 के आंकड़े के आसपास होती है। नीचे के चित्र को देखिए –

यहां पर 10 मई को कॉल और पुट ऑप्शन के कुल ओपन इंट्रेस्ट निकाला गया है, पुट ऑप्शन के ओपन इंट्रेस्ट कॉल आप्शन के ओपन इंटरेस्ट से विभाजित करने पर हमें PCR रेश्यो मिलता है –

37016925 / 42874200 = 0.863385

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि –

  • अगर PCR 1 के ऊपर है मान लीजिए 1.3 तो इसका मतलब है कि बाजार में कॉल की तुलना में ज्यादा पुट खरीदे जा रहे हैं। इसका मतलब होता है कि बाजार में बहुत ज्यादा मंदी हो गई है यानी बाजार ओवरसोल्ड (oversold) है। ऐसे में आप तेजी की या बाजार के घूमने की उम्मीद कर सकते हैं। 
  • अगर PCR कम है यानी 0.5 या उससे नीचे है तो इसका मतलब है कि पुट ऑप्शन की तुलना में ज्यादा कॉल ऑप्शन खरीदे जा रहे हैं इसका मतलब होता है कि बाजार बहुत ज्यादा तेजी में आ चुका है और अब ओवरबॉट (overbought) स्थिति में है। यहां पर आप फिर से बाजार के घूमने विपरीत दिशा में चलने यानी नीचे जाने की उम्मीद कर सकते हैं। 
  • अगर PCR 0.5 और 1 के बीच में रहता है तो इसका मतलब है कि बाजार में सब कुछ सामान्य ट्रेडिंग के आधार पर हो रहा है ऐसे में पीसीआर का कोई बहुत महत्व नहीं रह जाता है।

यहां ध्यान रखने की जरूरत है कि PCR का यह तरीका आम तरीका है इसलिए इस को और बेहतर बनाने के लिए आपको 1 या 2 साल की हर दिन के PCR के स्तर को देखना होगा और उसमें से उस स्तर को पहचानना होगा जो कि बहुत अधिक या बहुत कम है। इससे आपको यह पता चल सकेगा कि किस जगह बाजार ओवरसोल्ड या ओवरबॉट होता है। जैसे कि आंकड़े आपको बता सकते हैं कि निफ्टी के लिए 1.3 का स्तर बहुत ज्यादा मंदी वाला है लेकिन हो सकता है इंफोसिस के लिए 1.2 ही बहुत ज्यादा मंदी का स्तर हो। आपको इसके बारे में पता होना चाहिए। 

आपके दिमाग में यह सवाल उठ सकता है कि PCR को कांट्रेरियन इंडिकेटर क्यों माना जाता है। इसको समझाना थोड़ा सा मुश्किल है। लेकिन आमतौर पर यह कहा जाता है कि अगर ट्रेडर तेजी या मंदी में है तो उनमें से ज्यादातर ने अपनी एक पोजीशन ले ली है (इसी वजह से PCR ऊपर या नीचे होता है) ऐसे में बाजार में बहुत ज्यादा लोग नहीं बचते हैं जो आकर नई पोजीशन लें और बाजार की दिशा बनाए रखें यानी बाजार अपनी तेजी या मंदी को आगे नहीं बढ़ा सकता। ऐसे में इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचता कि ये पोजीशन अब स्क्वेयर ऑफ हों। जिसकी वजह से बाजार दूसरी दिशा में चलने लगेगा। 

तो यह था PCR यानी पुट कॉल रेश्यो। आपको इसके कई रूप देखने को मिल सकते हैं- कुछ लोग ओपन इंट्रेस्ट की जगह कुल ट्रेडिंग की संख्या को ले कर PCR निकालते हैं जबकि कुछ लोग इसे वॉल्यूम के आधार पर निकालते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि PCR को लेकर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है।

13.6 – कुछ और अंतिम विचार 

इसके साथ मैं ऑप्शन पर इस मॉड्यूल को खत्म करता हूं जो कि 2 मॉड्यूल और 36 अध्याय में फैला हुआ था।

हमने इस मॉड्यूल में 15 अलग-अलग तरीके की ऑप्शन स्ट्रैटेजी पर चर्चा की, मुझे लगता है कि इतनी स्ट्रैटेजी रिटेल ट्रेडर के लिए प्रोफेशनल ट्रेडिंग करने के हिसाब से काफी हैं। बाजार में आपको तरह तरह की कई और ऑप्शन स्ट्रैटेजी बाद में मिल सकती हैं। बहुत सारे लोग आपको नई नई स्ट्रैटेजी और उसके फायदे बताएंगे, लेकिन याद रखिए कि नई स्ट्रैटेजी से फायदा हो ये जरूरी नहीं होता अच्छी स्ट्रैटेजी वही होती है जो सीधी और सरल हो, और उपयोग करने में आसान हो। 

मॉड्यूल 5 और 6 में जो कुछ भी आपको बताया गया है, उसके पीछे मंशा यह थी कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे तरीके से समझ लें और यह जान सकें आपके लिए क्या करना संभव है और ऑप्शन में क्या करना संभव नहीं है। हमने इस पर अच्छे से विचार किया है कि किस चीज की जरूरत है और किस की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि यह दोनों मॉड्यूल आपके ऑप्शन से जुड़े हुए सवाल का समाधान करने के लिए जरूरत से ज्यादा हैं।

इसलिए कुछ समय निकालकर ये सब कुछ अपनी रफ्तार से पढ़ने के बाद ऑप्शन ट्रेडिंग अच्छे से शुरू कीजिए।

मुझे उम्मीद है कि आप को पढ़ने में उतना ही मजा आया होगा जितना कि मुझे लिखने में आया

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. ऑप्शन पेन थ्योरी मानती है कि ऑप्शन बेचने वालों के मुकाबले आप्शन राइटर लगातार ज्यादा पैसे बनाते हैं।
  2. ऑप्शन पेन का सिद्धांत यह मानता है कि आप्शन को बेचने वाले यानी राइटर एक्सपायरी के दिन कीमत को अपने हिसाब से ऊपर नीचे कर लेते हैं। 
  3. आप स्टॉक या इंडेक्स की एक्सपायरी कीमत को जानने के लिए ऑप्शन पेन थ्योरी का उपयोग कर सकते हैं।
  4. जिस स्ट्राइक पर ऑप्शन राइटर यानी बेचने वाले को सबसे कम नुकसान हो रहा हो उसी स्तर पर स्टॉक या इंडेक्स के एक्सपायर होने की संभावना होती है।
  5. PCR यानी पुट कॉल रेश्यो को निकालने के लिए पुट के कुल ओपन इंट्रेस्ट को कॉल के कुल ओपन इंट्रेस्ट से विभाजित किया जाता है। 
  6. PCR एक कॉन्ट्रेरियन इंडिकेटर माना जाता है।
  7. आमतौर पर 1.3 से ऊपर के PCR को मंदी का माना जाता है और 0.5 से कम के PCR स्तर को तेजी का स्तर माना जाता है।



56 comments

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  1. VINOD RAWAT says:

    मैं इस एक्सपायरी के स्तर के आधार पर अपनी स्ट्रैटेजी बनाता था। मेरा सबसे पसंदीदा स्ट्राइक होता था 8200 के ऊपर का कॉल ऑप्शन खरीदना।
    मैं पुट ऑप्शन खरीदने से बचता था क्योंकि मुझे लगता था कि बाजार में लालच के मुकाबले डर ज्यादा तेजी से फैलता है मतलब बाजार में बढ़त के मुकाबले गिरावट ज्यादा तेजी से आती है।
    सर ऊपर दोनों में खरीदना लिखा है, लेकिन यहाँ बेचना लिखा था।

  2. VINOD RAWAT says:

    समस्त ज़ेरोधा टीम का बहुत 2 धन्यवाद।

  3. Mahendra Prajapati says:

    Thank you zerodha team
    valueble information provide karne k liye

  4. Amit Sharma says:

    can you plz share the excel which you have made for the purpose of calculating the option chain data to find out the level where there is a minimum loss to option writer.

    Regards,
    Amit

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिया धन्यवाद हमने इसको अपडेट करदिया है।

  5. Amit Sharma says:

    Thanks for providing an excel file.

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