4.1 – भूमिका

कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड एक बहुत ही रोचक ऑप्शन स्ट्रेटजी है। मैं इसको रोचक इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इसका इस्तेमाल बहुत ही आसान है और इससे अच्छी कमाई हो सकती है। आपकी ऑप्शन रणनीतियों में इसका होना जरूरी है। इसका इस्तेमाल तब होता है जब आप स्टॉक या इंडेक्स को लेकर तेजी में हों। बुल कॉल स्प्रेड या बुल पुट स्प्रेड की तरह मॉडरेटली बुलिश नहीं होते बल्कि पूरी तरीके से बुलिश या तेजी में होते हैं। 

आमतौर पर जब कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल करते हैं तो निम्न चीजें हो सकती हैं – 

  1. अगर बाजार ऊपर जाए तो असीमित मुनाफा 
  2. अगर बाजार नीचे जाए तो सीमित मुनाफा 
  3. अगर बाजार एक रेंज में या दायरे में रहे तो एक निश्चित सीमा तक का ही घाटा 

मतलब यह कि इस स्ट्रैटजी मे आप बाजार की दोनो तरफ की चाल पर पैसे बनाते हैं, बाजार ऊपर की तरफ चले या नीचे की तरफ बस एक चाल आनी चाहिए।

आमतौर पर कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल नेट क्रेडिट के लिए होता है, मतलब जब आप कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल करते हैं तो पैसे आपके अकाउंट में आते हैं। अगर बाजार आपकी उम्मीद के मुताबिक ऊपर नहीं जाता बल्कि बाजार नीचे चला जाता है, तब आप नेट क्रेडिट पाते हैं। लेकिन अगर बाजार वास्तव में उम्मीद के मुताबिक ऊपर चला जाता है, तो आप असीमित मुनाफा कमाते हैं। इसी वजह से एक साधारण कॉल ऑप्शन खरीदने के बजाय कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है। 

तो चलिए समझते हैं कि यह कैसे काम करता है।

4.2 – स्ट्रैटेजी से जुड़ी बातें

कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड 3 चरणों वाली स्प्रेड स्ट्रेटजी है, जिसमें दो OTM कॉल ऑप्शन को खरीदा जाता है और एक ITM कॉल ऑप्शन को बेचा जाता है। इसका अनुपात हमेशा 2:1 का होता है। कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड में 2:1 के अनुपात का मतलब है कि हर एक ऑप्शन की बिक्री पर दो ऑप्शन को खरीदा जाता है। 

एक उदाहरण देखते हैं – मान लीजिए कि निफ्टी 7743 पर है और आप को लगता है कि निफ्टी 8100 तक जाएगा। मतलब बाजार को ले कर आप काफी बुलिश हैं। अब कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड बनाने के लिए –

  1. 7600 CE का एक लॉट बेचिए (ITM) 
  2. 7800 CE का दो लॉट खरीदिए (OTM) 

जब आप ऐसा करें तो ध्यान रखें कि 

  1. सभी कॉल ऑप्शन एक ही एक्सपायरी सीरीज के हों 
  2. एक ही अंडरलाइंग से जुड़े हुए हों 
  3. 2 :1 का अनुपात बना रहे

कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड का ट्रेड सेटअप – 

  1. 7600 CE एक लॉट शार्ट, ₹201 का प्रीमियम प्राप्त करें। 
  2. 7800 CE दो लॉट लांग, हर लॉट पर ₹ 78 का प्रीमियम दें यानी दो लॉट के लिए कुल ₹156 अदा करें।
  3. कुल नेट = कैश फ्लो मिला हुआ प्रीमियम – अदा किया गया प्रीमियम यानी 201 – 156 = 45 (नेट क्रेडिट)

कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड इस तरह से पूरा होता है। आइए कुछ स्थितियों पर नजर डालते हैं जिससे हमें पता चल सके कि अलग-अलग स्तर की एक्सपायरी पर कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड के कैश फ्लो पर क्या असर होगा।

याद रखिए कि हर स्तर पर पे ऑफ बदलता रहता है इसलिए हमें एक्सपायरी के अलग अलग स्तरों पर पे ऑफ को ठीक से देखना समझना होगा।

स्थिति 1 –  बाजार की एक्सपायरी 7400 पर होती है (नीचे के स्ट्राइक प्राइस से भी नीचे) 

हमे पता है कि एक्सपायरी के समय कॉल ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू –

Max [spot – strike, 0]

7600 की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी –

Max [7400 -7600,0]

= 0

क्योंकि हमने इस ऑप्शन को बेचा है, इसलिए हम पूरा यानी ₹201 का प्रीमियम अपने पास रख सकते हैं।

7800 के कॉल आप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू भी 0 होगी, इसलिए हम हर लॉट पर ₹78 का प्रीमियम यानी कुल ₹156 का प्रीमियम खो देंगे।

कुल नेट कैश फ्लो  = मिला हुआ प्रीमियम – अदा किया गया प्रीमियम

= 201 – 156

= 45

स्थिति 2 – बाजार की एक्सपायरी 7600 पर होती है (नीचे के स्ट्राइक कीमत पर) 

7600 और 7800 दोनों ऑप्शन की इंट्रिसिक वैल्यू जीरो है। इसलिए दोनों वर्थलेस एक्सपायर होंगे।

हमने 7600 CE के लिए जो ₹201 का प्रीमियम लिया है वो हम अपने पस रख पाएंगे लेकिन हमने 7800 के लिए जो ₹156 का प्रीमियम दिया है वो डूब जाएगा और स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ ₹45 होगा।

स्थिति 3 – बाजार की एक्सपायरी 7645 पर होती है (नीचे की स्ट्राइक कीमत + नेट क्रेडिट)

आप सोच रहे होंगे कि मैंने 7645 को क्यों चुना है। मैंने ऐसा ये दिखाने के लिए किया है कि ये इस स्ट्रैटेजी का ब्रेकइवन स्तर है। 

7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू 0 होगी, 

Max [spot – strike, 0]

7600 की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी –

Max [7645 -7600,0]

= 45

हमने इस ऑप्शन को 201 पर बेचा है इसलिए पे ऑफ होगा

201 – 45 

= 156

दूसरी तरफ, हमने 7800 CE के 2 लॉट 156 का प्रीमियम दे कर खरीदे हैं। अब तक ये साफ हो चुका है कि ये वर्थलेस हो कर एक्सायर होंगे, यानी हम पूरा प्रीमियम गंवा देंगे।

इस तरह से स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ होगा –

156 – 156

= 0

इसका मतलब 7645 पर ट्रेडर के पैसे ना तो बनेंगे और ना ही डूबेंगे। यही इसका ब्रेकइवन प्वाइंट होगा।

स्थिति 4-  बाजार की एक्सपायरी 7700 पर होती है (ऊपर के स्ट्राइक प्राइस और नीचे की स्ट्राइक के बीच में) 

7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 100 और 7800 CE की इंट्रिसिक वैल्यू 0 होगी 

7600 CE पर हमें 101 ही मिलेंगे क्योंकि हमें जो 201 का प्रीमियम मिला है, उसमे से हम 100 गंवा देंगे, 

201 -100 = 101,

उधर, 7800 CE पर हम पूरा प्रीमियम यानी 156 गंवा देंगे।

इसलिए स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ होगा

= 101 – 156

= – 55

स्थिति 5 –  बाजार की एक्सपायरी 7800 पर होती है (ऊपर के स्ट्राइक प्राइस पर) 

ये बहुत ही रोचक है, देखिए

  1. 7800  पर 7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 200, इसलिए हमें जो 201 का प्रीमियम मिला है, उसे हम पूरा गंवा देंगे
  2. 7800 पर 7800 CE वर्थलेस एक्सपायर होगा इसलिए हमने 2 लॉट जो 156 का प्रीमियम दे कर खरीदे हैं। वो पूरा प्रीमियम यानी 156 हम गंवा देंगे।

तो ये एक दोहरी मार वाली स्थिति है।

इस स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ होगा

= 7600 CE के लिए मिला हुआ प्रीमियम – 7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू – 7800 CE के लिए अदा किया गया प्रीमियम

= 201 – 200 -156

= – 155

ये इस स्ट्रैटेजी में हो सकने वाला अधिकतम नुकसान भी है।

स्थिति 6 –  बाजार की एक्सपायरी 7955 पर होती है (ऊपर के स्ट्राइक प्राइस यानी 7800 + अधिकतम नुकसान पर) 

मैंने 7955 को इसलिए चुना है क्योंकि ये इस स्ट्रैटेजी का ब्रेकइवन स्तर है। 

अब आप सोच रहे होंगे कि लेकिन स्ट्रैटेजी के ब्रेकइवन पर तो हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं।

वास्तव में इस स्ट्रैटेजी के दो ब्रेकइवन स्तर हैं – एक नीचे की तरफ (7645) और दूसरा ऊपर की तरफ यानी 7955 पर।

अब 7955 पर स्ट्रैटेजी का पे ऑफ होगा – 

7600 CE के लिए मिला हुआ प्रीमियम – 7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू + (2*7800 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू) – 7800 CE के लिए अदा किया गया प्रीमियम

= 201 – 355 + (2* 155) – 156

= 201 – 355 + 310 – 156

= 0

स्थिति 7 –  बाजार की एक्सपायरी 8100 पर होती है (ऊपर के स्ट्राइक प्राइस के भी ऊपर, आपके टारगेट कीमत पर) 

7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 500 और 7800 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 300 

कुल पे ऑफ होगा –

7600 CE के लिए मिला हुआ प्रीमियम – 7600 CE की इंट्रिन्सिक वैल्यू + (2*7800 CE की इंट्रिसिक वैल्यू) – 7800 CE के लिए अदा किया गया प्रीमियम

= 201 – 500 + (2* 300) – 156

= 201 – 500 + 600 – 156

= 145

अलग अलग एक्सपायरी पर इस स्ट्रैटेजी के पे ऑफ को नीचे दिखाया गया है। ध्यान दीजिए कि जैसे जैसे बाजार ऊपर जाता है वैसे वैसे मुनाफा भी ऊपर जाता है और जब बाजार नीचे जाता है तो भी पैसे बनते हैं, भले ही कम बन रहे हों।

 

4.3 – स्ट्रैटेजी के सामान्य बिंदु

ऊपर जिन स्थितियों पर हमने चर्चा की है उसके आधार पर स्ट्रैटेजी के बारे में जो सामान्य बातें कह सकते हैं वो हैं  –

  • स्प्रेड = ऊपर की स्ट्राइक नीचे की स्ट्राइक
  • नेट क्रेडिट = नीचे की स्ट्राइक के लिए प्रीमियम – 2* ऊपर की स्ट्राइक के लिए प्रीमियम
  • अधिकतम नुकसान = स्प्रेडनेट क्रेडिट
  • अधिकतम नुकसान होता है = ऊपर की स्ट्राइक पर 
  • बाजार के नीचे जाने पर पे ऑफ = नेट क्रेडिट
  • नीचे का ब्रेकइवन = नीचे की स्ट्राइक + नेट क्रेडिट
  • ऊपर का ब्रेकइवन = ऊपर की स्ट्राइक + अधिकतम नुकसान

इन बिंदुओं को इस ग्राफ में दिखाया गया है –

ध्यान दें कि बाजार के नीचे जाने पर पे ऑफ एक जगह पर स्थिर हो जाता है, अधिकतम नुकसान 7800 पर होता है और 7955 के बाद पे ऑफ किस तरह ऊपर भाग जाता है

4.4 – एक बार फिर ग्रीक्स का स्वागत कीजिए

मुझे उम्मीद है कि अब आप इस तरह के ग्राफ को समझ लेंगे। नीचे के ग्राफ एक्सपायरी में समय के हिसाब से स्ट्रैटेजी में हो सकने वाले मुनाफे को दिखाते हैं और इसीलिए इनके आधार पर ट्रेडर सही स्ट्राइक चुन सकता है।

ऊपर के ग्राफ को समझने के पहले कुछ बातें याद रखिए –

  1. निफ़्टी स्पॉट को 8000 पर माना गया है 
  2. यहां सीरीज की शुरुआत का मतलब है सीरीज के पहले 15 दिन 
  3. सीरीज के खत्म होने का मतलब है सीरीज के अंतिम 15 दिन में कभी भी 
  4. कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड को नियमित किया गया है और स्प्रेड को 300 प्वाइंट के अंतर पर रखा गया है 

यहां पर उम्मीद है कि बाजार करीब 6.25% बढ़ेगा और 8000 से 8500 तक जाएगा। तो इस बाजार की इस चाल और एक्सपायरी के समय के हिसाब से देखें तो ऊपर का ग्राफ बताता है कि-

  1. ग्राफ 1 (सबसे ऊपर बाई तरफ) और ग्राफ 2 (सबसे ऊपर दाएं तरफ)  – आप सीरीज की शुरुआत में हैं और आपको उम्मीद है कि अगले 5 दिनों में बाजार में मूव आ जाएगी (ग्राफ 2 के लिए 15 दिन) तो 7800 CE (ITM) और 8100 CE (OTM) के साथ बनाया गया कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड सबसे अधिक मुनाफा देगा। याद रखिए कि कि भले ही बाजार की दिशा आपने सही पहचानी है लेकिन फार OTM स्ट्राइक चुनने पर आपको नुकसान होगा। 
  2. ग्राफ 3 (नीचे बाई तरफ) और ग्राफ 4 (नीचे दाएं तरफ)  – आप एक्सपायरी सीरीज के शुरुआत में हैं और आपको उम्मीद है कि चाल अगले 25 दिनों में आएगी (ग्राफ 3 के लिए एक्सपायरी के दिन) । ऐसे में 7800 CE (ITM) और 8100 CE (OTM) वाला कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड सबसे ज्यादा मुनाफा देगा। यहां पर आप एक 7800 CE बेच रहे हैं और दो 8100 CE खरीदेंगे।

यहां पर आपको दिखेगा कि एक्सपायरी के लिए समय कुछ भी हो लेकिन स्ट्राइक एक ही है, इसकी वजह ये है कि – कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड सबसे ज्यादा अच्छा काम तब करता है जब एक्सपायरी दूर होने की स्थिति में आप स्लाइटली ITM आप्शन बेचते हैं और स्लाइटली OTM आप्शन खरीदते हैं। सच तो ये है कि बाकी सभी स्ट्राइक में नुकसान होता है, खासकर फार OTM आप्शन, और अगर आप ये उम्मीद कर रहे हैं कि टारगेट एक्सपायरी के करीब जा कर हासिल होगा।

अब कुछ और चार्ट देखते हैं इसमें चाल (6.25%) ही है लेकिन अंतर बस इतना है कि यह चार्ट तब की स्ट्राइक दिखा रहे हैं जब आप सीरीज के दूसरे हिस्से में हैः

 

  1. ग्राफ 1 (सबसे ऊपर बाई तरफ) और ग्राफ 2 (सबसे ऊपर दाएं तरफ)  – अगर आप सीरीज के दूसरे हिस्से में हैं और आपको उम्मीद है कि अगले 1 दिन में बाजार में मूव आ जाएगी (ग्राफ 2 के लिए 5 दिन) तो डीप ITM और स्लाइटली ITM सही स्ट्राइक होगी मतलब 7600 (नीचे की स्ट्राइक शार्ट) और 7900  (ऊपर की स्ट्राइक पर लॉन्ग)। याद रखिए कि ये कि ITM + OTM का आम मिश्रण नहीं है। ये ITM और ITM का स्प्रेड है। बाकी कोई भी जुगलबंदी यहां काम नहीं करेगी।  
  2. ग्राफ 3 (नीचे बाई तरफ) और ग्राफ 4 (नीचे दाएं तरफ)  – आप एक्सपायरी सीरीज के दूसरे हिस्से में हैं  और आपको उम्मीद है कि चाल अगले 10 दिनों में आएगी (ग्राफ 4 के लिए एक्सपायरी के दिन) । ऐसे में डीप ITM  और स्लाइटली ITM की स्ट्राइक सबसे अच्छी होगी, 7600 (नीचे की स्ट्राइक शार्ट) और 7900  (ऊपर की स्ट्राइक पर लॉन्ग) , एकदम वैसा ही जो कि ग्राफ 1 और ग्राफ 2 बता रहे हैं।

यहां पर आप ध्यान दें कि बाजार की दिशा को सही पहचानने के अलावा सही स्ट्राइक चुन कर ही आप इस स्ट्रैटेजी में पैसे बना सकते हैं। यहां पर एक्सपायरी को सही तरीके से देखना और सही स्ट्राइक को चुनने पर खास ध्यान देना होगा। 

यहां वोलैटिलिटी का भी काफी असर होता लिए है इस चित्र को देखिए।

यहां पर तीन रंगों की रेखाएं हैं जो कि नेट प्रीमियम में बदलाव को दिखाती हैं। मतलब यह रेखाएं दिखा रही हैं कि वोलैटिलिटी में बदलाव के साथ इस स्ट्रैटेजी की कमाई में किस तरह का बदलाव होता है। ये रेखाएं हमें इस स्ट्रैटेजी पर वोलैटिलिटी के असर को दिखाती हैं खासकर तब जब आप एक्सपायरी के नजरिए से देख रहे हों।

  1. नीली रेखा – ये रेखा हमें बताती है कि जब वोलैटिलिटी बढ़ती है और एक्सपायरी में काफी समय बचा हो (30 दिन) तो कॉल रेश्यो बैकस्प्रेड का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। जैसे कि हम देख सकते हैं कि जब वोलैटिलिटी 15% से 30% हो जाती है तो इस स्ट्रैटेजी का पे ऑफ – 67 से + 43 हो जाता है। इसका मतलब है कि जब एक्सपायरी में काफी समय बचा हो तो बाजार की दिशा पर आपकी राय सही होने के साथ आपको वोलैटिलिटी पर भी राय बनानी चाहिए। इसीलिए अगर सीरीज की शुरुआत में वोलैटिलिटी ऊपर हो तो मैं स्टॉक पर बुलिश होने पर भी इस स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करने को ले कर दुविधा में रहूंगा।
  2. हरी रेखा – ये रेखा बताती है कि अगर एक्सपायरी में 15 दिन बचे हों तो वोलैटिलिटी का बढ़ना फायदेमंद होता है। हांलाकि ये फायदा नीली रेखा के मामले में होने वाले फायदे से कम होता है। जैसा कि हम देख सकते हैं कि वोलैटिलिटी 15% से 30% होने पर इस स्ट्रैटेजी का पे ऑफ – 77 से – 47 हो जाता है।
  3. लाल रेखा – यहां पर ऐसा परिणाम आता है जो आप सोच भी नहीं सकते, जब एक्सपायरी में कुछ ही दिन बचे हों तो वोलैटिलिटी बढ़ने पर स्ट्रैटेजी पर निगेटिव असर पड़ता है। जरा सोचिए, एक्सपायरी में कुछ ही दिन बचे हों तो वोलैटिलिटी बढ़ने पर ऑप्शन के OTM हो कर एक्सपायर होने की संभावना बन जाती है और प्रीमियम घट जाता है। तो अगर आप एक्सपायरी से कुछ दिन पहले स्टॉक पर बुलिश हैं और आप वोलैटिलिटी के बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए।

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड का सबसे अच्छा इस्तेमाल तब होता है जब स्टॉक या इंडेक्स पर आपका नजरिया तेजी का या बुलिश हो।
  2. इस स्ट्रैटेजी में आपको एक ITM CE बेचना होता है और दो OTM CE खरीदने होते हैं और इसको हमेशा इसी अनुपात में करना होता है मतलब एक ऑप्शन बेचना और दो ऑप्शन खरीदना। 
  3. आमतौर पर इस ऑप्शन को नेट क्रेडिट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 
  4. अगर स्टॉक की कीमत नीचे जाती है तो इस स्ट्रैटेजी में सीमित मुनाफा होता है और अगर स्टाफ की कीमत ऊपर जाती है तो असीमित मुनाफा होता है। घाटा एक निश्चित सीमा तक ही होता है।
  5. इसमें दो ब्रेक इवन प्वाइंट होते हैं – नीचे का ब्रेक इवन और ऊपर का ब्रेक इवन प्वाइंट 
  6. स्प्रेड = ऊपर की स्ट्राइक नीचे की स्ट्राइक 
  7. नेट क्रेडिट = नीचे की स्ट्राइक पर मिला प्रीमियम – 2*ऊपर की स्ट्राइक का प्रीमियम 
  8. अधिकतम नुकसान = स्प्रेड नेट क्रेडिट 
  9. सबसे ज्यादा नुकसान =  ऊंची स्ट्राइक पर 
  10. बाजार के नीचे जाने पर होने वाला पे ऑफ = नेट क्रेडिट 
  11. नीचे का ब्रेक इवन नीचे की स्ट्राइक + नेट क्रेडिट 
  12. ऊपर का ब्रेक इवन = ऊपर की स्ट्राइक + अधिकतम नुकसान 
  13. एक्सपायरी में कितना भी भले ही कितना समय बचा हो इस स्ट्रेटजी में स्लाइटली ITM + स्लाइटली OTM स्ट्राइक के मिश्रण को ही खरीदना चाहिए। 
  14. जब एक्सपायरी में काफी समय बचा हो तो कि वोलैटिलिटी बढ़ने से इस स्ट्रेटजी में फायदा होता है लेकिन अगर एक्सपायरी में समय कम बचा हो तो कि वोलैटिलिटी बढ़ना इस स्ट्रेटजी के लिए अच्छा नहीं होता।

 




24 comments

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  1. VINOD RAWAT says:

    7600 CE एक लॉट शार्ट, ₹20 का प्रीमियम प्राप्त करें।
    सर यहाँ रू.201 होना चाहिए

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद। हमने इसको सही करदिया है।

  2. VINOD RAWAT says:

    हमने 7600 CE के लिए जो ₹201 का प्रीमियम दिया है
    सर यहाँ दिया के स्थान पर लिया आना चाहिए।

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद। हमने इसको सही करदिया है।

  3. VINOD RAWAT says:

    नेट क्रेडिट = नीचे की स्ट्राइक के लिए मिला प्रीमियम – 2* ऊपर की स्ट्राइक के लिए मिला प्रीमियम
    सर दोनों में प्रीमियम मिला प्रिंट हो गया है।

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद। हमने इसको सही करदिया है।

  4. Dileep Kumar says:

    sir
    square off ke liye hume expiry date and time ka wait karna hoga
    ya hum manually kabhi bhi positions ko square off kar sakte hain

    • Kulsum Khan says:

      आप मैन्युअली कभी भी अपने पोजीशन को स्क्वायर ऑफ या क्लोज कर सकते हैं।

  5. Sambhaji Sankpal says:

    Graph not visible

    • Kulsum Khan says:

      हमें कोई ग्राफ में विसंगति नज़र नहीं आती, आप पेज को रिफ्रेश करके चेक करें.

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