9.1 – भूमिका

हमने इस मॉड्यूल के अध्याय 4 में कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड पर विस्तार से चर्चा की थी, पुट रेश्यो बैक स्प्रेड भी वैसा ही है, बस अंतर इतना है कि इसका इस्तेमाल ट्रेडर तब करते हैं जब स्टॉक या शेयर बाजार पर उनका नजरिया मंदी का यानी बेयरिश हो। 

मोटे तौर पर पुट रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल करने पर आपको निम्न चीजें का अनुभव हो सकता है-  

  1. अगर बाजार नीचे जाए तो असीमित मुनाफा 
  2. अगर बाजार ऊपर जाए तो सीमित मुनाफा 
  3. अगर बाजार एक रेंज में या दायरे में रहे तो एक निश्चित सीमा तक का ही घाटा 

मतलब यह कि इस स्ट्रैटेजी मे आप बाजार की दोनो तरफ की चाल पर पैसे बनाते हैं, लेकिन ज्यादा पैसे तब बनते हैं जब बाजार नीचे की तरफ चले।  

आमतौर पर पुट रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल नेट क्रेडिट के लिए होता है, मतलब जब आप पुट रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल करते हैं तो पैसे आपके अकाउंट में आते हैं। अगर आपकी उम्मीद के विपरीत बाजार ऊपर जाता है, तब आप नेट क्रेडिट पाते हैं। लेकिन अगर बाजार उम्मीद के मुताबिक नीचे चला जाता है, तो आप असीमित मुनाफा कमाते हैं। 

इसी वजह से एक साधारण पुट ऑप्शन खरीदने के बजाय पुट रेश्यो बैक स्प्रेड का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है। 

9.2 – स्ट्रैटेजी से जुड़ी बातें

पुट रेश्यो बैक स्प्रेड 3 चरणों वाली स्प्रेड स्ट्रैटेजी है, जिसमें दो OTM पुट ऑप्शन को खरीदा जाता है और एक ITM पुट ऑप्शन को बेचा जाता है। इसका अनुपात हमेशा 2:1 का होता है। पुट रेश्यो बैक स्प्रेड में 2:1 के अनुपात का मतलब है कि हर एक ऑप्शन की बिक्री पर दो ऑप्शन को खरीदा जाता है। 

एक उदाहरण देखते हैं – मान लीजिए कि निफ्टी 7506 पर है और आप को लगता है कि निफ्टी 7000 तक जाएगा। मतलब बाजार को ले कर आप काफी बेयरिश हैं। अब पुट रेश्यो बैक स्प्रेड बनाने के लिए –

  1. 7500 PE का एक लॉट बेचिए (ITM) 
  2. 7200 PE के दो लॉट खरीदिए (OTM) 

ध्यान रखें कि 

  1. पुट ऑप्शन एक ही एक्सपायरी सीरीज के हों 
  2. एक ही अंडरलाइंग से जुड़े हुए हों 
  3. 2 :1 का अनुपात बना रहे

ट्रेड सेटअप ऐसा दिखेगा – 

  1. 7500 PE एक लॉट शॉर्ट, ₹134 का प्रीमियम प्राप्त करें। 
  2. 7200 PE के  दो लॉट लॉन्ग, हर लॉट पर ₹46 का प्रीमियम दें यानी दो लॉट के लिए कुल ₹92 अदा करें।
  3. कुल नेट कैश फ्लो  = मिला हुआ प्रीमियम – अदा किया गया प्रीमियम यानी 134 – 92 = 42 (नेट क्रेडिट)

पुट रेश्यो बैक स्प्रेड इस तरह से होता है। आइए कुछ स्थितियों पर नजर डालते हैं जिससे हमें पता चल सके कि अलग-अलग स्तर की एक्सपायरी पर पुट रेश्यो बैक स्प्रेड के कैश फ्लो पर क्या असर होगा।

याद रखिए कि हर स्तर पर पे ऑफ बदलता रहता है इसलिए हमें एक्सपायरी के अलग अलग स्तरों पर पे ऑफ को ठीक से देखना समझना होगा।

स्थिति 1 –  बाजार की एक्सपायरी 7600 पर होती है (ITM ऑप्शन के ऊपर) 

7600 पर दोनों पुट ऑप्शन वर्थलेस एक्सपायर होंगे। आप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू और स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ ऐसा होगा – 

  • 7200 PE वर्थलेस एक्सपायर होगा हमने इस ऑप्शन के दो लॉट ₹46 पर लॉन्ग किए हैं, इसलिए हम ₹92 का पूरा प्रीमियम गंवा देंगे।
  • 7500 PE भी वर्थलेस एक्सपायर होगा, लेकिन क्योंकि हमने इसे बेचा है और ₹134 का प्रीमियम प्राप्त किया है इसलिए हम इसे अपने पास रख पाएंगे।
  • स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ होगा 134 – 92 = 42  

ध्यान दीजिए कि 7600 पर स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ (ITM ऑप्शन के ऊपर) नेट क्रेडिट के बराबर है।

स्थिति 2 – बाजार की एक्सपायरी 7500 पर होती है (ऊपर की स्ट्राइक कीमत पर मतलब ITM ऑप्शन ) 

7500 पर दोनों ऑप्शन की कोई इंट्रिन्सिक वैल्यू नहीं होगी, इसलिए दोनों वर्थलेस एक्सपायर होंगे। इसलिए पे ऑफ वैसा ही होगा जैसा कि हमने 7600 पर देखा था। इसलिए स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ ₹42 के बराबर होगा।(नेट क्रेडिट)

जैसा कि अब तक आपने अनुमान लगा लिया होगा कि 7500 के ऊपर स्ट्रैटेजी का पे ऑफ, नेट क्रेडिट के बराबर होता है। 

स्थिति 3 – बाजार की एक्सपायरी 7458 पर होती है ( ऊपर का ब्रेक इवन)

कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड की तरह ही पुट रेश्यो बैक स्प्रेड में भी दो ब्रेक इवन होते हैं, ऊपर का ब्रेक इवन और नीचे का ब्रेक इवन। 7458 ऊपर का ब्रेक इवन स्तर है। हमने ये स्तर कैसे तय किया इसे हम आगे समझेंगे। 

  • 7458 पर 7500 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी, आपको याद ही होगा कि पुट ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू- Max [strike  – spot, 0] यानी Max [7500 – 7458, 0] मतलब 42 होगी।
  • क्योंकि हमने 7500 PE को 134 पर बेचा है इसलिए हम मिले हुए प्रीमियम का एक हिस्सा गंवा देंगे और एक हिस्सा अपने पास रख पाएंगे। इस तरह से पे ऑफ होगा 134 – 42 = 92
  •  7200 PE की कोई इंट्रिन्सिक वैल्यू नहीं होगी, इसलिए दिया गया पूरा प्रीमियम यानी 92 डूब जाएगा
  • तो इस तरह से जहां हम एक तरफ 7500 PE पर 92 कमाएंगे वहीं 7200 PE पर 92 गंवाएंगे, यानी ना तो फायदा होगा और ना ही नुकसान। इसलिए 7458 एक ब्रेक इवन प्वाइंट होगा।

स्थिति 4-  बाजार की एक्सपायरी 7200 पर होती है (सबसे ज्यादा नुकसान वाली जगह) 

इस जगह पर स्ट्रैटेजी में सबसे ज्यादा नुकसान होता है, आइए देखते हैं क्यों 

  • 7200 पर 7500 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 300 (7500 – 7200), क्योंकि हमने 7500 PE को बेचा है और ₹134 का प्रीमियम प्राप्त किया है इसलिए हम इसे तो गंवा ही देंगे साथ ही और नुकसान भी होगा। इस तरह से पे ऑफ होगा 134 – 300 = – 166
  •  7200 PE वर्थलेस एक्सपायर होगा यानी इसकी कोई इंट्रिन्सिक वैल्यू नहीं होगी, इसलिए दिया गया पूरा प्रीमियम यानी 92 डूब जाएगा
  • स्ट्रैटेजी का नेट पे ऑफ होगा  -166 -92 = – 258
  • तो इस तरह से इस जगह पर दोनों ही ऑप्शन हमें नुकसान पहुंचाएंगे। इसीलिए इसे सबसे अधिक नुकसान वाली जगह कहा जाता है। 

स्थिति 5 –  बाजार की एक्सपायरी 6942 पर होती है (नीचे का ब्रेक इवन) 

6942 पर दोनों ही ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी, लेकिन ये नीचे का ब्रेक इवन प्वाइंट है आइए देखते हैं- 

  • 6942 पर 7500 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 7500 – 6942 = 558 , क्योंकि हमने 7500 PE को ₹134 पर बेचा है इसलिए पे ऑफ होगा 134 – 558 = – 424
  •  7200 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 7200 – 6942 = 258 क्योंकि हमने इस ऑप्शन के दो लॉट ₹46 पर लॉन्ग किए हैं, इसलिए इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी  516, और चूंकि हमने ₹92 का प्रीमियम दिया है (दो लॉट के लिए) , इसलिए पे ऑफ होगा 516 – 92 = 424 
  • तो इस तरह से जहां हम एक तरफ 7500 PE पर 424 का नुकसान उठाएंगे वहीं 7200 PE पर 424 कमाएंगे, यानी ना तो फायदा होगा और ना ही नुकसान। इसलिए 6942 एक ब्रेक इवन प्वाइंट होगा।

स्थिति 6 –  बाजार की एक्सपायरी 6800 पर होती है (नीचे की स्ट्राइक प्राइस के नीचे ) 

याद रखिए कि पुट रेश्यो बैक स्प्रेड एक बेयरिश स्ट्रैटेजी है इसलिए जब बाजार नीचे के ब्रेक इवन प्वाइंट से नीचे जाए तो यहां पैसे बनने चाहिए। तो आइए देखते हैं कि जब बाजार नीचे के ब्रेक इवन प्वाइंट से नीचे जाता है तो पे ऑफ कैसा होता है – 

  • 6800 पर 7500 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 700 क्योंकि हमने 7500 PE को ₹134 पर बेचा है तो हमें नुकसान होगा 134 – 700 = – 566
  • 7200 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 400 क्योंकि हमने इस ऑप्शन के दो लॉट लॉन्ग किए हैं, इसलिए इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी 800, और चूंकि हमने दो लॉट के लिए ₹92 का प्रीमियम दिया है, इसलिए दिए गए प्रीमियम को निकालने के बाद हम कमाएंगे 800 – 92 = 708
  • स्ट्रैटेजी का कुल पे ऑफ होगा 708 – 566 = 142  

इसी तगह से आप अलग-अलग एक्सपायरी पर इस स्ट्रैटेजी के पे ऑफ को देख सकते हैं, आपको दिखेगा कि जब बाजार नीचे फिसलता जाता है तो मुनाफा असीमित रहता है, नीचे के टेबल में भी यही दिखाया गया है

अलग अलग पे ऑफ स्तर को ग्राफ पर डाल कर स्ट्रैटेजी का पे ऑफ ग्राफ बनता है।

 

ऊपर के ग्राफ से साफ पता चलता है कि 

  1. अगर बाजार नीचे जाए तो असीमित मुनाफा होता है
  2. दो ब्रेक इवन प्वाइंट होते हैं
  3. सबसे अधिक नुकसान 7200 पर होता है 
  4. अगर बाजार ऊपर जाए तो सीमित मुनाफा होता है

9.3 – स्ट्रैटेजी की सामान्य बातें – Strategy Generalization

स्ट्रैटेजी के बारे में जो सामान्य बातें कही जा सकते हैं वो हैं  –

  • स्प्रेड = ऊपर की स्ट्राइक नीचे की स्ट्राइक
    1. 7500 – 7200 = 300
  • अधिकतम नुकसान = स्प्रेडनेट क्रेडिट
    1. 300 – 42 = 258
  • अधिकतम नुकसान होता है = नीचे की स्ट्राइक पर 
  • नीचे का ब्रेक इवन = नीचे की स्ट्राइक अधिकतम नुकसान 
    1. 7200 – 258 = 6942
  • ऊपर का ब्रेक इवन = नीचे की स्ट्राइक + अधिकतम नुकसान
    1. 7200 +  258 = 7458

9.4 – डेल्टा, स्ट्राइक का चुनाव, और वोलैटिलिटी का असर

जैसा कि आपको पता है कि जब बाजार नीचे जाता है तो स्ट्रैटेजी में मुनाफा बढ़ता है, इसका मतलब ये है कि ये दिशा आधारित स्ट्रैटेजी है (बाजार के नीचे होने पर मुनाफा देने वाली), इसलिए स्ट्रैटेजी के डेल्टा में ये दिखना चाहिए। आइए देखते हैं-

  • 7500 PE का एक ITM ऑप्शन है, इसका डेल्टा है – 0.55, लेकिन क्योंकि हमने इसे बेचा है इसलिए डेल्टा होगा –(-0.55) यानी +0.55 
  • 7200 PE का एक OTM ऑप्शन है, इसका डेल्टा है – 0.29, हमने यहां दो लॉट लॉन्ग हैं
  • इसलिए इस पोजीशन का कुल डेल्टा होगा + 0.55 + (- 0.29) + (- 0.29) = – 0.03 

डेल्टा का जीरो ना होना साफ बताता है कि स्ट्रैटेजी पर बाजार की दिशा का असर पड़ेगा (भले ही मामूली ) और यहां पर – चिन्ह का मतलब है कि बाज़ार के नीचे जाने पर इस स्ट्रैटेजी में पैसे बनेंगे।

जहां तक स्ट्राइक का सवाल है मेरी सलाह होगी कि आप ITM और OTM की जानी मानी युगलबंदी को ही अपनाएं। याद रखें कि इस ट्रेड को नेट क्रेडिट के लिए किया जाता है। अगर नेट कैश आउटफ्लो होता दिख रहा हो तो इस स्ट्रैटेजी का उपयोग ना करें।

अब बदलती वोलैटिलिटी को जानने के लिए इस ग्राफ को देखिए।

यहां पर तीन रंगों की रेखाएं हैं जो कि बदलती वोलैटिलिटी के साथ प्रीमियम में बदलाव को दिखाती हैं। ये रेखाएं हमें एक्सपायरी के नजरिए से इस स्ट्रैटेजी पर वोलैटिलिटी के असर को दिखाती हैं। 

  1. नीली रेखा – ये रेखा हमें बताती है कि जब वोलैटिलिटी बढ़ती है और एक्सपायरी में काफी समय बचा हो (30 दिन) तो पुट रेश्यो बैकस्प्रेड का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। जैसे कि हम देख सकते हैं कि जब वोलैटिलिटी 15% से 30% हो जाती है तो इस स्ट्रैटेजी का पे ऑफ – 57 से + 10 हो जाता है। इसका मतलब है कि जब एक्सपायरी में काफी समय बचा हो तो बाजार की दिशा पर आपकी राय सही होने के साथ आपको वोलैटिलिटी पर भी राय बनानी चाहिए। इसी कारण से, अगर सीरीज की शुरुआत में वोलैटिलिटी ऊपर हो (आमतौर पर रहने वाली वोलैटिलिटी से दोगुनी) तो मैं स्टॉक पर बेयरिश होते हुए भी इस स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करने को ले कर दुविधा में रहूंगा।
  2. हरी रेखा – ये रेखा बताती है कि अगर एक्सपायरी में 15 दिन बचे हों तो वोलैटिलिटी का बढ़ना फायदेमंद होता है। हांलाकि ये फायदा नीली रेखा के मामले में होने वाले फायदे से कम होता है। जैसा कि हम देख सकते हैं कि वोलैटिलिटी 15% से 30% होने पर इस स्ट्रैटेजी का पे ऑफ – 77 से – 47 हो जाता है।
  3. लाल रेखा – ये रेखा बताती है कि जब एक्सपायरी में कुछ ही दिन बचे हों तो वोलैटिलिटी बढ़ने पर प्रीमियम पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। मतलब ये कि जब एक्सपायरी में कुछ ही दिन बचे हों तो वोलैटिलिटी बढ़ने की चिंता करने की जरूरत नहीं है बस आपको बाजार की दिशा की चिंता करनी चाहिए।

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. पुट रेश्यो बैक स्प्रेड का सबसे अच्छा इस्तेमाल तब होता है जब स्टॉक या इंडेक्स पर आपका नजरिया मंदी का या बेयरिश हो। 
  2. इस स्ट्रैटेजी में आपको एक ITM PE बेचना होता है और दो OTM PE खरीदने होते हैं और इसको हमेशा इसी अनुपात में करना होता है। मतलब एक ऑप्शन बेचना और दो ऑप्शन खरीदना।
  3. आमतौर पर इस ऑप्शन को नेट क्रेडिट के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  4. अगर स्टॉक की कीमत ऊपर जाती है तो इस स्ट्रैटेजी में सीमित मुनाफा होता है और अगर स्टाफ की कीमत नीचे जाती है तो असीमित मुनाफा होता है। 
  5. इसमें दो ब्रेक इवन प्वाइंट होते हैं – नीचे का ब्रेक इवन और ऊपर का ब्रेक इवन प्वाइंट।
  6. स्प्रेड = ऊपर की स्ट्राइक नीचे की स्ट्राइक 
  7. नेट क्रेडिट = ऊपर की स्ट्राइक पर मिला प्रीमियम – 2*नीचे की स्ट्राइक के लिए दिया गया प्रीमियम 
  8. अधिकतम नुकसान = स्प्रेड नेट क्रेडिट 
  9. सबसे ज्यादा नुकसान =  नीचे की स्ट्राइक पर 
  10. बाजार के ऊपर जाने पर पे ऑफ = नेट क्रेडिट 
  11. नीचे का ब्रेक इवन नीचे की स्ट्राइक – अधिकतम नुकसान  
  12. ऊपर का ब्रेक इवन = नीचे की स्ट्राइक + अधिकतम नुकसान 
  13. एक्सपायरी में कितना भी समय बचा हो इस स्ट्रैटेजी में ITM + OTM स्ट्राइक के मिश्रण को ही चुनें। जब एक्सपायरी में काफी समय बचा हो तो वोलैटिलिटी के बढ़ने से इस स्ट्रैटेजी में फायदा होता है



3 comments

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  1. VINOD RAWAT says:

    एक्सपायरी में कितना भी भले ही कितना समय बचा हो इस स्ट्रैटेजी में ITM + OTM स्ट्राइक के मिश्रण को ही चुनें। जब एक्सपायरी में काफी समय बचा हो तो कि वोलैटिलिटी बढ़ने से इस स्ट्रैटेजी में फायदा होता है
    सर यहाँ वाक्य में सुधार की आवश्यकता है।

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद। हमने इसको सही करदिया है। 🙂

  2. pratik waghela says:

    7500 PE का एक लॉट बेचिए (ITM) it should be ATM

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