7.1 – स्प्रेड Vs नेकेड (Naked) पोजीशन  

पिछले 5 अध्यायों से हम कई चरणों वाली बुलिश स्ट्रैटेजी पर बात करते रहे हैं। इन में हमने पूरी तरह यानी आउटराइटली बुलिश (outrightly  bullish) नजरिए से लेकर मॉडरेटली बुलिश (moderately bullish) नजरिए तक की स्ट्रैटेजी पर बात की है। इन 5 अध्यायों को पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि ज्यादातर ऑप्शन ट्रेडर नेकेड ऑप्शन पोजीशन लेने के बजाय एक स्प्रेड स्ट्रैटजी बनाना पसंद करते हैं। वैसे ये सच है कि स्प्रेड आपके कुल मुनाफे को घटा देता है. लेकिन आपके रिस्क को पूरी तरीके से बता देता है। एक अच्छा ट्रेडर इस बात को ज्यादा महत्व देता है कि उसे उसका रिस्क पता हो, बजाय इसके कि उसे मुनाफा कितना हो रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो अगर आपको यह पता हो कि आपका अधिकतम नुकसान या घाटा कितना हो सकता है तो कम मुनाफा लेकर लेकर घर जाना एक अच्छा रास्ता हो सकता है।

स्प्रेड स्ट्रैटजी की एक और अच्छी बात यह है कि आमतौर पर इसमें आपका ट्रेड फाइनेंस हो जाता है, मतलब आपका एक ऑप्शन को खरीदने का पैसा दूसरे ऑप्शन को बेचने से ही आ जाता है। वास्तव में नेकेड पोजीशन और स्प्रेड पोजीशन में यही सबसे बड़ा अंतर होता है। अगले कुछ अध्यायों में हम ऐसी स्ट्रैटजी पर बात करेंगे जिनका इस्तेमाल आप तब करते हैं जब आपका नजरिया मॉडरेटली बेयरिश या पूरी तरीके से बेयरिश (मंदी का) होता है। सबसे पहली बेयरिश स्ट्रैटजी है, बेयर पुट स्प्रेड। जैसा कि आपको नाम से ही समझ में आ गया होगा कि यह बुल कॉल स्प्रेड की तरह की ही एक स्ट्रैटजी है।

2.2 – स्ट्रैटेजी से जुड़ी बातें

बुल कॉल स्प्रेड की ही बेयर पुट स्प्रेड का इस्तेमाल बहुत आसान है। यह आपके काम तब आता है जब बाजार या स्टॉक पर आपका नजरिया मॉडरेटली बेयरिश हो मतलब जब आपको बाजार के नीचे जाने की उम्मीद तो हो लेकिन आप ये भी मानते हों कि ये गिरावट ज्यादा नहीं होगी। अगर आप मॉडरेटली बेयरिश को संख्या में बताना चाहते हों तो ये कह सकते हैं कि 4 से 5 प्रतिशत की गिरावट। अगर उम्मीद के मुताबिक बाजार में गिरावट होती है तो बेयर पुट स्प्रेड के इस्तेमाल से आप एक छोटा मुनाफा कमा सकते हैं, दूसरी तरफ, अगर बाजार ऊपर भी चला जाए तो ट्रेडर को सीमित नुकसान ही होता है।

एक सतर्क रहने वाला ट्रेडर (रिस्क से बचने वाला ट्रेडर) बेयर पुट स्प्रेड तैयार करने के लिए एक साथ 

  1. एक ITM पुट ऑप्शन खरीदे 
  2. एक OTM पुट ऑप्शन को बेचे 

वैसे ये जरूरी नहीं है कि बेयर पुट स्प्रेड को ITM और OTM ऑप्शन से ही बनाया जाए, इसे किसी भी दो पुट ऑप्शन से बनाया जा सकता है। स्ट्राइक का चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि ट्रेडर कितना आक्रामक रवैया रखता है। लेकिन याद रखें कि दोनों ऑप्शन एक ही एक्सपायरी सीरीज के हों और एक ही अंडरलाइंग से जुड़े हुए हों। 

 इसके इस्तेमाल को और बेहतर तरीके से समझने के लिए कुछ परिस्थितियों पर नजर डालते हैं और देखते हैं कि ये स्ट्रैटजी कैसे काम करती है।  

अभी निफ्टी 7485 पर है, ऐसे में, 7600 PE इन द मनी (ITM) ऑप्शन होगा और 7400 PE यहां OTM होगा। बेयर पुट स्प्रेड के लिए 7400 PE को बेचना होगा और इसके लिए जो प्रीमियम मिलेगा उसमें कुछ और रकम मिला कर 7600 PE खरीदा जाएगा। 7600 PE के लिए दिया गया प्रीमियम (PP – Premium Paid) होगा Rs165  और 7400 PE के लिए मिला प्रीमियम (PR- Premium Received) Rs 73 है। इस सौदे का नेट डेबिट होगा – 

73 – 165

= – 92

अलग अलग एक्सपायरी पर इस स्ट्रैटेजी का पे ऑफ कैसा होगा ये देखने के लिए हमें कुछ स्थितियों पर नजर डालनी होगी। यहां ध्यान रखिए कि ये एक्सपायरी पर होने वाला पे ऑफ है मतलब ट्रेडर को अपनी पोजीशन एक्सपायरी तक होल्ड करना होगा। 

स्थिति 1 –  बाजार 7800 पर एक्सपायर होता है (लॉन्ग पुट ऑप्शन यानी 7600 के ऊपर ) 

ये वो स्थिति है जहां बाजार उम्मीद के मुताबिक नीचे नहीं गया बल्कि ऊपर चला गया। 7800 पर दोनों ऑप्शन  7600 और 7400 की इंट्रिन्सिक वैल्यू कुछ नहीं होगी और ये वर्थलेस एक्सपायर होंगे।

  • 7600 PE के लिए दिया गया प्रीमियम यानी 165 रुपया  अब 0 पर पहुंच जाएगा और हमें कुछ नहीं मिलेगा। 
  • 7400 PE के लिए मिला प्रीमियम यानी 73 रुपया पूरा मिल जाएगा। 
  • इस तरह से, 7800 पर हम 165 रुपये का घाटा सह रहे होंगे लेकिन कुछ हद तक इसकी भरपाई मिलने वाले प्रीमियम यानी 73 रुपये  से हो जाएगी।
  • कुल घाटा होगा -165 + 73 = – 92 

यहां 165 के साथ – का चिन्ह इस लिए लगाया गया है क्योंकि ये रकम एकाउंट से जा रही है और 73 के साथ + इस लिए लगा है क्योंकि ये रकम एकाउंट में आ रही है।

साथ ही, 92 का घाटा इस स्ट्रैटेजी के नेट डेबिट के बराबर है।

स्थिति 2 – बाजार की एक्सपायरी 7600 पर होती है (लॉन्ग पुट ऑप्शन पर) 

इस स्थिति में बाजार 7600 पर एक्सपायर हो रहा है, हमने यहां पर पुट ऑप्शन खरीदा है। लेकिन, दोनों ऑप्शन  7600 और 7400 PE वर्थलेस एक्सपायर होंगे (जैसा कि स्थिति 1 में था) और – 92 का नुकसान होगा।

स्थिति 3 – बाजार की एक्सपायरी 7508 पर होती है (ब्रेकइवन पर )

7508 दोनों 7600 और 7400 के बीच में है, शायद आपको समझ में आ गया होगा कि मैंने 7508 को इसलिए चुना है जिससे ये दिखा सकूं कि इस जगह पर इस स्ट्रैटेजी में ना तो पैसे बनते हैं और ना ही पैसे डूबते हैं। 

  • 7600 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी Max [7600-7508,0] जो कि 92 है।
  • हमने 7600 PE के लिए 165 रुपये का प्रीमियम दिया है, इसकी कुछ रकम यानी, 165 – 92  = 73 हमें वापस मिल जाएगी, तो, इश स्तर पर नुकसान 165 का नहीं सिर्फ 73 का होगा।
  • 7400 PE वर्थलेस एक्सपायर होगा, पूरा प्रीमियम यानी 73 रुपया हमें मिल जाएगा।
  • तो एक तरफ हम 73 कमा रहे होंगे (7400 PE पर) और दूसरी तरफ हम 73 का निकसान उठा रहे हैं (7600 PE पर) यानी हमें ना तो फायदा हो रहा है ना ही नुकसान।

इसलिए 7508 इस स्ट्रैटेजी का ब्रेकइवन होगा।

स्थिति 4 बाजार की एक्सपायरी 7400 पर होती है (शॉर्ट पुट ऑप्शन पर) 

ये एक रोचक स्थिति है, याद रखिए कि जब हमने पोजीशन बनाई थी तो निफ्टी स्पॉट 7485 पर था और अब बाजार उम्मीद के मुताबिक ही नीचे आ गया है। इस जगह पर दोनों ऑप्शन से रोचक परिणाम निकलेंगे।

  • 7600 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी, Max [7600-7400,0] यानी 200
  • हमने 165 रुपये का प्रीमियम दिया है, इसकी कुछ रकम हमें 200 की इंट्रिन्सिक वैल्यू से वापस मिल जाएगी, तो प्रीमियम देने के बाद भी हमें 35 रुपये मिल जाएंगे।
  • 7400 PE वर्थलेस एक्सपायर होगा, पूरा प्रीमियम यानी 73 रुपया हमें मिल जाएगा।
  • इस स्तर पर कुल मुनाफा होगा 35 + 73 = 108

स्ट्रैटेजी का कुल यानी नेट पे ऑफ वैसा ही होगा जैसी कि इस स्ट्रैटेजी से उम्मीद थी, यानी बाजार के नीचे जाने पर ट्रेडर को एक छोटा मुनाफा होगा।

स्थिति 5  बाजार की एक्सपायरी 7200 पर होती है (शॉर्ट पुट ऑप्शन के नीचे) 

ये फिर एक रोचक स्थिति है, यहां दोनों ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी। देखते हैं – 

  • 7600 PE की इंट्रिसिक वैल्यू होगी, Max [7600-7200,0] यानी 400
  • हमने 165 रुपये का प्रीमियम दिया है, इसकी रकम हमें 400 की इंट्रिन्सिक वैल्यू से वापस मिल जाएगी, और प्रीमियम देने के बाद भी हमें 235 रुपये मिल जाएंगे।
  • 7400 PE की इंट्रिन्सिक वैल्यू होगी, Max [7400-7200,0] यानी 200
  • हमें 73 रुपये का प्रीमियम मिला है, लेकिन ये 73 की रकम तो हमारे हाथ से जाएगी ही, साथ ही, हमें 200 -73 = 127 का नुकसान भी होगा।
  • तो एक तरफ हम 235 कमा रहे होंगे और दूसरी तरफ हम 127 का नुकसान उठा रहे हैं, इसलिए स्ट्रैटेजी का नेट पे ऑफ होगा 235 – 127 = 108

 इन सभी स्थितियों को एक साथ हम इस एक चार्ट में देख सकते हैं (मैंने पे ऑफ को सीधे प्रीमियम की गणना के हिसाब से लिख दिया है)

बाज़ार एक्सपायरी लॉन्ग पुट (7600)_IV शॉर्ट पुट  (7400)_IV नेट पेऑफ 
7800 0 0 -92
7600 0 0 -92
7508 92 0 0
7200 400 200 +108

यहां पर ध्यान दीजिए कि स्ट्रैटेजी का नेट पे ऑफ वैसा ही है जैसा कि इस स्ट्रैटेजी से उम्मीद थी, यानी बाजार के नीचे जाने पर ट्रेडर को एक छोटा मुनाफा होता है और बाजार ऊपर जाने पर नुकसान सीमित रहता है ।

नीचे के टेबल को देखिए –

यहां पर अलग अलग एक्सपायरी के स्तर पर स्ट्रैटेजी के पे ऑफ को दिखाया गया है। नुकसान 92 तक ही सीमित हैं (जब बाजार ऊपर जाते हैं) और फायदा भी 108 तक सीमित है (जब बाजार नीचे जाते हैं)।  

7.3 – स्ट्रैटेजी के महत्वपूर्ण स्तर

ऊपर हमने जिन स्थितियों की चर्चा की है उसके आधार पर हम कुछ समान निष्कर्ष निकाल सकते हैं- 

  1. अगर स्पॉट ब्रेकइवन के ऊपर चला जाता है तो इस स्ट्रैटेजी में नुकसान होता है और अगर ये ब्रेकइवन के नीचे चला जाता है तो इस स्ट्रैटेजी में फायदा होता है। 
  2. मुनाफा और नुकसान दोनों ही सीमित होते हैं।
  3. दोनों स्ट्राइक कीमतों के अंतर ही स्प्रेड होता है
  1. इस उदाहरण में स्प्रेड होगा- 7600 -7400 = 200
  1. नेट डेबिट =  दिया गया प्रीमियम – मिला प्रीमियम 
  1. 165 – 73 = 92
  1. ब्रेकइवन =  ऊपर की स्ट्राइक – नेट डेबिट 
  1. 7600 – 92 = 7508
  1. अधिकतम मुनाफा = स्प्रेड – नेट डेबिट
  1.  200 – 92 = 108
  1. अधिकतम नुकसान =  नेट डेबिट 
  1. 92

इन सभी निष्कर्षों को आप स्ट्रैटेजी के पे ऑफ चित्र में नीचे देख सकते हैं

7.4– डेल्टा से जुड़ी कुछ बातें 

यह बात मैं पहले के अध्यायों में बताना भूल गया, जब भी आप कोई भी ऑप्शन स्ट्रैटेजी अपनाते हैं तो आपको डेल्टा को जरूर जोड़ना चाहिए। मैंने यहां पर B&S कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके डेल्टा निकाला है। 

7600 PE का डेल्टा होगा – 0.618

7400 PE का डेल्टा होगा –0.342

यहां पर निगेटिव चिन्ह का मतलब है कि अगर बाजार ऊपर जाता है तो पुट ऑप्शन का प्रीमियम नीचे जाएगा और बाजार नीचे जाता है तो प्रीमियम ऊपर जाएगा। लेकिन हमने 7400 PE को बेचा (राइट किया) है, इसलिए डेल्टा होगा 

  –(-0.342)

= + 0.342

आपको पता है कि हम डेल्टा को जोड़ सकते हैं, इसलिए हम जोड़ कर इस पोजीशन का कुल डेल्टा निकाल सकते हैं, जो होगा 

– 0.618 + (+0.342)

= – 0.276

इसका मतलब है कि इस स्ट्रैटेजी का कुल डेल्टा है 0.276 और यहां पर – चिन्ह का मतलब है कि अगर बाजार नीचे जाता है तो प्रीमियम ऊपर जाएगा। हमने अब तक जिस भी स्ट्रैटेजी पर चर्चा की है, जैसे बुल कॉल स्प्रेड, कॉल रेश्यो बैक स्प्रेड आदि, उन सभी स्ट्रैटेजी का कुल डेल्टा आप इसी तरह से निकाल सकते हैं। जब आप डेल्टा निकालेंगे तो आपको दिखेगा कि वो सभी डेल्टा पॉजिटिव में है जिसका अर्थ है कि ये सब बुलिश स्ट्रैटेजी हैं।  

जब किसी ऑप्शन स्ट्रैटेजी में 2 या उससे ज्यादा चरण होते हैं, तो यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि वह स्ट्रैटेजी बुलिश है या बेयरिश है। ऐसे में, आप अगर उस स्ट्रैटेजी के डेल्टा को जोड़ लें तो आपको यह पता चल जाएगा कि स्ट्रैटेजी का झुकाव किस तरफ है। अगर कुल डेल्टा जीरो निकलता है तो इसका मतलब है कि स्ट्रैटेजी का झुकाव ना बुलिश है और ना ही बेयरिश है। ऐसी स्ट्रैटेजी को डेल्टा न्यूट्रल स्ट्रैटेजी कहते हैं। इस मॉड्यूल में आगे जाते हुए हम ऐसी स्ट्रैटेजी पर भी चर्चा करेंगे। 

आपको यह पता होना चाहिए कि डेल्टा न्यूट्रल स्ट्रैटेजी मैं इस बात का कोई असर नहीं पड़ता कि बाजार की चाल किस दिशा की तरफ है। ऐसी स्ट्रैटेजी सिर्फ वोलैटिलिटी और समय पर प्रतिक्रिया देती है इसीलिए इन्हें कभी-कभी वोलैटिलिटी पर आधारित स्ट्रैटेजी भी कहते हैं।

 7.5 – स्ट्राइक का चुनाव और वोलैटिलिटी का असर

बेयर पुट स्प्रेड के लिए स्ट्राइक का चुनाव वैसे ही होता है जैसे बुल कॉल स्प्रेड में किया जाता है। मुझे आशा है कि आप को सीरीज के पहले हिस्से और सीरीज के दूसरे हिस्से का तरीका याद है। अगर नहीं, तो आपको दूसरे अध्याय का 2.3 हिस्सा पढ़ना चाहिए। नीचे के ग्राफ को देखिए

अगर हम सीरीज के पहले हिस्से में हैं (एक्सपायरी में काफी समय है) और हम बाजार के 4% तक नीचे जाने की उम्मीद कर रहे हैं तो नीचे दी गई स्ट्राइक को चुन कर आप स्प्रेड बना सकते हैं – 

4% की चाल की उम्मीद  ऊपर की स्ट्राइक नीचे की स्ट्राइक किस ग्राफ में 
5 दिन में Far OTM Far OTM Top left
15 दिन में ATM Slightly OTM Top right
25 दिन में ATM OTM Bottom left
एक्सपायरी पर ATM OTM Bottom right

अब मान लीजिए कि हम सीरीज के दूसरे हिस्से में हैं, इन स्ट्राइक को चुन कर स्प्रेड बनाना बेहतर होगा।

4% की चाल की उम्मीद ऊपर की स्ट्राइक नीचे की स्ट्राइक  किस ग्राफ में 
उसी दिन  OTM OTM Top left
5 दिन में ITM/OTM OTM Top right
10 दिन में ITM/OTM OTM Bottom left
एक्सपायरी पर ITM/OTM OTM Bottom right

मुझे उम्मीद है कि ऊपर के दोनों टेबल बेयर पुट स्प्रेड की सही स्ट्राइक चुनने के समय आपके लिए उपयोगी साबित होंगे। 

अब हम बेयर पुट स्प्रेड पर वोलैटिलिटी के असर पर फोकस करेंगे । नीचे के चित्र पर नजर डालिएऊपर का ग्राफ दिखाता है कि वोलैटिलिटी और समय में बदलाव के साथ साथ प्रीमियम कैसे बदलता है।

नीली रेखा बताती है कि वोलैटिलिटी बढ़ने पर स्ट्रैटेजी की कीमत में तब ज्यादा बदलाव नहीं होता है जब एक्सपायरी में काफी समय (30 दिन) बचे हों।

हरी रेखा बताती है कि वोलैटिलिटी बढ़ने पर स्ट्रैटेजी की कीमत में तब थोड़ा बदलाव होता है जब एक्सपायरी में 15 दिन का समय बचा हो।

लाल रेखा बताती है कि कि वोलैटिलिटी बढ़ने पर स्ट्रैटेजी की कीमत में तब काफी बदलाव होता है जब एक्सपायरी में 5 दिन का समय बचा हो।

इन ग्राफ से पता चलता है कि जब एक्सपायरी में काफी समय हो तो वोलैटिलिटी बढ़ने की ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन एक्सपायरी के मध्य और अंत के बीच वोलैटिलिटी पर नजर रखनी चाहिए। बेयर पुट स्प्रेड को तभी लेना चाहिए जब वोलैटिलिटी के बढ़ने की उम्मीद हो, जब आप वोलैटिलिटी के घटने की उम्मीद कर रहे हों तो इस स्ट्रैटेजी से बचना चाहिए।

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. एक स्प्रेड आपके रिस्क को तो बता देता है लेकिन आपके मुनाफे को घटा देता है। 
  2. जब आप एक स्प्रेड बनाते हैं तो आपका एक ऑप्शन को खरीदने का पैसा दूसरे ऑप्शन को बेचने से ही आ जाता है। 
  3. बेयर पुट स्प्रेड का इस्तेमाल आमतौर पर तब करना चाहिए जब आपका नजरिया मॉडरेटली बेयरिश हो। 
  4. फायदा और नुकसान दोनों ही सीमित होते हैं। 
  5. आम तौर पर पुट स्प्रेड में एक साथ एक ITM ऑप्शन को खरीदा और एक OTM ऑप्शन को बेचा जाता है।
  6. बेयर पुट स्प्रेड में आमतौर पर नेट डेबिट होता है
  7. नेट डेबिट =  दिया गया प्रीमियम – मिला प्रीमियम 
  8. ब्रेकइवन =  ऊपर की स्ट्राइक – नेट डेबिट 
  9. अधिकतम मुनाफा = स्प्रेड – नेट डेबिट
  10. अधिकतम नुकसान =  नेट डेबिट 
  11. स्ट्राइक को एक्सपायरी में समय के आधार पर चुनना चाहिए।
  12. बेयर पुट स्प्रेड की स्ट्रैटेजी को तभी लेना चाहिए जब वोलैटिलिटी के बढ़ने की उम्मीद हो (खास कर सीरीज के दूसरे हिस्से में)।



7 comments

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  1. geeta says:

    option seling ka hadzing kese karte he sir

  2. VK Jaiswal says:

    Hello Team,

    Thank you very much for your fabulous explanation.
    I have tried paper trading of some strategies learnt from previous chapter. But, I am facing very much difficulties in choosing Strike Price. Such as choosing strike by using your graph mentioned in Point No. 7.5.
    And I am unable to find out strike price in the monthly contract as most of the strike price shows blank. If it is blank then how will I apply all the rules learnt from you (1st phase of expiry or 2nd phase of expiry etc.)?
    Ex: Today is 24th June 2020 and I want to choose monthly expiry with a bearish mindset. Hence, I’ve chosen 23rd July 2020 expiry. But in option chain (https://www1.nseindia.com/live_market/dynaContent/live_watch/option_chain/optionKeys.jsp?segmentLink=17&instrument=OPTIDX&symbol=NIFTY&date=23JUL2020), most of the strike price is blank.
    Please help me out. It may be possible that I am not good in explaining things as you are but I need help and you guys are fantastic in spreading education in stock market that is why my question can’t be answered without your guidance.

    Thanks & Regards
    VK Jaiswal.

    • Karthik Rangappa says:

      Thanks for the kind words!

      That’s because this is a far month weekly expiry and there is no trading activity. I’d suggest you stick to monthly expiry options where there is enough liquidity to trade.

  3. Vivek Kumar Jaiswal says:

    Hi,

    Thanks for your valuable response.
    As you told that I should stick to monthly expiry so as I have chosen the above-mentioned example, you can see that it is monthly expiry contract but didn’t get any liquidity that time.
    And please tell me what should I do if I choose weekly expiry as in other lessons it hasn’t mentioned anywhere.
    What kind of graph will work in a weekly contract because the graph has strategy about target hitting in 5 days, 15days or on expiry?

    Thanks
    VK Jaiswal.

    • Karthik Rangappa says:

      Are you talking about the current month expiry? Which stock? Weekly also, I’d suggest you stick to the current or at the most next week expiry.

  4. Vivek Kumar Jaiswal says:

    Hello Team,

    Please accept my apologies for not being available in this valuable conversation. I was bit engage in this CORONA pandemic but by god grace things are normal now and I am again on floor.

    As you told me to stick to the current or at the most next week expiry; and I am also confuse in this condition because in your lessons, graphs are shown with time frame of 5, 15, 25 and expiry days (1st phase and 2nd phase). Please tell me which graph should I prefer to use in weekly expiry. Such as Today is 12th July 2020 and I am choosing expiry of 16th July 2020. And If I choose this expiry I would have only 4 days.
    I am talking about Nifty.

    Thanks
    VK Jaiswal

    • Karthik Rangappa says:

      Vivek, I hope all well with you. Take care.

      For weekly options, you can consider the first two days of the series as ‘early in the series’, 3rd day as middle and the last 2 days as closer to expiry. Rest of the things remain the same.

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