19.1 – एक नई शुरूआत
एक नई और बहुत अच्छी बात हुई है, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने RBI के साथ मिलकर पिछले दिनों रिटेल इन्वेस्टर के लिए गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में, खासतौर पर लॉन्ग डेटेड बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल (T-Bills) में, निवेश करने का रास्ता खोल दिया है।
पहले इन प्रॉडक्ट में केवल बैंक या बड़े वित्तीय संस्थान ही निवेश कर सकते थे। लेकिन अब हम भी इनमें निवेश कर सकते हैं और गारंटी के साथ मिलने वाले आकर्षक रिटर्न का फायदा ले सकते हैं। लेकिन क्योंकि यह नए वित्तीय प्रोडक्ट हैं (कम से कम रिटेल इन्वेस्टर के लिए), इसलिए इनमें निवेश के पहले इनको समझना और इनके बारे में जानना जरूरी है, तभी आप इनका पूरा फायदा उठा सकते हैं। इसीलिए हमने इनसे जुड़े हुए सारे सवालों को एक FAQ- Frequently Asked Questions के तौर पर नीचे रखा है, जिससे आपको इनसे जुड़ी सारी जरूरी जानकारी मिल सके।
इसको पढ़िए और नीचे अपने कमेंट लिखिए
19.2 – गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) पर FAQs
मैं किस चीज में निवेश कर रहा हूं?
आप भारत सरकार द्वारा जारी बॉन्ड और ट्रेजरी बिल में निवेश कर रहे हैं। चूंकि यह भारत सरकार से समर्थित प्रोडक्ट हैं इसलिए इनमें निवेश लगभग रिस्क फ्री (risk-free) है, मतलब पैसे डूबने की उम्मीद ना के बराबर है। सरकार द्वारा दी जाने वाली गारंटी को सॉवरिन गारंटी (Sovereign Guarantee) भी कहते हैं।
बॉन्ड और ट्रेजरी बिल (T-Bills) क्या होते हैं?
मुझे और आपको जब पैसे की जरूरत होती है तो हम कर्ज लेने के लिए बैंक के पास जाते हैं। कर्ज के बदले हम बैंक को यह वादा करते हैं कि हम उन्हें लगातार ब्याज(इंटरेस्ट) का भुगतान करते रहेंगे और एक निश्चित समय के बाद इस पैसे (मूलधन) को वापस कर देंगे। यह एक आम तरीका है जिसमें ब्याज और मूलधन बैंक को वापस किया जाता है।
ठीक इसी तरह से, भारत सरकार को भी सड़कें बनाने, पुल बनाने, बांध और अस्पताल आदि बनाने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। जब उनके पास पैसे की कमी होती है तो वो कर्ज लेने के लिए अपने बैंक के पास जाते हैं। उनका बैंक है- RBI। सरकार के इस कर्ज को RBI बॉन्ड या ट्रेजरी बिल के रूप में नीलाम करता है। जिसे आप और मैं खरीद सकते हैं। तो एक तरह से, सरकार जो कर्ज ले रही है, उस कर्ज का एक हिस्सा आप सरकार को दे रहे हैं। इस कर्ज के बदले भारत सरकार हर कुछ समय पर एक निश्चित ब्याज आपको देने का वादा करती है और एक तय समय के बाद आपका मूलधन आपको वापस करती है।
वो कर्ज जिसे भारत सरकार 1 साल के अंदर वापस करती है उसे ट्रेजरी बिल या t-bill कहा जाता है। ऐसा कर्ज जिसे सरकार कई सालों के बाद वापस करना चाहती है उसे बॉन्ड्स कहा जाता है।
मुझे क्या चुनना चाहिए ट्रेजरी बिल या बॉन्ड?
अगर आप अपने पूंजी को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो दोनों ही अच्छे निवेश हैं। इन दोनों के बीच में आपको कौन सा चुनना चाहिए उसके लिए कुछ चीजों पर नजर डालनी होगी।
वह कौन सी चीजें हैं जिनको देखना चाहिए? पहले T-Bills के बारे में बताइए
T-Bills यानी ट्रेजरी बिल के तीन प्रकार होते हैं जो अलग-अलग अवधि के होते हैं- 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन। T-Bills में इंटरेस्ट यानी ब्याज अलग से नहीं बताया जाता। वास्तव में T-Bills और बॉन्ड के बीच का यही सबसे बड़ा अंतर है। T-Bills को उनकी वास्तविक कीमत (यानी PAR कीमत) से डिस्काउंट यानी छूट पर जारी किया जाता है और एक्सपायरी के समय आपको उनकी वास्तविक कीमत मिलती है।
यह समझने में थोड़ा मुश्किल लग रहा है क्या आप किसी उदाहरण से समझा सकते हैं?
मान लीजिए 91 दिन का T-Bill है। अब मान लीजिए कि इसकी वास्तविक कीमत (इसे PAR कीमत भी कहते हैं) ₹100 है। अब यह T-Bill आपको PAR कीमत से डिस्काउंट पर मिलेगा। मान लीजिए ये आपको ₹97 पर मिलता है। अब 91 दिनों के बाद मैच्योरिटी पर आपको इसके बदले में ₹100 वापस मिलेंगे और आप इस पर ₹3 की कमाई कर रहे होंगे। इसको इस तरह से समझिए कि मान लीजिए आप ने एक अच्छा स्टॉक ₹97 पर खरीदा और 91 दिनों के बाद उसे ₹100 पर बेच दिया। यहां अंतर सिर्फ यह है कि यह एक गारंटी वाला सौदा है।
क्या T-Bill के बारे में मुझे और कुछ जानना चाहिए?
नहीं, इसके अलावा कोई और ऐसी जरूरी चीज नहीं है। आपको सिर्फ यही याद रखना है कि T-Bills आपको PAR कीमत से एक डिस्काउंट पर जारी होता है और मैच्योरिटी पर उसकी पूरी कीमत मिलती है। अगर आप तकनीकी तौर पर और जानकारी जुटाना चाहते हैं, तो आपको इस निवेश की कमाई यानी यील्ड (yield) के बारे में पता कर सकते हैं।
जरूर, मुझे मुझे तकनीकी जानकारी भी चाहिए
यील्ड (yield) वास्तविक तौर पर आपके निवेश पर मिलने वाली सालाना कमाई है। हर निवेश की कमाई वार्षिक यानी सालाना कमाई के तौर पर नापी जाती है। तो,अगर आपने 91 दिनों में ₹3 की कमाई की है तो आप इस दर पर पूरे साल में कितनी कमाई कर रहे हैं।
इसे पता करने का फार्मूला यह है
यील्ड = [डिस्काउंट कीमत]/[ बॉन्ड कीमत] * [365/ मैच्योरिटी के लिए दिन]
Yield = [Discount Value]/[Bond Price] * [365/number of days to maturity]
= [3/97]*[365/91]
= 0.0309*4.010989
=12.4052%
तो दूसरे शब्दों में कहें तो, टी-बिल (T Bill) आपको 12.4052% की कमाई करके दे रहा है। लेकिन आपने इसको सिर्फ 91 दिनों के लिए रखा है इसलिए आपकी कमाई उस हिसाब से हो रही है।
आमतौर पर 91 दिन की T-Bills की कमाई करीब 6% से 7.5% प्रतिशत के बीच में होती है, यील्ड जितना ज्यादा होती है उतना अच्छा माना जाता है
T-Bills की मैच्योरिटी पर क्या होता है?
मैच्योरिटी पर सरकार आपके डीमैट एकाउंट से T-Bills खुद ही निकाल लेती है, इसे एक्सटिंग्वश्मेंट ऑफ सिक्योरिटी(Extinguishment of securities) कहा जाता है और उसके बाद जितने सिक्योरिटीज आपके पास हैं उसके हिसाब से पैसे डीमैट एकाउंट से जुड़े आपके बैंक एकाउंट में डाल दिए जाते हैं।
T-Bills से जुड़ी हुई जानकारी इतनी ही है या कुछ और भी जानना चाहिए?
जी नहीं, आपको और कुछ जानने की जरूरत नहीं है
ठीक है, अब मुझे बॉन्ड के बारे में बताइए
बॉन्ड और टी बिल से दो मामलों में अलग होते हैं। पहला, बॉन्ड की मैच्योरिटी का समय लंबा होता है और दूसरा, उसमें आपको साल में दो बार ब्याज मिलता है।
क्या मुझे एक उदाहरण से समझा सकते हैं?
सरकार के द्वारा जारी होने वाले हर बॉन्ड का एक अलग नाम या एक पहचान चिन्ह (symbol) होता है, इस पहचान में वह सारी जानकारी होती है जो आपको चाहिए। उदाहरण के तौर पर एक पहचान पर नजर डालिए – 740GS2035A इसका मतलब क्या है देखिए-
वार्षिक ब्याज दर – 7.40%
प्रकार – गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (GS)
मैच्योरिटी – 2035
इश्यू (Issue) – A का मतलब है कि यह नया इश्यू है (अभी आपको इसके बारे में जानने की जरूरत नहीं है। बस यह याद रखिए कि यह नाम देने का NSE का अपना अपना तरीका है)
यह बॉन्ड 2035 में एक्सपायर हो रहा है यानी आज से 17 साल बाद (अभी मैं 2018 में इसे लिख रहा हूं)। अगर आप इस बॉन्ड में निवेश करते हैं तो 2035 तक आपको हर साल 7.4% का ब्याज मिलेगा। ध्यान रखें कि यह ब्याज आपको छमाही तौर पर मिलेगा, मतलब आपको 3.7% ब्याज हर साल में 2 बार मिलेगा और मैच्योरिटी पर आपको आपका मूलधन वापस मिल जाएगा।
कुछ और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के सिंबल नीचे दिखाए गए हैं
पहचान | वार्षिक ब्याज | छमाही ब्याज | मैच्योरिटी | # मैच्योरिटी में बचे साल |
---|---|---|---|---|
662GS2051 | 6.62% | 3.31% | 2051 | 33 |
668GS2031 | 6.68% | 3.34% | 2031 | 13 |
737GS2023 | 7.37% | 3.68% | 2023 | 5 |
क्या आप मुझे एक उदाहरण से समझा सकते हैं कि अगर मैं बॉन्ड में निवेश करूं तो मैं कितना कमा लूंगा?
ठीक है, लेकिन इसके बारे में जानने के पहले एक और जरूरी चीज आपको जाननी चाहिए।
हर बॉन्ड की एक पार(PAR) वैल्यू यानी वास्तविक कीमत होती है। मान लीजिए वह कीमत ₹100 है। जब आप बॉन्ड में निवेश करते हैं तो आप या तो डिस्काउंट पर करते हैं (जैसे 98,97) या वास्तविक कीमत पर करते हैं (100) या फिर आप प्रीमियम पर करते हैं (जैसे 101,102)। आप किस कीमत पर निवेश करेंगे यह एक प्रक्रिया पर निर्भर करता है जिसे नीलामी (Auction) कहा जाता है। यह क्या होता है यह हम बाद में बताएंगे, लेकिन अभी आपको यह जानना है कि आप बॉन्ड में वास्तविक कीमत पर, डिस्काउंट पर या प्रीमियम पर निवेश कर सकते हैं।
अब मान लीजिए कि आपने 700GS2020 (7% ब्याज और 2020 में मैच्योरिटी यानी अबसे 2 साल बाद) बॉन्ड में डिस्काउंट पर यानी 98.4 पर निवेश किया। मान लीजिए कि आपने ऐसे 150 बॉन्ड खरीदे हैं। इसलिए आपको कुल रकम देनी पड़ेगी
150*98.4
= Rs. 14,760/-
जिस समय आपने निवेश किया उस समय से आपके लिए ब्याज शुरू हो जाता है। ब्याज आपको बॉन्ड के फेस वैल्यू पर मिलता है। तो आपकी कमाई कुछ इस तरह से होगी-
समय अवधि | ब्याज | कैश फ्लो | टिप्पणी |
---|---|---|---|
0 – 6 महीने | 3.5% | 3.5% * 100 * 150 = Rs.525 | छमाही ब्याज |
6 महीने – 1 साल | 3.5% | 3.5% * 100 * 150 = Rs.525 | छमाही ब्याज |
1 – 1.5 साल | 3.5% | 3.5% * 100 * 150 = Rs.525 | छमाही ब्याज |
1.5 – 2 साल | 3.5% | 3.5% * 100 * 150 = Rs.525 | छमाही ब्याज |
मैच्योरिटी पर (2 साल बाद) | मूलधन वापस वास्तविक कीमत (Par कीमत) पर | 150 * 100 = 15,000 | अतिरिक्त Rs.240 |
तो ₹14760 के निवेश पर आप की कमाई होगी
525 + 525 + 525 + 525 + 15,000
= 2100 + 15,000
= Rs.17,100/-
अगर आप पूरी गणना करें तो आपके लिए यील्ड करीब 7.88% होगी। RBI यील्ड की गणना को यहां बहुत अच्छे से समझाया है। calculation of yield
मैंने यील्ड टू मैच्योरिटी (Yield to Maturity) का काफी नाम सुना है, क्या यह वही है?
जी नहीं, यह थोड़ा अलग है। यील्ड टू मैच्योरिटी (Yield to Maturity) यानी YTM की गणना थोड़ा मुश्किल है। YTM की गणना में यह माना जाता है कि आपको जो ब्याज मिल रहा है उसे आपने वापस उसी तरह के बॉन्ड में वापस निवेश कर दिया है, जिसकी वजह से आपको उस ब्याज पर भी ब्याज मिलेगा। बॉन्ड के ट्रेडर्स और इंस्टिट्यूशनल निवेशक हमेशा सिर्फ YTM ही देखते हैं क्योंकि यही वह तरीका है जिससे वह दो अलग-अलग बॉन्ड के बीच कमाई की तुलना करते हैं।
यह लगभग वैसा ही है जैसे अगर आप अपने स्टॉक से मिलने वाले डिविडेंड को वापस उसी स्टॉक में निवेश कर दें।
अब हमें ब्याज के भुगतान के बारे में बताएं यह हमें कैसे मिलता है?
ब्याज सीधे-सीधे आपके उस बैंक अकाउंट में आ जाता है जो आपके डीमैट अकाउंट से जुड़ा हुआ है, ठीक उसी तरीके से जैसे आपको कंपनी के शेयरों का डिविडेंड अपने आप मिल जाता है।
क्या आप इस नीलामी की प्रक्रिया के बारे में मुझे कुछ बता सकते हैं?
कुछ समय पहले तक G-Sec बॉन्ड और T-Bills में निवेश सिर्फ बैंकों और बड़े वित्तीय संस्थानों के लिए खुला हुआ था और इसमें निवेश की न्यूनतम रकम ₹5 करोड़ थी। लेकिन हाल ही में NSE और RBI ने इसे रिटेल निवेशकों के लिए भी खोल दिया है और उनके लिए न्यूनतम निवेश की रकम को ₹10,000 कर दिया है।
लेकिन बॉन्ड के लिए आपको क्या कीमत देनी पड़ेगी, यह अभी भी बड़े बैंक और बड़े वित्तीय संस्थान ही तय करते हैं। ये सब RBI के नीलामी प्लेटफॉर्म पर अपने बिड डालते हैं और RBI उसके आधार पर बॉन्ड की कीमत तय करता है। तो नीलामी एक तरह से वह प्रक्रिया है जिसमें बॉन्ड की कीमत तय होती है। इसे बॉन्ड का वेटेड एवरेज प्राइस (Weighted Average Price) कहा जाता है।
तो क्या मैं बॉन्ड खरीदने के लिए वेटेड एवरेज प्राइस देता हूं?
हां और नहीं।
अपना ऑर्डर देते समय आप थोड़ा ज्यादा कीमत देते हैं, इसे अमाउंट पेयबल (Amount Payable) कहा जाता है। एक बार जब सारे ऑर्डर आ जाते हैं तब फिर नीलामी की प्रक्रिया शुरू होती है और RBI तय करता है कि weighted average कीमत क्या होगी? अमाउंट पेयबल और weighted average कीमत के बीच के अंतर की रकम आपके बैंक अकाउंट में अगले दिन दे दी जाती है।
कहा जाता है कि गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश बैंक के FD से ज्यादा बेहतर होता है, ऐसा क्यों होता है?
इसकी कई वजहें हैं, लेकिन सबसे बड़ी वजह यह है कि G-Sec पर यील्ड FD से बेहतर होता है। इन दोनों के यील्ड की एक तुलना नीचे दिखाई गई है-
91 दिन | 184 दिन | 364 दिन | 1 साल | 2 साल | 3 साल | 5 साल | 10 साल | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
FD (यील्ड) | 6.00 | 6.03 | 6.38 | 6.42 | 6.47 | 6.53 | 6.40 | 6.42 |
GSec (यील्ड) | 6.02 | 6.20 | 6.41 | 6.45 | 6.80 | 7.05 | 7.33 | 7.34 |
*Source: Average interest paid by major PSU Banks
बेहतर यील्ड के अलावा कुछ और चीजें भी हैं जो G-Sec को ज्यादा आकर्षक बनाती हैं –
- बैंक FD के मुकाबले G-Sec ज्यादा सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसके पीछे भारत सरकार होती है।
- इसमें रिटर्न और प्रिंसिपल (मूलधन) दोनों पर गारंटी होती है।
- FD की तरह यहां पर TDS नहीं कटता है।
- मैच्योरिटी की तारीख लंबी होने की वजह से सरकारी सिक्योरिटी (G-Sec) में आपको लंबे समय के लिए ज्यादा आकर्षक ब्याज मिलता रहता है।
- इसको आप लोन के बदले कोलैटरल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
- G-Sec को आप सेकेंडरी बाजार में भी बेच सकते हैं।
आप जैसे भी देखें G-Sec ङर तरीके से बैंक FD के मुकाबले ज्यादा बेहतर निवेश है।
इसको सेकेंडरी बाजार में बेच सकते हैं, इसका क्या मतलब है?
ये एकदम वैसे ही काम करता है जैसे आप शेयर को खरीदे या बेचते हैं।
मान लीजिए आपने 740GS2035A में निवेश किया। अब आप अगले 17 साल तक यानी 2035 तक हर छह महीने में इस पर 3.7% का ब्याज पा सकते हैं।
लेकिन कुछ साल बाद आपको लगता है कि अब आप इस बॉन्ड को और ज्यादा समय तक अपने पास नहीं रखना चाहते हैं, अब ऐसे में आप इस बॉन्ड को सेकेंडरी बाजार में बेच सकते हैं ठीक वैसे ही जैसे आप शेयरों को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर बेचते हैं।
आप बेचने खरीदने के लिए इस पोस्ट को देख सकते हैं जिसमें G-Sec के ट्रेडिंग पर सवाल और जवाब हैं। selling G-Sec in the secondary market
क्या इसके अलावा मुझे कुछ और जानने की जरूरत है?
इस पूरी चीज को आप उस तरह से देख सकते हैं जैसे आप किसी IPO के लिए एप्लीकेशन डालते हैं और उसके बाद वो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होता है। ये एकदम वैसा ही है, नीलामी की प्रक्रिया किसी IPO की तरह है और एक बार उसका बिडिंग हो जाने पर बॉन्ड (या टी बिल) एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाता है। लिस्ट होने के बाद, आप जब चाहे बॉन्ड को बेच सकते हैं और आप चाहे तो उस की ट्रेडिंग भी कर सकते हैं।
निवेश की कम से कम सीमा ₹10,000 है और इसके मल्टीपल यानी गुणक में आप दो करोड़ रुपए तक का निवेश कर सकते हैं। आप ऑर्डर तब डालते हैं जब नया ऑक्शन होता है (ठीक उसी तरह जैसे IPO में होता है)। लेकिन अच्छी बात यह है कि RBI इस नीलामी की तारीख की घोषणा पहले से कर देता है और यह सबको पता होता है कि ये कब होने वाला है।
आने वाले टी बिल का कैलेंडर
Here is the calendar for the upcoming t-bills auctions.
आने वाले बॉन्ड का कैलेंडर– Here is the calendar for the upcoming bond auctions.
RBI ने अब तक जितने भी बॉन्ड जारी किए हैं उसकी जानकारी इस लिंक में है – link of all the bonds that have been issued by RBI । आप इसमें नाम, कूपन रेट और मैच्योरिटी पर ध्यान दें
टैक्स से जुड़ी बातें, जो जाननी चाहिए
बॉन्ड – आपको जब ब्याज से आमदनी होती है तो वह आपके बैंक अकाउंट में आ जाती है। इसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स (Income From other sources) यानी अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तौर पर देखा जाता है और इस पर आपको अपने इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है। अगर बॉन्ड की कीमत में बढ़ोत्तरी होती है तो इसे कैपिटल गेन माना जाता है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर या तो सीधे 10% या फिर 20% इंडेक्सेशन के साथ टैक्स लगता है और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स इनक स्लैब रेट के हिसाब से लगता है।
टी बिल – आप इसे डिस्काउंट पर खरीदते हैं और PAR कीमत पर बेचते हैं। इसलिए इसमें जो बढ़ोतरी मिलती है उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और उस पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।
G-Sec में होने वाले गेन को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन तब माना जाता है जब आपने 3 साल से ज्यादा समय तक उसको अपने पास रखा है, नहीं तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है।
अगर मैं अपना ऑर्डर डाल दूं तो मुझे एलॉटमेंट होने की कितनी संभावना है?
सरकारी या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज एक निश्चित रकम के लिए ही जारी की जाती है और इसलिए अगर ज्यादा बिड आ जाएं तो एलॉटमेंट की कोई गारंटी नहीं होती। लेकिन अगर आपको एलॉटमेंट नहीं होता है तो आप अगले हफ्ते फिर से कोशिश कर सकते हैं। RBI हर महीने में कई बार इन्हें जारी करता है
अच्छा अब निवेश कैसे करें?
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Team zerodha ko bahut dhanyawad. lajawaab content. padhty hue aisa lgta hai jaise koi live samjha raha ho.
agy ke module kab upload hongy? taki lockdown ke samay ka sadupyog kiya ja sake ise padhkar.
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बाकि मॉड्यूल्स पर हम काम कर रहे हैं, वे भी जल्द ही उपलब्ध कराये जाएंगे.
Sir,
आपने ईसके आगे के chapter हिंदी मै नही दिये हैं.
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tqsm zerodha team beginners ke liye yeah bible h plzz paki module bhi hindi me traslate kriye
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आपका अभिनन्दन है।
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iss ke aage ke modules hindi mein kab aayenge ? Varasity app hindi mein aayega ?
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SIR WAIT KARTE KARTE DHAK GAYE H MODULE 9 HINDI ME NHI AAYA H
आज आजायेगा। 🙂
Hello
Hi, if you have any questions you may post them on comments here. 🙂
Secondary बाज़ार से G-SEC किस प्रकार खरीक सकते है।
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बहूत ही शानदार लेख। कृपया आगे भी लिखें।
साधूवाद
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जी नहीं, हम आपके फीडबैक पर ज़रूर नज़र डालेंगे 🙂
Will this chapter cover bond and departure topic?
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Happy learning 🙂
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