7.1 ट्रेड यानी सौदे की जानकारी

इस अध्याय की शुरुआत हम एक पुराने सवाल से करते हैं आपको क्या लगता है कि मार्जिन क्यों लगाए जाते हैं? अब हम एक बार इसका जवाब दोहरा लेते हैं: 

मार्जिन को रिस्क मैनेजमेंट के लिए लगाया जाता है। मार्जिन के जरिए यह कोशिश की जाती है कि काउंटरपार्टी डिफॉल्ट ना हो। ब्रोकर के ऑफिस में RMS सिस्टम यानी रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम लगा होता है, जो इस बात के लिए जिम्मेदार होता है कि वह रिस्क मैनेजमेंट को देखे। RMS एक कंप्यूटर प्रोग्राम है और हर कारोबारी के सारे ऑर्डर पहले RMS में जाते हैं उसके बाद ही आगे एक्सचेंज पर जाते हैं। कुछ लोग RMS पर लगातार नजर रखते हैं ताकि ये पता रहे कि सब सही चल रहा है या कुछ गलत हो रहा है।

जब आप एक सौदा डालते हैं तो RMS को कुछ सूचना देते हैं, जैसे मान लीजिए एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदने का सौदा डालते हैं तो आप RMS को बता रहे हैं कि 

  1. आप एक RMS खरीदना चाहते हैं जैसे TCS फ्यूचर्स, आइडिया फ्यूचर्स आदि।
  2. आप इस फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की कितनी मात्रा खरीदना चाहते हैं (कितने लॉट)
  3. आप इस फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट को किस कीमत पर खरीदना चाहते हैं मार्केट कीमत पर या लिमिट कीमत पर। 

जब एक बार आप यह सौदा डालते हैं तो RMS सिस्टम तय करता है कि उस सौदे में कितने मार्जिन की जरूरत है और अगर आपके अकाउंट में उतने पैसे हैं तो इस ट्रेड यानी सौदे को आगे एक्सचेंज पर भेज देता है।

लेकिन कुछ जानकारियां होती हैं जो आप RMS सिस्टम को नहीं देते हैं, जैसे कि 

  1. आप यह सौदा कितने दिनों तक रखने वाले हैं क्या यह इंट्राडे सौदा है या इसको आप कई दिनों तक अपने पास रखेंगे? 
  2. आपकी स्टॉप लॉस कीमत –  अगर यह सौदा आपकी राय के विपरीत दिशा में चला जाता है तो आप किस कीमत पर नुकसान बुक करके अपनी पोजीशन को स्क्वेयर आफ करेंगे? 

अगर आप यह जानकारी भी RMS सिस्टम को दे दें तो क्या होगा? RMS सिस्टम ज्यादा बेहतर तरीके से काम करेगा क्योंकि उसे रिस्क के बारे में अधिक जानकारी होगी।  

उदाहरण के लिए अगर सिस्टम को किसी ट्रेड या सौदे के समय अवधि की जानकारी हो तो सिस्टम को पता होगा कि आप कितनी ज्यादा वोलैटिलिटी का सामना कर सकते हैं। जैसे, अगर आप का सौदा इंट्राडे है तो आपको सिर्फ 1 दिन की वोलैटिलिटी का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अगर आप सौदा कई दिनों तक रखने वाले हैं तो आपको कई दिनों तक वोलैटिलिटी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आपको ओवरनाइट रिस्क का भी सामना करना पड़ेगा। 

ओवरनाइट रिस्क वो रिस्क है जो आप तब लेते हैं जब आप अपने सौदे को अगले दिन तक के लिए अपने पास रखते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि मैंने एक BPCL का लांग सौदा अपने पास ओवरनाइट रखता हूं, आपको पता ही है कि कच्चे तेल में आने वाले किसी भी उतार-चढ़ाव का असर BPCL पर पड़ता है। अब मान लीजिए उसी रात कच्चा तेल 5% ऊपर चला जाता है इसकी वजह से अगली सुबह BPCL के शेयर पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि BPCL के लिए कच्चा तेल खरीदना महंगा हो जाएगा। अब क्योंकि मैंने यह सौदा ओवरनाइट अपने पास रखा है इसलिए BPCL के इस सौदे में मुझे नुकसान उठाना पड़ सकता है। यानी मुझे M2M में एक कटौती झेलनी होगी। इसे ही ओवरनाइट रिस्क कहते हैं। तो अब आपको समझ में आ गया होगा कि अगर हम सौदे को लंबे समय तक रखते हैं और RMS इसको जानता है तो उसे पता होगा कि आपका रिस्क बढ़ रहा है। RMS के नजरिए से आप सौदे को जितने लंबे समय तक अपने पास रखेंगे आपका रिस्क उतना ही ज्यादा होगा।

इसी तरीके से, आप के सौदे के स्टॉपलॉस के बारे में सोचिए। जब RMS को यह नहीं पता होता कि आपका स्टॉपलॉस क्या है और आप कितना नुकसान उठाने को तैयार हैं, तो RMS आप के रिस्क लेने की क्षमता को नहीं समझ पाता है। वैसे किसी भी सौदे में स्टॉपलॉस बताना जरूरी नहीं है लेकिन अगर RMS को यह पता हो तो सिस्टम ज्यादा अच्छे तरीके से काम कर सकेगा। उदाहरण के लिए मान लीजिए मैंने BPCL का फ्यूचर्स ₹649 पर खरीदा है, लेकिन मेरा स्टॉपलॉस निश्चित नहीं है। ऐसे में मेरे रिस्क की कोई सीमा नहीं है। लेकिन मान लीजिए मैंने यह कहा कि मेरा स्टॉपलॉस ₹640 का है तो मैं ₹9 का ही रिस्क ले रहा हूं। जैसे ही BPCL ₹640 पर पहुंचेगा मैं अपना पोजीशन स्क्वेयर ऑफ कर दूंगा और नुकसान सह लूंगा। RMS के लिए यह जानकारी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकती है।

तो किसी भी सौदे में स्टॉप लॉस और समय अवधि दोनों बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, जिससे RMS को पता चलता है कि आप कितना रिस्क उठा सकते हैं। लेकिन ट्रेडर के लिए इसका क्या महत्व है? 

आप जितनी ज्यादा जानकारी RMS को देंगे उतना ही कम मार्जिन देने की जरूरत होगी।

इसे एक और उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए मैं एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान में जाता हूं और टेलीविजन की कीमत पूछता हूं, ऐसे में दुकानदार क्या करेगा? एक कीमत बता देगा जैसे किसी भी दूसरे ग्राहक को बताता है। लेकिन अगर मैं उसे बताऊं कि मुझे 50 टेलीविजन खरीदने हैं तो दुकानदार एक नई कीमत बताएगा जो कि पहले की कीमत से कम होगी। अगर इसके बाद में उसे यह भी बताऊं कि मैं कैश लेकर आया हूं और यह अभी तुरंत खरीदना चाहता हूं हो सकता है वह कीमत और गिरा दे। मतलब यह कि आप जैसे-जैसे ज्यादा जानकारी देते हैं वैसे वैसे सौदा करना ज्यादा आसान हो जाता है और आपको अच्छी कीमत मिल पाती है।

7.2 प्रॉडक्ट/प्रोडक्ट के प्रकार

तो अब हम समझ चुके हैं कि RMS के पास जितनी ज्यादा जानकारी होगी उतना ही कम मार्जिन लगेगी। मार्जिन कम देना पड़े तो आप अपनी पूंजी का बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे। तो अब अगला सवाल यही है कि क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे आप RMS  सिस्टम को ज्यादा जानकारी दे सकें? इसका जवाब है, हां। बाजार में ट्रेड करने के लिए कई खास प्रॉडक्ट मौजूद हैं जो इसी लिए बनाए गए हैं। जब आप बाजार में स्टॉक्स फ्यूचर्स को खरीदने या बेचने का अपना आर्डर देते हैं आप इनमें से कोई एक प्रॉडक्ट चुन सकते हैं। हर प्रॉडक्ट एक दूसरे से अलग है क्योंकि वो RMS को अलग अलग तरीके की जानकारी देता है। हालांकि सारे प्रॉडक्ट मुख्यत: एक ही काम करते हैं लेकिन हर ब्रोकर इन को अलग अलग नाम से पुकारता है। यहां मैं आपको जेरोधा के इन प्रॉडक्ट के बारे में जानकारी दूंगा। अगर आप किसी दूसरे ब्रोकर के जरिए कारोबार कर रहे हैं तो आपको अपने ब्रोकर से इस तरह के प्रॉडक्ट के बारे में जानकारी लेनी चाहिए।

NRML – यह सबसे सीधा प्रॉडक्ट है। जब आप अपने सौदे को होल्ड करना चाहते हैं तो इस प्रॉडक्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

याद रखिए कि NRML सौदे में रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम को कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं मिलती कि आप इस सौदे में कब तक बने रहना चाहते हैं, ना ही ये जानकारी मिलती है कि आपने अपना स्टॉप लॉस क्या रखा हुआ है। नुकसान होता है तो आप और मार्जिन मनी डाल देते हैं। चूंकि इसमें RMS को जानकारी कम मिलती है इसीलिए RMS सिस्टम NRML सौदे में आप से पूरा मार्जिन वसूलता है (स्पैन + एक्स्पोज़र) 

आप NRML सौदे का इस्तेमाल तब कर सकते हैं जब आप अपने फ्यूचर्स पोजीशन को कई दिनों तक रखना चाहते हैं। याद रखिए कि NRML सौदों का इस्तेमाल इंट्राडे के लिए भी किया जा सकता है।

मार्जिन इंट्राडे स्क्वेयर ऑफ (MIS) जेरोधा के प्लेटफार्म पर MIS पूरी तरीके से इंट्राडे सौदों के लिए बनाया गया प्रॉडक्ट है। अगर आपने MIS को प्रॉडक्ट के तौर पर चुना है तो इसका मतलब है कि आप का सौदा 1 दिन का ही है। अगर आप अपनी पोजीशन को अगले दिन ले जाना चाहते हैं तो आप MIS नहीं चुन सकते हैं। आपको उसी दिन शाम 3 बज कर 20 मिनट के पहले अपने सौदे को काटना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो RMS सिस्टम अपने आप यह काम कर देगा। 

क्योंकि इस तरह के सौदे में RMS को पता होता है कि यह एक इंट्राडे सौदा है तो उसको यह भी पता होता है कि इस सौदे में वोलैटिलिटी के लिए सिर्फ एक दिन है। इसीलिए NRML सौदे के मुकाबले इस तरह के सौदों (MIS) में मार्जिन कम लगती है।

कवर ऑर्डर (CO) – MIS की तरह कवर ऑर्डर भी एक इंट्राडे प्रॉडक्ट है। अंतर सिर्फ इतना है कि कवर ऑर्डर में आपको स्टॉप लॉस भी बताना होता है। इस तरह से CO ऑर्डर आपके सौदे की दो जानकारियां देता है– 

  1. समय अवधि की जानकारी देता है (इंट्राडे सौदा)
  2.  स्टॉप लॉस की भी जानकारी देता है। यानी बताता है कि आप कितना नुकसान उठाने को तैयार हैं।

एक CO का स्क्रीनशॉट देखें

इस स्क्रीनशॉट में काले रंग से हाईलाइट किए हुए हिस्से में आपको यह बताना होता है कि स्टॉप लॉस कितना है। ट्रेडिंग टर्मिनल में CO ऑर्डर कैसे डालते हैं इसके लिए इस लेख को देखें। (article in z-connect )  

आपको यह याद रखना है कि जब आप CO में ऑर्डर डालते हैं तो इसका मतलब है कि आप यह बता रहे हैं कि यह इंट्राडे सौदा है और साथ ही आप यह भी बता रहे हैं कि आप ज्यादा से ज्यादा कितना नुकसान सहने के लिए तैयार हैं। इसी वजह से RMS इस मामले में आपसे कम मार्जिन लेता है। यह मार्जिन MIS ऑर्डर की मार्जिन से भी कम होती है। 

ब्रैकेट ऑर्डर (BO) –  ब्रैकेट ऑर्डर असल में कवर ऑर्डर का ही सुधरा हुआ रूप है। यह भी एक इंट्राडे प्रॉडक्ट है मतलब यहां भी आपको शाम 3:20 बजे के पहले अपना सौदा स्क्वेयर ऑफ करना होता है। BO का सौदा डालने के पहले आपको कुछ और जानकारियां देनी होती हैं 

  1. स्टॉप लॉस अगर सौदा आपके मन मुताबिक नहीं जा रहा है तो किस कीमत पर आप इस सौदे से बाहर निकलना चाहते हैं।  
  2. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस –  इसमें एक और  फीचर यानी सुविधा है जिसके जरिए आप अपने स्टॉपलॉस को ट्रेल कर सकते हैं। अगर आपको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के बारे में जानकारी नहीं है तो हम इस अध्याय के अंत में उसके बारे में चर्चा करेंगे। लेकिन अभी याद रखिए कि यह आर्डर आपको स्टॉपलॉस को ट्रेल करने का मौका देता है और यही इस प्रॉडक्ट का सबसे ज्यादा लोकप्रिय हिस्सा है।
  3. टारगेट अगर सौदा आपके मन मुताबिक जा रहा है तो BO आपको यह भी बताने को कहता है कि आप किस कीमत पर अपना मुनाफा या प्रॉफिट बुक करना चाहेंगे। 

BO के ऑर्डर में आप जब सौदा डालते हैं तो साथ ही एक्सचेंज को यह जानकारी भी दे सकते हैं कि आपका टारगेट क्या है और स्टॉपलॉस क्या है। किसी भी एक्टिव ट्रेडर के लिए यह एक बहुत बड़ी सुविधा है। BO का सौदा कैसे डालते हैं इसके लिए आप इस लेख पर नजर डाल सकते हैं। ( article)

नीचे के चित्र BO का ऑर्डर फॉर्म दिखाया गया है हरे रंग से हाईलाइट किए हुए हिस्से में स्टॉपलॉस लगाया जाता है

अगर आप ध्यान से देखें तो आपको समझ में आएगा कि ब्रैकेट ऑर्डर में ट्रेडर RMS को वह सारी जानकारी देता है जो CO में दी जाती है लेकिन इसके अलावा ट्रेडर यह भी बता रहा है कि उसका टारगेट क्या है? वैसे टारगेट जान कर RMS को कोई खास फायदा नहीं होता है क्योंकि RMS आपकी रिस्क के बारे में जानना चाहता है, आपको होने वाले मुनाफे के बारे में नहीं। इसीलिए BO और CO में मार्जिन एक बराबर ही होता है। 

अब एक बार फिर हम जेरोधा मार्जिन कैलकुलेटर पर मौजूद कुछ और फीचर्स पर नजर डालते हैं। 

7.3 –मार्जिन कैलकुलेटर पर फिर से नजर 

हमने पिछले अध्याय में ज़ेरोधा के मार्जिन कैलकुलेटर पर नजर डाली थी। मार्जिन कैलकुलेटर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोई भी ट्रेडर यह पता कर सकता है कि उसको अपने सौदे के लिए कितना मार्जिन देना पड़ेगा। इसी बहाने हमने एक्सपायरी रोल ओवर स्प्रेड मार्जिन जैसे दूसरे सिद्धांतों के बारे में भी समझ लिया है। अब हम यह भी जानते हैं कि RMS सिस्टम को जानकारियां कैसे दी जाती हैं और उसका मार्जिन पर कैसा असर होता है। इन सब को ध्यान में रखते हुए अब हम मार्जिन कैलकुलेटर में दिए गए दो और विकल्पों की चर्चा करते हैं “इक्विटी फ्यूचर्स” और “BO &CO” । नीचे के स्क्रीनशॉट में इनको लाल रंग से हाईलाइट किया गया है।

इक्विटी फ्यूचर्स इक्विटी फ्यूचर्स सेक्शन में मार्जिन कैलकुलेटर रेडी रेकनर (Ready reckoner) यानी एक तैयार हैंडबुक की तरह काम करता है। यह किसी भी ट्रेडर को निम्न चीजें समझने का मौका देता है: 

  1. किसी NRML सौदे के लिए कितने मार्जिन की जरूरत पड़ेगी।
  2. MIS सौदे के लिए कितनी मार्जिन की जरूरत पड़ेगी।
  3. ट्रेडिंग अकाउंट में जितने पैसे हैं उतने में आप कितना लॉट खरीद पाएंगे।

जनवरी 2015 तक इक्विटी फ्यूचर्स वाले हिस्से में 475 कॉन्ट्रैक्ट मौजूद थे। इक्विटी फ्यूचर्स वाले हिस्से को और अच्छे से समझने के लिए कुछ अभ्यास करते हैं। इन अभ्यासों को हम इक्विटी फ्यूचर्स के मार्जिन कैलकुलेटर के जरिए पूरा करने की कोशिश करेंगे। उम्मीद है कि इसके बाद आप इस हिस्से का इस्तेमाल बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।

अभ्यास 1 एक ट्रेडर के ट्रेडिंग अकाउंट में ₹80000 हैं। वो ACC सीमेंट लिमिटेड का 26 फरवरी 2015 की एक्सपायरी वाला का फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहता है और इस कॉन्ट्रैक्ट को 3 ट्रेडिंग सेशन तक अपने पास रखना चाहता है। पता करें कि इस सौदे के लिए कितने मार्जिन की जरूरत पड़ेगी? वो ट्रेडर इसके अलावा इंफोसिस का जनवरी फ्यूचर्स भी खरीदना चाहता है। लेकिन इसे वह इंट्राडे के लिए खरीदना चाहता है। इसमें कितने मार्जिन की जरूरत पड़ेगी? क्या उसके अकाउंट में इतने पैसे हैं कि वह दोनों सौदे एक साथ कर सके। 

उत्तर पहले ACC के फ्यूचर्स के मामले को देखते हैं, क्योंकि ट्रेडर इस कॉन्ट्रैक्ट को 3 दिनों तक अपने पास रखना चाहता है तो हमें NRML मार्जिन को देखना होगा। वैसे तो हम यह काम स्पैन कैलकुलेटर के जरिए भी कर सकते हैं और हमने उसे पिछले अध्याय में देखा भी था। लेकिन इक्विटी फ्यूचर्स कैलकुलेटर में कुछ अतिरिक्त सुविधाएं हैं जो कि स्पैन कैलकुलेटर में नहीं है, इसीलिए हम इसे इक्विटी फ्यूचर्स के जरिए देखेंगे।

जब आप इक्विटी फ्यूचर्स के हिस्से में जाएंगे तो आपको वहां बहुत सारे कॉन्ट्रैक्ट नजर आएंगे। आपको अपने काम का कॉन्ट्रैक्ट खोजना होगा। ACC को मैंने यहां हरे रंग से हाईलाइट किया है। आप देख सकते हैं कि इस कैलकुलेटर में इन कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी, लॉट साइज और कीमत भी बताई गई है। 

काले रंग के बॉक्स में मैंने इसकी NRML मार्जिन भी दिखाई है। 

ऊपर के स्क्रीनशॉट से यह साफ है कि ACC  के फरवरी 2015 के कॉन्ट्रैक्ट के लिए आपको ₹48686 के मार्जिन की जरूरत पड़ेगी। 

इंफोसिस के लिए मार्जिन पता करने के लिए मुझे इंफोसिस का जनवरी का कॉन्ट्रैक्ट को लिस्ट में खोजना होगा।वैसे मैं अपने सर्च बॉक्स में infy टाइप करके भी उसको खोज सकता हूं। 

जैसा कि हम देख सकते हैं कि किसी का NRML मार्जिन ₹67698 है (इसे काले रंग के तीर से दिखाया गया है)। MIS मार्जिन ₹27079 है (लाल रंग के तीर से दिखाया गया है)। तो साफ है कि MIS मार्जिन NRML मार्जिन से काफी कम है।

यह सौदा इंट्राडे का है इसलिए कोई भी ट्रेडर MIS को चुनकर कम मार्जिन के साथ यह सौदा कर सकता है। वैसे तो यह सौदा NRML मार्जिन के साथ भी किया जा सकता है, लेकिन ऐसा करने पर आपकी ज्यादा रकम मार्जिन के तौर पर लॉक हो जाएगी। इसलिए अगर आपका दिमाग साफ है कि यह इंट्राडे सौदा है तो बेहतर होगा कि MIS के जरिए ही सौदा किया जाए।

तो अब हमें पता है कि ट्रेडर को कुल मार्जिन की जरूरत होगी :

  1. ACC के कॉन्ट्रैक्ट के लिए ₹48686 चूंकि यह सौदा 3 दिनों तक ट्रेडर अपने पास रखने वाला है इसलिए यहां NRML का इस्तेमाल होगा। 
  2. इंफोसिस के कॉन्ट्रैक्ट के लिए ₹27079 । यहां पर MIS  मार्जिन का इस्तेमाल होगा क्योंकि ये एक इंट्राडे सौदा है। 
  3. कुल मार्जिन होगी ₹75765 (48686+27079)। 

अब चूंकि ट्रेडर के अकाउंट में ₹80000 हैं इसलिए वह यह दोनों सौदे कर सकता है।

अभ्यास 2 एक ट्रेडर के अकाउंट में ₹120000 हैं। वो विप्रो के जनवरी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के कितने लॉट इंट्राडे के लिए खरीद सकता है? अगर यही सौदा कई दिनों के लिए करना है तो वो कितने लॉट खरीद सकता है? 

उत्तर सर्च बॉक्स में विप्रो को खोजिए। MIS मार्जिन वाले कॉलम के बगल में कैलकुलेट का विकल्प दिया है (हरे रंग के तीर से दिखाया गया है)। उसको क्लिक कीजिए।

जब आप कैलकुलेट को क्लिक करेंगे तो एक नई विंडो खुलेगी। यहां पर आपको यह भरना है 

  1. आपके ट्रेडिंग अकाउंट में कितनी रकम है (डिफॉल्ट के तौर पर रकम एक लाख दिखाई देती है लेकिन आप इसे अपनी जरूरत के हिसाब से बदल सकते हैं) 
  2. यह कॉन्ट्रैक्ट किस कीमत पर बिक रहा है। वैसे यह अपने आप ही आ जाता है।

अब इस स्क्रीन शॉट पर नजर डालिए

कैलकुलेटर बता रहा है कि मैं विप्रो के फ्यूचर्स पर इस कॉन्ट्रैक्ट के तीन लॉट NRML प्रॉडक्ट के तहत भी खरीद सकता हूं। NRML में इसकी मार्जिन होगी ₹36806 प्रति लॉट। MIS प्रॉडक्ट के हिसाब से भी मैं 8 लॉट खरीद सकता हूं वहां मार्जिन है सिर्फ ₹14722 प्रति लॉट। 

अब आप को साफ हो गया होगा की इक्विटी फ्यूचर्स सेक्शन में मार्जिन कैलकुलेटर कैसे काम करता है। अब हम BO&CO कैलकुलेटर पर नजर डालेंगे।

7.4 – BO&CO मार्जिन कैलकुलेटर

ब्रैकेट ऑर्डर और कवर ऑर्डर दोनों में मार्जिन की जरूरत एक जैसी होती है, ये हम पहले से ही जानते हैं। BO&CO कैलकुलेटर का इस्तेमाल काफी आसान है यह लगभग वैसा ही है जैसा स्पैन कैलकुलेटर होता है। नीचे के स्नैपशॉट में आप देख सकते हैं कि मैं बायोकॉन के फ्यूचर्स को खरीदने की कोशिश कर रहा हूं जिसकी एक्सपायरी फरवरी 2015 की है। आप देखेंगे कि मैंने स्टॉप लॉस के अलावा हर जानकारी दी है।

बिना स्टॉप लॉस बताए जब मैं कैलकुलेट का बटन दबाता हूं तो यह कैलकुलेटर अपने आप डिफॉल्ट तरीके से एक स्टॉपलॉस बताता है जिसको आप चाहें तो चुन सकते हैं और साथ बताई गई मार्जिन को भी। लेकिन जब मैं अपना स्टॉप लॉस बताता हूं तो कैलकुलेटर इस हिसाब से फिर से मार्जिन को कैलकुलेट करता है। 

BO&CO कैलकुलेटर के हिसाब से स्टॉप लॉस ₹403 का चुना जा सकता है। लेकिन जब आप अपना स्टॉप लॉस बदलेंगे तो मार्जिन भी उसी हिसाब से बदलेगी। अभी फिलहाल ये मार्जिन ₹9062 है जो कि NRML की मार्जिन ₹26135 के मुकाबले और MIS की मार्जिन ₹11545 के मुकाबले काफी कम है। 

7.5 – ट्रेलिंग स्टॉप लॉस 

इस अध्याय को खत्म करने से  पहले एक बार हम ट्रेलिंग स्टॉप लॉस पर भी नजर डाल लेते हैं। ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का इस्तेमाल ब्रैकेट ऑर्डर में होता ही है और वैसे भी बाजार में यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसलिए जरूरी है कि आप इस बारे में जानें कि स्टॉप लॉस को ट्रेल कैसे किया जाता है। कल्पना कीजिए कि आप ने एक स्टॉक ₹250 पर खरीदा है और आप को उम्मीद है कि यह ₹270 तक जाएगा। इस सौदे के लिए आपने अपना स्टॉपलॉस ₹240 रखा है। आपका इरादा है कि अगर यह शेयर नीचे जाता है तो आप ₹240 पर नुकसान उठाकर इस सौदे से बाहर निकल जाएंगे। 

लेकिन सौदा आपके मन मुताबिक जाता है और शेयर बढ़कर ₹265 तक पहुंच जाता है। अब यह स्टॉक आपके टारगेट ₹270 से कुछ ही रुपए दूर है। लेकिन बाजार की वोलैटिलिटी यानी उठा-पटक की वजह से यह नीचे आना शुरू करता है और नीचे आते-आते ये आपके स्टॉपलॉस ₹240 तक पहुंच जाता है। तो आपको मुनाफा थोड़ी देर के लिए दिखा जरूर लेकिन यह आपके लिए एक नुकसान का सौदा हुआ। ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए था? ऐसा बहुत बार होता है जब बाजार की दिशा को लेकर आपकी राय सही साबित होती है। लेकिन बाज़ार की उठापटक की वजह से आपका नुकसान हो जाता है। 

ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए ही ट्रेलिंग स्टॉपलॉस का इस्तेमाल किया जाता है। वास्तव में ट्रेलिंग स्टॉपलॉस कई बार आपको अनुमान से ज्यादा मुनाफा कमा कर दे सकता है। 

ये बहुत ही सीधा-सा सिद्धांत है। यहां बस आपको स्टॉक के उतार-चढ़ाव के हिसाब से अपने स्टॉपलॉस को बदलना होता है। मैं इसको एक उदाहरण से समझाता हूं।

ट्रेड लाँग
शेयर इन्फोसिस
इन्स्ट्रूमेंट फ्यूचर्स
कीमत Rs.2175/-
टारगेट Rs.2220/-
स्टॉपलॉस Rs.2150/-
रिस्क Rs.25 (2175 – 2150)
रिवार्ड Rs.45 (2220 – 2175

यहां पर ₹2175 की कीमत पर लॉन्ग पोजीशन बनाने और स्टॉप लॉस ₹2150 पर रखने का इरादा है। अब हमें करना सिर्फ यह है कि जैसे-जैसे कीमत हमारे सौदे की दिशा में बढ़ती है, वैसे-वैसे हमें अपने स्टॉपलॉस को बदलना है। जैसे मान लीजिए कि हर 15 प्वाइंट के बदलाव पर हमें अपने स्टॉपलॉस को भी बदलना होगा। स्टॉपलॉस किसी भी जगह लगाया जा सकता है। जहां पर भी आप अपने मुनाफे को बांधना चाहते हैं वहां स्टॉपलॉस लगा सकते हैं। जब आप मुनाफा बांधने के हिसाब से अपने स्टॉपलॉस को बदलते हैं तो इसे ट्रेलिंग स्टॉपलॉस कहा जाता है। ध्यान रखिए कि हर 15 प्वाइंट के बदलाव पर स्टॉपलॉस बदलने का नियम सिर्फ उदाहरण के लिए लिया है। वास्तव में आप इसे किसी भी हिसाब से लगा सकते हैं। लेकिन अभी इसको समझने के लिए नीचे के टेबल पर नजर डालते हैं जहां मैंने स्टॉपलॉस को हर 15 प्वाइंट पर ट्रेल करके दिखाया है जिससे कुछ मुनाफा बांधा जा सके।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि हमारा शुरूआती टारगेट 2220 का था लेकिन ट्रेलिंग स्टॉपलॉस  की वजह से मैं मोमेंटम का फायदा उठाकर ज्यादा मुनाफा कमा सका। 

इस अध्याय की मुख्य बातें

  1. आप RMS सिस्टम को जितनी ज्यादा जानकारी देते हैं अपने सौदे की अवधि के बारे में, स्टॉप लॉस के बारे में, उतना ही आपके लिए मार्जिन कम हो जाता है। 
  2. जब आप एक ऐसा ट्रेड करना चाहते हैं जिसको ओवरनाइट अपने पास रखना है तो आपको NRML प्रॉडक्ट को चुनना होता है।
  3. NRML में सबसे ज्यादा मार्जिन लगती है (स्पैन + एक्सपोजर) । 
  4. MIS पूरी तरीके से इंट्रा डे ट्रेड होता है इसलिए इसमें NRML से कम मार्जिन लगती है। 
  5. MIS में बस समय अवधि की जानकारी दी जाती है कि यह सौदा इंट्रा डे का है, लेकिन स्टॉप लॉस के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती। 
  6. कवर ऑर्डर(CO) भी एक इंट्रा डे सौदा है लेकिन इसमें आपको अपना स्टॉपलॉस भी बताना होता है। 
  7. एक कवर ऑर्डर में चूंकि समय अवधि और स्टॉपलॉस दोनों की सूचना दी जाती है इसलिए यहां पर MIS से कम मार्जिन लगती है। 
  8. ब्रैकेट ऑर्डर(BO) में कवर ऑर्डर(CO) के जैसे ही मार्जिन लगती है। 
  9. ब्रैकेट ऑर्डर में आपको अपने स्टॉपलॉस और टारगेट की सूचना एक बार में देने की सुविधा होती है। इसके अलावा आप अपने स्टॉपलॉस को ट्रेल भी कर सकते हैं। 
  10. ट्रेलिंग स्टॉपलॉस तकनीक में आपको अपने स्टॉप लॉस को स्टॉक की कीमत में सौदे की दिशा में होने वाले बदलाव के साथ साथ बदलना होता है। 
  11. ट्रेलिंग स्टॉपलॉस के जरिए आप किसी शेयर के मोमेंटम का फायदा उठा सकते हैं। 
  12. ट्रेलिंग के लिए कोई निश्चित नियम कायदे नहीं है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से और बाजार की स्थिति के हिसाब से अपने स्टॉपलॉस को ट्रेल कर सकते हैं।



19 comments

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  1. Laxman kanojiya says:

    Sir NRML me SL nhi lagta kya

  2. URMENDER SINGH says:

    Dear Sir,

    Thanks a lot for this notes.

  3. manish yadav says:

    thanks to all of you team varsity

  4. Dhananjay Lachake says:

    सर,
    लॉंग के लिये trilling loss का इस्तेमाल कर साकेटे हो क्या ????

  5. Aman says:

    Upar wale ordrer type (NRML,MIS,CO,BO) ka screenshot ko update krna chahiye.

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