13.1 – प्रस्तावना 

अभी कुछ समय पहले तक भारत में इक्विटी फ्यूचर और ऑप्शन में जो ट्रेड होता था उसे कैश में सेटल किया जाता था। मतलब यह कि कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायर होने पर खरीदार और बिकवाल दोनों अपनी पोजीशन को कैश से सेटल करते थे और अंडरलाइंग सिक्योरिटी की डिलीवरी लेते या देते नहीं थे। 11 अप्रैल 2018 को सेबी (SEBI) ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें F&O के सभी कॉन्ट्रैक्ट के लिए स्टॉक की फिजिकल डिलीवरी की जरूरत को धीरे धीरे आवश्यक बनाने का ऐलान किया गया था। इसके जरिए ये कोशिश की गई कि बाजार में होने वाली सट्टेबाजी पर रोक लगाई जा सके और शेयरों में अतिरिक्त वोलैटिलिटी यानी उठा-पटक को रोका जा सके। 

13.2 – फिजिकल डिलीवरी क्या होती है?

इसका मतलब यह है कि F&O के सभी कॉन्ट्रैक्ट के खत्म होने पर उनकी अंडरलाइंग सिक्योरिटी की डिलीवरी लेनी या देनी होगी। अक्टूबर 2019 से सभी स्टॉक चाहे वो F&O के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट में हो, उनके सेटलमेंट के लिए फिजिकल डिलीवरी को जरूरी कर दिया गया। 

इसको एक उदाहरण से समझते हैं, फिजिकल सेटलमेंट की शुरुआत के पहले, अगर आपने इस महीने एक्सपायर होने वाले SBI फ्यूचर्स का एक लॉट खरीदा था तो एक्सपायरी पर आपको कैश सेटेलमेंट करना होता और सेटलमेंट  कीमत के हिसाब से सिर्फ उतने रुपए आपके अकाउंट से निकल जाते या आ जाते थे। इस अध्याय में हमने इस बात पर चर्चा की है कि मार्क टू मार्केट सेटलमेंट कैसे काम करता है। लेकिन फिजिकल सेटलमेंट की परिस्थिति में अगर आपने अपनी पोजीशन को रोल ओवर या बंद नहीं किया तो फिर एक्सपायरी के समय आपको कॉन्ट्रैक्ट की कुल कीमत चुकानी होगी और बचे हुए शेयर आपके डीमैट एकाउंट में डिलीवर हो जाएंगे।

13.3 – फिजिकल सेटलमेंट को क्यों लागू किया गया?  

अगर कॉन्ट्रैक्ट को कैश में सेटल किया जा रहा है तो ट्रेडर को अपने अकाउंट में कॉन्ट्रैक्ट के लिए सिर्फ मार्जिन (स्पैन + एक्सपोजरSPAN +Exposure) को रखना जरूरी होता है। इस वजह से शॉर्ट करने वाले एक्सपायरी के आसपास बहुत ज्यादा शॉर्ट पोजीशन बनाते चले जाते हैं जिससे कीमत बहुत ज्यादा नीचे चली जाती है। जबकि फिजिकल सेटलमेंट में ट्रेडर्स को या तो स्टॉक बाजार से खरीदना होगा या फिर SLB मार्केट से उधार पर लेना होगा जिससे वह उस स्टॉक के डिलीवरी सामने वाले पार्टी को दे सके। ऐसा करने से कीमत में एक संतुलन आ जाता है और कीमत को तोड़ा मरोड़ा नहीं जा सकता। 

13.4 – पोजीशन सेटल कैसे की जाती है

एक्सपायरी पर अलग अलग F&O कॉन्ट्रैक्ट को इस तरह से सेटल किया जाता है 

  1. डिलीवरी लेना (आपके डीमैट अकाउंट में शेयर आ जाते हैं) –  लॉन्ग फ्यूचर्स, लॉन्ग ITM कॉल, और शॉर्ट ITM पुट 
  2. डिलीवरी देना (आपको स्टाक एक्सचेंज को डिलीवर करना पड़ता है) शॉर्ट फ्यूचर, शॉर्ट ITM कॉल और लॉन्ग ITM पुट 

केवल ITM ऑप्शन का फिजिकल सेटलमेंट होता है क्योंकि अगर ऑप्शन OTM एक्सपायर होता है तो वह वर्थलेस हो जाता है यानि की उसकी कोई कीमत नहीं होती और इसलिए उसमें डिलीवरी की कोई जरूरत नहीं होती।

13.5 – पोजीशन का नेट निकालना 

*Definition of Netting. A method of reducing credit, settlement and other risks of financial contracts by aggregating (combining) two or more obligations to achieve a reduced net obligation.

अगर आपने एक ही एक्सपायरी वाले अंडरलाइंग में बहुत सारी पोजीशन ले रखी है जिससे कि आप एक हेज बना सकें, तो, फिर उस ट्रेड की दिशा के हिसाब से उनकी एक नेट पोजीशन निकाली जाएगी। 

1st चरण 2nd चरण
लॉन्ग फ्यूचर्स शार्ट ITM कॉल

लॉन्ग ITM पुट

शार्ट फ्यूचर्स लॉन्ग ITM कॉल 

शार्ट  ITM पुट

लॉन्ग ITM कॉल लॉन्ग ITM पुट 

शार्ट ITM कॉल

लॉन्ग ITM पुट लॉन्ग ITM कॉल

शार्ट  ITM पुट

शार्ट ITM कॉल लॉन्ग ITM कॉल

शार्ट ITM पुट

शार्ट ITM पुट शार्ट ITM कॉल

लॉन्ग ITM पुट

 

उदाहरण के लिए अगर आपने SBI का जून फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट लॉन्ग किया है और ITM पुट को 200 की स्ट्राइक पर लॉन्ग किया है (SBI की स्पॉट कीमत 180 है), तो फिर फ्यूचर लॉन्ग पोजीशन के लिए आपको डिलीवरी लेनी होगी और लॉन्ग पुट ऑप्शन के लिए डिलीवरी देनी होगी। आपके अकाउंट के इन दोनों सौदों की वजह से आपको किसी फिजीकल डिलीवरी की जरूरत नहीं होगी।

13.6 – मार्जिन

जब आप फ्यूचर के लिए या शॉर्ट ऑप्शन के लिए F&O सेगमेंट में ट्रेड कर रहे होते हैं, तो आपको अपने अकाउंट में सिर्फ मार्जिन की रकम रखनी पड़ती है। जब लॉन्ग ऑप्शन पोजीशन होती है तो आपको प्रीमियम देने के लिए उतनी रकम अकाउंट में रखनी पड़ती है। लेकिन फिजिकल सेटलमेंट में यह स्थिति बदल जाती है। आपको अपने कॉन्ट्रैक्ट की 100% कीमत अकाउंट में रखना होता है क्योंकि एक्सपायरी पर आपको कॉन्ट्रैक्ट की डिलीवरी लेनी पड़ती है या फिर स्टॉक की डिलीवरी देनी होती है। इसीलिए एक्सपायरी के आसपास ब्रोकर आपके लिए अतिरिक्त मार्जिन लगाते हैं। आप जेरोधा की फिजिकल सेटलमेंट पॉलिसी को यहां  here पर पढ़ सकते हैं।




26 comments

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  1. Manish says:

    To kya hum physical ye o phle wala kya tha use kaise long ya short kr skte hai. 😭

    • Kulsum Khan says:

      आपका सवाल समझ नहीं आया क्या आप विस्तार में बता सकते हैं ?

  2. Nikhil Singh says:

    Hi,
    Mera question hai ki …

    Aaj sbi ka SEP FUTURE 200 ke price par maine
    15sep ko 1 lot purchase kiya aur 21 ko bech diya jo v profit ya loss hua aur expiry 26 ko hai…. Toh mera setelment kaise cash me ya physical me?

    2nd question hai ki …
    Maine sep ka near future na lekar far contract nov ka liya… To mai use 3 month tak rakh sakta hu n… Baina kisi penalty ke…. Aur agar mujh 1 month ya 2month me mujhe acha profit ya jyada loss ho rha ho toh kv v sell ya square off kar sakta hu n? Ya mujhe usi month me bechna hoga.

    • Kulsum Khan says:

      1. इंडिया में सिर्फ फिजिकल सेटलमेंट होता है।
      2. आपको एक्सपायरी से पहले बेचना होगा।

  3. Rohit says:

    I think @13.4
    हो जाता है या नहीं :: should be हो जाता है यानि की

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद, हम इसको सही करदेंगे।

  4. Sameer says:

    Hi Ms. Khan,
    My question is I am long in 1 lot of Asian Paints Feb 2540 PE. I have 300 shares of Asian Paint at Rs 2403 per share. If the expiry is in the money then the 300 shares in my Dmat account will be delivered in settlement or do I have to maintain 100% spot value of shares on the date of expiry?

  5. Bhagvati Parmar says:

    I want sell my options Trade but not succeed what can I do

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