12.1- बाजार की एक अलग दुनिया
अगर आपने स्कूल या कॉलेज में कैलकुलस- कलन पढा है तो आज उसको दोहराने का दिन है। कैलकुलस में भी हम डिफरेंसिएशन– अवकलन और इंटीग्रेशन– समाकलन करना, पढ़ते थे। तब हम डेरीवेटिव–अवकलज भी पढ़ते थे और उसके जरिए डिफरेंसिएशन और इंटीग्रेशन के सवालों का जवाब निकालते थे। वो सब याद करिए।
मैं आपको कैलकुलस पढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। मैं यह बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं एक खास जगह पर पहुंचना चाहता हूं। इनमें से कुछ चीजें ऑप्शन से जुड़ी हुई है, जिनको समझने के लिए आपको वह पुरानी बातें याद करने से फायदा होगा।
आइए देखते हैं-
एक कार 0 किलोमीटर से चलना शुरू करती है और 10 मिनट तक चलने के बाद 3 किलोमीटर तक पहुंच जाती है। 3 किलोमीटर से कार फिर से चलना शुरु करती है और 5 मिनट तक चलने के बाद 7 किलोमीटर तक पहुंच जाती है।
जरा ध्यान दीजिए कि तीसरे और सातवें किलोमीटर के बीच में क्या होता है?
- मान लीजिए कि दूरी = x , दूरी में बदलाव है dx
- दूरी में बदलाव dx = 7-3=4
- समय = t , समय में बदलाव dt है
- समय में बदलाव dt = 15-10 = 5
अब अगर dx को dt से विभाजित करें ( दूरी में बदलाव को दूरी में समय से विभाजित करें) तो हमें वेग/रफ्तार या वेलोसिटी (V / velocity) मिलेगी
V = dx / dt
= 4/5
इसका मतलब हुआ कि कार हर 5 मिनट में 4 किलोमीटर चल रही है यहां पर वेग को किलोमीटर प्रति मिनट में बताया गया है। आमतौर पर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हम इस तरीके से गति नहीं बताते, हम गति या वेग को किलोमीटर प्रति घंटे की से बताते हैं।
हम इस 4/5 को भी किलोमीटर प्रति घंटे में बदल सकते हैं
जब 5 मिनट को घंटे में बदलना हो तो इसे 5/60 लिख सकते हैं तो अब समीकरण होगा –
= 4/(5/60)
= (4*60) /5
= 48 KmPH
इसका मतलब है कि कार 48 किलोमीटर प्रति घंटे के वेग से चल रही है।
याद रखिए कि वेग निकालने के लिए तय की गई दूरी में बदलाव को समय में हुए बदलाव से विभाजित करना पड़ता है। कैलकुलस में वेग को चली गई दूरी का फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव कहते हैं ।
अब इस उदाहरण को थोड़ा आगे बढ़ाते हैं, अपनी यात्रा के पहले चरण में कार ने 15 मिनट में 7 किलोमीटर की दूरी तय की। अब मान लीजिए कि यात्रा के दूसरे चरण में कार 7वें किलोमीटर से चलना शुरू करती है और 5 मिनट चलने के बाद 15वें किलोमीटर तक पहुंच जाती है।
हमें पता है कि पहले चरण में कार की रफ्तार 48 किलोमीटर प्रति घंटे थी और हम दूसरे चरण में कार की रफ्तार को बहुत आसानी से निकाल सकते हैं कि यह 96 किलोमीटर प्रति घंटे थी (dx =8 और dt = 5)।
इससे साफ है कि कार अपनी यात्रा के दूसरे चरण में दोगुनी रफ्तार से चली।
अब मान लीजिए की वेग में बदलाव का dv है, हमें पता है कि वेग में बदलाव को एक्सीलरेशन कहते हैं। या फिर वेग वृद्धि कहते हैं।
यहां पर वेग में बदलाव है
= 96 किलोमीटर प्रति घंटा – 48 किलोमीटर प्रति घंटा
= 48 किलोमीटर प्रति घंटा/ ???
तो वेग में बदलाव 48 किलोमीटर प्रति घंटा है लेकिन यह बदलाव कितने समय में हुआ?
जरा समझते हैं –
घबराइए नहीं मैं गामा के मुख्य विषय से दूर नहीं जा रहा हूं इस उदाहरण के जरिए आप गामा तो सीखेंगे ही साथ ही आपके हाईस्कूल के गणित और फिजिक्स का भी को भी दोहरा लेंगे।
जब आप एक नई कार खरीदने जाते हैं तो कार बेचने वाला सेल्समैन जो चीजें सबसे पहले बताता है उनमें से एक होती है कि यह कार 0 से 60 किलोमीटर की रफ्तार 5 सेकेंड में पकड़ सकती है। तो दूसरे शब्दों में वह आपसे यह बता रहा है कि 0 किलोमीटर (स्थिर स्थिति) से 60 किलोमीटर तक पहुंचने में कार को सिर्फ 5 सेकंड का समय लगता है। यहां पर वेग में बदलाव 60 किलोमीटर प्रति घंटा (60 -0) को 5 सेकंड के समय सीमा के आधार पर बताया गया है।
तो इसी तरीके से जब हम कहते हैं कि यहां पर गति में बदलाव 48 किलोमीटर प्रति घंटा है तो यह जानना जरूरी है कि यह बदलाव कितने समय में हुआ क्योंकि जब तक हम यह नहीं जानेंगे तब तक हम यह नहीं जान सकते कि वेग वृद्धि यानी एक्सीलरेशन क्या है।
इसको जानने के लिए हमें कुछ कल्पनाएं करनी होगीं –
- एक्सीलरेशन स्थिर रहता है यह बदलता नहीं है।
- हम कुछ देर के लिए 7वें किलोमीटर को भुला कर केवल यह मान सकते हैं कि कार 10वें मिनट पर 3 किलोमीटर की स्थिति पर थी और 15वें किलोमीटर की स्थिति पर 20वें मिनट पर पहुंच गई।
इस जानकारी के आधार पर हम कुछ परिणाम निकाल सकते हैं (कैलकुलस में इन चीजों को इनिशियल कंडीशन यानी प्राथमिक धारणाएं कहा जाता है)
- 10वें मिनट पर (3 किलोमीटर वाली स्थिति पर) कार का वेग = 0 किलोमीटर प्रति घंटे सेकंड इसे कार की प्रारंभिक या शुरुआती वेग कहते हैँ
- तीसरे किलोमीटर तक लग चुका समय = 10 मिनट
- 3 सरे किलोमीटर से लेकर 15 वें किलोमीटर तक के बीच में एक्सीलरेशन एक समान यानी स्थिर रहा
- 15 वें किलोमीटर तक लग चुका समय = 20 मिनट
- 20 वें मिनट या 15 वें किलोमीटर 15 किलोमीटर पर कार के वेग को फाइनल वेलोसिटी या अंतिम वेग कहते हैं
- हमें यह पता है कि प्रारंभिक वेग 0 किलोमीटर प्रति घंटा था लेकिन अंतिम वेग क्या है, यह हम को नहीं पता
- तय की गई कुल दूरी = 15 – 3 = 12 kms
- कार के चलने का कुल समय = 20 -10 = 10 mins
- औसत वेग = 12/10 = 1.2 km प्रति मिनट । इसे प्रति घंटे में देखें तो 72 किलोमीटर प्रति घंटा
तो अब हम जानते हैं कि-
- प्रारंभिक वेग = 0 किलोमीटर प्रति घंटा
- औसत वेग = 72 किलोमीटर प्रति घंटा
- अंतिम वेग = ??
अगर हमें पता औसत और प्रारंभिक वेग पता है तो हम अंतिम वेग निकाल सकते हैं। ये 144 होगा ( 0 और 144 का औसत 72 होता है)
इसके अलावा हमें यह भी पता है कि एक्सीलरेशन = अंतिम वेग / समय (जब एक्सीलरेशन एक समान या स्थिर हो)
इसलिए एक्सीलरेशन होगा
= 144 / 10 minutes
अगर हम 10 मिनट को घंटे में बदले तो (10/60) घंटे
अब इसे ऊपर के समीकरण में डालने पर
= 144 / (10/60) घंटे
= 864 किलोमीटर प्रति घंटा
इसका मतलब है कि कार का वेग हर घंटे 864 किलोमीटर की दर से बढ़ रहा है। कार को बेचने वाला सेल्समैन आपसे कह सकता है कि यह कार 0 से 72 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार 5 सेकंड में पा सकती है।
तो हमने एक मुश्किल सवाल का हल निकालने के लिए सिर्फ एक कल्पना की कि एक्सीलरेशन स्थिर है। लेकिन वास्तविकता में एक्सीलरेशन स्थिर नहीं होता। अलग-अलग रफ्तार पर आपका एक्सीलरेशन अलग-अलग होता है। तो इस तरह के सवालों जहां एक परिवर्तनशील वस्तु में हो रहे बदलाव की वजह से दूसरी परिवर्तनशील वस्तु के बदलाव को निकालना हो उनमें हमें डेरिवेटिव कैलकुलस का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। आप यह भी कह सकते हैं कि यहां पर आपको डिफरेंशियल इक्वेशन का इस्तेमाल करना पड़ सकता है।
आप जरा कुछ समय के लिए यह सोचिए कि
तय की गई दूरी में बदलाव = वेग, इसे दूरी में दो अलग-अलग जगहों या स्थितियों का फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव भी कहते हैं।
वेग में बदलाव = एक्सीलरेशन
एक्सीलरेशन = वेग में एक दिए गए समय में हुआ बदलाव, जो कि किसी दिए गए समय में एक जगह(स्थिति) से दूसरी जगह (स्थिति) में हुआ बदलाव भी है
इसीलिए एक्सीलरेशन को स्थिति में हुए बदलाव का सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव या वेलोसिटी यानी वेग का फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव कहा जा सकता है
फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव आफ सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव के इस सिद्धांत को अपने दिमाग में रखिए हां अब हम आगे गामा को समझने की कोशिश करते हैं।
12.2 – समानताएं क्या हैं
पिछले कुछ अध्यायों में हमने यह समझा के ऑप्शन का डेल्टा कैसे काम करता है। जैसा कि हमें पता है कि डेल्टा यह बताता है कि अंडरलाइंग की कीमत में होने वाले बदलाव से प्रीमियम पर क्या असर पड़ेगा
उदाहरण के लिए अगर निफ्टी स्पॉट 8000 है, तब हमें पता है कि 8200 CE ऑप्शन OTM है। इसलिए इसका डेल्टा 0 से 0.5 के बीच में होगा। अभी इसे 0.2 मान लेते हैं।
मान लीजिए कि निफ्टी स्पॉट एक ही दिन में 300 पॉइंट उछलता है इसका मतलब है कि 8200 CE अब OTM ऑप्शन नहीं है बल्कि एक स्लाइटली ITM ऑप्शन हो गया है। अब इस वजह से 8200 CE का डेल्टा 0.2 नहीं रहेगा यह अब 0.5 से 1 के बीच में हो जाएगा। इसे 0.8 मान लेते हैं।
अंडरलाइंग में हुए इस बदलाव से एक बात साफ है कि – डेल्टा खुद भी बदलता है। इसका मतलब है कि डेल्टा स्थिर नहीं रहता इसका मूल्य अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव और प्रीमियम में होने वाले बदलाव के साथ बदलता है। अगर आप ध्यान से सोचें तो आपको दिखेगा कि डेल्टा काफी हद तक वेग की तरह है जो कि समय में होने वाले बदलाव और दूरी के साथ बदलता रहता है।
किसी ऑप्शन गामा डेल्टा में होने वाले उस बदलाव को नापता है जोकि अंडरलाइंग में बदलाव के साथ होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो, गामा हमें इस सवाल का जवाब देता है कि -अंडरलाइंग में होने वाले किसी बदलाव के साथ ऑप्शन के डेल्टा में कितना बदलाव होगा?
आइए अब वेलोसिटी और एक्सीलरेशन के उदाहरण को फिर से देखते हैं उसमें से डेल्टा और गामा के साथ होने वाली समानता पर नजर डालते हैं।
फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव
- तय की गई दूरी में बदलाव (स्थिति में बदलाव) जोकि समय में हुए बदलाव के साथ हुई है वह वेग या वेलोसिटी को दिखाती है इसीलिए वेलोसिटी को स्थिति का फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव कहते हैं
- अंडरलाइंग की कीमत में होने वाले बदलाव के साथ प्रीमियम में होने वाले बदलाव को डेल्टा दिखाता है। इसीलिए डेल्टा को प्रीमियम का फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव कहते हैं
सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव
- समय में होने वाले बदलाव के साथ वेलोसिटी या वेग में जो बदलाव होता है उसको एक्सीलरेशन दिखाता है इसीलिए एक्सीलरेशन को स्थिति का सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव कहते हैं।
- अंडर लाइन में होने वाले बदलाव के साथ डेल्टा में होने वाले बदलाव को गामा दिखाता है इसीलिए गामा को प्रीमियम का सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव कहते हैं
जैसा कि आप तक आपको समझ में आ गया होगा कि डेल्टा और गामा और इसके अलावा बाकी भी सभी ऑप्शन ग्रीक्स को निकालने के लिए काफी बड़ी बड़ी गणनाओं का इस्तेमाल होता है और इसमें कैलकुलस का काफी इस्तेमाल होता है।(खासकर डिफरेंशियल इक्वेशन और स्टेाकास्टिक कैलकुलस– stochastic calculus का)
यहां एक जानकारी देता हूं – जैसा कि आप जानते हैं डेरिवेटिव को डेरिवेटिव इसलिए कहा जाता है क्योंकि डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की कीमत इसके अंडरलाइंग से डिराइव-derive होती है।
डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की कीमत जो कि उसके अंडरलाइंग से निकलती है उस को नापने के लिए गणित के डेरिवेटिव एप्लीकेशन का इस्तेमाल होता है। इसीलिए फ्यूचर और ऑप्शन को डेरिवेटिव कहा जाता है।
आप शायद यह भी जानना चाहेंगे कि एक खास तरीके के ट्रेडर ऐसे भी होते हैं जो डेरिवेटिव कैलकुलस का इस्तेमाल करके हर दिन अपने लिए ट्रेडिंग के मौके तलाशते हैं। ट्रेडिंग की दुनिया में ऐसे ट्रेडर को क्वान्टस कहा जाता है। बाजार की इस अलग दुनिया में क्वान्टिटेटिव ट्रेडिंग होती है।
मेरा अनुभव कहता है कि गामा जैसे सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव को समझना आसान नहीं है। लेकिन हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे कि यह आपके लिए आसान बन सके और हम आने वाली अध्यायों में इसे आपको समझा सकें
इस अध्याय की मुख्य बातें
- फाइनेंशियल डेरिवेटिव को फाइनेंशियल डेरिवेटिव इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह कैलकुलस और डिफरेंशियल इक्वेशन (सामान्य तौर पर इन्हें डेरिवेटिव कहते हैं) पर आधारित होते हैं।
- किसी भी ऑप्शन का डेल्टा बदलता रहता है और यह अंडरलाइंग और प्रीमियम में होने वाले हर बदलाव के साथ ऊपर नीचे होता है।
- डेल्टा के बदलाव के दर को नापने के लिए गामा का इस्तेमाल किया जाता है यह हमें इस बात का जवाब देता है कि अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव से डेल्टा पर क्या असर पड़ेगा।
- डेल्टा को प्रीमियम का फर्स्ट ऑर्डर डेरिवेटिव भी कहते हैं।
- गामा को प्रीमियम का सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव कहते हैं।
माननीय महोदय, डेल्टा को वेग और गामा को त्वरण से जिस प्रकार लिंक करने आपने बताया है, वो वास्तव में सरायहनीय है। बिना इन उदाहरण के तो मैं कभी समझ ही नहीं पाता, पूरी टीम का बहुत 2 धन्यवाद।
आपका अभिनन्दन है। 🙂
एक कार 0 किलोमीटर से चलना शुरू करती है और 10 मिनट तक चलने के बाद 3 किलोमीटर तक पहुंच जाती है। 3 किलोमीटर से कार फिर से चलना शुरु करती है और 5 मिनट तक चलने के बाद 7 किलोमीटर तक पहुंच जाती है।
चित्र में 3 किलोमीटर के बाद 7 किलोमीटर देना चाहिये, 15 किलोमीटर क्यों दिया है ? और 10 मिनट के बाद 5 मिनट देना चाहिये, 20 मिनट क्यों दिया है?
धन्यवाद।
कृपया करके पूरा अध्याय पढ़ें, चित्र के नीचे दिए गए कैलकुलेशन पर ध्यान देने से आपको चित्र समझ आजायेगा।
तय की गई कुल दूरी = 15 – 3 = 12 kms
कार के चलने का कुल समय = 20 -10 = 10 mins
Yahan pr 20 ke jagah 30 hoga kya according to diagram??
Very good explanation
Assumed delta as velocity and gama as an acceleration.
Thanks remember that engineering
.
“मेरा अनुभव कहता है कि गामा जैसे सेकंड ऑर्डर डेरिवेटिव को समझना आसान नहीं है। लेकिन हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे कि यह आपके लिए आसान बन सके और हम आने वाली अध्यायों में इसे आपको समझा सकें”
इस लाइन को पढने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह एक कठिन विषय हैं, अन्यथा आपने जिस तरीके व सुगम्यता से इसे बताया है उससे तो यह आसान लगता हैं। आपके समझाने की कला सच में काबिल-ए-तारीफ हैं और यह बताती है कि आपके पास इस विषय का केवल ज्ञान ही नहीं है बल्कि आप के अन्दर किसी भी कठिन विषय को सरल तरीके से समझाने की विलक्षण प्रतिभा भी हैं।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
आपके कृपालु शब्दों’न के लिए धन्यवाद, ऐसे हे पढ़ते रहिये और हमें सपोर्ट करते रहिये।
Thanks Zerodha Varsity Team, app ke Varsity Notes ko bar bar padne se har bar kuch new new sikhne ko milta hai, main ye notes continue kafi bar pad chuka hoon, Thanks for valuable Knowledge
ऐसा लगता है कि इस अध्याय में बहुत सारी त्रुटि है कृपया जांचें
very nice.bhut ache se smjaya
Nice , purane dino ki yaad aagayi …. Physics and maths ,,,
Happy learning:)
Derivative calculous maths practice book aati hai kya. mam mujhe Calculous aata hai please book suggest kare.
Hello team, please make easy caluclation in difrenciation
60 km ki raftaar ki jagah 60 km per hour ki Raftaar honi chahiye
It’s nice to reading this article
Thanks, and hope you are enjoining learning on Varsity.