11.1 – डेल्टा को जोड़ना सीखीये

डेल्टा की एक खास विशेषता यह है कि उसे जोड़ा जा सकता है। 

इसको समझने के लिए एक बार फिर से फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट पर जाना पड़ेगा। हमें पता है कि अंडरलाइंग की स्पॉट में 1 प्वाइंट का बदलाव फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में भी 1 प्वाइंट  का बदलाव लाता है। उदाहरण के तौर पर अगर निफ्टी का स्पॉट 8340 से 8350 हो जाता है तो निफ्टी का फ्यूचर 8347 से 8357 होगा। (यह माना गया है कि निफ्टी का फ्यूचर 8347 पर ट्रेड कर रहा है जबकि स्पॉट 8340 पर है ) अब अगर हम फ्युचर्स को एक डेल्टा देना चाहें तो फ्यूचर का डेल्टा 1 होगा क्योंकि हमें पता है कि अंडरलाइंग के हर एक प्वाइंट  के बदलाव पर फ्यूचर में भी एक प्वाइंट का बदलाव होता है। 

अब मान लीजिए कि मैंने एक ATM ऑप्शन खरीदा जिसका डेल्टा 0.5 है इसका मतलब हमें पता है कि अगर अंडरलाइंग में 1 प्वाइंट  का बदलाव होगा तो ऑप्शन में 0.5 प्वाइंट का बदलाव होगा। इसका मतलब यह है कि एक ATM ऑप्शन को होल्ड करना आधे फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बराबर है। इसको देखते हुए, अगर मैं दो ऐसे ATM कॉन्ट्रैक्ट लूं तो वो एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बराबर होगा क्योंकि दो ATM ऑप्शन का डेल्टा 0.5 -0.5 है जो मिलकर 1 का डेल्टा बनाएगा। दूसरे शब्दों में कहें तो दोनों ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के डेल्टा को जोड़कर यह पता किया जा सकता है कि हमारी कुल पोजीशन का डेल्टा कितना है?

इसको समझने के लिए कुछ उदाहरणों पर नजर डालते हैं-

उदाहरण 1- निफ़्टी का स्पॉट एक 8125 पर है ट्रेडर के पास तीन अलग-अलग कॉल ऑप्शन हैं

क्रमांक कॉन्ट्रैक्ट वर्गीकरण लॉट्स डेल्टा पोजिशन डेल्टा
1 8000 CE ITM 1 -Buy 0.7 + 1 * 0.7 = + 0.7
2 8120 CE ATM 1 -Buy 0.5 + 1 * 0.5 = + 0.5
3 8300 CE Deep OTM 1- Buy 0.05 + 1 * 0.05 = + 0.05
Total Delta of positions = 0.7 + 0.5 + 0.05 = + 1.25

टिप्पणी- 

  1. पोजीशन के कॉलम में एक के आगे जो पॉजिटिव या प्लस का साइन लगाया गया है उसका मतलब यह है कि यह एक लॉन्ग पोजीशन है। 
  2. सभी पोजीशन को मिलाकर एक +1.25 का डेल्टा बनता है। इसका मतलब है कि अंडरलाइंग और आपकी पोजीशन दोनों एक ही दिशा में चलेंगे। 
  3. निफ्टी में 1 प्वाइंट के बदलाव पर पूरे पोजीशन में 1.25 प्वाइंट का बदलाव आएगा।
  4. अगर निफ्टी 50 प्वाइंट चलता है तो सभी पोजीशन मिलकर 50*1.25 +  62.5 प्वाइंट चलेंगे।

उदाहरण दो- निफ़्टी का स्पॉट 8125 पर है ट्रेडर के पास कॉल और पुट दोनों तरह के ऑप्शन हैं 

क्रमांक कॉन्ट्रैक्ट वर्गीकरण लॉट डेल्टा पोजिशन डेल्टा
1 8000 CE ITM 1- Buy 0.7 + 1*0.7 =0.7
2 8300 PE Deep ITM 1- Buy – 1.0 + 1*-1.0 = -1.0
3 8120 CE ATM 1- Buy 0.5 + 1*0.5 = 0.5
4 8300 CE Deep OTM 1- Buy 0.05 + 1*0.05 = 0.05
Total Delta of positions  0.7 – 1.0 + 0.5 + 0.05 = + 0.25

टिप्पणी- 

  1. सभी पोजीशन को मिलाकर एक पॉजिटिव डेल्टा है +0.25 इसका मतलब है कि अंडरलाइंग और सभी पोजीशन एक ही दिशा में चलेंगे।
  2. डीप ITM पुट ऑप्शन को जोडे जाने की वजह से डेल्टा कम हो गया है। इसका मतलब है कि कुल पोजीशन पर बाजार के बदलाव का असर कम पड़ेगा। 
  3. निफ्टी में 1 प्वाइंट के बदलाव पर कुल पोजीशन में 0.25 प्वाइंट का बदलाव होगा। 
  4. अगर निफ्टी 50 प्वाइंट बदलता है तो सारी पोजीशन मिलकर केवल 50*0.25 = 12.5 प्वाइंट बदलेंगी।
  5. यहां ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉल और पुट ऑप्शन का डेल्टा भी आपस में जोड़ा जा सकता है अगर दोनों एक ही अंडरलाइंग से जुड़े हैं।

उदाहरण 3 – निफ़्टी स्पॉट 8125 पर है, ट्रेडर के पास कॉल और पुट दोनों तरह के ऑप्शन हैं उसके पास पुट के दो लॉट हैं 

क्रमांक कॉन्ट्रैक्ट वर्गीकरण लॉट डेल्टा पोजिशन डेल्टा
1 8000 CE ITM 1- Buy 0.7 + 1 * 0.7 = + 0.7
2 8300 PE Deep ITM 2- Buy -1 + 2 * (-1.0) = -2.0
3 8120 CE ATM 1- Buy 0.5 + 1 * 0.5 = + 0.5
4 8300 CE Deep OTM 1- Buy 0.05 + 1 * 0.05 = + 0.05
Total Delta of positions 0.7 – 2 + 0.5 + 0.05 = – 0.75

टिप्पणी- 

  • यहां पर कुल मिलाकर पोजीशन का डेल्टा नेगेटिव है। इसका मतलब है कि अंडरलाइंग और पोजीशन अलग-अलग दिशा में चलेंगे। 
  • 2 डीप ITM पुट ऑप्शन के जुड़ने से ओवरऑल कुल पोजीशन का डेल्टा नेगेटिव हो गया है। इसका मतलब है कि बाजार में होने वाले बदलाव का असर पोजीशन पर काफी कम पड़ेगा। 
  • निफ्टी में 1 प्वाइंट के बदलाव के बाद पोजीशन में -0.75 का नेगेटिव बदलाव होगा। इसका मतलब यह है कि अगर निफ्टी 50 प्वाइंट  बदलता है तो पोजीशन में – 37.5 प्वाइंट का बदलाव आएगा [50*(-0.75)] 

उदाहरण 4- निफ़्टी स्पॉट 8125 पर है ट्रेडर के पास  एक ही स्ट्राइक वाले कॉल और पुट ऑप्शन हैं और अंडरलाइंग भी एक ही है 

क्रमांक कॉन्ट्रैक्ट वर्गीकरण लॉट डेल्टा पोजिशन डेल्टा
1 8100 CE ATM 1- Buy 0.5 + 1 * 0.5 = + 0.5
2 8100 PE ATM 1- Buy -0.5 + 1 * (-0.5) = -0.5
Total Delta of positions + 0.5 – 0.5 = 0

टिप्पणी- 

  1. 8100 CE (ATM) का डेल्टा है +0.5 
  2. 8100 PE (ATM) का नेगेटिव डेल्टा है -0.5 
  3. दोनों पोजीशन का डेल्टा मिलाकर 0 है। इसका मतलब है कि इस पोजीशन पर बाजार में होने वाले बदलाव का कोई असर नहीं पड़ेगा। 

1.उदाहरण के लिए निफ्टी 100 प्वाइंट बदलता है तो दोनों पोजीशन को मिलाकर 0 प्वाइंट का ही बदलाव होगा। (100*0=0) 

  1. इस तरह की पोजीशन जिसमें सब मिलाकर डेल्टा 0 हो उसे डेल्टा न्यूट्रल (Delta Neutral) पोजीशन कहते हैं 
  2. डेल्टा न्यूट्रल पोजीशन में बाजार के किसी भी दिशा के बदलाव का कोई असर नहीं पड़ता। यह एक तरीके से बाजार से अछूते रहते हैं। 
  3. लेकिन डेल्टा न्यूट्रल पोजीशन पर वोलेटिलटी और समय जैसी दूसरी चीजों का असर पड़ता है। इस पर हम बाद में चर्चा करेंगे।

उदाहरण 5 – निफ़्टी स्पॉट 8125 पर है और ट्रेडर ने एक कॉल ऑप्शन बेचा है 

क्रमांक कॉन्ट्रैक्ट वर्गीकरण लॉट डेल्टा पोजिशन डेल्टा
1 8100 CE ATM 1- Sell 0.5 – 1 * 0.5 =  – 0.5
2 8100 PE ATM 1- Buy -0.5 + 1 * (-0.5) = – 0.5
Total Delta of positions – 0.5 – 0.5 = – 1.0

टिप्पणी- 

  1. पोजीशन डेल्टा कॉलम में 1 के आगे नेगेटिव साइन(-) का मतलब है कि यह एक शार्ट पोजीशन है। 
  2. जैसा कि आप देख सकते हैं कि शॉर्ट कॉल ऑप्शन की वजह से डेल्टा नेगेटिव या माइनस में है। इसका मतलब है कि ऑप्शन की पोजीशन और अंडरलाइंग अलग-अलग दिशा में चलेंगे। इसका मतलब यह है कि स्पॉट में बढ़ोतरी का मतलब होगा कि कॉल ऑप्शन में घाटा होगा। 
  3. इसी तरीके से अगर आप एक पुट ऑप्शन को शॉर्ट करेंगे तो डेल्टा पॉजिटिव हो जाएगा । [-1*(-0.5) = +0.5]कु

अंत में अब एक ऐसे उदाहरण पर नजर डालते हैं जहां ट्रेडर के पास 5 लॉट लॉन्ग डीप ITM ऑप्शन है। हमें पता है कि ऐसी पोजीशन का कुल डेल्टा +5 *+1 = +5 होगा। इसका मतलब है कि अंडरलाइंग में 1 प्वाइंट का बदलाव पोजीशन में 5 प्वाइंट का बदलाव लाएगा और ये बदलाव उसी दिशा में होगा।

डीप ITM ऑप्शन के 5 पुट ऑप्शन को शॉर्ट करने से भी ऐसा ही होगा

-5* -1 = +5

यहाँ -5 का मतलब है 5 शॉर्ट पोजीशन और -1 डीप ITM पुट ऑप्शन का डेल्टा है। 

इन सारे उदाहरणों से आपको समझ में आ गया होगा कि डेल्टा को आपस में कैसे जोड़ा जा सकता है और कुल पोजीशन का डेल्टा कैसे निकाला जा सकता है। डेल्टा को इस तरह से जोड़ने से काफी मदद मिलती है जब आपके पास कई तरीके की पोजीशन है और आप यह जानना चाहते हों कि कुल मिलाकर आपके पोजीशन की दिशा  क्या है 

मैं आपको सुझाव दूंगा कि हमेशा अपनी सभी पोजीशन की अलग-अलग डेल्टा को एक साथ जोड़कर कुल डेल्टा निकालें जिससे आपको बाजार में अपनी पोजीशन की स्थिति का पता चल सके। 

यहां पर कुछ और बातें जो आपको याद रखनी चाहिए। वह हैं-  

ATM ऑप्शन का डेल्टा =  0.5 

आपके पास अगर दो ATM ऑप्शन है तो = पोजीशन का डेल्टा 1  होगा 

तो इस तरह से अंडरलाइंग में 1 प्वाइंट के बदलाव से और आपकी कुल पोजीशन में भी 1 प्वाइंट  का बदलाव होगा क्योंकि डेल्टा 1 है। इसका मतलब है कि ये ऑप्शन एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही चलेगा। लेकिन याद रखिए कि यह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। याद रखिए कि फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट केवल बाजार की दिशा से प्रभावित होता है लेकिन ऑप्शन कांटेक्ट और बहुत सारी चीजों से प्रभावित होते हैं। 

कई बार ऐसा समय आएगा जब आप ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को फ्यूचर की जगह लेना चाहेंगे खासकर मार्जिन के नजरिए से, जब भी आप ऐसा करें तो इसके असर को याद रखिएगा। हम आगे इस पर बात करेंगे।

11.2- संभावना निकालने के लिए डेल्टा का प्रयोग

हम डेल्टा पर अपनी चर्चा को खत्म करें, उसके पहले डेल्टा का एक और रोचक इस्तेमाल आपको बताता हूं। कोई भी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायर होने समय इन द मनी होगा या नहीं इसकी संभावना पता करने के लिए डेल्टा का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

जब कोई ट्रेडर एक ऑप्शन खरीदता है (कॉल हो या पुट), तो वह क्या चाहता है? जब आप निफ़्टी के 8000 PE  को खरीदते हैंजबकि स्पॉट 8100 पर है तो आप क्या उम्मीद कर रहे होते हैं?(ध्यान रखें कि 8000 PE यहाँ एक OTM ऑप्शन है ) साफ है कि हम उम्मीद करते हैं कि बाजार गिरेगा जिससे पुट ऑप्शन में हमारे पैसे बनें। 

वास्तव में हर ट्रेडर यही उम्मीद करता है कि स्पॉट में कीमत गिर जाए और उसकी स्ट्राइक कीमत के नीचे चली जाए, जिससे उसका OTM ऑप्शन एक ITM ऑप्शन बन जाए और इस तरह से उसका प्रीमियम ऊपर की ओर जाता जाए जिससे उसके पैसे बनें। 

ट्रेडर डेल्टा का इस्तेमाल इस बात को पता लगाने के लिए कर सकता है कि उसके ऑप्शन के OTM से ITM बनने की कितनी संभावना है? 

इस उदाहरण में 8000 PE एक स्लाइटली OTM ऑप्शन है, इसलिए यहां पर डेल्टा 0.5 के नीचे होना चाहिए मान लीजिए यह 0.3 है।

अब इस ऑप्शन के OTM से ITM में बदलने की संभावना को पता करने के लिए हमें डेल्टा को प्रतिशत में बदलना होगा। 

जब हम 0.3 डेल्टा को प्रतिशत में बदलते हैं तो यह 30% प्रतिशत हो जाता है। इसका मतलब है कि 8000 PE के ITM ऑप्शन बनने की सिर्फ 30% संभावना है 

अब एक स्थिति पर विचार कीजिए, हालांकि यह काल्पनिक स्थिति है लेकिन यह स्थिति बाजार में कई बार बनती है –

  1. 8400 CE ₹4 पर ट्रेड कर रहा है 
  2. स्पॉट 8275 पर ट्रेड कर रहा है 
  3. एक्सपायरी को सिर्फ 2 दिन बचे हैं, क्या आप इस ऑप्शन को खरीदेंगे? 

एक आम ट्रेडर सोचेगा कि यह एक बहुत ही कम खर्च वाला ट्रेड है क्योंकि इसमें प्रीमियम से ₹4 का है इसलिए इसमें ज्यादा कुछ गंवाने के लिए नहीं है। ऐसे में ट्रेडर को लगेगा कि यह ट्रेड उसके लिए कमाई कर सकता है और वह एक बड़ा मुनाफा कमा सकता है। 

लेकिन कुछ समय के लिए अपने मॉडल सोच को का इस्तेमाल करते हैं और देखते हैं कि यह सही है या गलत? –

  1. 8400 CE डीप OTM कॉल ऑप्शन है क्योंकि स्पॉट 8275 है 
  2. इस ऑप्शन का डेल्टा 0.1 के आसपास होगा 
  3. यह डेल्टा हमें बताता है कि इस ऑप्शन के ITM में एक्सपायर होने की संभावना सिर्फ 10% है। 
  4. हमें यह भी पता है कि अब एक्सपायरी के लिए सिर्फ 2 दिन बचे हैं ऐसे में यह साफ है कि इस ऑप्शन को खरीदना सही नहीं होगा

एक समझदार ट्रेडर इस ऑप्शन को कभी नहीं खरीदेगा। लेकिन क्या आपको ऐसा नहीं लगता इस ऑप्शन को बेचकर प्रीमियम को ले लेना एक अच्छा सौदा होगा? जरा सोचिए यहां इस ऑप्शन को ITM में एक्सपायर होने की सिर्फ 10% संभावना है यानी 90% संभावना इस बात की है कि ऑप्शन OTM की तरह एक्सपायर होगा। अगर इतनी ज्यादा संभावना बेचने वाले के पक्ष में है, तो किसी कोई भी ट्रेडर बेच कर कमाई कर सकता है। 

ऐसे ही, एक ITM ऑप्शन का डेल्टा क्या होगा? 1 के करीब ? इसका मतलब है कि ITM  ऑप्शन को एक ITM की तरह एक्सपायर होने की संभावना काफी ज्यादा है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक ITM ऑप्शन के OTM के तौर पर एक्सपायर होने की संभावना काफी कम है इसलिए किसी भी ITM ऑप्शन को शॉर्ट करने के समय बहुत ही सावधानी बरतना चाहिए। क्योंकि संभावनाएं आपकी विरुद्ध ही होगीं। 

याद रखिए कि अच्छा ट्रेडर वही है जो ऐसे ट्रेड करता है जिसके सफल होने की संभावना आप के पक्ष में हो और संभावनाएं किसके पक्ष में है, यह जानने के लिए आपको मॉडल सोच को काम में लाना होगा। 

इसके साथ अब मुझे लगता है कि आपको पहले ऑप्शन यानी डेल्टा के बारे में काफी कुछ समझ में आ गया होगा। अब हम आगे गामा को जानेंगे।

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. डेल्टा को आपस में जोड़ा जा सकता है।
  2. एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का डेल्टा हमेशा 1 होता है।
  3. दो ATM ऑप्शन को एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बराबर माना जा सकता है।
  4. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की जगह नहीं ले सकता।
  5. एक ऑप्शन का डेल्टा इस संभावना को भी बताता है कि वह ITM की तरह एक्सपायर होगा या नहीं।



31 comments

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  1. VINOD RAWAT says:

    ऑक्शन कॉन्ट्रैक्ट फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की जगह नहीं ले सकता।
    सर यहाँ ऑप्शन होंना चाहिए।

  2. उमेंद्र सिंह says:

    धन्यवाद सर

  3. AKSHAY JAIN says:

    I THINK YHA PAR STRIKE PRICE KI JAGAH SILAITLI LIKHA HAI JISSE PADNE ME PROBLEMS CREATE HO RAHI HAI KRIPYA ISKO SAHI KARDE

  4. Dhananjay Deshmukh says:

    lekin intraday main LTP badta hain

    to muje joprofit hoga wo with primium hoga ya without

  5. Tansheer Aalam says:

    Example 1. mai ATM, ITM,OTM galat likhe hai shayad. 8120 se upar to ITM hoga?

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