2.1 ज़रूरी शब्दावली का अर्थ
पिछले अध्याय में हमने कॉल ऑप्शन के कुछ ज़रूरी सिद्धांतों को समझा था, जैसे-
- जब आप अंडरलाइंग की कीमत में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हों तो कॉल ऑप्शन को खरीदना एक बेहतर विकल्प होता है।
- यदि अंडरलाइंग की कीमत स्थिर रहती है, या नीचे जाती है तो कॉल ऑप्शन के खरीदार को नुकसान उठाना पड़ता है।
- कॉल ऑप्शन के खरीदार को उतनी ही रकम का नुकसान होता है जितना प्रीमियम (एग्रीमेंट फीस) वो कॉल ऑप्शन के राइटर/बेचने वाले को देता है।
अगले अध्याय यानी कॉल ऑप्शन भाग 2 में हम कॉल ऑप्शन को ज्यादा विस्तार से समझेंगे। लेकिन ऐसा करने के पहले ये ज़रूरी है कि हम इससे जुड़ी शब्दावली को समझ लें। ऐसा करने से हमें आगे के अध्यायों को समझने में आसानी होगी। जिन शब्दों का अर्थ हम समझने की कोशिश करेंगे वो हैं-
- स्ट्राइक प्राइस/कीमत
- अंडरलाइंग कीमत
- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करना
- ऑप्शन एक्सपायरी
- ऑप्शन प्रीमियम
- ऑप्शन सेटलमेंट
याद रखिये कि अभी हम इन शब्दों का अर्थ सिर्फ कॉल ऑप्शन के संदर्भ में ही समझ रहे हैं।
स्ट्राइक प्राइस/कीमत
स्ट्राइक प्राइस को आप वो आधार मान सकते हैं जिस कीमत पर खरीदार और बिकवाल दोनों में ऑप्शन एग्रीमेंट करने का फैसला किया है। उदाहरण के तौर पर पिछले अध्याय के “अजय-वेणु” उदाहरण में एंकर प्राइस 5 लाख रूपये थी जोकि उस सौदे की स्ट्राइक प्राइस भी थी। हमने एक शेयर का उदाहरण भी लिया था, जहाँ पर एंकर कीमत 75 रूपये थी जोकि स्ट्राइक कीमत भी थी। सभी कॉल ऑप्शन में स्ट्राइक कीमत वो कीमत होती है जिस पर एक्सपायरी के दिन उस शेयर को खरीदा जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई ITC लिमिटेड के 350 रूपये के कॉल ऑप्शन को खरीदना चाहता है (यहाँ 350 स्ट्राइक कीमत है) तो यह बताता है कि खरीदार एक्सपायरी के दिन ITC को 350 पर खरीदने के लिए आज ही प्रीमियम देने को तैयार है। ध्यान रखें कि वो ITC को 350 पर तभी खरीदेगा, जब ITC 350 के ऊपर बिक रहा होगा।
मैंने NSE की वेबसाइट से ITC की अलग-अलग स्ट्राइक कीमतों और उनसे जुड़े प्रीमियम का स्क्रीनशॉट लिया है जिसे आप नीचे देख सकते हैं।
ऊपर की सारणी/टेबल में जो कुछ आप देख रहे हैं उसे ऑप्शन चेन कहते हैं। ऑप्शन चेन में अलग-अलग स्ट्राइक कीमतों पर किसी कॉन्ट्रैक्ट के प्रीमियम को दिखाया जाता है। इसके अलावाऑप्शन चेन में ट्रेडिंग के लिए और कई सूचनाएँ भी होती हैं, जैसे ओपन इंट्रेस्ट, वॉल्यूम, बिड/आस्क मात्राएँ आदि। मेरी सलाह है कि अभी के लिए आप इन सूचनाओं पर ध्यान न दें और सारणी में हाईलाइट किये गए हिस्से पर ही फोकस करें –
- लाल रंग से हाईलाइट किये गए हिस्से में अंडरलाइंग की स्पॉट कीमत को दिखाया गया है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस चित्र को लेते समय ITC 336.9 रूपये प्रति शेयर पर बिक रहा था।
- नीले रंग से हाईलाइट किये गए हिस्से में सभी उपलब्ध स्ट्राइक कीमतों को दिखाया गया है। जैसा कि हम देख सकते हैं कि 260 रूपये से लेकर 480 रूपये तक की स्ट्राइक कीमतें हर 10 रूपये के अंतर पर दिख रही हैं।
- याद रखिए कि किसी भी स्ट्राइक कीमत का संबंध किसी दूसरी स्ट्राइक कीमत से नहीं है। आप किसी भी कीमत पर ऑप्शन एग्रीमेंट कर सकते हैं, बस आपको उससे जुड़ा प्रीमियम देना होगा।
- उदाहरण के तौर पर आप 340 के कॉल ऑप्शन को 4 रूपये 75 पैसे का प्रीमियम देकर ले सकते हैं। इसे ऊपर लाल रंग से दिखाया गया है।
- ये खरीदार को एक्सपायरी के अंत तक ITC का शेयर 340 रूपये पर खरीदने का विकल्प देगा।
अंडरलाइंग कीमत/प्राइस
जैसा कि हम जानते है कि किसी भी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की कीमत उसके अंडरलाइंग एसेट की कीमत से तय होती है। अंडरलाइंग कीमत वो कीमत है जिस कीमत पर अंडरलाइंग एसेट स्पॉट बाज़ार में बिक रहा होता है। उदाहरण के तौर पर ITC वाले उदाहरण में स्पॉट बाज़ार में ITC 336.90 रुपये पर बिक रहा है। यही अंडरलाइंग कीमत है। किसी भी कॉल ऑप्शन में खरीदार के पैसे तभी बनते हैं जब अंडरलाइंग कीमत बढ़ती है।
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करना
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करने का मतलब ये होता है कि आपके पास एक्सपायरी के अंत में ऑप्शन खरीदने का जो अधिकार है, आप उसका उपयोग करते हैं। जब भी आप ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करने के बारे में सुनते हैं तो उसका मतलब यही होता है कि खरीदार ने पहले से तय स्ट्राइक कीमत पर खरीदने का ऑप्शन ले लिया है। अब तक आपको ये साफ हो चुका होगा कि वो ऐसा तभी करेगा जब वो शेयर स्ट्राइक कीमत से ऊपर बिक रहा हो। यहाँ पर एक बहुत ज़रूरी बात जो आपको याद रखनी चाहिए, वो है – आप एक्सपायरी के दिन ही अपने ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज कर सकते हैं, एक्सपायरी के पहले नहीं।
मान लिजिए एक्सपायरी से 15 दिन पहले किसी ने ITC का कॉल ऑप्शन 340 पर लिया जबकि स्पॉट बाज़ार में ITC 330 पर था। अब अगर ITC की कीमत अगले दिन 360 रुपये पर पहुँच जाती है, तो ऑप्शन का खरीदार सेटलमेंट यानी अपने कॉल ऑप्शन को एक्सरसाइज नहीं कर सकता। सेटलमेंट सिर्फ एक्सापयरी के दिन ही होगा और वो भी उस कीमत पर जिस पर वो एसेट एक्सपायरी के दिन स्पॉट बाज़ार में बिक रहा है।
ऑप्शन एक्सपायरी
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में भी एक्सपायरी होती है। वास्तव में फ्यूचर और ऑप्शन दोनों के कॉन्ट्रैक्ट महीने के आखिरी गुरूवार को एक्सपायर होते हैं। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में भी करेंट मंथ, मिड मंथ और फार मंथ के कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। नीचे के चित्र को देखिए-
इस चित्र में अशोक लेलैंड लिमिटेड को 70 रुपये के स्ट्राइक प्राइस पर 3.10 रुपये पर बिकता दिखाया गया है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि यहाँ पर एक्सपायरी के 3 विकल्प दिखाए गए हैं- 26 मार्च 2015 (करेंट मंथ), 30 अप्रैल 2015 (मिड मंथ), और 28 मई 2015 (फार मंथ)। जब एक्सपायरी बंदलती है तो ऑप्शन का प्रीमियम भी बदलता है। इसके बारे में हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे लेकिन अभी आपको 2 बातें याद रखनी चाहिए – फ्यूचर की तरह ही यहाँ एक्सपायरी के 3 विकल्प होते हैं, और हर एक्सपायरी में अलग-अलग प्रीमियम होता है।
ऑप्शन प्रीमियम
प्रीमियम वो रकम है जो कि ऑप्शन का खरीदार ऑप्शन के बिकवाल/राइटर को अदा करता है। प्रीमियम की अदायगी के बदले में ऑप्शन के खरीदार को यह अधिकार मिलता है कि वो एक्सपायरी के दिन अपने ऑप्शन को एक्सरसाइज कर सके और एसेट को पहले से निश्चित स्ट्राइक प्राइस पर खरीद सके।
अगर आपको अब तक सब कुछ समझ में आ रहा है तो आप के सीखने की गति अच्छी है, और अब हम प्रीमियम से जुड़ा नया नज़रिया समझ सकते हैं। साथ ही आपके लिए ये जानना महत्वपूर्ण है कि पूरी की पूरी ऑप्शन थ्योरी सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम पर टिकी हुई है। ऑप्शन की ट्रेडिंग में ऑप्शन प्रीमियम एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जैसे-जैसे हम इस मॉड्यूल में आगे बढ़ेंगे, वैसे-वैसे हम ऑप्शन प्रीमियम के बारे में ज्यादा से ज्यादा बात करेंगे।
एक बार फिर से अजय और वेणु वाले उदाहरण पर नज़र डालते हैं। याद कीजिए की वेणु ने किन हालात में अजय से एक लाख रूपये का प्रीमियम लिया था-
- न्यूज़ फ्लो/खबरें – हाईवे प्रोजेक्ट आने की खबर सिर्फ एक अनुमान था और किसी को भी पक्का पता नहीं था कि प्रोजेक्ट आएगा।
- हमने 3 संभावित विकल्पों पर चर्चाकी थी जिसमें से 2 वेणु के लिए फायदे वाले थे। तो आंकड़ों के हिसाब से भी वेणु को फायदा होने की संभावना ज्यादा थी और इस खबर के पक्का ना होने की वजह से उसको फायदा होने के ज्यादा उम्मीद थी।
- टाइम/समय- प्रोजेक्ट आएगा या नहीं ये साफ होने में 6 महीने का समय था।
- समय वास्तव में अजय के लिए फायदेमंद है। जितना ज्यादा समय है उतना ही चीजें अजय के पक्ष में होने की उम्मीद बढ़ जाएगी। उदाहरण के तौर पर अगर आपको 10 किलोमीटर दौड़ना है तो आप 20 मिनट में आसानी से दौड़ पूरी कर पाएँगे या 70 मिनट में? साफ है ज्यादा समय चीजें अपने पक्ष में करने का मौका देता है।
अब इन दोनों मुद्दों को अलग-अलग देखते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि इनका ऑप्शन के प्रीमियम पर क्या असर पड़ेगा।
खबर- जब अजय और वेणु के बीच में सौदा हुआ था तो खबर पक्की नहीं थी। इसलिए वेणु ने बड़ी आसानी से 100,000 रूपये का प्रीमियम स्वीकार कर लिया। लेकिन मान लीजिए कि किसी स्थानीय नेता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया होता कि इस इलाके में एक हाईवे पर विचार किया जा रहा है तो ये खबर सिर्फ अफवाह नहीं रह जाती बल्कि हाईवे के बनने की संभावना बढ़ जाती।
इस परिदृश्य में क्या वेणु 100,000 का प्रीमियम स्वीकार करता? शायद नहीं, क्योंकि उसे पता होता कि हाईवे बनने की संभावना बहुत ज्यादा है और इसकी वजह से ज़मीन की कीमतें बढ़ेंगी। ये हो सकता था कि वो फिर भी ये सौदा कर लेता अगर उसे 100,000 के बजाय 175,000 का प्रीमियम मिलता क्योंकि वो इस स्थिति में ज्यादा रिस्क ले रहा था इसलिए वो ज्यादा प्रीमियम की उम्मीद कर सकता था।
अब इसी को शेयर बाज़ार के नज़रिये से देखते हैं। मान लीजिए इंफोसिस 2200 पर चल रहा है। 2300 रुपये का कॉल ऑप्शन जिसकी एक्सपायरी 1 महीने के बाद है 20 रुपये पर बिक रहा है। अब अपने आप को वेणु (ऑप्शन राइटर) की जगह पर रखिए और सोचिए कि क्या आप 20 रूपये प्रति शेयर का प्रीमियम स्वीकार करेंगे।
अगर आप ये ऑप्शन एग्रीमेंट करते हैं तो आप खरीदार को एक महीने बाद 2300 रुपये पर इंफोसिस खरीदने का अधिकार दे रहे हैं।
मान लीजिए कि अगले एक महीने में ऐसी कोई घटना नहीं दिख रही कि इंफोसिस की कीमत ऊपर चली जाए। ऐसे में शायद आप 20 रूपये का प्रीमियम स्वीकार भी कर लें।
लेकिन अगर तिमाही नतीजों जैसी कोई घटना आ जाए जिसकी वजह से शेयर की कीमत ऊपर चली जाए तो क्या ऑप्शन बेचने वाला फिर भी 20 रूपये का प्रीमियम ले लेगा? साफ है कि 20 रूपये के लिए वो इतना रिस्क नहीं लेगा।
लेकिन तिमाही नतीजों की तारीख पता होने के बावजूद अगर कोई 20 की जगह 75 रुपये का प्रीमियम दे तो? मुझे लगता है कि 75 रुपये पर इतना रिस्क तो लिया जा सकता है।
अब दूसरे मुद्दे पर आते हैं – समय
जब 6 महीने का समय था तो अजय को अच्छे से पता था कि हाईवे प्रोजेक्ट के बारे में पक्की बात सामने आने के लिए पर्याप्त समय है। लेकिनअगर 6 महीने के बदले 10 दिन का समय होता तो? क्योंकि समय कम हो गया है और इतना समय किसी घटना की तह खोलने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे हालात में (जब वक्त अजय के पक्ष में नहीं है), क्या अजय वेणु को 100,000 रुपये का प्रीमियम देता? मुझे ऐसा नहीं लगता है क्योंकि अजय के पास इस तरह का प्रीमियम देने की कोई वजह नहीं होती। शायद अजय तब कम प्रीमियम देता, जैसे 20,000 रुपये।
खैर, जो बात मैं यहाँ खबर और समय को ध्यान में रख कर कहना चाह रहा हूं वो ये है कि – प्रीमियम का कोई तय रेट नहीं होता। ये अलग-अलग वजहों पर निर्भर करता है। कुछ वजहों से प्रीमियम बढ़ जाता है, कुछ वजहें प्रीमियम को गिरा सकती हैं। शेयर बाज़ार ये सारी वजहें एक साथ, एक ही समय पर काम कर रही होती हैं जिससे प्रीमियम पर असर पड़ता है। दरअसल 5 वजहें प्रीमियम पर असर डालती हैं। इन्हें ‘ऑप्शन ग्रीक्स- Option Greeks’ कहते हैं। इनके बारे में हम इसी मॉड्यूल में आगे समझेंगे।
अभी के लिए मैं चाहता हूं कि आप ऑप्शन प्रीमियम से जुड़ी इन बातों को याद रखें-
- ऑप्शन थ्योरी पूरे तरीके से प्रीमियम पर टिकी हुई है।
- प्रीमियम कभी भी निश्चित नहीं होता। ये कई वजहों पर निर्भर रहता है।
- शेयर बाज़ार में प्रीमियम हर मिनट बदलता रहता है।
अगर आपने इन बातों को समझ लिया है तो यकीन मानें आप सही दिशा में हैं।
ऑप्शंस सेटलमेंट
इस कॉल ऑप्शन एग्रीमेंट पर ध्यान दें
यहाँ हरे रंग से हाईलाइट किया गया है , यहाँ जेपी एसोसिएट्स के कॉल ऑप्शन को 25 रूपये में खरीदने । इसकी एक्सपायरी 26 मार्च 2015 की है। प्रीमियम 1.35 रूपया है (लाल रंग में), और मार्केट लॉट 8000 शेयर का है। As highlighted in green, this is a Call Option to buy JP Associates at Rs.25/-.
मान लें कि दो ट्रेडर हैं – ट्रेडर A और ट्रेडर B। ट्रेडर A इस एग्रीमेंट को खरीदना चाहता है (ऑप्शन खरीदार) और ट्रेडर B इसे बेचना चाहता है। मान लेते हैं कि एग्रीमेंट 8000 शेयर का है, तो कैश फ्लो कुछ ऐसा होगा –
क्योंकि प्रीमियम 1.35 रूपये प्रति शेयर है, तो ट्रेडर A को कुल
= 8000 * 1.35
= 10,800 रूपया प्रीमियम के तौर पर ट्रेडर B को देना होगा
अगर ट्रेडर A एग्रीमेंट को एक्सरसाइज करने का फैसला करता है तो ट्रेडर B को जेपी एसोसिएट्स के 8000 शेयर 26 मार्च 2015 को बेचना होगा, क्योंकि ट्रेडर B को ट्रेडर A से प्रीमियम मिला है। हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि ट्रेडर B के पास 26 मार्च को 8000 शेयर होने चाहिए। भारत में ऑप्शन का सेटलमेंट कैश यानी नकद में होता है, इसका मतलब ये कि 26 मार्च को अगर ट्रेडर A अपने अधिकार का उपयोग करता है, तो ट्रेडर B को ट्रेडर A को सिर्फ नकद का अंतर देना
इसे और बेहतर एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि 26 मार्च को जेपी एसोसिएट्स 32 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। इसका मतलब कि ऑप्शन बायर/खरीदार (ट्रेडर A) 25 रुपये पर 8000 शेयर खरीदने के अपने अधिकार का उपयोग करेगा। मतलब ये कि उसे 32 रुपये पर ट्रेड हो रहे जेपी एसोसिएट्स के शयेर 25 रुपये पर मिल रहे हैं।
सामान्यत: कैश फ्लो ऐसा दिखना चाहिए –
- 26 तारीख को ट्रेडर A, ट्रेडर B से 8000 शेयर खरीदने के अपने अधिकार का उपयोग करता है।
- जिस कीमत पर ये सौदा होना है, वो कीमत पहले ही 25 रुपये पर (स्ट्राइक प्राइस) तय हो चुकी है। The price at which the transaction will take place is pre decided at Rs.25 (strike price)
- ट्रेडर A 200,000 रुपये (8000 * 25) ट्रेडर B को देता है।
- पेमेंट मिलने के बाद ट्रेडर B 8000 शेयर 25 रुपये के भाव पर ट्रेडर A को देता है।
- ट्रेडर A तुरंत इन शेयरों को ओपन मार्केट में 32 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच देता है और उसे 256,000 रुपये मिलते है।
- ट्रेडर A को इस सौदे से 56,000 रुपये (256000 – 200000) का मुनाफा होता है।
- दूसरे तरीके से इसे ऐसे देख सकते हैं कि ऑप्शन बायर/खरीदार को 7 रुपये प्रति शेयर (32-25) का मुनाफा हो रहा है। क्योंकि ऑप्शन का सेटलमेंट कैश में होता है तो तो ऑप्शन बायर/ खरीदार को 8000 शेयर देने के बजाय ऑप्शन सेलर/बिकवाल सीधे उतनी रकम दे देता है, जितना कि ऑप्शन बायर/खरीदार को मुनाफा होगा। मतलब ये कि ट्रेडर A को मिलेगा…
= 7*8000
= 56,000 रुपये (ट्रेडर B से)
ज़ाहिर सी बात है कि ऑप्शन बायर ने शुरूआत में 10,800 रुपये राइट/अधिकार खरीदने के लिए खर्च किए हैं तो उसका मुनाफा ये होगा
= 56,000 – 10,800
= 45,200 रुपये
अगर परसेंट या प्रतिशत में रिटर्न देखेंगे तो ये 419% होगा (बिना एनुअलाइज़-annualize किए हुए).
इस तरह के असंयमित रिटर्न ही ऑप्शंस को ट्रेडिंग के लिए एक आकर्षक इंस्ट्रूमेंट बनाते हैं। ये एक वजह है कि क्यों ऑप्शंस ट्रेडर के बीच इतना ज्यादा प्रचलित है।
इस अध्याय की मुख्य बातें
- कॉल ऑप्शन खरीदना तभी सही होता है जब ऐसेट की कीमत बढ़ने की उम्मीद हो
- स्ट्राइक प्राइस/कीमत वो कीमत होती है जिसपर ऑप्शन बायर (खरीदने वाला) और ऑप्शन राइटर (बेचने वाला) सौदा तय करते हैं।
- ऐसेट का स्पॉट प्राइस को ही अंडरलाइंग कीमत/प्राइस माना जाता है।
- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करने का मतलब ये होता है कि आपके पास एक्सपायरी के अंत में ऑप्शन खरीदने का जो अधिकार है, आप उसका उपयोग करते हैं
- फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की तरह ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में भी एक्सपायरी होती है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट हर महीने के आखिरी गुरूवार को एक्सपायर होते हैं।
- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में विभिन्न एक्सपायरी होती है – करेंट मंथ, मिड मंथ और फार मंथ कॉन्ट्रैक्ट
- प्रीमियम तय नहीं होता, ये दरअसल कई कारकों पर निर्भऱ करता है।
- भारत में ऑप्शंस का सेटलमेंट कैश यानी नकद में होता है।
It was super..nice explanation…thank you again !
Thanks a lot for this chapter
IF I Buy a call option of Stock or nifty & if i want to book my profit or loss..I need to wait till expiry date or within period of month i can sell it at any time if i take monthly call option.
a lot of thanks
sir nilesh ke qus ka ans de 03/04/2020
क्या आप क्वेरी बता सकते हैं?
Option market me kitana risk hai.मान लिजिए एक्सपायरी से 15 दिन पहले किसी ने ITC का कॉल ऑप्शन 340 पर लिया जबकि स्पॉट बाज़ार में ITC 330 पर था। अब अगर ITC की कीमत अगले दिन 360 रुपये पर पहुँच जाती है, तो ऑप्शन का खरीदार सेटलमेंट यानी अपने कॉल ऑप्शन को एक्सरसाइज नहीं कर सकता। सेटलमेंट सिर्फ एक्सापयरी के दिन ही होगा और वो भी उस कीमत पर जिस पर वो एसेट एक्सपायरी के दिन स्पॉट बाज़ार में बिक रहा है। ( Line ko explane kar digiyega sir. please)
अगर आपने कोई ऑप्शन रस. १०० पर खरीदा है और दुसरे दिन उसका स्पॉट प्राइस बढ़ जाये तोह आप उसको बेच नहीं सकते, इसका सेटलमेंट एक्सपायरी के दिन ही होगा उस प्राइस पर जिस पर वह ऑप्शन बाजार में जितना उसका स्पॉट चल रहा हो.
Very useful specially for beginners.
Thanks a lot.
Happy learning, Tapesh.
Hey nilesh & manish, you can book your P/L any time within expiry month.
Ex…
If expiry is on 28th April of option contract.
Then ,you can exit on 14 15 16 20 23 27 28 (Any date) as your wish..
सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत धन्यवाद इतने आसान तरीके और हिंदी भाषा में समझने के लिए ! लेकिन मेरा एक छोटा सा डॉट रह गया है !
जैसे की आपने रेनू और अकिंत का उदाहरण दिया ! की अंकित ने कुछ प्रीमियम दिया और कहा छह महीने बाद वो उस जमीन को खरीद लेगा ,
लेकिन मन लीजिये जमीन की कीमत 2 महीने बाद ही 10000000 की हो गई ! तो क्या अंकित को 6 महीने इंतजार करना होगा या 2 महीने में ही अपना मुनाफा निकाल सकता है !
उसको 6 महीने तक इंतज़ार करना होगा।
(Situation-1)
Call Option
Co. Name: – “ABC”
Strike Price: – 150/-
Spot Price: – 140/-
Premium: – 5/-
Lot Size: – 400
Exp. Date: – 30.04.2020
Mr. Ravi ne 1 Lot buy kiya 03.04.2020 ko or uske account se Rs. 2000/- Dr. ho gaye.
07.04.2020 ko jab spot price Rs. 147 tha Ravi ne 1 Lot Rs. 7/- ke premium per sell kr diya or uske account me Rs. 2800/- Cr. ho gaye. Ab month ke Exp. wale din Share ka rate Rs. 155/- per close ho gaya.
Overall Mr. Ravi ko Kitna P/L hoga?
एक्सपायरी का प्राइस मैटर नहीं करता, लेकिन इस उदहारण के हिसाब से 800 रूपए लाभ होगा।
premium 5×400=2000 diya tha to profit 800 to (profit-premium)= 1200 hoga kiya ?
जी हॉं।
Good information for all new user . Because here is good explanation.
Happy learning, Kuldeep.
LEKIN SIR, AAPNE TO UPAR KAHA KI EXPIRY SE PEHLE SALE NAHI KAR SAKTE TO Mr. Ravi NE 07.04.2020 ko 7/- ke premium par kaise sale kar diya? plz explain this point… mujhe lagta hai bahut logon ko ismein doubt hai.
Thanks,
जब भी आप इसे बेचना चाहें आप बेच सकते हैं। लेकिन अगर आप इसे एक्सपायरी समय तक नहीं बेचते हैं और तो इसे स्पॉट मार्केट में अंडरलाइंग के प्राइस के हिसाब से सेटल करदिया जाएगा।
बहुत ही सरहनीय कार्य , ताकि हम हिंदी भाषी लोगों को भी अब अशनि से सीखने के लिए बहुत कुछ उपलब्ध हो गया ।
लेकिन एक समस्या अभी भी है कि जिस प्रकार अंग्रेजी में PDF उपलब्ध है , हिंदी में भी इसको किया जाए , बहुत आभार होगा ।
हम इस पर काम रहे हैं, वह भी जल्द ही उपलब्ध कराया जायेगा।
कृपया हिन्दी भाषा में पीडीएफ उपलब्ध कराएं
Thanks team zerodha
हम उस पर काम कर रहे हैं, वह भी जल्द ही उपलब्ध कराया जायेगा।
Sabkucch samaz main aata hai…
The best.
आपके कृपालु शब्दों’न के लिए धन्यवाद, ऐसे हे पढ़ते रहिये और हमें सपोर्ट करते रहिये।
सर , ऊपर कमेंट में परमेश्वर जी ने 2 महीने बाद बेचना चाहा तो आपने बोला 6महीने बाद ही बेच सकता है लेकिन नंदलाल जी ने 3.4.2020 को खरीद कर, ओर उसका एक्सपायरी 30.4 है फिर भी वो 7.4 को बेच रहे ह कृपया थोड़ा समझाये
बाकि के अध्याय में इसको समझाया है, कृपया इसको पूरा पढ़ें। 🙂
आपने बहुत ही अच्छा एक्सप्लेन किया है हर बात को एक सुरुवात समझ कर मैंने ओर भी पोस्ट पढ़ी थी दूसरी साइट्स पर लेकिन आपका पोस्ट मुझे बहुत अच्छा लगा बहुत बहुत धन्यवाद।
आपका अभिनन्दन है 🙂
Excellent!
आपका धन्यवाद।
Explanation in very easy language.
I am enjoying learning.
Thank you!
Happy Learning 🙂
मैं शेयर बाज़ार में अभी नया हूं. इतने आसान और सरल भाषा में शेयर मार्केट का ज्ञान मिलने की मुझे उम्मीद नहीं थी..धन्यवाद आपका✌
आपका अभिनन्दन है। 🙂
Sir pls provide all modules PDF format in hindi language.
We are working on it, they will be soon made available too.
Suppose maine current situation ke hishab se bajfinance ka call option sell kiya 3900 ka us time premium tha 10 par situation mere favour me nhi tha or expiry k pahle hi bajfinance 3930 chala gaya us time premium 50 ho gaya to mujhe loss kitna hoga 40 rs ya 20 rs pls rply
अगर आप ऑप्शन सेलर हैं तो आपको प्रीमियम से फ़ायदा होगा लोस्स नहीं।
Apka information achha laga kintu ek sawal hai premium dene ke baad agar share ki Kimat nhi badhi to kya hoga. Uski puri Kimat Ada karni padegi kya. Aur ye kab hoga akhiri date par. Aur jo share humne buy kiya use last date se pehle sell kiya ja Sakta hai ya last date ke din hi buy and sell kiya Ja Sakta hai.
Ma’am, apka bahut-bahut Dhanyvad jo appne Hindi language mein is subject par likha aur humien iski Jankari di. Asha hai app isse judi aur important pehluo par prakash dalti rhengi.
आपका अभिनन्दन है , हम कोशिश करते रहेंगे। 🙂
If price is going up and we cannot exercise the call option as a buyer then how we will get profit. Pls explain.thnx
You can sell the CE and benefit from the increase in premium.
Option market me kitana risk hai.मान लिजिए एक्सपायरी से 15 दिन पहले किसी ने ITC का कॉल ऑप्शन 340 पर लिया जबकि स्पॉट बाज़ार में ITC 330 पर था। अब अगर ITC की कीमत अगले दिन 360 रुपये पर पहुँच जाती है, तो ऑप्शन का खरीदार सेटलमेंट यानी अपने कॉल ऑप्शन को एक्सरसाइज नहीं कर सकता?सेटलमेंट सिर्फ एक्सापयरी के दिन ही होगा और वो भी उस कीमत पर जिस पर वो एसेट एक्सपायरी के दिन स्पॉट बाज़ार में बिक रहा है। ( Line ko explane kar digiyega sir. please)
हमने शायद से आपका पहला सवाल गलत समझ लिया हो, जी हाँ अगर आप कॉल ऑप्शन के खरीदार हैं तो आप अपना पोजीशन एक्सरसाइज नहीं कर सकते। यह सिर्फ एक्सपायरी के दिन ही सेटल होगा।
But above module lactur said you can not exercise the call option as a call buyer before expiry date
I have written down module (example) lines below pls explain I can’t understand it.
मान लिजिए एक्सपायरी से 15 दिन पहले किसी ने ITC का कॉल ऑप्शन 340 पर लिया जबकि स्पॉट बाज़ार में ITC 330 पर था। अब अगर ITC की कीमत अगले दिन 360 रुपये पर पहुँच जाती है, तो ऑप्शन का खरीदार सेटलमेंट यानी अपने कॉल ऑप्शन को एक्सरसाइज नहीं कर सकता। सेटलमेंट सिर्फ एक्सापयरी के दिन ही होगा और वो भी उस कीमत पर जिस पर वो एसेट एक्सपायरी के दिन स्पॉट बाज़ार में बिक रहा है।
( Line ko explane kar digiyega please)
दीपक, आप इस अध्याय को पूरा पढ़ें आपको समझ आजायेगा, हमने दोस्सरे अध्याय में इसका एक्साम्प्ले भी दिया है।
Sir, settlement cash me hoga ya stock mein ye kya call ka buyer tay krta hai ya seller
यहाँ सिर्फ फिजिकल सेटलमेंट ही होता है, ज़्यादा जानकारी के लिए इस अध्याय को पढ़ें : https://zerodha.com/varsity/chapter/%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a4%b2-%e0%a4%b8%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82%e0%a4%9f-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%95/ और यह सेबी तय करता है इन्वेस्टर या ट्रेडर नही।
Please give link of “कॉल ऑप्शन भाग 2” this is in #2.1 “अगले अध्याय यानी कॉल ऑप्शन भाग 2 में हम कॉल ऑप्शन को ज्यादा विस्तार से समझेंगे।”
Hi, we will have this updated, thanks.
Hello Ma’am,
First of all thank you so much, itna easy way me sikhane k liye but i have one doubt.
Suppose nifty ka spot price 11250 chal raha hai nd mene nifty ka call 11500 me sale kia hai jiska premium 100 rs chal raha hai.
Ab agar usi din market up jata ha hai man lijiye 11400 ko touch karta hai or ab 11500 ka jo call thaa uska premium 130 rs ho gaya to kyaa waha muje 30rs kaa loss hai yaa fir mera loss jab meri strike (11500) price ko cross kar jayega tab hogaa??
Please advise…
aisa to ni hai ki expiry pe hi bech sakte hai kv v bech sakte hai fir to stoploss target ka koi matlab hi ni hai wrong information pls correct this
Hi Amar, कोई गलत इनफार्मेशन नहीं दी गयी है 🙂
which chart is useful for option theory
This totally depends upon the strategy or your idea of trading, you can read this whole module that may give you an idea.
Sir download karne ke liye option nahi hai hindi me
वह अभी उपलब्ध नहीं है, हम इसको जल्द ही उपलब्ध कराएंगे।
Very useful information thanks a lot to zerodha I hope zerodha make enlarge this library
Thank you for your kind words 🙂
मैम आप का मतलब यदि हमने कॉल ऑप्शन को बाई किया है तो एक एक्सपायरी की पहले नहीं बेच सकते क्या???
कृपया इसे विस्तार से समझाएं
हिंदी विडीओ मे youtube पर मिल जाता तो और होता अच्छा धन्यवाद
हम आपके फीडबैक पर ज़रूर नज़र डालेंगे।
मान लिजिए एक्सपायरी से 15 दिन पहले किसी ने ITC का कॉल ऑप्शन 340 पर लिया जबकि स्पॉट बाज़ार में ITC 330 पर था। अब अगर ITC की कीमत अगले दिन 360 रुपये पर पहुँच जाती है, तो ऑप्शन का खरीदार सेटलमेंट यानी अपने कॉल ऑप्शन को एक्सरसाइज नहीं कर सकता। सेटलमेंट सिर्फ एक्सापयरी के दिन ही होगा और वो भी उस कीमत पर जिस पर वो एसेट एक्सपायरी के दिन स्पॉट बाज़ार में बिक रहा है।
Is bale paragraph ko samjhane ki koshish kare madam. please?
Kya settlement sirf expiry ke din hoga usse phle nahi sell/buy kar skate kya
एक्सचेंज की तरफ से सेटलमेंट एक्सपायरी के बाद होगा, लेकिन आप इससे पहले खरीद या बेच सकते हैं।
ऑप्शन राइटर भी कोई trader ही होता है या ब्रोकर? यदि वह trader ही है तो वो राइटर क्यूँ है? उसको क्या फायदा?
हमने इसको इसी अध्याय में समझाया है कृपया इसको पूरा पढ़ें।
सर,मन लेते हैं हमने कोई कॉल ऑप्शन buy किया और बाद स्पॉट प्राइस उपर गया और प्रॉफिट हुआ
Abc का ce है 1 लोट buy किया जिसका प्रीमियम
10 है।
10×50=500
15×50=750
Profit-250 हमको इसमें कितना मिलेगा 250 या फिर ( प्रीमियम+प्रॉफिट) 750
कृपया इस बात को बताए हमको
कॉल ऑप्शन के खरीदने पर अनलिमिटेड प्रॉफिट होगा।
Yes
You sold on next day…
great content ye padhne k baad kisi paid course ya tips ki need nahi hai.
हैप्पी इन्वेस्टिं।
I appreciate you because you are providing the best content for option trading, i read all the comments and noticed there are lots of confusion among the reader, between Exercise and squre off the position and mostly it was not cleared by you.
I’ve done that several times, Varun. There is even a chapter on this – https://zerodha.com/varsity/chapter/options-m2m-and-pl/
बहुत शानदार! फाइनेंस के टोपिक्स को हिंदी में इतने बढ़िया तरीके से समझाते कहीं नहीं पढ़ा है!
स्पॉट प्राइस मतलब अंडरलाइंग एसेट की वर्तमान कीमत, राईट?
जी हाँ। आपका धन्यवाद। 🙂
CAN I SELL THIS TO ANY OTHER BUYER
Sir hamne call option kharid liya hai or yadi expiry k bich m underlying price bad jati h lekin expiry k time wo wapas Kam ho jati h to ese m kya hum bich k time m sell kar sakte h