15.1 पृष्ठभूमि
डेल्टा, गामा और थीटा को समझने के बाद अब आपको सबसे रोचक ऑप्शन ग्रीक वेगा के बारे में बताया जाना बाकी है। वेगा वह ग्रीक है, जो यह बताता है कि वोलैटिलिटी में बदलाव की वजह से ऑप्शन के प्रीमियम में कितना बदलाव होता है। लेकिन वोलैटिलिटी क्या है? आमतौर पर लोग कहते हैं कि वोलैटिलिटी का मतलब बाजार का उतार-चढ़ाव है। अगर आप भी यही समझते हैं तो अब समय आ गया है वोलैटिलिटी का सही अर्थ जान लें। इसलिए पहले, अगले कुछ अध्यायों तक हम यह जानेंगे कि
- वोलैटिलिटी क्या है? इसका असली मतलब क्या है?
- वोलैटिलिटी को नापा कैसे जाता है?
- वोलैटिलिटी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
- वोलैटिलिटी कितने प्रकार की होती है?
- वेगा क्या है?
तो आइए शुरू करते हैं।
15.2 क्रिकेट मैच
नीचे के उदाहरण को देख कर आपको लगेगा कि यह स्टॉक मार्केट से जुड़ा हुआ नहीं है, यह सच भी है। लेकिन यह वोलैटिलिटी को समझने में आपकी मदद करेगा।
दो बैट्समैन ने लगातार छह मैचों में कितने रन बनाए यह नीचे दिखाया गया है-
मैच | बिली | माइक |
---|---|---|
1 | 20 | 45 |
2 | 23 | 13 |
3 | 21 | 18 |
4 | 24 | 12 |
5 | 19 | 26 |
6 | 23 | 19 |
आप टीम के कैप्टन/कप्तान हैं, आप को 7वें मैच के लिए विली या माइक में से एक को चुनना है। आपको एक ऐसा बैट्समैन या बल्लेबाज चुनना है जो भरोसेमंद हो और अगले मैच में कम से कम 20 रन बना सके। आप किस को चुनेंगे? मेरे अनुभव के हिसाब से आमतौर पर इस चुनाव के लिए लोग इन दो रास्तों में से एक रास्ता लेते हैं-
- दोनों बैट्समैन ने कुल कितने रन बनाए हैं (जिसको सिग्मा-Sigma भी कहा जाता है) और जिस बैट्समैन ने सबसे ज्यादा रन बनाए हों उसको अगले मैच के लिए चुन लिया जाए
- दोनों बैट्समैन ने आज तक प्रति मैच औसतन कितने रन बनाए हैं ( इसे मीन –Mean यानी माध्य भी कहा जाता है), और जिस बैट्समैन का औसत बेहतर हो उसे चुना जाए
आइए इन दोनों को निकालते हैं और देखते हैं कि हमें इस इससे क्या नतीजा मिलता है-
- बिली का सिग्मा = 20+23+21+24+19+23 = 130
- माइक का सिग्मा = 45+13+18+12+26+19 = 133
अगर आप सिग्मा के आधार पर चुनाव करेंगे तो आप माइक को चुनेंगे। अब दोनों बैट्समैन का औसत देखते हैं और यह देखते हैं कि कौन ज्यादा बेहतर है –
- बिली = 130/6 = 21.67
- माइक = 133/6 = 22.16
ऐसा लगता है कि सिग्मा और और औसत/माध्य (Mean) दोनों के मामले में माइक बेहतर है और उसे ही चुना जाना चाहिए। लेकिन फैसले को थोड़ा रोकिए, हमें ऐसे बैट्समैन को चुनना है जो कम से कम 20 रन बना सके, सिग्मा और औसत दोनों के आधार पर हम यह नहीं बता सकते कि इनमें से कौन सा बैट्समैन कम से कम 20 रन बनाएगा। इसलिए कुछ और आंकड़ों पर नजर डालते हैं।
सबसे पहले, देखते हैं कि खेले गए हर मैच में औसत (मीन/माध्य) से कितना डेविएशन होता है। हमें पता है कि बिली के लिए मीन है 21.6 और बिली ने पहले मैच में 20 रन बनाए थे। इसलिए पहले मैच में उसका डेविएशन – विचलन है 20 – 21.67 = – 1.67 दूसरे शब्दों में यह कहे तो उसने अपने औसत स्कोर से 1.67 रन कम बनाए। दूसरे मैच में यह 23 – 21.67 = 1.33 था, मतलब उसने अपने औसत से 1.33 रन ज्यादा बनाए। बिली के डेविएशन के लिए इस चार्ट पर नजर डालिए।
ऊपर बीच की काली रेखा बिली का औसत स्कोर बता रही है और दूसरी रेखा यह बता रही है कि औसत से उसका डेविएशन-Deviation यानी विचलन कितना है? आप हम एक और महत्वपूर्ण आंकड़ा निकालते हैं जिसको वैरियेंस- Variance मतलब प्रसरण कहा जाता है।
वैरियेंस क्या है- जब विचलनों यानी डेविएशन के वर्गों के जोड़ को प्रेक्षणों (Observation) की कुल संख्या से विभाजित करते हैं, तो हमें वैरियेंस यानी प्रसरण प्राप्त होता है। (sum of the squares of the deviation divided by the total number of observations)
इस मामले में कुल संख्या 6 है (जितने मैच के आंकड़े हैं)।
यहां पर वैरियेंस होगा
वैरियेंस = [(- 1.67)^2 + (1.33)^2 +(0.67)^2 + (+2.33) ^2 + (-2.67) ^2 + (1.33) ^2] / 6
= 19.33/6
= 3.22
अब हम एक और चीज निकालते हैं जिसको स्टैंडर्ड डेविएशन – Standard Deviation यानी मानक विचलन कहते हैं । इसको निकालने के लिए
स्टैंडर्ड डेविएशन = √ वैरियेंस
तो बिली के लिए स्टैंडर्ड डेविएशन है
= √ 3.22
= 1.79
इसी तरीके से माइक का स्टैंडर्ड डेविएशन है 11.18
इन सभी आंकड़ों को यहां एक चार्ट में देखते हैं-
–
आंकड़े | बिली | माइक |
---|---|---|
Sigma सिग्मा | 130 | 133 |
Mean माध्य | 21.6 | 22.16 |
SD मानक विचलन | 1.79 | 11.18 |
हमें पता है कि मीन (Mean/माध्य) क्या होता है और सिग्मा क्या बताता है, लेकिन स्टैंडर्ड डेविएशन क्या होता है? स्टैंडर्ड डेविएशन औसत से डेविएशन यानी अंतर को बताता है। स्टैंडर्ड डेविएशन की परिभाषा “सांख्यिकी में, स्टैंडर्ड डेविएशन (जिसको भी ग्रीक शब्द सिग्मा , σ ,से दिखाया जाता है) किसी तरीके के डेटा में होने वाले अंतर या बदलाव को नापने का एक तरीका है”।
अब आप दो तरीके के सिग्मा से परेशान मत होइए। कुल जोड़ यानी टोटल को भी सिगमा कहते हैं जिसे कि ग्रीक सिंबल ∑ से दिखाया जाता है और स्टैंडर्ड डेविएशन को भी कई बार सिग्मा कहा जाता है जिसका ग्रीक सिंबल, σ , है।
स्टैंडर्ड डेविएशन का इस्तेमाल कर के ये अनुमान लगा सकते हैं कि माइक और बिली अगले मैच में कितने रन बनाएंगे। हमें बस उनके औसत में से स्टैंडर्ड डेविएशन के कुल जोड़ को घटाना होगा।
खिलाड़ी | अनुमान का निचला स्तर | अनुमान का उपरी स्तर |
---|---|---|
बिली | 21.6 – 1.79 = 19.81 | 21.6 + 1.79 = 23.39 |
माइक | 22.16 – 11.18 = 10.98 | 22.16 + 11.18 = 33.34 |
इन आंकड़ों से पता चलता है कि आने वाले 7वें मैच में बिली 19.81 से 23.39 रनों के बीच में बनाएगा जबकि माइक 10.98 से 33.34 रनों के बीच में स्कोर करेगा। क्योंकि माइक के न्यूनतम और अधिकतम रन में बहुत ज्यादा अंतर है इसलिए यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि वह 20 रन बना ही लेगा वह 10 भी बना सकता है और 34 भी और इनके बीच में कुछ भी।
दूसरी तरफ बिली का प्रदर्शन एक जैसा रहता है, उसका न्यूनतम और अधिकतम का दायरा भी छोटा है। इसका मतलब है कि वह ना तो एक बहुत बड़ा स्कोर बनाने वाला प्लेयर है ना ही बहुत बुरा खिलाड़ी है। वो लगातार एक जैसा प्रदर्शन करता है। इसलिए वह 19 से 23 रनों के बीच में ही बनाएगा। इसका मतलब है कि अगर हम बिली की जगह माइक को चुनते हैं तो यह एक रिस्की चुनाव होगा।
हम अब अपने मूल सवाल पर वापस लौटते हैं कि कौन सा प्लेयर अगले मैच में कम से कम 20 रन बनाएगा? अब तक इस सवाल का जवाब आपको साफ हो गया होगा कि यह बिली ही है। बिली लगातार एक जैसा प्रदर्शन करता है और माइक के मुकाबले कम रिस्की है।
तो हमने स्टैंडर्ड डेविएशन का इस्तेमाल करके यह पता कर लिया कि इन दोनों में से कौन सा खिलाड़ी ज्यादा रिस्की है। इसका मतलब है कि स्टैंडर्ड डेविएशन रिस्क को बताता है। शेयर बाजार के हिसाब से देखें तो वोलैटिलिटी भी किसी भी शेयर या इंडेक्स के रिस्क को बताती है। वोलैटिलिटी को स्टैंडर्ड डेविएशन से नापा जाता है और प्रतिशत में दिखाया जाता है।
अगर आप जानना चाहें तो इन्वेस्टोपीडिया के मुताबिक वोलैटिलिटी की परिभाषा है – किसी शेयर या मार्केट इंडेक्स के रिटर्न को में होने वाले डिस्पर्शन (Dispersion) यानी प्रकीर्णन यानी बदलाव को आंकड़ों या सांख्यिकी के हिसाब से नाप को स्टैंडर्ड डेविएशन करते हैं। वोलैटिलिटी को जानने के लिए स्टैंडर्ड डेविएशन या वैरियंस का इस्तेमाल किया जाता है। किसी शेयर या इंडेक्स के रिटर्न में अपने पुराने के रिटर्न के मुकाबले जितना ज्यादा स्टैंडर्ड डेविएशन होगा उसमें रिस्क उतना ही ज्यादा होगा ।
ऊपर के उदाहरण के हिसाब से देखें तो अगर इंफोसिस और TCS की वोलैटिलिटी क्रमशः- 25% और 45% है तो इसका मतलब है कि इंफोसिस के शेयर TCS के मुकाबले कम रिस्क है।
15.3 – विचार करने के लिए कुछ जानकारी
अंत में हम कुछ भविष्यवाणी करते हैं-
आज की तारीख = 15 जुलाई 2015
निफ़्टी का स्पॉट = 8547
निफ़्टी की वोलैटिलिटी = 16.5%
TCS का स्पॉट = 2585
TCS की वोलैटिलिटी = 27%
इस जानकारी के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि निफ्टी और TCS अब से 1 साल बाद किस रेंज में रहेंगे?
हम जरूर बता सकते हैं, बस इसके लिए कुछ गणना करनी पड़ेगी –
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एसेट | नीचे का अनुमान | उपरी अनुमान |
---|---|---|
8547 – (16.5% * 8547) = 7136 | 8547 + (16.5% * 8547) = 9957 | |
TCS | 2585 – (27% * 2585) = 1887 | 2585 + (27% * 2585) = 3282 |
तो यह गणना हमें बताती है कि अगले 1 साल में निफ़्टी की वोलैटिलिटी को देखते हुए निफ्टी को 7136 से 9957 के बीच में रहना चाहिए और इसके हर स्तर पर रहने की अलग अलग संभावना है। इसका मतलब है कि 15 जुलाई 2016 को निफ्टी के 7500 के आसपास रहने की संभावना 25% हो सकती है जबकि 8600 पर रहने की संभावना 40% हो सकती है।
ये गणना अब हमें बहुत रोचक स्थिति पर पहुंचाती है-
- हमने निफ्टी के अगले 1 साल के लिए रेंज को भविष्यवाणी की है इसी तरीके से हम अगले कुछ दिनों के लिए अपनी भविष्यवाणी कर सकते हैं कि निफ्टी किस रेंज में रहेगा या एक्सपायरी तक निफ्टी किस रेंज में रहेगा। अगर हम ऐसा कर सके तो हम इस बात का पता लगाने में ज्यादा सक्षम होंगे कि कौन से ऐसे ऑप्शन हैं जिनको हम आज बेच सकते हैं और उनका प्रीमियम कमा सकते हैं।
- हमने यह पता कर लिया कि अगले 1 साल में निफ्टी 7136 से 9057 के बीच में रहेगा, लेकिन इतना पक्का नतीजा है इसको हम कितने भरोसे के साथ सच मान सकते हैं
- हम वोलैटिलिटी को निकालते कैसे हैं, हमने इस पर पिछले अध्याय में चर्चा की थी लेकिन एक और आसान तरीका है -हम माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल का इस्तेमाल कर सकते हैं
- हमने निफ्टी का रेंज वोलैटिलिटी को 16.5% मानते निकाला है लेकिन अगर वोलैटिलिटी में बदलाव होता है तो क्या होगा
अगले कुछ अध्यायों में ऐसे ही सवालों का जवाब पाने की कोशिश करेंगे
इस अध्याय की मुख्य बातें
- वेगा हमें बताता है कि वोलैटिलिटी में बदलाव होने पर प्रीमियम में बदलाव की दर क्या होगी।
- वोलैटिलिटी का मतलब शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव नहीं है।
- वोलैटिलिटी रिस्क को नापने का तरीका है।
- वोलैटिलिटी को स्टैंडर्ड डेविएशन से नापा जाता है।
- स्टैंडर्ड डेविएशन वैरियेंस का स्क्वायर रूट यानी वर्ग होता है।
- अगर हमें वोलैटिलिटी का पता हो तो हम किसी स्टॉक की कीमत के रेंज को पता कर सकते हैं।
- किसी स्टॉक की कीमत का रेंज जितना बड़ा होगा उसकी वोलैटिलिटी यानी रिस्क भी उतना ज्यादा होगी।
Bahut hi behatarin tarike se aaplog concept ko clear karte hai. ton of thanks
you are very good teacher. The way you explin the concept,its really great.
You’re welcome 🙂
You’re welcome 🙂
वैरियेंस = [(- 1.67)^2 + (133)^2 +(0.67)^2 + (+2.33) ^2 + (-2.67) ^2 + (1.33) ^2] / 6
कृपया (133) ^2 इसे सही करें (1.33) ^2
वैरियेंस = [(-1.67) ^2 + (1.33) ^2 + (-0.67) ^2 + (+2.33) ^2 + (-2.67) ^2 + (1.33) ^2] / 6
हमने इसको सही करदिया है धन्यवाद।
Sir tqsm
Sir ess lockdown me jo hum apne learning ko grow kar rahe iske liye tq again
Baki module bhi laiye
हम बाकी मॉड्यूल पर काम कर रहे हैं, वे जल्द ही उपलब्ध होंगे।