10.1 – मॉडल सोच
पिछले अध्याय में हमने पहले ऑप्शन ग्रीक – डेल्टा के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त की थी। इसके अलावा हमें ऑप्शन को देखने का एक नया नजरिया भी पता चला था। हमने जाना था कि ऑप्शन सिर्फ एक तरीके से चलने वाला प्रोडक्ट नहीं है, इसके कई आयाम होते हैं और उन सब को देखना जरूरी होता है।
उदाहरण के तौर पर अगर बाजार को लेकर आपका तेजी का रुख है, तो यह जरूरी नहीं है कि आप हमेशा एक ही तरीके से ट्रेड करें कि – मेरा तेजी का रूख है इसलिए या तो मैं कॉल ऑप्शन खरीद लूंगा या पुट ऑप्शन बेच कर प्रीमियम ले लूंगा।
इसके बदले आप यह भी कर सकते हैं कि मेरा रुख तेजी का है और मुझे लगता है कि बाजार 40 प्वाइंट ऊपर जाएगा, इसलिए मैं ऐसा ऑप्शन खरीदूंगा जिसका डेल्टा 0.5 या ज्यादा है, क्योंकि तब बाजार में 40 प्वाइंट की तेजी आने के बाद मुझे कम से कम 20 प्वाइंट का फायदा होगा।
आपको इन दोनों विचारधाराओं में कुछ अंतर समझ में आ रहा है? पहली रणनीति थोड़ी कच्ची और कामचलाउ है जबकि दूसरी रणनीति सोची-समझी और आंकड़ों पर आधारित है। ऑप्शन के प्रीमियम में 20 प्वाइंट की मुनाफे की उम्मीद उस फार्मूले से निकली है जिसको हमने पिछले अध्याय में देखा था।
ऑप्शन के प्रीमियर में संभावित बदलाव = ऑप्शन डेल्टा* अंडरलाइंग में प्वाइंट बदलाव
यह फार्मूला एक पूरी बड़ी रणनीति का छोटा सा हिस्सा है। जब हम बाकी ऑप्शन ग्रीक्स को जान लेंगे तब हमें समझ में आएगा कि ऑप्शन को देखने के लिए और किन तरीकों से आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा सकता है और कैसे अपने ट्रेड को और ज्यादा से ज्यादा आंकड़ों पर आधारित बनाया जा सकता है। इस तरह से आपके सौदे फार्मूले और संख्याओं पर आधारित होंगें, केवल ट्रेडिंग से जुड़े या बाजार से जुड़े आपके विचारों से पर आधारित नहीं। हालांकि बाजार में ऐसे ट्रेडर भी है जो अपने विचारों के बल पर सफल ट्रेड कर लेते हैं। लेकिन सबके लिए ऐसा करना आसान नहीं होता। इसलिए अगर आपके सौदे संख्या या आंकड़ों पर आधारित हैं तो आपके सफल होने के संभावना ज्यादा होती है। ऐसा करने के लिए आपको मॉडल पर आधारित सोच को विकसित करना होगा।
आगे से जब भी आप ऑप्शन को देखें या उसकी एनालिसिस करें तो ध्यान रखें कि आपको मॉडल पर आधारित सोच का इस्तेमाल करना है।
10.2 – डेल्टा और स्पॉट कीमत का संबंध
पिछले अध्याय में हमने डेल्टा के महत्व को समझा था और यह भी जाना था कि कैसे डेल्टा का इस्तेमाल प्रीमियम में बदलाव को जानने के लिए किया जा सकता है। हम आगे बढ़े इसके पहले एक बार फिर से पिछले अध्याय की बातों को दोहरा लेते हैं।
- कॉल ऑप्शन का डेल्टा पॉजिटिव होता है। कॉल ऑप्शन का डेल्टा 0.4 होने का मतलब होता है कि अंडरलाइंग की कीमत में 1 प्वाइंट की बढ़त या गिरावट के बदले कॉल ऑप्शन का प्रीमियम 0.4 प्वाइंट घटता है या बढ़ता है।
- पुट ऑप्शन का डेल्टा नेगेटिव होता है। पुट ऑप्शन में -0.4 के डेल्टा का मतलब होता है कि अंडरलाइंग की कीमत में 1 प्वाइंट की बढ़त या गिरावट के सामने ऑप्शन के प्रीमियम में 0.4 प्वाइंट की बढ़त या गिरावट होगी।
- OTM ऑप्शन के डेल्टा की वैल्यू 0 से 0.5 के बीच में होती है, ATM ऑप्शन का डेल्टा 0.5 होता है और ITM ऑप्शन का डेल्टा 0.5 से 1 के बीच में होता है।
तीसरे प्वाइंट से मिले संकेत के आघार पर कुछ नतीजे निकालते हैं। मान लीजिए कि निफ्टी स्पॉट 8312 पर है स्ट्राइक 8400 पर और ऑप्शन CE है (कॉल ऑप्शन यूरोपियन)
1. 8400 CE पर डेल्टा वैल्यू क्या होगी जब स्पॉट 8312 है
डेल्टा 0 से 0.5 के बीच में होना चाहिए क्योंकि 8400 CE एक OTM है मान लीजिए कि डेल्टा 0.4 है
2. मान लीजिए कि निफ़्टी स्पॉट 8312 से 8400 हो जाता है तब डेल्टा की वैल्यू क्या होगी?
डेल्टा की वैल्यू 0.5 के आसपास होनी चाहिए क्योंकि 8400 CE अब एक ATM ऑप्शन है
3.अब अगर निफ्टी के स्पॉट 8400 से 8500 हो जाता है तो डेल्टा वैल्यू क्या होगी?
अब डेल्टा 1 के पास होना चाहिए क्योंकि 8400 CE अब ITM ऑप्शन है मान लीजिए 0.8
4. इस बीच अगर निफ्टी स्पॉट टूटता है और 8500 से गिरकर 8300 हो जाता है तो डेल्टा कितना होगा?
स्पॉट में गिरावट के साथ ऑप्शन ITM से फिर से OTM बन जाता है इसलिए डेल्टा की वैल्यू भी गिरेगी और वह 0.8 से 0.3 भी पहुंच सकती है
ऊपर के 4 बिंदुओं से आपको क्या समझ में आया?
जब-जब स्पॉट की कीमत गिरती या बढ़ती है तो ऑप्शन का मनीनेस भी बदलता है और इस वजह से डेल्टा भी बदलता है
यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डेल्टा स्पॉट में होने वाले बदलाव के साथ बदलता है। मतलब यह कि कोई फिक्स या निश्चित संख्या नहीं है यानी अगर किसी ऑप्शन का डेल्टा 0.4 है तो यह अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव के साथ-साथ बदलेगा।
नीचे के चार्ट को देखिए यह स्पॉट में होने वाले बदलाव के साथ डेल्टा में आ रहे बदलाव को दिखा रहा है। यह चार्ट किसी खास ऑप्शन के लिए या स्ट्राइक के लिए नहीं है, यह एक आम चार्ट है। आप देख सकते हैं कि यहां पर दो रेखाएं हैं
- नीले रंग की रेखा कॉल ऑप्शन के बदलाव को दिखाती है (0 से 1 के बीच रहता है)
- लाल रंग की रेखा पुट ऑप्शन के डेल्टा के को दिखाती है( -1 से 0 के बीच)
इसको और अच्छे से समझते हैं –
यह चार्ट बहुत ही रोचक है। मेरा सुझाव है कि आप पहले सिर्फ नीली रेखा को देखिए और लाल रेखा पर बिल्कुल भी नजर मत डालिए। नीली रेखा एक कॉल ऑप्शन के डेल्टा को दिखाती है। इस ग्राफ से डेल्टा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलती हैं। मैं उनकी एक लिस्ट नीचे दे रहा हूं, (यहां पर आप ये भी याद रखिए कि जब भी स्पॉट की कीमत बदलती है ऑप्शन का मनीनेस (Moneyness of Option) भी बदलता है)
1.पहले X-axis पर नजर डालिए- बाएं तरफ से आप देखेंगे तो आपको दिखेगा कि जैसे-जैसे स्पॉट की कीमत ATM से OTM से ATM और फिर ATM की तरफ बढ़ती है वैसे-वैसे मनीनेस बढ़ता जाता है।
- डेल्टा की रेखा यानी नीली रेखा को देखिए- जैसे जैसे स्पॉट की कीमत बढ़ती है डेल्टा भी बढ़ता है।
- ध्यान से देखिए, OTM में डेल्टा करीब-करीब 0 तक पहुंच जाता है इसका मतलब है कि स्पॉट की कीमत में कितनी भी गिरावट हो (OTM से डीप OTM जाते हुए) ऑप्शन का डेल्टा 0 पर ही रहता है।
- याद रखिए कि कॉल ऑप्शन का डेल्टा नीचे में 0 तक ही जाता है।
- स्पॉट की कीमत OTM से ATM की तरफ जाती है तो डेल्टा भी बढ़ने लगता है (याद रखिए कि ऑप्शन का मनीनेस भी बढ़ता है)।
- ध्यान दीजिए कि अगर ऑप्शन ATM से कम है तो उसका डेल्टा 0 से 0.5 के बीच में रहता है।
- ATM पर डेल्टा 0.5 हो जाता है।
- जब स्पॉट ATM से ITM की तरफ बढ़ता है तो डेल्टा भी 0.5 से ऊपर जाने लगता है।
- ध्यान दीजिए कि 1 पर पहुंचने के बाद डेल्टा बढ़ना रुक जाता है।
- उसका यह भी मतलब है कि जब डेल्टा ITM से ऊपर डीप ITM की तरफ जाता है तो डेल्टा का मूल्य बदलता नहीं है यह अधिकतम 1 पर ही रहता है।
ऐसी ही चीजें आपको ऑप्शन के डेल्टा यानी लाल रेखा में भी देख सकते हैं।
10.3 – डेल्टा एक्सेलेरेशन – Delta Acceleration
हो सकता है कि आपने ऑप्शन ट्रेड के बारे में यह सुना हो कि ट्रेडर कई बार ATM ऑप्शन में अपने पैसे को दोगुना या तिगुना कर लेते हैं। अगर आपने ऐसी कहानी नहीं सुनी है, तो मैं आपको एक कहानी बताता हूं। 17 मई 2009 को भारत के चुनाव के नतीजे आए थे। यूपीए की सरकार फिर से चुन कर आई थी और डॉक्टर मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। आपको पता ही है कि शेयर बाजार यानी स्टॉक मार्केट केन्द्र सरकार में स्थिरता चाहता है। चुनाव के नतीजे के बाद सबको पता था कि अगले दिन यानी 18 मई को बाजार में तेजी आएगी। इसके पिछले दिन निफ्टी 3671 पर बंद हुआ था ।
उस समय तक ज़ेरोधा नहीं बना था हम लोग ट्रेडर्स थे और अपने अपने पैसों को लेकर ट्रेडिंग करते थे, हमारे कुछ ग्राहक भी थे। हमारे एक सहयोगी ने 17 मई से कुछ दिनों पहले एक बड़ा सा रिस्क लिया था। उसने ₹200000 के ATM ऑप्शन खरीदे थे। ये एक बड़ा रिस्क इसलिए था कि किसी को नहीं पता था कि चुनाव के नतीजे क्या आएंगे। अगर बाजार में तेजी आती तो उसको फायदा जरूर होता। लेकिन बाजार में तेजी आने के लिए कई चीजों का होना जरूरी था। लेकिन जब नतीजे आ गए तो हम सबको पता था कि 18 मई को वह पैसे बनाएगा। लेकिन किसी को नहीं पता था कि उसको कितना फायदा होगा ।
18 मई 2009 को जो कुछ हुआ मैं उसको भूल नहीं सकता। बाजार 9:55 पर खुला (उस समय बाजार खुलने का समय यही था)। बाजार ने धमाकेदार शुरुआत की । निफ्टी तुरंत ऊपर के सर्किट पर पहुंच गया और बाजार में कारोबार बंद हो गया। कुछ ही मिनटों में निफ्टी 20% ऊपर चढ़ा गया और 4321 पर बंद हो या। एक्सचेंज ने 10:30 पर बाजार को बंद करने का फैसला किया क्योंकि बाजार में जरूरत से ज्यादा तेजी हो गई थी। वो मेरे ट्रेडिंग करियर का सबसे छोटा काम का दिन था। जिसमें बाजार सिर्फ 6 मिनट के लिए खुला था ।
बाजार के उस दिन के चार्ट को देखिए-
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान हमारे सहयोगी ने एक बड़ा मुनाफा कमा लिया। उस सोमवार के सुबह 10:30 पर उसके ऑप्शन की कीमत हो गई थी 2800000 रुपए यानी उसने कुल 1300% का मुनाफा कमा लिया था। हर ट्रेडर ऐसे ही मुनाफे की उम्मीद में रहता है ।
अब इस कहानी से जुड़े हुए कुछ सवाल पूछता हूं जिससे हम मुद्दे की बात पर आ सकेंगे –
- आपको क्या लगता है हमारे सहयोगी ने ATM ऑप्शन खरीदने का फैसला क्यों किया और OTM या ITM ऑप्शन क्यों नहीं खरीदा?
- उसने अगर ITM या OTM ऑप्शन खरीदा होता तो क्या होता ?
इन सवालों के जवाब इस ग्राफ में छुपे हैं –
यह ग्राफ डेल्टा एक्सीलरेशन के बारे में बताता है – डेल्टा की 4 स्थितियां होती हैं जिनको ये ग्राफ दिखाता है। आइए इन पर नजर डालते हैं।
लेकिन पहले कुछ बातें याद रख लीजिए-
- जो बातें हमें यहां आगे करने जा रहे हैं वो बहुत ही महत्वपूर्ण है उनको जानिए और याद रखिए।
- पिछले अध्याय में बताए हुए डेल्टा टेबल को जिसमें ऑप्शन टाइप और डेल्टा वैल्यू के आदि के बारे में बताया गया था। उसको याद रखें और उस पर फिर से नजर डाल लीजिए
- यह भी याद रखें कि यहां पर दिखाई गयी डेल्टा और प्रीमियम की संख्या एक अनुमान भर है और इसे केवल आपको समझाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रीडेवलपमेंट (Predevelopment) – यह वह स्थिति है जब ऑप्शन OTM या डीप OTM होता है। यहां पर डेल्टा 0 के करीब होता है। अगर ऑप्शन डीप OTM से OTM तक भी आता है, तो भी डेल्टा 0 के करीब ही बना रहता है। उदाहरण के लिए जब स्पॉट 8400 है तो 8700 कॉल ऑप्शन एक डीप OTM है और इसका डेल्टा करीब 0.05 रहेगा। ऐसे में अगर स्पॉट 8400 से 8500 की तरफ बढ़ता है, तो भी 8700 कॉल ऑप्शन का डेल्टा बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगा क्योंकि 8700 CE अभी भी OTM ऑप्शन ही रहेगा। डेल्टा अभी भी 0 के पास ही रहेगा।
तो जब स्पॉट 8400 है तो 8700 CE का प्रीमियम ₹12 होगा। जब निफ्टी 8500 तक जाएगा यानी 100 प्वाइंट बढ़ेगा तो प्रीमियम 100*0.05 = 5 प्वाइंट ही बढ़ेगा ।
अब नया प्रीमियम 12 + 5 = 17 होगा लेकिन 8700 CE अब स्लाइट OTM ही रहेगा डीप OTM नहीं।
अब सबसे महत्वपूर्ण बात, प्रीमियम में बदलाव भले ही बहुत छोटा( 5 ) दिख रहा हो लेकिन प्रतिशत के तौर पर 12 से 17 तक इसमें 41.6% का बदलाव हुआ है।
निष्कर्ष – डीप OTM ऑप्शन में प्रतिशत बदलाव काफी बड़ा होता है लेकिन ऐसा होने के लिए स्पॉट में बहुत बड़ा बदलाव होना चाहिए।
सुझाव – डीप OTM ऑप्शन खरीदने से बचें क्योंकि इसमें डेल्टा काफी छोटा होता है और अंडरलाइंग में काफी बड़ा बदलाव होने पर ही ऑप्शन का फायदा आपको मिल सकता है। इससे ज्यादा फायदा आप दूसरी जगह कमा सकते हैं। लेकिन इसी वजह से डीप OTM को बेचना समझदारी भरा होता है। इसे हम आगे समझेंगे जब हम ग्रीक थीटा को समझ रहे होंगे।
टेक ऑफ और एक्सीलरेशन (Take off and Acceleration) यह वह स्थिति है जब ऑप्शन OTM से ATM में बदल रहा होता है। सबसे ज्यादा कमाई यहीं पर होती है और इसीलिए यहां सबसे ज्यादा रिस्क भी होता है।
मान लीजिए कि निफ़्टी स्पॉट 8400 है, स्ट्राइक है 8500 CE, ऑप्शन है स्लाइटली OTM , डेल्टा 0.25 और प्रीमियम है ₹20।
स्पॉट 8400 से 8500 तक 100 पॉइंट बढ़ता है। आइए अब निकालते हैं कि प्रीमियम में क्या बदलाव होगा?
अंडरलाइंग में बदलाव = 100
8500 CE का डेल्टा = 0.25
प्रीमियम में बदलाव = 100*0.25 = 25
नया प्रीमियम = Rs 20 +25 = Rs 45
प्रतिशत बदलाव = 125%
आप देख सकते हैं कि 100 पॉइंट के बदलाव के वजह से स्लाइटली OTM ऑप्शन में काफी अलग तरीके का बदलाव होता
निष्कर्ष: स्लाइटली (Slightly) OTM ऑप्शन जिसका डेल्टा आमतौर पर 0.2 से 0.3 होता है उसमें अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव का असर काफी ज्यादा होता है। अंडरलाइंग मैं हुआ थोड़ा सा बदलाव भी स्लाइटली OTM ऑप्शन में प्रतिशत तौर पर काफी बदलाव लाता है और इसी वजह से इस तरह के ऑप्शन में ट्रेडर अपना पैसा दोगुना या तिगुना कर पाते हैं। जब उन्हें लगता है कि काफी बड़ा बदलाव आने वाला है तो वह स्लाइटली OTM ऑप्शन को खरीदते हैं। लेकिन याद रखिए कि यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है, दूसरे पहलू को जानना अभी आपके लिए बाकी है।
सुझाव: स्लाइटली (Slightly) OTM ऑप्शन को खरीदना डीप OTM ऑप्शन को खरीदने के मुकाबले महंगा होता है। लेकिन अगर आपका दाँव सही पड़ा तो आप काफी पैसे कमा सकते हैं। इसलिए जब भी ऑप्शन खरीदना हो स्लाइटली OTM ऑप्शन को खरीदने पर विचार जरूर करें। लेकिन ध्यान रखें कि एक्सपायरी में समय होना चाहिए। इस पर हम आगे बात करेंगे।
अब देखते हैं कि उसी 100 पॉइंट के बदलाव का ATM ऑप्शन पर क्या असर पड़ता है-
स्पॉट = 8400
स्ट्राइक = 8400 ATM
प्रीमियम = ₹60
अंडरलाइंग में बदलाव = 100
8400 CE का डेल्टा = 0.5
प्रीमियम में बदलाव = 100*0.5 = 50
नया प्रीमियम = Rs 60 + 50 = Rs 110/-
प्रतिशत बदलाव = 83%
निष्कर्ष OTM ऑप्शन के मुकाबले ATM ऑप्शन पर स्पॉट में बदलाव का ज्यादा असर दिखता है। ATM ऑप्शन का डेल्टा ज्यादा होता है इसलिए अंडरलाइंग में बहुत ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं पड़ती। अगर अंडरलाइंग में थोड़ा बदलाव भी होता है तो ऑप्शन का प्रीमियम काफी बदलता है।लेकिन ATM ऑप्शन को खरीदना OTM ऑप्शन के मुकाबले ज्यादा महंगा होता है।
सुझाव जब आप सुरक्षित रहना चाहते हैं तो ATM ऑप्शन खरीदें। ATM ऑप्शन तब भी बदलेगा जब अंडरलाइंग में ज्यादा बड़ा बदलाव ना हो। इसी वजह से यह भी याद रखें कि ATM ऑप्शन को बेचना खतरों भरा हो सकता है। यह तब तक ना करें जब तक आप बहुत ही ज्यादा निश्चित ना हों।
स्टेबलाइजेशन(Stabilization) जब ऑप्शन ATM से ITM या डीप ITM की तरफ जाता है, तो डेल्टा 1 के आस पास रुकने लगता है। जैसा कि हम ग्राफ में देख सकते हैं डेल्टा 1 पर पहुंचकर थम जाता है। इसका मतलब है कि ऑप्शन ITM हो या डीप ITM, डेल्टा 1 एक ही रहता है।
आइए देखते हैं यह कैसे काम करता है –
निफ़्टी स्पॉट = 8400
ऑप्शन 1 = 8300 CE स्ट्राइक, ITM ऑप्शन, डेल्टा 0.8, प्रीमियम ₹105
ऑप्शन 2 = 8200 CE स्ट्राइक, डीप ITM ऑप्शन, डेल्टा है 1, और प्रीमियम है ₹210 अं
डरलाइन में बदलाव = 100 पॉइंट और निफ्टी पहुंचता है 8500 पर
देखते हैं इसका असर दोनों ऑप्शन पर क्या पड़ता है
ऑप्शन 1 के प्रीमियम में बदलाव = 100*0.8 = 80
ऑप्शन 1 के लिए नया प्रीमियम = Rs 105 + 80 = 185
प्रतिशत बदलाव = 80/105 = 76.19%
ऑप्शन 2 के प्रीमियम में बदलाव = 100*1 = 100
ऑप्शन 2 का नया प्रीमियम = Rs 210 + 100 = Rs 310
प्रतिशत बदलाव = 100/210 = 47.6%
निष्कर्ष: कुल बदलाव के मामले में डीप ITM स्लाइटली ITM ऑप्शन के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है, लेकिन प्रतिशत बदलाव के मामले में इसका ठीक उल्टा होता है। साफ है कि ITM ऑप्शन अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव से ज्यादा प्रभावित होते हैं और यह सबसे महंगे भी होते हैं।
एक महत्वपूर्ण बात जो आप को देखनी चाहिए तो वह यह है कि अगर अंडरलाइंग में 100 प्वाइंट का बदलाव हुआ है तो डीप ITM ऑप्शन में भी 100 प्वाइंट का बदलाव होता है। इसका मतलब है कि डीप ITM ऑप्शन खरीदना करीब-करीब अंडरलाइंग को खरीदने के बराबर ही होता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि अंडरलाइंग में जैसा बदलाव होता है डीप ITM में भी वैसा ही बदलाव होता है।
सुझाव: ITM ऑप्शन तब खरीदें जब आप सुरक्षित रहना चाहते हैं। सुरक्षित रहने से मेरा मतलब है कि डीप ITM की तुलना डीप OTM से करें तो। ITM ऑप्शन का डेल्टा ऊंचा होता है जिसका मतलब है कि उसमें अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव का असर काफी ज्यादा होता है।
डीप ITM ऑप्शन एकदम अंडरलाइंग के साथ साथ चलता है। इसका मतलब है कि डीप ऑप्शन ITM ऑप्शन को एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की जगह भी रखा जा सकता है।
देखिए –
निफ़्टी स्पॉट = 8400
निफ़्टी फ्यूचर्स = 8409
स्ट्राइक = 8000 डीप ITM
प्रीमियम = 450
डेल्टा = 1
स्पॉट में बदलाव = 30 पॉइंट
नया स्पॉट = 8430
फ्यूचर्स में बदलाव 8409 + 30 = 8439 पूरे 30 पॉइंट का बदलाव
ऑप्शन प्रीमियम में बदलाव = 1*30 =30
नया ऑप्शन प्रीमियम = 30 +450 – 480 पूरे 30 पॉइंट का बदलाव
तो यहां समझने की बात यह है कि फ्यूचर्स और डीप ITM ऑप्शन करीब-करीब तरह का बदलाव ही दिखाते हैं। जब अंडरलाइंग में कोई बदलाव होता है तो इसलिए आपको डीप ITM ऑप्शन खरीदकर अपने मार्जिन को कम कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त आप को ध्यान में रखना चाहिए कि आपका डीप ITM ऑप्शन डीप ITM ऑप्शन ही बना रहे। इसका मतलब है कि डेल्टा 1 पर ही रहे। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि बाजार में लिक्विडिटी बनी रहे।
मुझे लगता है कि इस अध्याय में हमने बहुत सारी बातें कर ली हैं। खासकर यह जानते हुए कि आप ग्रीक्स के बारे में पहली बार जान रहे हैं। इसलिए अब थोड़ा सा विश्राम करते हैं।
डेल्टा से जुड़ी और कई बातें हैं जिनको हमें जानना है लेकिन हम उनको अगले अध्याय में जानेंगे। लेकिन ऐसा करने के पहले हमने जो कुछ इस अध्याय में सीखा है, उसको एक टेबल के रूप में देख लेते हैं।
इस टेबल से हमें समझ में आएगा कि अलग-अलग तरह के ऑप्शन अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव से किस तरीके से प्रभावित होते हैं। यहां मैंने बजाज ऑटो को अंडरलाइंग के तौर पर लिया है। कीमत है 2210 और उम्मीद है कि इसमें यानी अंडरलाइंग में 30 पॉइंट का बदलाव होगा। इसका मतलब है कि बजाज ऑटो 2240 तक जाएगा। यह भी माना गया है कि अभी एक्सपायरी में काफी समय बाकी है, इसलिए समय को लेकर कोई चिंता नहीं है।
मनीनेस | स्ट्राइक | डेल्टा | पुराना प्रीमियम | प्रीमियम में वदलाव | नया प्रीमियम | % बदलाव |
---|---|---|---|---|---|---|
Deep OTM | 2400 | 0.05 | Rs.3/- | 30* 0.05 = 1.5 | 3+1.5 = 4.5 | 50% |
Slightly OTM | 2275 | 0.3 | Rs.7/- | 30*0.3 = 9 | 7 +9 = 16 | 129% |
ATM | 2210 | 0.5 | Rs.12/- | 30*0.5 = 15 | 12+15 = 27 | 125% |
Slightly ITM | 2200 | 0.7 | Rs.22/- | 30*0.7 = 21 | 22+21 = 43 | 95.45% |
Deep ITM | 2150 | 1 | Rs.75/- | 30*1 = 30 | 75 + 30 =105 | 40% |
जैसा कि आप देख सकते हैं अंडरलाइंग में होने वाले बदलाव से हर ऑप्शन अलग अलग तरह से प्रभावित हो रहा है।
इस अध्याय के शुरू में मैंने आपको एक कहानी सुनाई थी और उससे जुड़े कुछ सवाल भी पूछे थे। अब आप उन सवालों के जवाब को देने की कोशिश कीजिए, शायद इस अध्याय से आपको और जवाब देने में मदद मिले।
इस अध्याय की मुख्य बातें
- मॉडल पर आधारित सोच के जरिए आप अपने ट्रेडिंग को एक वैज्ञानिक तरीके में बदल सकते हैं
- जब भी स्पॉट की वैल्यू में बदलाव होता है तो डेल्टा भी बदलता है
- जब ऑप्शन OTM से ATM और फिर ITM की तरफ बढ़ता है तो डेल्टा भी साथ में बदलता है
- ATM ऑप्शन के लिए डेल्टा 0.5 तक पहुंच जाता है
- जब ऑप्शन डीप OTM से OTM में बदलता है तो यह डेल्टा की प्रीडेवलपमेंट स्थिति होती है
- डेल्टा का टेकऑफ और एक्सीलरेशन तब होता है जब ऑप्शन OTM से ATM की तरफ बढ़ता है
- डेल्टा स्टेबलाइजेशन तब होता है जब ऑप्शन ATM से ITM या डीप ITM की तरफ बढ़ता है
- टेक ऑफ स्थिति पर ऑप्शन खरीदने से आपको काफी ऊंचा रिटर्न मिल सकता है
- डीप ITM ऑप्शन को खरीदना अंडरलाइंग को खरीदने के बराबर ही होता है
हो सकता है कि आपने ऑप्शन ट्रेड में के बारे में यह सुना हो कि ट्रेडर कई बार ATM ऑप्शन में अपने पैसे को दोगुना या तिगुना कर लेते हैं। अगर आपने ऐसी कहानी नहीं सुनी है, तो मैं आपको एक कहानी बताता हूं।
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अब इस कहानी से जुड़े हुए कुछ सवाल पूछता हूं जिससे हम मुद्दे की बात पर आ सकेंगे –
आपको क्या लगता है हमारे सहयोगी ने OTM ऑप्शन खरीदने का फैसला क्यों किया और ATM या ITM ऑप्शन क्यों नहीं खरीदा?
उसने अगर ITM या ATM ऑप्शन खरीदा होता तो क्या होता ?
uppar aapne “ATM” ka jikr kiya hai aur niche ke paragraph me “OTM” ki baat kr rahe hai.
isse jara dekhe ki kya sahi hona chahiye.
सूचित करने के लिए धन्यवाद हमने इसको ठीक करदिया है।
नया ऑप्शन प्रीमियम = 30 +450 – 480 पूरे 30 पॉइंट का बदलाव
plz correct it.
सूचित करने के लिए धन्यवाद हमने इसको सही करदिया है।
तीसरे प्वाइंट से मिले संकेत के आघार पर कुछ नतीजे निकालते हैं। मान लीजिए कि निफ्टी स्पॉट 8312 पर है स्ट्राइक 100 पर और ऑप्शन CE है (कॉल ऑप्शन यूरोपियन
Yha pr 8400 ka strike hona chahiye intead of 100. Plzz correct.
सूचित करने के लिए धन्यवाद हम इसको सही करदेंगे।
Madam,
Agar bank Nifty 22000 k rate per h or mai 23100 ki call sell krta hu jo deep otm h. Jista rate 102 h. Agar Nifty mai 100+ point jati h . Mtlb 22100 tub 23100 ki call mai kiTni movement hogi.
आपका सवाल समझ नहीं आया क्या आप विस्तार में बता सकते हैं?
1.पहले X-axis पर नजर डालिए- बाएं तरफ से आप देखेंगे तो आपको दिखेगा कि जैसे-जैसे स्पॉट की कीमत ATM से OTM से ATM और फिर ATM की तरफ बढ़ती है वैसे-वैसे मनीनेस बढ़ता जाता है।
इसको ठीक कर दीजिए प्लीज…
It’s confusing…
For reference from English…
1.Look at the X axis – starting from left the moneyness increases as the spot price traverses from OTM to ATM to ITM
सूचित करने के लिए धन्यवाद हम इसको सही करदेंगे।