टेक्निकल एनालिसिस का एक बहुत अभिन्न अंग है – डॉउ थ्योरी । कैंडलस्टिक्स के आने से पहले पश्चिमी देशों में डॉउ थ्योरी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता था। वास्तव में आज भी डॉउ थ्योरी की अवधारणाओं का उपयोग किया जा रहा है। अच्छे ट्रेडर कैंडलस्टिक्स और डॉउ थ्योरी के सर्वोत्तम गुणों को मिला कर काम करते हैं।
डॉउ थ्योरी को दुनिया में चार्ल्स एच डॉउ ने पेश किया था, डॉउ-जोन्स फाइनेंशियल न्यूज सर्विस (वॉल स्ट्रीट जर्नल) की स्थापना भी उन्होंने ही की थी। उन्होंने 1900 के दशक के शुरू से लेखों की एक श्रृंखला लिखी, जिसे बाद के वर्षों में ‘द डॉउ थ्योरी ‘ के नाम से जाना गया। इन लेखों को इकट्ठा करने का श्रेय विलियम पी हैमिल्टन को जाता है, जिन्होंने 27 साल की अवधि में इन लेखों को जरूरी उदाहरणों के साथ संकलित किया। चूंकि अब का समय चार्ल्स डॉउ के समय से बहुत बदल गया है इसलिए डॉउ थ्योरी को मानने वाले भी हैं और इसके आलोचक भी हैं।
17.1 – डॉउ थ्योरी के सिद्धांत (The Dow theory principles)
डॉउ थ्योरी कुछ मान्यताओं पर बनी है। इन्हें डॉउ थ्योरी के सिद्धांत कहा जाता है। चार्ल्स एच डॉउ ने बाजारों का लगातार कई सालों तक अध्ययन करके इनको विकसित किया था। डॉउ थ्योरी के पीछे 9 मार्गदर्शक सिद्धांत हैं:
क्रम सं | सिद्धांत | इसका अर्थ क्या है? |
---|---|---|
1 | बाजार का इंडेक्स हर चीज को डिस्काउंट कर लेता है | स्टॉक मार्केट इंडेक्स उस हर खबर को डिस्काउंट कर लेता है जो सार्वजनिक है या छुपी हुई भी है। अगर अचानक कोई घटना हो जाती है तो इंडेक्स में उस हिसाब से बढत या गिरावट आ जाती है और ये सही कीमत तक पहुंच जाता है |
2 | बाजार में कुल तीन तरह के ट्रेंड होते हैं | प्राइमरी ट्रेंड,सेकेंडरी ट्रेंड और माइनर (Minor) ट्रेंड |
3 | प्राइमरी ट्रेंड | प्राइमरी ट्रेंड बाजार का मुख्य ट्रेंड है जो एक वर्ष से कई वर्षों तक चलता है। यह बाजार की लंबी और बड़ी दिशा को बताता है। लंबी अवधि के निवेशक प्राइमरी ट्रेंड को ही देखते हैं, जबकि एक सक्रिय ट्रेडर सभी तरह के ट्रेंड में रुचि रखता है। प्राइमरी ट्रेंड ऊपर की तरफ यानी अपट्रेंड(Uptrend)या नीचे की तरफ यानी डाउनट्रेंड(Downtrend)दोनों में से कुछ भी हो सकता है |
4 | सेकेंडरी ट्रेंड | ये प्राइमरी ट्रेंड में आ रहे करेक्शन हैं। आप इन्हें बाजार की लंबी अवधि के ट्रेंड में पैदा हुए छोटी मोटी रूकावट के रूप में देख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर- बुल मार्केट में आया करेक्शन,बेयर मार्केट में आया सुधार या रैली। प्राइमरी ट्रेंड से उल्टा चलने वाला ये सेकंडरी ट्रेंड कुछ हफ्तों या कभी-कभी कुछ महीनों तक भी चल सकता है। |
5 | माइनर ट्रेंड/दैनिक उतार-चढाव | ये बाजार में हर दिन होने वाले उतार-चढाव हैं। कुछ ट्रेडर इसे मार्केट नॉयज (Market- noise)कहते हैं। |
6 | सभी इंडेक्स से पुष्टि होनी चाहिए | हम केवल एक सूचकांक के आधार पर एक ट्रेंड की पुष्टि नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए बाजार में तेजी तभी मानी जाती है जबCNXनिफ्टी,CNXनिफ्टी मिडकैप,CNXनिफ्टी स्मॉलकैप आदि सभी इंडेक्स एक ही साथ ऊपर की दिशा में चलते हैं। केवलCNXनिफ्टी की तेजी से बाजारों में तेजी का ट्रेंड तय करना संभव नहीं होगा |
7 | वॉल्यूम से भी पुष्टि होनी चाहिए | कीमत के साथ-साथ वॉल्यूम से भी ट्रेंड की पुष्टि होनी चाहिए। अगर बाजार ऊपर की ओर जा रहा है और ये एक ट्रेंड है तो बाजार में कीमत बढने के साथ वॉल्यूम भी बढना चाहिए। और कीमत नीचे आने के साथ वॉल्यूम भी नीचे आना चाहिए।नीचे के ट्रेंड वाले बाजार में कीमत गिरने के साथ वॉल्यूम बढना चाहिए और कीमत बढने पर वॉल्यूम कम होना चाहिए। अध्याय 12 में वॉल्यूम को विस्तार से समझाया गया है। |
8 | साइडवेज बाजार को सेकेंडरी ट्रेंड के तौर पर देखा जा सकता है | बाजार लंबे समय तक एक सीमित दायरे में (साइडवेज) ट्रेड कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर 2010 से 2013 के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 860 से 990 के बीच ही था। साइडवेज बाजार को सेकेंडरी ट्रेंड की जगह देखा जा सकता है |
9 | क्लोजिंग कीमत सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है | ओपन, हाई, लो और क्लोज में से क्लोज का महत्व सबसे ज्यादा होता है क्योंकि ये शेयर की अंतिम कीमत को बताता है। |
17.2- बाजार की अलग अलग अवस्थाएं (The different phases of Market)
डाउ थ्योरी के हिसाब से बाजार में तीन अलग-अलग अवस्थाएं (phases) होती हैं जो बार-बार वापस आती रहती हैं इनको एक्यूमुलेशन (accumulation), मार्क अप (mark up) और डिस्ट्रीब्यूशन (distribution) फेज (phase) कहा जाता है।
एक्यूमुलेशन फेज आमतौर पर एक भारी गिरावट के बाद आता है। बाजार में आई एक भारी गिरावट बाजार के बहुत सारे खिलाड़ियों को निराश कर देती है और उन्हें नहीं लगता कि अब यह बाजार ऊपर जाएगा। कीमतें अपने एकदम निचले स्तर पर पहुंच जाती हैं और फिर भी बाजार में कोई भी शेयरों को खरीदना नहीं चाहता क्योंकि उन्हें लगता है कि अभी और बिकवाली आ सकती है। इसकी वजह से शेयर की कीमत अपने निचले स्तर पर ही बनी रहती है ऐसे में स्मार्ट मनी बाजार में प्रवेश करती है।
स्मार्ट मनी आमतौर पर उस पैसे को कहा जाता है जिसे बड़े-बड़े संस्थागत निवेशक यानी बड़ी-बड़ी कंपनियां लेकर आती हैं। वे लंबे समय के लिए निवेश करना चाहती है। ऐसे निवेशक आमतौर पर बाजार में तब घुसते हैं जब उनको शेयरों की कीमत में अपने लिए वैल्यू दिखाई पड़ रही होती है यानी शेयरों की कीमत काफी गिर चुकी होती है। ऐसी हालत में यह संस्थागत निवेशक काफी लंबे समय तक लगातार बड़ी बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीदारी करते जाते हैं शेयरों को जमा करने की उनकी इस हरकत की वजह से ही इसे एक्यूमुलेशन फेज कहते हैं। इसीलिए एक्यूमुलेशन फेज में खरीदार मिलना आसान होता है और यही वजह है कि इस फेज में शेयरों की कीमत और ज्यादा नहीं गिरती। इसका मतलब यह होता है कि बाजार अपनी सबसे निचली कीमतों पर आ चुका है। ऐसे में ही बाजार अपना सपोर्ट लेवल तैयार करता है। यह फेज कई महीनों तक चल सकता है।
जब बड़े संस्थागत निवेशक यानी स्मार्ट मनी एक बार बाजार में उपलब्ध सभी शेयर खरीद लेते हैं तब शॉर्ट टर्म ट्रेडर को बाजार में सपोर्ट दिखने लगता है साथ ही, इस समय तक बाजार का माहौल भी सुधरने लगता है, इस वजह से बाजार में शेयरों की कीमत ऊपर जाने लगती है इसीलिए इसे मार्क अप फेज कहते हैं। इस फेज में शेयरों की कीमत काफी तेजी से ऊपर की तरफ जाती है यह तेजी ही इस फेज सबसे बड़ा पहचान होती है।बाजार में इतनी तेजी से आए इस सुधार की वजह से आम लोग इस रैली में हिस्सा नहीं ले पाते हैं यानी उनको यह शेयर नहीं मिल पाते हैं। इसके बाद सभी को नए निवेशकों को और एनलिस्ट को और सभी सभी को इन शेयरों में तेजी और ऊंचे स्तर दिखाई देने लगते हैं।
अंत में जब शेयरों की कीमत अपने 52 हफ्तों की ऊंचाई पर या अब तक के सबसे उपरी स्तर पर पहुंच जाती है तो सारे लोग स्टॉक मार्केट के बारे में बात करने लगते हैं, अखबारों में यह खबरें छपने लगती हैं, बाजार का माहौल सुधर जाता है और हर तरफ तेजी के बारे में बात होने लगती है। ऐसे में सबको बाजार में निवेश करना होता है इसीलिए इस फेज को डिस्ट्रीब्यूशन फेज कहते हैं।
स्मार्ट इन्वेस्टर जो पहले से बाजार में घुसे हुए थे यानी एक्यूमूलेशन फेज में बाजार में घुस गए थे वह अब अपने शेयर बेचना शुरू कर देते हैं उनके द्वारा बेचे गए शेयर आम लोग खरीदते जाते हैं इससे स्मार्ट इन्वेस्टर को अपना मनचाही कीमत मिल जाती है। इस दौरान जब भी शेयरों की कीमत और ऊपर जाने लगती है तो स्मार्ट इन्वेस्टर अपने शेयर बेचते हैं जिससे कीमत ज्यादा ऊपर नहीं जा पाती है। ऐसा बार बार होता है और इसीलिए यहां पर शेयर का रेजिस्टेंस लेवल बन जाता है
अंततः जब संस्थागत निवेशक अपने सारे शेयर बेच देते हैं तो बाजार में कीमत को सपोर्ट करने वाला कोई नहीं रह जाता है और इसीलिए डिस्ट्रीब्यूशन फेज के बाद बाजार में तेज बिकवाली आने लगती है, इसीलिए इस फेज को मार्क डाउन ऑफ प्राइस (mark down of prices) भी कहते हैं। बाजार में आई ये तेज गिरावट आम जनता के लिए काफी निराशाजनक होती है।
ये चक्र तब पूरा होता है जब इस तेज गिरावट के बाद फिर से एक्यूम्युलेशन फेज शुरू हो जाता है और यह चक्र इसी तरीके से चलता रहता है। यह माना जाता है यह पूरा चक्र – एक्यूम्युलेशन फेज से सेल ऑफ फेज तक कुछ सालों तक चल सकता है
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे दो चक्र एक जैसे नहीं हो सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर भारतीय संदर्भ में देखें तो 2006 और 2007 के बीच का बुल मार्केट 2013 और 2014 के बुल मार्केट से अलग था। कभी-कभी बाजार एक्यूम्युलेशन से डिस्ट्रीब्यूशन फेस तक पहुंचने में कई साल ले लेता है लेकिन कई बार यह पूरा चक्र कुछ महीनों में ही पूरा हो जाता है। बाजार के खिलाड़ियों को यह ध्यान देना चाहिए कि इस समय यह फेज कैसे चल रहा है और उसी हिसाब से अपनी रणनीति बनानी चाहिए।
17.3- डॉउ पैटर्न (The Dow Patterns)
कैंडलस्टिक की तरह डॉउ थ्योरी में भी कुछ महत्वपूर्ण पैटर्न होते हैं। इन पैटर्न के आधार पर ट्रेडर अपने लिए ट्रेड करने के मौके तलाश सकते हैं। कुछ पैटर्न जिनके बारे में हमें जानना चाहिए वह हैं:
- डबल बॉटम और डबल टॉप फॉर्मेशन (The double bottom & double top formation)
- ट्रिपल बॉटम और ट्रिपल टॉप (The triple bottom & Triple top)
- रेंज फॉर्मेशन (Range formation)
- फ्लैग फॉर्मेशन (Flag formation)
डॉउ थ्योरी के लिए भी सपोर्ट और रेजिस्टेंस एक जरूरी सिद्धांत होते हैं वैसे हम इसके बारे में पहले ही जान चुके हैं।
17.4- डबल बॉटम और टॉप फॉर्मेशन (The Double bottom and top formation)
डबल टॉप और डबल बॉटम पैटर्न को एक रिवर्सल पैटर्न माना जाता है यानी यहां से ट्रेंड बदलता है। डबल बॉटम तब बनता है जब स्टॉक की कीमत एक निश्चित निचले स्तर पर जाकर वहां से काफी तेजी से वापस ऊपर की ओर जाती है। इस तेज रफ्तार से हुए सुधार के बाद स्टॉक करीब 2 हफ्ते तक एक ऊंचे स्तर पर ट्रेड करता है उसके बाद स्टॉक अपने निचले स्तर तक दोबारा पहुंचता है और अगर स्टॉक अपने निचले स्तर पर पहुंचने के बाद फिर से ऊपर आता है तो इसको डबल बॉटम कहते हैं।
डबल बॉटम एक बुलिश पैटर्न होता है और इसलिए शेयर खरीदने वालों को यहां पर खरीदने का मौका तलाशना चाहिए। नीचे सिप्ला लिमिटेड के चार्ट में आपको डबल बॉटम दिखेगा।
यहां पर दोनों बॉटम फॉर्मेशन के बीच के समय पर ध्यान दें साफ है कि दोनों के बीच में कुछ समय बीता है।
इसी तरीके से डबल टॉप फॉर्मेशन में एक शेयर अपने निचले स्तर को दो बार छूने की कोशिश करता है ध्यान रहे कि यहां पर यहां भी इन दोनों कोशिशों के बीच कम से कम 2 हफ्ते का अंतर होना चाहिए। नीचे के चार्ट में केर्न इंडिया लिमिटेड का शेयर 336 के स्तर पर दो बार डबल टॉप बनाता है। ध्यान से देखने पर आपको पता चलेगा कि पहला टॉप 336 पर बना था और दूसरा टॉप करीब 332 पर बना था। इतना अंतर कई बार मान्य होता है और इसको डबल टॉप माना जा सकता है।
ट्रेडिंग में अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि डबल टॉप और डबल बॉटम काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी होते हैं खासकर तब जब डबल फॉर्मेशन किसी पहचाने हुए कैंडलस्टिक फॉर्मेशन के साथ बन रहे हों।
उदाहरण के तौर पर, एक ऐसी स्थिति मान लीजिए जहां पर डबल टॉप फॉर्मेशन बन रहा हो और दूसरा टॉप ऐसे बेयरिश पैटर्न पर बन रहा हो जहां पर शूटिंग स्टार हो। इसका मतलब है कि डॉउ थ्योरी और कैंडलस्टिक पैटर्न दोनों ही एक साथ बन रहे हैं और एक ही तरफ इशारा कर रहे हैं। ऐसे में अपने ट्रेड पर भरोसा बढ़ जाता है।
17.5- ट्रिपल टॉप और बॉटम (The triple top and bottom)
आपने अंदाजा लगा ही लिया होगा कि डबल टॉप की तरह ही ट्रिपल टॉप फॉर्मेशन भी होता है। अंतर सिर्फ इतना होता है कि कीमत का स्तर दो बार नहीं बल्कि 3 बार छुआ जाता है। ट्रिपल टॉप फॉर्मेशन का मतलब भी वैसे ही निकाला जाता है जैसे डबल टॉप फॉर्मेशन का निकाला जाता है।
जितनी ज्यादा बार शेयर अपने कीमत के किसी एक स्तर को छूता है उस संकेत को उतना ही ज्यादा मजबूत माना जाता है इसीलिए ट्रिपल टॉप फॉर्मेशन को हमेशा डबल टॉप फॉर्मेशन से ज्यादा महत्वपूर्ण और मजबूत संकेत माना जाता है।
नीचे के चार्ट में DLF लिमिटेड का ट्रिपल टॉप फॉर्मेशन दिखाया गया है। तीसरे टॉप के बाद आई तेज बिकवाली पर ध्यान दीजिए, इससे ट्रिपल टॉप के बनने की पुष्टि होती है।
इस अध्याय की खास बातें
- पश्चिमी दुनिया में डॉउ थ्योरी का इस्तेमाल कैंडलस्टिक के आने के पहले से हो रहा है।
- डॉउ थ्योरी अपनी 9 मान्यताओं के आधार पर चलती है।
- बाजार में तीन महत्वपूर्ण फेज होते हैं-एक्यूम्युलेशन, मार्क अप और डिस्ट्रीब्यूशन फेज।
- एक्यूम्युलेशन फेज तब होता है जब संस्थागत निवेश यानी स्मार्ट मनी बाजार में घुसते हैं मार्क अप फेज तब होता है जब ट्रेडर बाजार में घुसते हैं और फाइनल डिस्ट्रीब्यूशन फेज तब होता है जब आम जनता बाजार में घुसती है।
- डिस्ट्रीब्यूशन फेज के बाद मार्क डाउन शुर हो जाता है जिसके बाद फिर से एक्यूम्युलेशन फेज शुरू हो जाता है और यह चक्र पूरा होता है।
- डॉउ थ्योरी में भी कुछ महत्वपूर्ण पैटर्न होते हैं जिनका इस्तेमाल कैंडलस्टिक के साथ किया जा सकता है।
- डबल और ट्रिपल फॉर्मेशन एक रिवर्सल पैटर्न होते हैं और बहुत ही काम के होते हैं।
- डबल फॉर्मेशन और ट्रिपल फॉर्मेशन का मतलब एक ही तरीके से निकाला जाता है।
हिंदी में इतनी अच्छी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए जिरोधा बधाई का पात्र है।आपका प्रयास सराहनीय एवम अत्यंत उपयोगी है,खासतौर पर रिटेल ट्रेडर ओर निवेशकों के लिए जो 2 ओर 3 टियर क्षेत्रों से मार्किट में हिस्सा ले रहे है।
मनीष जी, प्रशंसा के लिए बहुत धन्यवाद 🙂
Zerodha Versity के सभी मॉडल को हिंदी और इंग्लिश में कर देते तो अच्छा होता. कुछ ट्रेडर को इंग्लिश न आती हो तो वो इग्लिश के बजाय हिंदी में पढ सकते.
क्योंकी जो चीज पैसे देकर सिखाय जाती हे वो आप फ्री में सिखाते है. इस से खास कर रिटेल ट्रेडर को बहुत नॉलेज मिल सकता है.और उनके काफी सारे पैसे भी बच सकते है .आपने ट्रेडर को स्टॉक मार्किट का नॉलेज सीखाने के लिए इतनी महेनत की उनके लिए Big Thank You और आने समय में Zerodha Versity Module HIndi and English दोनों में हो जाय उनके लिए Advanceमें once again thank you.
हम इस पर काम कर रहे हैं, सभी मॉड्यूल हिंदी में भी जल्द ही उपलब्ध होंगे। और हम आपके आभारी हैं कि हम आपकी मदद करने में सक्षम हैं।
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Thanks for HINDI me available karne ke liye
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Thanks you So so so … Much zerodha..
मुझे Zerodha के साथ जुड़कर बहुत ही कुछ learn करने को मिल रहा है।
में बहुत खुश हूं कि में zerodha परिवार का हिस्सा हु।
हम आपकी मदद करने के लिए आभारी हैं।
मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली साली मानता हूँ, कि मुझे zerodhaa परिवार का एक सदस्य हूँ, काफी साल व्यतीत करने के बाद भी आप सभी का दिल से धन्यवाद, ख़ासतौर पर मार्केट की इतनी महत्वपूर्ण जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराने के लिए पुनः दिल से धन्यवाद।
आप सभी का सहयोग न होता तो मैं मार्केट का आजीवन समझ ही नही पाता। again thanks
हम आपके आभारी हैं कि हम आपकी मदद करने में सक्षम हैं.
Bahut hi badiya tarike se samjhaya hai aapne.
SIR, kya is jankari k bad ek achhi trading ki ja sakti h. sir dau theory k jo patern h vo samajhh ni aate. koi solution ho to btaye .
sir 10 days ka average volume kaise nikalenge.
please
आपको ट्रेडिंग शुरू करने के लिए यह काफी होना चाहिए।आप DOW थ्योरी के दोनों भागों को पूरा पढ़ें, उसमे उदाहरण के साथ उसके चार्ट पैटर्न्स को समझाया हैं आपको समझ अजाना चाहिए, अगर फिर भी आपको समझने में मुश्किल हो रहा हैं तो हमें लिख सकते हैं हम समझाने की कोशिश करेंगे।
वोलुमस की ज़्यादा जानकारी के लिए आप इस अध्याय को पढ़ सकते हैं।
https://zerodha।com/varsity/chapter/%e0%a4%b5%e0%a5%89%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%82%e0%a4%ae-volumes/
Zirodha Team ka bahot bahot Dhanyawad itni achi taraha se Tranning karne ke liye
ye biggner ke liye bahot upyogi hai
आपका अभिनन्दन है।
Dear Sir/Mam
This line
इसी तरीके से डबल टॉप फॉर्मेशन में एक शेयर अपने निचले स्तर को दो बार छूने की कोशिश करता है. Is wrong Please do make it correct.
Likewise in a double top formation, the stock attempts to hit the same high price twice.
And Thank you so much for this wonderful platform , here everyone gets best & amazing knowledge even paid one can’t.
Thanks for your great support.
Hi Hitesh, सूचित करने के लिए धन्यवाद हमने इसको चेक करेंगे। 🙂
itna aacha jankari dene kaeliye zerodha ko dhanya bad.
आपका धन्यवाद। 🙂
zerodha team ka bahot bahot dhanyawad apne ek naya rasta dikhaya he in sare jankari ke jariye, ap sab bahot ache se ye jankari de rahe he jo bahot log paise deke use paneki koshish karte he fir bhi wo itni achi jankari nahi le pate. me dilse ap sabka shukriya karta hun. apko bhagwan ek nayi unchai par le jaye.
आपके कृपालु शब्दों’न के लिए धन्यवाद, ऐसे हे पढ़ते रहिये और हमें सपोर्ट करते रहिये।
good step taken by Zerodha, I am already trading for a long but I like Hindi translations done by Zerodha for most of the learning.
धन्यवाद, पढ़ते रहिये और हमें सपोर्ट करते रहिये।
Apaka Abhari hu. Maine market kaisa chalta hai. Zerodha se learn ki koshish kar Raha hu.zerodha tem ka thanks
Can you please send me this pdf in hindi.
I am Zerodha Kite customer.
Hindi me jankari dene k liy big thank you
आपका धन्यवाद। 🙂
17.4 section 4th paragraph
Mistake in double top interpretation
सूचित करने के लिए धन्यवाद हम इसको सही करदेंगे।
इतनी अच्छी जानकारी मिले तो हर कोई ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कर सकता है, और हमारा भारत और समृद्ध बन सकता है।। Thank you zerodha team
आपका धन्यवाद।
Thank you so much zeroda 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks jirodha for givan in a valuable information
Happy learning 🙂
Zerodha varsity bhut hi acha hai aap jo free me sikha rahe market me uska paisa lagta hai bhut bhut badhai puri team ko
हिन्दी में जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ….बाकी के मॉड्यूलो का हिन्दी में आने का इंतजार रहेगा …..
आपका धन्यवाद।
Nice!
Kya book provide ho sakti h hard copy hindi me
इसकी बुक्स उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन आप PDF डाउनलोड करके उसको प्रिंट कर सकते हैं।
Please Option chain analysis bhi post kariye
Hindi me itni achi information Dene ke liye zerotha aap ko bahut bahut thank you ❤️❤️👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍🖤♥️🖤♥️♥️♥️♥️😊🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥😊🥰😍😍🤩
Thanks sir for hindi module.
Happy learning 🙂