यदि आप किसी ट्रेडर के ट्रेडिंग टर्मिनल पर स्टॉक चार्ट को देखते हैं, तो आपको चार्ट पर कई तरह की रेखाएं दिखेंगी। इनको ‘टेक्निकल इंडिकेटर्स’ कहा जाता है। टेक्निकल इंडिकेटर एक ट्रेडर को स्टॉक की कीमत में हो रहे फेरबदल का विश्लेषण करने में मदद करता है।

टेक्निकल इंडिकेटर एक स्वतंत्र ट्रेडिंग सिस्टम है जो दुनिया के सफल ट्रेडर्स ने बनाया है। टेक्निकल इंडिकेटर्स एक प्रीसेट लॉजिक (preset logic) पर बनाए गए हैं, जिनका उपयोग करके एक ट्रेडर अपने टेक्निकल एनालिसिस (कैंडलस्टिक्स, वॉल्यूम, S&R) को और मजबूत कर सकता है। इंडिकेटर्स ट्रेडिंग से जुड़े फैसले, जैसे खरीदना, बेचना, ट्रेड की पुष्टि करना और कभी-कभी ट्रेंड की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।

टेक्निकल इंडिकेटर्स दो प्रकार के होते हैं लीडिंग (Leading) और लैगिंग (Lagging)। एक लीडिंग इंडिकेटर कीमत के आगे चलता है, जिसका अर्थ है कि आम तौर पर यह पहले से ही ट्रेंड में रिवर्सल (यानी बदलाव) या एक नए ट्रेंड के बनने का संकेत दे देता है। ये लगता बहुत रोचक है लेकिन यहाँ आपको ध्यान देना चाहिए कि सभी लीडिंग इंडिकेटर्स सटीक नहीं हैं। लीडिंग इंडिकेटर्स झूठे संकेत देने के लिए कुख्यात हैं। इसलिए, लीडिंग इंडिकेटर्स का उपयोग करते समय कारोबारी को अत्यधिक सतर्क होना चाहिए। वास्तव में ट्रेडिंग के अनुभव के साथ लीडिंग इंडिकेटर्स का उपयोग करने की कुशलता बढ़ जाती है।

अधिकांश लीडिंग इंडिकेटर्स को ऑसिलेटर (Oscillators) कहा जाता है क्योंकि वे एक तय सीमा के भीतर ही इधर उधर घूमा करते हैं। आमतौर पर एक ऑसिलेटर दो मूल्यों के बीच ही रहता है – उदाहरण के लिए 0 से 100 के बीच। ऑसिलेटर की रीडिंग (उदाहरण के लिए 55, 70 आदि) के आधार पर ट्रेडिंग की व्याख्या अलग-अलग होती है। 

दूसरी ओर एक लैगिंग इंडिकेटर कीमत के पीछे चलता है; इसका अर्थ यह है कि आमतौर पर यह ट्रेंड रिवर्सल या एक नए ट्रेंड के घटित होने के बाद संकेत देता है। आप सोच सकते हैं कि घटना घटने के बाद संकेत मिलने का क्या फायदा होगा? खैर, संकेत ना मिलने से कहीं बेहतर है बाद में संकेत मिल जाना। सबसे लोकप्रिय लैगिंग इंडिकेटर्स में से एक है–  मूविंग एवरेजेस (Moving Averages)। 

आप सोच रहे होंगे कि अगर मूविंग एवरेज अपने आप में एक इंडिकेटर है, तो हमने इंडिकेटर्स पर चर्चा करने से पहले ही इसकी चर्चा क्यों की? कारण यह है कि मूविंग एवरेज अपने आप में एक मूल सिद्धांत है। RSI, MACD, स्टोकस्टिक (Stochastic) जैसे कई इंडिकेटर्स में मूविंग एवरेजेस का उपयोग होता है। इस कारण से, हमने एक अलग विषय के रूप में मूविंग एवरेजेस पर चर्चा की। 

इससे पहले कि हम अलग अलग इंडिकेटर्स को समझने के लिए आगे बढ़ें, मुझे लगता है कि हमें मोमेंटम (momentum) यानी गति/वेग का मतलब समझ लेना चाहिए। मोमेंटम वह दर है जिस पर कीमत बदलती है। उदाहरण के लिए यदि स्टॉक की कीमत आज 100 रुपये है और यह अगले दिन 105 रुपये तक जाती है, और एक दिन बाद 115 तक, हम कहते हैं कि मोमेंटम अधिक है क्योंकि स्टॉक की कीमत केवल 3 दिनों में 15% बदल गई है। हालाँकि अगर यही 15% बदलाव 3 महीने में होता तो हम कहते कि मोमेंटम कम है। तो जितनी तेजी से कीमत बदलती है, मोमेंटम उतना ही अधिक होता है।

14.1 – रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (Relative Strength Index)

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स या सिर्फ RSI एक लोकप्रिय इंडिकेटर है जिसे जे. वेल्स वाइल्डर ने विकसित किया है। RSI एक लीडिंग इंडिकेटर है जो एक ट्रेंड रिवर्सल की पहचान करने में मदद करता है। RSI इंडिकेटर 0 और 100 के बीच ही रहता है, और इस इंडिकेटर की नवीनतम रीडिंग के आधार पर, बाजार की दिशा का अनुमान लगाया जाता है। 

“रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स” शब्द थोड़ा भ्रामक हो सकता है क्योंकि यह दो शेयरों की तुलना नहीं करता है, बल्कि इसके बजाय स्टॉक की आंतरिक ताकत को दिखाता है। RSI सबसे लोकप्रिय लीडिंग इंडिकेटर है, जो साइडवेज बाजार में और बिना ट्रेंड वाले बाजार में रेंज की अवधि के दौरान सबसे मजबूत संकेत देता है। 

RSI की गणना करने का फार्मूला ये है:

इस इंडिकेटर को निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से समझते हैं: मान लें कि एक स्टॉक 99 पर कारोबार कर रहा है, इसे दिन 0 मान लें और अब निम्न डाटा पर विचार करें:  

क्रम सं क्लोजिंग प्राइस प्वाइंट्स बढत प्वाइंट्स नुकसान
1 100 1 0
2 102 2 0
3 105 3 0
4 107 2 0
5 103 0 4
6 100 0 3
7 99 0 1
8 97 0 2
9 100 3 0
10 105 5 0
11 107 2 0
12 110 3 0
13 114 4 0
14 118 4 0
कुल 29 10

उपरोक्त तालिका में, प्वाइंट्स में बढत/नुकसान पिछले दिन के क्लोज से प्वाइंट्स में बढत/नुकसान को दिखा रहे हैं। उदाहरण के लिए यदि आज का क्लोज 104 है और कल का क्लोज 100 था, तो प्वाइंट्स में बढत 4 की होगी और नुकसान 0 प्वाइंट का.। यदि आज का क्लोज 104 था और पिछले दिन का क्लोज 107 था, तो बढत  0 प्वाइंट और नुकसान 3 प्वाइंट का होगा। कृपया ध्यान दें कि, हार की गणना सकारात्मक मान के रूप में की जाती है।

हमने गणना के लिए 14 डाटा बिंदुओं का उपयोग किया है, जो चार्टिंग सॉफ़्टवेयर में डिफ़ॉल्ट सेटिंग (Default setting) है। इसे ‘लुक-बैक पीरियड (Look back period)‘ भी कहा जाता है। यदि आप प्रति घंटा वाले चार्ट का विश्लेषण कर रहे हैं तो डिफ़ॉल्ट (Default) अवधि 14 घंटे है, और यदि आप दैनिक चार्ट का विश्लेषण कर रहे हैं, तो डिफ़ॉल्ट अवधि 14 दिन है। 

पहला कदम ‘RS’ की गणना करना है जिसे RSI फैक्टर भी कहा जाता है। जैसा कि आप RS के फार्मूले में देख सकते हैं, कि प्वाइंट में औसत नुकसान और औसत बढत के अनुपात को RS कहते हैं।

प्वाइंट में औसत बढत = 29/14 

= 2.07 

प्वाइंट में औसत नुकसान = 10/14 

= 0.714 

RS = 2.07 / 0.714 

= 2.8991 

RSI के फार्मूले में RS को डालने पर, 

= 100 – [100 / (1 + 2.8991)] 

= 100 – [100 / 3.8991] 

= 100 – 25.6469 

RSI = 74.3531

जैसा कि आप देख सकते हैं RSI की गणना काफी सरल है। RSI के उपयोग से ट्रेडर को अधिक खरीदे हुए (ओवरबॉट/ overbought) और अधिक बिके हुए (ओवरसोल्ड/ oversold) कीमत वाले क्षेत्र की पहचान करने में मदद मिलती है। ओवरबॉट का अर्थ है कि स्टॉक में खरीद का यानी पॉजिटिव मोमेंटम इतना अधिक है कि यह लंबे समय तक टिक नहीं सकता है और इसलिए इसमें करेक्शन हो सकता है। इसी तरह, एक ओवरसोल्ड स्थिति बताती है कि निगेटिव मोमेंटम काफी अधिक है एक रिवर्सल संभव है। 

सिप्ला लिमिटेड के चार्ट पर एक नज़र डालें, आपको बहुत सारे दिलचस्प घटनाक्रम मिलेंगे।

सबसे पहले, प्राइस चार्ट के नीचे की लाल रेखा 14 अवधि RSI दिखा रही है। यदि आप RSI के पैमाने पर ध्यान देते हैं, तो आपको इसकी ऊपरी सीमा 100 तक महसूस होगी, और निचली 0 तक। हालांकि 100 और 0 आपको चार्ट में दिखाई नहीं देंगे।

जब RSI रीडिंग 30 से 0 के बीच होती है, तो स्टॉक ओवरसोल्ड होता है और करेक्शन के लिए तैयार होना चाहिए। जब रीडिंग 70 से 100 के बीच होती है, तो स्टॉक भारी मात्रा में खरीदा जा चुका है यानी ओवरबॉट है और यह नीचे की ओर करेक्शन के लिए तैयार है। 

बाईं ओर से चिह्नित पहली खड़ी रेखा (vertical line) एक स्तर दिखाती है जहां RSI 30 से नीचे है, वास्तव में RSI 26.8 है। मतलब RSI सुझाव दे रहा है कि स्टॉक ओवरसोल्ड है। इस उदाहरण में, 26.8 का RSI मूल्य, एक बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न के साथ जुड़ रहा है। यह ट्रेडर को लांग जाने की दोहरी पुष्टि देता है! कहने की जरूरत नहीं है कि वॉल्यूम और S&R को भी इसकी पुष्टि करनी चाहिए। 

दूसरी खड़ी रेखा (vertical line) उस स्तर की ओर इशारा करती है जहां RSI 81 हो जाता है, जिस जगह इसे ओवरबॉट माना जाता है। इसलिए, यदि शॉर्ट करने का इरादा न हो तो फिर ट्रेडर को इस स्टॉक को खरीदने के अपने निर्णय में सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आप फिर कैंडल पर नजर डालते हैं, तो वे एक बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न बनाते दिखेंगे। तो बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न और 81 का RSI मिल कर स्टॉक को शॉर्ट करने के लिए संकेत दे रहे हैं। इसके बाद स्टॉक में एक तेज और एक छोटा करेक्शन है। 

मैंने यहां जो उदाहरण दिखाया है वह काफी अच्छा है, जिसका अर्थ है कि कैंडलस्टिक पैटर्न और RSI दोनों एक ही घटना की पुष्टि करने के लिए पूरी तरह से सामंजस्य में हैं। हमेशा ऐसा नहीं हो सकता है। यह RSI की व्याख्या करने के लिए हमें एक और दिलचस्प तरीके की तरफ ले जाता है। निम्नलिखित दो परिदृश्यों की कल्पना करें:

परिदृश्य 1) ​​एक स्टॉक जो निरंतर अपट्रेंड में है (याद रखें कि अपट्रेंड कुछ दिनों से कुछ वर्षों तक रह सकता है) का RSI लंबे समय तक ओवरबॉट क्षेत्र में अटका रह सकता है, इसकी वजह यह है कि RSI ऊपरी सिरे पर 100 से बंधा हुआ है। यह 100 के पार नहीं जा सकता है। ऐसे में ट्रेडर शॉर्ट करने के अवसरों को देख रहा होगा लेकिन दूसरी ओर स्टॉक एक अलग ज़ोन में होगा। उदाहरण – आयशर मोटर्स लिमिटेड के स्टॉक ने वर्ष दर वर्ष लगभग 100% का रिटर्न दिया है। 

परिदृश्य 2) एक स्टॉक जो निरंतर गिरावट में है उसका RSI ओवरसोल्ड क्षेत्र में अटक जाएगा क्योंकि RSI 0 से कम नहीं जा सकता है। इस मामले में ट्रेडर खरीद के अवसरों की तलाश में रहेगा लेकिन स्टॉक नीचे गिरता जा रहा है। उदाहरण – सुजलॉन एनर्जी, इस स्टॉक ने वर्ष दर वर्ष 34% का निगेटिव रिटर्न दिया है। 

यह हमें बताता है कि RSI की सिर्फ एक क्लासिक व्याख्या ही नहीं बल्कि कई और अलग-अलग तरीकों से व्याख्या की जा सकती है। 

  1. यदि RSI एक लंबी अवधि के लिए एक ओवरबॉट क्षेत्र में है, तो शॉर्टिंग के बजाय खरीदने के अवसरों को देखें। RSI एक बहुत अधिक पॉजिटिव मोमेंटम के कारण लंबे समय तक के लिए ओवरबॉट क्षेत्र में रहता है 
  2. यदि RSI एक लंबी अवधि के लिए ओवरसोल्ड क्षेत्र में है, तो खरीदने के बजाय बेचने के अवसरों की तलाश करें। RSI अधिक निगेटिव मोमेंटम के कारण लंबे समय तक ओवरसोल्ड क्षेत्र में रहता है। 
  3. यदि लंबे समय के बाद RSI ओवरसोल्ड क्षेत्र से दूर जाने लगता है, तो ऐसे अवसरों पर खरीदने के मौके देखें। उदाहरण के लिए, RSI लंबे समय के बाद 30 से ऊपर चला जाता है इसका मतलब यह हो सकता है कि स्टॉक का बॉटम बन गया है, और अब लांग करने का समय है।
  4. यदि लंबे समय के बाद RSI ओवरबॉट क्षेत्र से दूर जाना शुरू करता है, तो बिक्री के अवसरों की तलाश करें। उदाहरण के लिए, RSI लंबे समय के बाद 70 से नीचे जा रहा है। इसका मतलब है कि स्टॉक में टॉप बन गया है, इसलिए शॉर्टिंग के लिए सही समय है।

14.2 – एक और बात (One last note)

RSI का विश्लेषण करते समय उपयोग किए गए मापदंडों में से कोई भी जड़ता के साथ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, जे.वेल्स वाइल्डर ने 14 दिनों के लुक बैक पीरियड का उपयोग करने का विकल्प चुना, क्योंकि इसने 1978 में बाजार की स्थितियों (जब RSI को दुनिया में पेश किया गया था) पर विश्लेषण करते हुए सर्वोत्तम परिणाम दिए। आप चाहें तो 5,10,20 या 100 दिन की अवधि का उपयोग कर सकते हैं। वास्तव में इस तरह से आप एक ट्रेडर के रूप में अपने को विकसित करते हैं। आपको यह विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि आपके लिए क्या सही काम कर रहा है और उसी को अपनाएं। कृपया याद रखें कि RSI की गणना करने के लिए आप जितने कम दिनों का उपयोग करते हैं, इंडिकेटर उतना अधिक अस्थिर होगा।

इसके अलावा, जे.वेल्स वाइल्डर ने ओवरबॉट रीजन को दिखाने  के लिए ओवरसोल्ड क्षेत्रों और 70-100 के स्तर को इंगित करने के लिए 0-30 स्तर का उपयोग करने का निर्णय लिया। फिर से कहता हूं कि यह पत्थर की लकीर नहीं है, आप अपने संयोजन पर पहुंच सकते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से क्रमशः ओवरसोल्ड और ओवरबॉट क्षेत्रों की पहचान करने के लिए 0-20 स्तर और 80-100 स्तर का उपयोग करना पसंद करता हूं। मैं इसका उपयोग शास्त्रीय यानी क्लासिक 14 दिन के लुक बैक पीरियड के साथ करता हूं। बेशक, मैं आपसे उन मापदंडों का पता लगाने का आग्रह करता हूं जो आपके लिए काम करते हैं। वास्तव में यही है कि जो आप अंततः एक सफल व्यापारी के रूप में विकसित करेगा। 

अंत में, याद रखें कि कारोबारी अक्सर RSI का उपयोग अकेले नहीं करते हैं, बाजार का अध्ययन करने के लिए इसका उपयोग दूसरे कैंडलस्टिक पैटर्न और इंडिकेटर्स के साथ किया जाता है।


इस अध्याय की मुख्य बातें

  1. इंडिकेटर्स सफल व्यापारियों द्वारा विकसित किया गया एक स्वतंत्र ट्रेडिंग सिस्टम है।
  2. इंडिकेटर्स लीडिंग या लैगिंग होते हैं। लीडिंग इंडिकेटर्स किसी संभावित घटना का संकेत देते हैं। दूसरी ओर लैगिंग इंडिकेटर्स एक ट्रेंड की पुष्टि करता है। 
  3. RSI एक मोमेंटम ऑसिलेटर है जो 0 और 100 के स्तर के बीच रहता है। 
  4. RSI का 0 और 30 के बीच रहने का मतलब है कि स्टॉक ओवरसोल्ड है, इसलिए ट्रेडर को खरीदने के अवसरों को देखना चाहिए। 
  5. RSI के 70 और 100 के बीच होने को ओवरबॉट का संकेत माना जाता है, इसलिए ट्रेडर को बेचने के अवसरों को देखना चाहिए। 
  6. यदि RSI मूल्य एक क्षेत्र में लंबे समय तक टिक जाता है, तो यह बहुत ज्यादा मोमेंटम को दिखाता है और ऐसे में रिवर्सल की संभावना कम होती है, इसलिए ऐसे में ट्रेडर को मोमेंटम की दिशा में ही ट्रेड करने पर विचार करना चाहिए।

 




61 comments

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  1. jaiprakash kushawaha says:

    plz rsi chart insert

  2. VINEET KUMAR says:

    Dhanyavad aapko rsi ko batane k liye
    kripaya bataye ki rsi k saath kon sa indicator prayog kare jisse ki trade ko aaur adhik safal banaya ja sake
    jisse ki fake signal bhi na generate ho.
    kisi ek ya do aur indicator ko batye jo rsi k sath accha work kareeee…..
    Dhanyavad ……………

    • Kulsum Khan says:

      RSI ही एक इंडिकेटर है, उसके साथ कोई और इंडिकेटर लगाना या इंडिकेटर के ऊपर इंडिकेटर लगाना सही नहीं होगा।

  3. VINEET KUMAR says:

    thanks
    ho sake to rsi k bare aur adhik deep knowledge ko share kijiye …
    aap se jitna adhik ho sake …

    q ki aap se accha aur fact knowledge kahi aur nahi milega …

    y a koi acchi book ka name share kijiye jise mai le saku…

    zerodha ki pure team ko meri taraf se dhanyavad …

    • Kulsum Khan says:

      Hi Vineet, धन्यवाद, हम आपके फीडबैक पर ज़रूर नज़र डालेंगे।

  4. tithal says:

    good for knolwedge
    par ek confusion he agar RSi 30 to 70 ke bich hua to use kya mana jana chahiye? overbought ya oversold.
    thanj you.

    • Kulsum Khan says:

      अगर RSI 30 और 60 के बीच में है तोह यह मन जा सकता है की शेयर्स अपने करंट लेवल्स से ऊपर जयेन्गे।

  5. Arbaz khan says:

    You give very good knowledge to everyone

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