14.1 – नया मार्जिन फ्रेमवर्क
* Hedge: बचाव, रोकना
भारत में रहने वाले ऑप्शन ट्रेडर के लिए अच्छा समय चल रहा है।
NSE में 1 जून 2020 से नया मार्जिन फ्रेमवर्क शुरू हो गया है। इस वजह से अब हेज्ड पोजीशन (Hedged Position) में मार्जिन की जरूरत कम होगी।
हेज्ड पोजीशन क्या होती है इस बारे में हमने इस मॉड्यूल में कई बार चर्चा की है। लेकिन फिर भी एक बार उस पर जल्दी से नजर डाल लेते हैं। मान लीजिए आप एक बाइक पर 75 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से जा रहे हैं। आपने हेलमेट नहीं पहना है। अचानक आपके सामने एक गड्ढा आ जाता है आप ब्रेक लगाते हैं लेकिन आप रुक नहीं पाते और गिर जाते हैं। ऐसे में आप के सर पर चोट लगने की संभावना काफी ज्यादा है क्योंकि आपने हेलमेट नहीं पहना है।
अब मान लीजिए कि आपने हेलमेट पहना हुआ होता, तो फिर आप के सर पर चोट लगने की संभावना कम होती क्योंकि हेलमेट आपको उस चोट से बचा सकता है।
तो यहां पर हेलमेट एक तरीके का हेज है जो आपको नुकसान/चोट से बचा सकता है।
ठीक इसी तरह से, बाजार मे बनाई गयी नेकेड (naked) फ्यूचर या ऑप्शन पोजीशन होती है जहां पर आप बिना हेलमेट के चल रहे हैं। ऐसे में अगर बाजार आपकी पोजीशन के उल्टा चला तो आपकी पूंजी चले जाने का खतरा बढ़ जाता है।
लेकिन अगर आपने अपनी पोजीशन को हेज (Hedge) किया हुआ है तो पूंजी को गंवाने का खतरा काफी कम हो जाता है।
अब अगर आपका नुकसान कम या सीमित हो जाए तो इसका मतलब है आपके ब्रोकर का रिस्क भी कम हो गया है और आपके ब्रोकर का रिस्क भी कम हो गया है तो इसका मतलब है कि एक्सचेंज के लिए भी रिस्क कम हो गया है।
आपको याद ही होगा कि मार्जिन किस तरह से काम करता है – जितना कम रिस्क आपके पोजीशन पर होता है उतना ही कम मार्जिन की जरूरत होती है। मतलब ज्यादा रिस्क तो ज्यादा मार्जिन।
तो अगर आपने एक हेज्ड (Hedged) स्ट्रैटेजी ली है तो आपके ब्रोकर द्वारा ब्लॉक की गई मार्जिन किसी नेकेड (naked) पोजीशन के मुकाबले कम होगी।
NSE ने नए मार्जिन फ्रेमवर्क में यही प्रस्ताव किया है।
आप NSE के मार्जिन फ्रेमवर्क से जुड़े इस प्रेजेंटेशन यानी प्रस्तुतिकरण को देख सकते हैं। वैसे यह बहुत ही ज्यादा तकनीकी प्रेजेंटेशन है। अगर आप नहीं चाहते हैं तो इसको समझने के लिए आपको बहुत ज्यादा समय लगाने की जरूरत नहीं है।
एक ट्रेडर को इस मार्जिन पॉलिसी में से तीन मुख्य बातें जानना जरूरी है। इन तीनों को यहां हमने एक स्लाइड में हाईलाइट किया है। इस चित्र को देखिए –
ऊपर से देखें तो
- पोर्टफोलियो 1 – नेकेड अनहेज्ड पोजीशन (naked unhedged position) के लिए मार्जिन बढ़ गई है पहले यह 16.7% थी अभी 18.5% होगी।
- पोर्टफोलियो 2 – मार्केट न्यूट्रल (market neutral) पोजीशन के लिए मार्जिन में 70% की कमी हुई है
- पोर्टफोलियो 3 – स्प्रेड (Spread) पोजीशन के लिए मार्जिन में 80% की कमी की गई है
एक ऑप्शन ट्रेडर के तौर पर आपके ऊपर इसका क्या असर पड़ेगा?
सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि बहुत सारी ऐसी स्ट्रैटेजी जो लगती बहुत अच्छी थी लेकिन मार्जिन ज्यादा होने की वजह से जिसका इस्तेमाल कम किया जाता था अब वो ज्यादा काम आएगी।
आप एक सवाल का जवाब दीजिए- मार्जिन में कमी स्प्रेड पोजीशन में ज्यादा की गई है और मार्केट न्यूट्रल पोजीशन में कम। आपको क्या लगता है, ऐसा क्यों किया गया है? इसका जवाब नीचे कमेंट सेक्शन में डालिए।
अब इस नई स्थिति में मैं इस मॉड्यूल में एक नई मार्जिन ऑप्शन स्ट्रैटजी पर चर्चा करना चाहता हूं, जिस पर अब तक इस मॉड्यूल में मैंने इसलिए चर्चा नहीं की थी क्योंकि इसके लिए काफी ज्यादा मार्जिन की जरूरत पड़ती थी।
14.2 – आयरन कॉन्डॉर
आयरन कॉन्डॉर 4 चरणों वाला एक ऑप्शन सेटअप है जिसे कि शॉर्ट स्ट्रैंगल (Short Strangle) में सुधार करके बनाया गया है। इसको देखिए
मैंने यह चित्र सेंसिबुल (Sensibull) के स्ट्रैटेजी बिल्डर (strategy builder) से लिया है। जैसा कि आप देख सकते हैं निफ्टी 9972.9 पर है और मैं यहां पर एक शॉर्ट स्ट्रैंगल (Short Strangle) बनाने की कोशिश कर रहा हूं और इसके लिए मैं OTM कॉल और पुट को शॉर्ट कर रहा हूं –
- 9800 का पुट 165.25 पर
- 10100 का कॉल 142.25 पर
क्योंकि यह दोनों ऑप्शन यहां बेचे जा रहे हैं इसलिए मुझे ये प्रीमियम मिलेगा – 164.25 + 145.25 = 309.5
जो पाठक अभी तक शॉर्ट स्ट्रैंगल के बारे में नहीं जानते हैं मेरी उनको सलाह है कि वह इस अध्याय को पढ़ें । this chapter
शॉर्ट स्ट्रैंगल का पे ऑफ ऐसा दिखता है –
मुझे यह स्ट्रैटजी इस लिए बहुत ज्यादा पसंद है क्योंकि इसमें अगर निफ्टी एक दायरे में रहे तो मुझे प्रीमियम अपने पास रखने का मौका मिलता है। आमतौर पर ऐसा ही होता भी है। इसके अलावा अगर बाजार में वोलैटिलिटी है तो यह एक बहुत अच्छा ट्रेड साबित होता है। जब भी आपको लगे कि बाजार में वोलैटिलिटी काफी बढ़ गई है (बाजार के किसी घटना या इवेंट के आसपास ऐसा होता है) और इस वजह से ऑप्शन प्रीमियम भी बढ़ गया है तो आप ऑप्शन बेच कर ये बढ़ा हुआ प्रीमियम अपने पास रख सकते हैं। शॉर्ट स्ट्रैंगल ऐसे समय के लिए सबसे अच्छा ट्रेड होता है।
शॉर्ट स्ट्रैंगल में आप ऑप्शन को राइट (write) करते यानी बेचते हैं तो नेट प्रीमियम क्रेडिट मिलता है। जैसे इस उदाहरण में आपको 23,228 रुपए का प्रीमियम मिलेगा
शॉर्ट स्ट्रैंगल के साथ सिर्फ एक समस्या होती है। वो ये कि उसके दोनों सिरे एक्सपोज यानी खुले होते हैं मतलब अगर अंडरलाइंग एसेट दोनों में से किसी भी दिशा में चला जाता है तो आपको नुकसान होने लगता है।
उदाहरण के तौर पर इस शॉर्ट स्ट्रैंगल में आपके लिए सेफ्टी रेंज यानि सुरक्षा का दायरा 9490 और 10411 के बीच है।
मुझे पता है कि यह दायरा काफी बड़ा है लेकिन कई बार बाजार एक छोटे समय में इस तरह के दायरे के बाहर चला जाता है। अभी पिछले दिनों 2020 की शुरूआत में कोविड-19 की वजह से आई गिरावट काफी ज्यादा थी और इसके बाद आया सुधार भी उतना ही तेज था।
अगर आप इस तरह की किसी तेज गिरावट या तेज सुधार में फंस जाएं तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है और आपका पूरा पैसा जा सकता है। ऑप्शन में हो सकने वाला नुकसान असीमित है इसलिए आपके और ब्रोकर के ऊपर रिस्क काफी ज्यादा होता है और इसीलिए मार्जिन भी ज्यादा होती है –
शॉर्ट स्ट्रैंगल बनाने के लिए मार्जिन करीब 1.45 लाख है जोकि कई ट्रेडर्स के लिए काफी ज्यादा साबित हो सकती है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप शॉर्ट स्ट्रैंगल ना करें। आप शॉर्ट स्ट्रैंगल में थोड़ा सा बदलाव करके एक आयरन कॉन्डॉर बना सकते हैं। मेरे हिसाब से यह ज्यादा बेहतर स्ट्रैटेजी होगी।
एक आयरन कॉन्डॉर के लिए शॉर्ट स्ट्रैंगल में सुधार किया जाता है और शॉर्ट स्ट्रैंगल के सिरों को अच्छे से बंद कर दिया जाता है। आयरन कॉन्डॉर को तीन हिस्सों में बांट कर देखिए –
- पहला हिस्सा – एक स्लाइटली OTM (Slightly OTM) कॉल और पुट ऑप्शन को बेचकर एक शॉर्ट स्ट्रैंगल बनाइए।
- दूसरा हिस्सा – इसके आगे का एक OTM कॉल ऑप्शन खरीदिए जिससे कि अगर बाजार में रैली आ जाए तो आपका शॉर्ट कॉल सुरक्षित रहे।
- तीसरा हिस्सा – इसी तरीके से इसके आगे का एक OTM पुट खरीदिए जिससे कि आपने बाजार में पुट पहले शॉर्ट किया है उसे बाजार की किसी बड़ी गिरावट से बचाया जा सके।
इस तरह से आयरन कॉन्डॉर चार चरणों वाली स्ट्रैटजी बन जाएगी। देखिए ये कैसी दिखेगी –
- पहला हिस्सा – 9800 PE को 165.25 पर बेचिए और 10100 CE को 145.25 पर बेच कर 310.5 का प्रीमियम यानी 23,288 रुपए ले लीजिए
- दूसरा हिस्सा – 10300 CE को 77 पर खरीदिए, जिससे 10100 CE के शॉर्ट को बचाया जा सके
- तीसरा हिस्सा – 9600PE को 105.05 पर खरीदिए जिससे 9800 PE का शॉर्ट बचाया जा सके
ट्रेड सेटअप ऐसा दिखेगा –
अगर आप ध्यान से देखें तो आपको समझ आएगा इस शॉर्ट ऑप्शन में जो प्रीमियम मिला है वही लॉन्ग ऑप्शन पोजीशन खरीदने के भी काम आ रहा है।
चूंकि हमने दो शॉर्ट ऑप्शन को बचाने के लिए दो ऑप्शन खरीदे हैं, इसकी वजह से आपकी होने वाली कमाई थोड़ी कम हो सकती है
जैसा कि आप देख सकते हैं अधिकतम मुनाफा ₹9634 है लेकिन यहां पर आपके लिए खतरा भी कम है और चिंता भी।
अधिकतम नुकसान अब असीमित नहीं है बल्कि ₹5366 तक का ही है। मेरे हिसाब से यह बहुत अच्छी स्थिति है क्योंकि अब मुझे अपने रिस्क के बारे में पूरे तरीके से पता है।
मुनाफा तब तक सीमित है जब तक कि निफ्टी एक दायरे में रहे यानी 9672 और 10228 के बीच। ध्यान दीजिए कि यह दायरा या रेंज अब शॉर्ट स्ट्रैंगल के मुकाबले छोटा हो गया है।
आयरन कॉन्डॉर का पे ऑफ ऐसा दिखेगा –
अब रिस्क पर नजर डालिए। रिस्क यहां पूरे तरीके से पता है। इसमें सबसे बुरी हालत क्या हो सकती है वह भी आपको पता है। तो ऐसे में एक ट्रेडर के तौर पर आपके लिए इसका मतलब क्या है और आपके ब्रोकर के लिए इसका क्या मतलब है?
इसका मतलब यह है कि चूंकि अब रिस्क निश्चित है, इसलिए मार्जिन कम होगी।
NSE का नया मार्जिन फ्रेमवर्क इसी जगह पर काम आता है। आयरन कॉन्डॉर के लिए आपको शुरुआती तौर पर सिर्फ 44,303 का मार्जिन देना पड़ेगा जो कि शॉर्ट स्ट्रैगल के 1.45 लाख के मार्जिन के मुकाबले काफी कम है।
नया फ्रेमवर्क आने से पहले आयरन कॉन्डॉर बनाना किसी रिटेल ट्रेडर के लिए काफी मुश्किल काम होता था। इन स्ट्राइक और प्रीमियम के हिसाब से, आयरन कॉन्डॉर के लिए 2 लाख से 2.2 लाख के बीच की मार्जिन की ज़रूरत होती थी।
14.3 – अधिकतम P&L
एक आयरन कॉन्डॉर बनाते वक्त आपको कुछ बातों को याद रखना जरूरी है
- आप जिस PE और जिस CE को खरीद रहे हैं उसका फर्क बेची गई स्ट्राइक के बराबर होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर यहां हमने 9800 PE और 10100 CE बेची है। बेची गई स्ट्राइक को बचाने के लिए हम 9600 PE पर और 10300 CE पर लॉन्ग गए हैं। 9800 PE और 9600 PE के बीच का अंतर 200 का है। इसी तरह से 10100 CE और 10300 CE के बीच का अंतर भी 200 है। यह स्प्रेड एक बराबर होना चाहिए। मैं 9800 PE को 9700 PE (100 का अंतर) खरीद कर और फिर 10100 CE को 10300 CE (200 का अंतर) से नहीं बचा सकता हूं।
- अधिकतम नुकसान तब होता है जब बाजार हमारे लॉन्ग CE यानी 10300 CE से ऊपर चला जाए या लॉन्ग PE यानी 9600 PE से नीचे चला जाए
- स्प्रेड = 200 यानी हमारी बेची गई स्ट्राइक (sold Strike )और बचाने वाली स्ट्राइक (Protective Strike) के बीच का अंतर
- अधिकतम मुनाफा = कुल मिला हुआ प्रीमियम जो कि यहां पर 128.45 (9634/75) है।
- अधिकतम नुकसान = स्प्रेड – कुल मिला हुआ प्रीमियम। यहां पर यह 200 – 128.45 = 71.54
आप इस अध्याय के अंत में दिए गए हुए एक्सेल शीट पर नजर डाल सकते हैं जिसमें इसे विस्तार से दिखाया गया है। याद रखिए कि एक्सेल शीट को मैंने इस अध्याय को लिखने के 2 दिन बाद अपडेट किया है, इसलिए आपको वहां पर कुछ अंतर दिखाई दे सकता है।
14.4 – ROI और लॉजिस्टिक्स
शॉर्ट स्ट्रैंगल बनाने पर आपको ₹23,288 का प्रीमियम मिला है जबकि एक आयरन कॉन्डॉर बनाकर आपको ₹9643 का प्रीमियम मिलेगा। यह सच है कि रुपए में देखने पर आयरन कॉन्डॉर में प्रीमियम कम मिलता दिख रहा है। लेकिन अगर आप लगने वाले मार्जिन के हिसाब से देखें तो आपको ROI आयरन कॉन्डॉर के पक्ष में दिखाई देगा।
शॉर्ट स्टेंगल में ₹1,45,090 का मार्जिन लगता है जिसकी वजह से ROI होगा
23,288/1,45,090
=16%.
आयरन कॉन्डॉर के लिए मार्जिन की जरूरत है ₹44,303 इसलिए ROI होगा
9,643/44,303
= 21%
एक ट्रेडर के तौर पर आपको ROI पर नजर रखनी चाहिए ना कि मिलने वाले कुल रुपयों पर , और मार्जिन में होने वाली कमी की वजह से आपको यहां ROI में एक बड़ा फायदा दिखाई पड़ेगा।
इस ट्रेड को सफल बनाने के लिए सबसे जरूरी चीजों में से एक यह है कि आप इसको सही क्रम में करें। अगर आप आयरन कॉन्डॉर बनाने जा रहे हैं तो उस ट्रेड का सही क्रम होगा –
- फार OTM काल ऑप्शन को खरीदिए
- OTM कॉल ऑप्शन को बेचिए
- फार OTM पुट को खरीदें
- OTM पुट ऑप्शन को बेचिए
तो यहां पर जरूरी बात यह है कि आपको शॉर्ट पोजीशन बनाने के पहले एक लॉन्ग पोजीशन बनानी चाहिए।
ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि शॉर्ट ऑप्शन पोजीशन में ज्यादा मार्जिन लगता है इसलिए अगर आपने लॉन्ग पोजीशन पहले बनाई है तो सिस्टम को पता है कि आप का रिस्क सीमित है। इसलिए सिस्टम आपसे शॉर्ट पोजीशन के लिए भी कम मार्जिन मांगेगा।
ध्यान रखिए कि यहां पर मैंने ROI कैलकुलेशन को मार्जिन की रकम के हिसाब से ही देखा है। ऑप्शन को खरीदने के लिए जो रकम देनी पड़ेगी या ऑप्शन बेचने पर जो रकम मिलेगी मैंने उस पर यहां ध्यान नहीं दिया है।
तो अब मेरी सलाह यह होगी कि एक ट्रेडर के तौर पर आप अलग-अलग स्ट्राइक को चुनें जिस पर आप लॉन्ग पोजीशन बना सकते हैं और देखें कि आपको कितना प्रीमियम मिल रहा है, ब्रेक इवन प्वाइंट क्या है और अधिकतम नुकसान क्या हो सकता है।
अपने विचार और सवाल नीचे लिखें.
इस अध्याय की मुख्य बातें
- NSC के नए मार्जिन फ्रेमवर्क की वजह से मार्केट न्यूट्रल और हेज्ड स्ट्रैटेजी के लिए मार्जिन की जरूरत कम हो गयी है।
- वैसे तो शॉर्ट स्ट्रैंगल एक बहुत अच्छी स्ट्रैटेजी है लेकिन इसके दोनों सिरे या छोर खुले हुए होते हैं इसलिए असीमित नुकसान हो सकता है।
- शॉर्ट स्ट्रैंगल का ही सुधरा हुआ रूप है आयरन कॉन्डॉर।
- आयरन कॉन्डॉर में OTM के लॉन्ग और पुट, शॉर्ट स्ट्रैंगल के दोनों खुले हुए सिरों को बचाते हैं।
- आयरन कॉन्डॉर के लिए मार्जिन की जरूरत शॉर्ट स्ट्रैंगल के मुकाबले काफी कम होती है।
आयरन कंडर एक्सेल शीट यहाँ से डाउनलोड करें
Sir, maine poora padha bhut hi achha hai.
1 sawal mera yeh hai ki agar koi option jo 24 September ko expiry hai.
Expiry = 24 September
Buy date = 15 september
Strike= 10900 CE LONG
Premium = 150
Lekin 15 tarikh ko LONG hone ke bad hi kisi news ke karan 10900 CE ka *premium 150 rs. Se badhakar 300 rs. Ho gya .
To kya main chahun to 10900CE jisko maine kal hi 150 rs. Me kharida tha use aaj 300 me bech sakta hun. Mujhe MARGIN bhi dena padega. Aur wo margin ka kya hoga?
नया मार्जिन फ्रेमवर्क आप यहाँ से पढ़ सकते हैं: https://support.zerodha.com/category/trading-and-markets/margin-leverage-and-product-and-order-types/articles/new-margin-framework-benefits
Hindi module ka bhi PDF file update krwa dijiye.
जल्द ही उपलब्ध कराया जायेगा।
Call writing kabhi bhi square off Kiya ja sakta hai please jawab dene ka kasht kare
एक्सपायरी से पहले कभी भी।
hi zerodha team .very great information given u in this series .par aur bhi option strategy ke bare me bataye jaise ki butterfly ,calender,iron fly,multi butterfly etc.woh bhi hindi me
हमने इस मॉड्यूल में सब समझाया है कृपया इसको पूरा पढ़ें।
KYAA AAP VIDEO BHI BANAAKAR DAAL SAKTE HAIN
फ़िलहाल कंटेंट सिर्फ ब्लॉग के रूप में ही उपलब्ध है।