4.1 – कोरिलेशन और उसके प्रकार
अब हम जिस पेयर ट्रेडिंग तकनीक की बात करने जा रहे हैं उसकी चर्चा मार्क विसलर (Mark Whistler) ने अपनी किताब “ट्रेडिंग पेयर्स (Trading Pairs)” में की है। इस किताब ने ही मुझे पेयर ट्रेडिंग की तरफ आकर्षित किया था और धीरे-धीरे इसमें मेरी रुचि बढ़ती गई। मैंने इस स्ट्रैटेजी को मार्क विसलर की तकनीक से आगे जाकर भी सीखने की कोशिश की। मैं उन तकनीकों पर इस मॉड्यूल में आगे चर्चा करूंगा। लेकिन अभी मेरी कोशिश यह है कि आपको पेयर ट्रेडिंग उसी तरीके से सिखा सकूं जिस तरीके से मैंने सीखा है।
पिछले अध्याय के अंत में हमने कोरिलेशन के सिद्धांत और कोरिलेशन के मूल्यों की एनालिसिस पर चर्चा की थी। अब हम इसी को आगे बढ़ाएंगे और समझेंगे कि दो स्टॉक के कोरिलेशन को कैसे कैलकुलेट किया जाता है। अब तक आपको समझ में आ ही गया होगा कि पेयर ट्रेडिंग की सबसे बड़ी कुंजी है उन 2 स्टॉक के कोरिलेशन की गणना या कैलकुलेशन।
इसके लिए उदाहरण के तौर पर मैंने एक्सिस बैंक औऱ ICICI बैंक को लिया है। दोनों ही प्राइवेट सेक्टर के बैंक हैं और एक तरीके के बिजनेस माहौल से आते हैं। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि दोनों स्टॉक के बीच का कोरिलेशन काफी अच्छा होगा।
अभी मैंने एक्सिस बैंक और ICICI बैंक की 4 दिसंबर 2015 से 4 दिसंबर 2017 के बीच के क्लोजिंग क्लोजिंग कीमत को डाउनलोड किया है। ये करीब 2 साल का डेटा है और इसमें 496 डेटा प्वाइंट हैं। हम आगे बढ़ें इसके पहले इस डेटा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें –
- आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि डेटा प्वाइंट की संख्या बराबर हो। उदाहरण के तौर पर अगर आपने स्टॉक A के लिए 400 डेटा प्वाइंट लिए हैं तो आपको यह देखना होगा कि स्टॉक B के लिए भी 400 डेटा प्वाइंट ही हों और उनकी तारीखें एक जैसी हों।
- यह भी ध्यान दीजिए कि डेटा को कॉरपोरेट एक्शन के हिसाब से ठीक कर दिया गया हो, जैसे बोनस या स्प्लिट जैसे कॉरपोरेट एक्शन का ध्यान रखते हुए डेटा को संतुलित कर दिया गया है।
जैसा कि आप देख सकते हैं कि ICICI और एक्सिस बैंक के अलावा मैंने BPCL, HPCL और HDFC बैंक का भी डेटा निकाला है। आप इस डेटा का इस्तेमाल करके दूसरे कुछ कोरिलेशन भी देख सकते हैं।
फिलहाल हमारे पास सिर्फ तारीख और क्लोजिंग कीमत का डेटा है। अब हम डेली रिटर्न की गणना करेंगे। मुझे उम्मीद है कि डेली रिटर्न निकालना आपको आता है, हमने पहले के मॉड्यूल में कई बार इसे देखा और सीखा है।
डेली रिटर्न निकालने के लिए –
= {आज की क्लोजिंग कीमत / पिछले दिन की को क्लोजिंग कीमत} – 1
[today’s closing price / previous day’s closing price] – 1
मैंने ICICI बैंक और एक्सिस बैंक- दोनों के लिए इसे कैलकुलेट किया हुआ है –
कोरिलेशन की गणना करने के लिए दो मानक या पैरामीटर तय करने होते हैं –
- डेली क्लोजिंग प्राइस या हर दिन की क्लोजिंग कीमत
- डेली रिटर्न सीरीज यानी हर दिन के रिटर्न की सीरीज
डेली क्लोजिंग कीमत की कोरिलेशन निकालने के लिए आपको दोनों स्टॉक की क्लोजिंग कीमत के आधार पर कोरिलेशन निकालना होता है। मुझे क्लोजिंग कीमत के आधार पर कोरिलेशन निकालना बहुत पसंद नहीं है। लेकिन अभी हम इसको सीख लेते हैं।
एक्सेल में इसे निकालने के लिए डेली क्लोजिंग कीमत के डेटा पर सिर्फ ‘=Correl()’ फंक्शन का इस्तेमाल करना होगा। मैं इसे एक नई शीट पर निकाल रहा हूं जिसे मैंने ‘पेयर डेटा’ का नाम दिया है, देखिए –
ICICI बैंक और एक्सिस बैंक के बीच में क्लोजिंग कीमत की कोरिलेशन 0.51 है। ये कोरिलेशन बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन अभी हम इससे काम चलाते हैं। याद कीजिए कि हमें लग रहा था कि इन दोनों बैंकों के बीच कोरिलेशन काफी मजबूत होगा क्योंकि इनका बिजनेस एक तरह का है, लेकिन इनके कोरिलेशन का नंबर बहुत अच्छी तस्वीर नहीं दिखा रहा है।
अब हम दोनों स्टॉक के डेली % रिटर्न सीरीज के आधार पर कोरिलेशन निकालेंगे। मैंने प्रतिशत रिटर्न पहले ही निकाल रखा है बस मुझे अब ‘=Correl()’ फंक्शन का इस्तेमाल करना है।
फिर से यह नंबर हमें बहुत ज्यादा उत्साहजनक नहीं नजर आ रहा है। लेकिन अभी इसे यहीं छोड़ते हैं।
कुछ ट्रेडर कोरिलेशन के लिए कीमत में हर दिन के कुल बदलाव यानी absolute per day change का इस्तेमाल करते हैं, जो कि ‘स्टॉक की आज की कीमत – स्टॉक की पिछले दिन की कीमत (‘Today’s stock price – yesterday’s stock price)’ के आधार पर निकाला जाता है। मुझे ये तरीका भी बहुत पसन्द नहीं है। लेकिन अभी आप इसे देख लीजिए –
ऊपर के सभी कैलकुलेशन में, मैंने एक्सिस बैंक और ICICI बैंक के बीच का कोरिलेशन निकाला है। इससे मिलने वाला परिणाम वैसा ही मिलेगा जैसा ICICI बैंक और एक्सिस बैंक के बीच कोरिलेशन निकालने पर मिलेगा। मतलब A और B के बीच का कोरिलेशन वैसा ही होगा जैसा कि B और A के बीच का कोरिलेशन होगा।
पेयर ट्रेडिंग के इस तरीके में कोरिलेशन की संख्या बहुत मायने रखती है। साधारणतया, ये संख्या 0.75 से ऊपर होनी चाहिए। आप देख ही चुके हैं कि ICICI बैंक और एक्सिस बैंक के बीच में कोरिलेशन इतना नहीं है। लेकिन अभी इसी से काम चलाते हैं।
4.2 – डेटा शीट तैयार करना
पिछले अध्याय में हमने पेयर से जुड़े हुए तीन अवयवों की बात की थी, स्प्रेड, डिफरेंशियल और रेश्यो की। अब हम जिन दो स्टॉक की बात कर रहे हैं उनके लिए इन तीनों अवयवों को कैलकुलेट करते हैं। इसे हम उसी वर्कबुक में एक अलग शीट पर निकालेंगे और उस शीट का नाम दे रहे हैं- डेटा शीट। देखिए –
ये कैलकुलेशन काफी आसान है और इसे मैंने पिछले अध्याय में समझाया था।
अलग-अलग प्रकार की पेयर ट्रेडिंग में अलग अलग विषमताएं (Complexities) होती हैं। अभी के लिए हम साधारण स्तर के आंकड़ों से काम चला रहे हैं। लेकिन अब हम तीन सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले सांख्यिकीय वैरिएबल को परिभाषित करेंगे।
4.3 – बेसिक स्टैट्स
अब हम तीन साधारण यानी बेसिक सांख्यिकीय शब्दों पर चर्चा करेंगे। इनको जानना आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि ये पेयर ट्रेडिंग में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। बहुत संभव है कि आपने इनके बारे में हाई स्कूल में पढ़ा हो। नहीं भी याद हो तो ये काफी आसान है और इनको समझना मुश्किल नहीं है।
इनको समझने के लिए मैंने एक शीट तैयार की है जिसमें एक बल्लेबाज ने पिछले 10 मैच में जितने रन बनाए हैं उनको दिखाया गया है
मैच | रन |
---|---|
1 | 72 |
2 | 65 |
3 | 44 |
4 | 100 |
5 | 82 |
6 | 55 |
7 | 100 |
8 | 23 |
9 | 51 |
10 | 34 |
मीन (Mean) – इसे अंकगणितीय माध्य/औसत भी कहते हैं और ये अंकों के समूह का औसत बताता है। आप सभी अंकों को आपस में जोड़ कर और फिर उससे मिले परिणाम को जितने अंक थे, उस संख्या से विभाजित करके मीन यानी माध्य निकाल सकते हैं।
तो, अगर मुझे ऊपर के टेबल में दिए गए उदाहरण का माध्य निकालना हो तो सभी 10 मैचों में बनाए गए रनों को जोड़ने से मिली संख्या को 10 से विभाजित करना होगा।
मीन (माध्य) = 626 / 10
= 62.6
एक्सेल शीट पर इसे निकालने के लिए बस ‘=Average()’ फंक्शन का इस्तेमाल करना होगा।
माध्यक – मीडियन (Median) – सँख्याओं के समूह को अंकों के हिसाब से लगा दिया जाए तो फिर उस सीरीज के बीच में पड़ने वाली संख्या को माध्यक यानी मीडियन कहते हैं। अगर संख्याओं के समूह में सम संख्याएं हैं, जैसे 2, 4, 6, 8, 10 , (हमारे उदाहरण में भी 10 संख्याएं हैं) तो बीच वाली दो संख्याओं को जोड़ कर उनका औसत निकाल लिया जाता है और वही मीडियन होता है। लेकिन अगर सीरीज में विषम संख्याएं हैं तो फिर बीच वाली संख्या ही मीडियन होती है।
तो, हमारे ऊपर के उदाहरण की संख्याओं को उनके अंकों के हिसाब से लगाते हैँ
23, 34, 44, 51, 55, 65, 72, 82, 100, 100
यहां पर हमारे पास सम संख्याएं हैं, इसलिए बीच की दो संख्याओं 55 और 65 को जोड़ कर उनका औसत निकालना होगा और वही मीडियन होगा।
मीडियन = ( 55 + 65) / 2
= 60
मीडियन निकालने का एक्सेल फंक्शन है ‘=Median()’
मीन और मीडियन को एक साथ देखने पर हम ट्रेंड को पहचान सकते हैं। इस पर हम आगे चर्चा करेंगे।
बहुलक- मोड (Mode) – किसी भी डेटा सीरीज मेंजो संख्या सबसे अधिक बार आती है वो उस सीरीज का बहुलक- मोड होता है। जैसे हमारे उदाहरण में 100 दो बार आया है और बाकी सभी संख्याएं एक बार ही आई हैं इसलिए 100 मोड यानी बहुलक होगा।
इसके लिए एक्सेल फंक्शन है ‘=Mode()’
अगले अध्याय में हम इन सभी फंक्शन का एक्सेल में इस्तेमाल करेंगे और पेयर ट्रेडिंग में उनके महत्व को समझेंगे।
इस अध्याय में इस्तेमाल किए गए एक्सेल को आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैंय़
इस अध्याय की मुख्य बातें
- ध्यान दीजिए कि डेटा को कॉरपोरेट एक्शन के हिसाब से ठीक कर दिया गया हो।
- दोनों स्टॉक की क्लोजिंग कीमत के आधार पर निकाले गए कोरिलेशन को क्लोज कोरिलेशन कहते हैं।
- दोनों स्टॉक के डेली % रिटर्न सीरीज के आधार पर निकाले गए कोरिलेशन को % रिटर्न कोरिलेशन कहते हैं।
- अंकों के समूह के अंकगणितीय औसत को मीन या माध्य भी कहते हैं।
- सँख्याओं के समूह को अंकों के हिसाब से लगाने के बाद उस सीरीज के बीच में पड़ने वाली संख्या को मीडियन कहते हैं।
- अगर संख्याओं के समूह में सम संख्याएं हैं, तो बीच वाली दो संख्याओं को जोड़ कर उनका औसत निकाल लिया जाता है और वही मीडियन होता है।
- अगर सीरीज में विषम सेख्याएं हैं तो फिर बीच वाली संख्या ही मीडियन होती है।
- किसी भी डेटा सीरीज में जो संख्या सबसे अधिक बार आती है वो उस सीरीज का मोड यानी बहुलक होता है।
- मीन और मीडियन को एक साथ देखने पर हम डेटा के ट्रेंड को पहचान सकते हैं।
इस अध्याय में इस्तेमाल किए गए एक्सेल को आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैंय़
महोदय लिंक नही है, लिंक दीजिए।
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