6.1 – एक बार फिर 

सबसे पहले अब तक जो कुछ हमने सीखा है उसको एक बार दोहरा लेते हैं जिससे किसी के दिमाग में कोई संशय ना रहे। मेरी सलाह यह होगी कि आप इसको ठीक से पढ़ें। 

  • अगर दो कंपनियां एक ही तरीके के बिजनेस माहौल (बैकग्राउंड) में काम करती हैं उनकी तुलना की जा सकती है।
  • बिजनेस का माहौल या बैकग्राउंड उन चीजों को कहते हैं जो बिजनेस चलाने में हर दिन सामने आती हैं। 
  • अगर दो कंपनियों का बिजनेस बैकग्राउंड एक जैसा है तो यह माना जा सकता है कि उन दोनों के शेयरों की कीमत करीब-करीब एक जैसी चाल दिखाएगी।
  • अगर दो कंपनियों की शेयर की कीमत हर दिन एक जैसी चलती है और उन उनका डेली रिटर्न भी एक जैसा दिखता है तो इससे पता चलता है कि उन दोनों में एक मजबूत कोरिलेशन है। 
  • कई बार, कोई एक घटना इन दोनों में से किसी एक कंपनी की कीमत की चाल में बदलाव ला सकती है और तब वहां एक पेयर ट्रेडिंग का मौका बनता है। 
  • किन्हीं दो कंपनियों के बीच के संबंध का अनुमान लगाने के लिए किन्हीं भी तीन अवयवों – स्प्रेड, डिफरेंशियल या फिर रेश्यो – का इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि ये तीनों अवयव नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूट होंगे इसलिए उनका स्टैंडर्ड डेविएशन निकाला जाता है। साथ ही उनके कुछ सांख्यिकी आंकड़े जैसे मीन, मीडियन और मोड भी निकाले जाते हैं। 
  • इसके अलावा, पेयर पर हमेशा नजर रखने के लिए हम स्टैंडर्ड डेविएशन टेबल भी बना सकते हैं जो दोनों तरफ 3rd स्टैंडर्ड देविएशन तक जा सकता है। 
  • अंत में यही याद रखिए कि हम पेयर ट्रेडिंग के दो अलग-अलग तरीकों पर चर्चा करने वाले हैं। पहला है पॉल विसलर की पेयर ट्रेडिंग तकनीक और इसके बाद मैं एक थोड़ी कठिन पेयर ट्रेडिंग की तकनीक पर चर्चा करूंगा।

तो हमने अब तक यह सब जान लिया है। अब इस अध्याय में हम आगे डेन्सिटी कर्व (Density Curve) और पेयर ट्रेडिंग के ट्रिगर पर चर्चा करेंगे।

6.2 – सही अवयव को चुनना

अब हम उस जगह पर आ गए हैं जहां पर हमें स्प्रेड, डिफरेंशियल और रेश्यो के बीच में से किसी एक अवयव (Variable) को चुनना होगा। 

ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि हम चाहते हैं कि हम कोई एक कार्यप्रणाली बनाएं। ऐसा ना हो कि हम बहुत सारी चीजों में उलझ जाएं और हमें अलग-अलग सिग्नल मिलने लगें। मैंने आपको तीनों के बारे में इसलिए बताया था ताकि आपको यह पता चल सके कि इनमें से किसी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन एक ट्रेडर के तौर पर आपको तय करना होगा कि इनमें से आप किसका इस्तेमाल सबसे अच्छे से कर सकते हैं और किस पर आपको भरोसा है। व्यक्तिगत तौर पर मुझे डिफरेंशियल या स्प्रेड के मुकाबले रेश्यो ज्यादा पसंद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुझे यह पता है कि रेश्यो में शेयर की कीमत यानी स्टॉक की ताजा वैल्यूएशन भी शामिल रहती है। इसके अलावा रेश्यो से हमें यह अनुमान भी मिलता है कि स्टॉक 2 के संदर्भ में स्टॉक 1 की कितनी मात्रा को खरीदा या बेचा जाए। 

उदाहरण के तौर पर अगर स्टॉक 1 की कीमत 190 है और स्टॉक 2 की कीमत 80 है तो स्टॉक 1 और स्टॉक 2 का रेश्यो होगा – 

190 / 80

2.375

इसका मतलब है कि स्टॉक 1 के हर शेयर के मुकाबले स्टॉक 2 के 2.375 शेयर का सौदा करना चाहिए। इसके बारे में हम विस्तार से आगे चर्चा करेंगे। लेकिन उम्मीद है कि अभी आपको एक संकेत मिल गया होगा 

आप स्प्रेड, डिफरेंशियल या रेश्यो में से किसी  एक का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन अपनी चर्चा के लिए मैं अभी रेश्यो के साथ आगे बढ़ रहा हूं।

6.3 – ट्रेड का ट्रिगर

आप जानते ही हैं कि पेयर का मतलब होता है जोड़ा यानी इसमें दो स्टॉक होते हैं। अब तक हमने इस बात पर चर्चा नहीं की है कि पेयर को कैसे खरीदा या बेचा जा सकता है। हम अध्याय में आगे इस पर चर्चा करेंगे। फिलहाल के लिए आप सिर्फ यह मान लीजिए कि जैसे आप किसी एक स्टॉक को खरीदते या बेचते हैं ठीक उसी तरीके से पेयर को भी खरीद या बेच सकते हैं। 

जैसा कि आपको पता है कि किसी पेयर को खरीदने या बेचने का फैसला उस वैरिएबल के आधार पर होता है जिसको आप ट्रैक कर रहे होते हैं। ये वेरिएबल स्प्रेड, डिफरेंशियल या रेश्यो में से कुछ भी हो सकता है। इस अध्याय में अपनी चर्चा के लिए हमने रेश्यो को चुना है 

आप जानते हैं कि स्टॉक की कीमत हर दिन बदलती है और इस वजह से पेयर का रेश्यो भी हर दिन बदलता है। ज्यादातर समय यह रेश्यो एक निश्चित दायरे या रेंज में रहता है। लेकिन कभी कभी ऐसा दिन भी आ सकता है जब उस दिन का बदलाव उस दायरे से बाहर निकल जाए। यही वह दिन होता है जब पेयर ट्रेडिंग का मौका होता है। 

नीचे के चार्ट पर नजर डालिए – 

चार्ट पर एक सरसरी नजर डालने पर भी दो बातें सामने दिखाई देंगी – 

  1. रेश्यो का चार्ट 1.8 से 2 के बीच में घूम रहा है, हो सकता है कि इस रेश्यो का मीन इसके आसपास हो। इसे मैंने हरे रंग की रेखा से दिखाया है। मेरी सलाह होगी कि पिछले अध्यायों में जहां हमने रेश्यो के मीन की गणना की थी, वहां पर जाकर आप उसे देखें।
  2. ज्यादातर समय रेश्यो मीन के ऊपर या नीचे रहता है 

अब यहां पर एक बहुत महत्वपूर्ण बात पर आपको विचार करना है। अगर आप इस बात को समझ गए तो पेयर ट्रेडिंग से जुड़ी बाकी बातें समझना आपके लिए काफी आसान होगा। 

रेश्यो को एक स्टॉक की कीमत को दूसरे स्टॉक की कीमत से विभाजित करके निकाला जाता है, क्योंकि स्टॉक की कीमत हर दिन बदलती रहती है इसलिए रेश्यो भी हर दिन बदलता रहता है। अगर आप रेश्यो में हर दिन होने वाले बदलाव का एक चार्ट बनाएं तो आपको दिखेगा कि रेश्यो का एक औसत यानी मीन (Mean) होता है और ये उसके ऊपर या नीचे ही घूमता रहता है। रेश्यो आज कहीं भी हो, मीन के नीचे या मीन के ऊपर, लेकिन इस बात की संभावना हमेशा रहती है कि अगले कुछ दिनों में रेश्यो मीन पर वापस आ जाए। यहां ध्यान दीजिए कि मैंने कहा है कि इस बात की काफी संभावना रहती है, इसका मतलब है कि हम इस संभावना को यानी प्रोबेबिलिटी को नाप सकते हैं। 

जब ऐसा होता है तो इसे मीन रिवर्जन (Mean Reversion) या रिवर्जन टू मीन (Reversion to Mean) कहते हैं

मैंने चार्ट में उन दो बिंदुओं को लाल रंग से घेरा है जहां पर रेश्यो मीन से दूर चला गया है। बाएं तरफ से पहला गोला उस जगह पर है जहां पर रेश्यो मीन से काफी दूर ऊपर चला गया है। बाएं तरफ ही दूसरा गोला वह जगह दिखाता है जहां पर रेश्यो मीन वैल्यू से नीचे चला गया है। हालांकि दोनों ही बार अंत में रेश्यो मीन के पास वापस आ गया। 

अगर आप इसे दूसरी नजर से देखें तो, इसके आधार पर हम एक राय बना सकते हैं कि रेश्यो किस दिशा में चलने वाला है। उदाहरण के तौर पर- पहले घेरे में, जब रेश्यो औसत या मीन से ऊपर चला गया था तो ये स्थिति हमें बताती है कि रेश्यो वापस मीन की तरफ जाएगा। दूसरे शब्दों में, उस ऊंचाई पर आप रेश्यो को शॉर्ट कर सकते हैं और जब वो नीचे वापस मीन के पास आए तो उसे खरीद सकते हैं। इसी तरीके से दूसरे गोले के पास वह मौका बनता है जहां पर आप रेश्यो को खरीद सकते हैं और उम्मीद कर सकते हैं रेश्यो वापस ऊपर मीन के पास जाएगा। 

आपको रेश्यो को एक स्टॉक या फ्यूचर के तौर पर देखना है। अगर हमें यह पता है कि रेश्यो के चाल की दिशा क्या होगी तो हम आसानी से उसके चाल की दिशा के हिसाब से अपने सौदे लगा सकते हैं यानी ट्रेड कर सकते हैं। 

मुझे उम्मीद है कि यह बात आपको समझ में आ गयी होगी 

मीन के मुकाबले रेश्यो कहां पर है, इसी से हमें ट्रेड का ट्रिगर मिलता है। अगर रेश्यो –

  • मीन से ऊपर है तो यह उम्मीद की जा सकती है कि रेश्यो वापस मीन की तरफ जाएगा इसलिए आप रेश्यो को शॉर्ट कर सकते हैं 
  • मीन के नीचे है तो इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि रेश्यो वापस से ऊपर की तरफ मीन के पास जाएगा इसलिए यहां पर हम रेश्यो पर लॉन्ग कर सकते हैं। 

अब कुछ सवाल – 

  1. रेश्यो हमेशा मीन के ऊपर या नीचे होता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि हर समय वहां एक ट्रेडिंग का मौका है ? 
  2. बहुत सारी जगह पर ऐसा लगता है कि रेश्यो ने या तो बॉटम बना लिया है या तो पीक यानी ऊंचाई पर है, हमें कैसे पता कि कहां पर ट्रेड शुरू करना चाहिए? 

इन सवालों का जवाब जिस चीज से मिलता है उसे डेंसिटी कर्व कहते हैं। आइए उसे देखते हैं।

6.4 – डेंसिटी कर्व – Density Curve

इस चार्ट पर नजर डालिए –

मैंने इस चार्ट पर चार बिंदुओं को हाईलाइट किया है। इन सभी जगहों पर रेश्यो मीन के ऊपर ट्रेड कर रहा है। मान लीजिए आप चार्ट को उस जगह पर देखते हैं जहां पर मैंने पहला गोला बनाया है। यहां पर क्या सिर्फ इसलिए आप अपना ट्रेड शुरू करेंगे क्योंकि रेश्यो मीन के ऊपर है? जब भी रेश्यो मीन के ऊपर या नीचे होता है तो यह सवाल उठ सकता है। 

अगर हम इस तरह का ट्रेड कर पाएं तो यह बहुत अच्छी बात होगी। लेकिन इसके लिए रेश्यो को बहुत करीब से देखना होगा और ट्रेड को तब शुरु करना होगा जब मीन रिवर्जन (Mean Reversion) की संभावना सबसे ज्यादा हो। मतलब हमें ट्रेड तब शुरु करना होगा जब हम बहुत ज्यादा आश्वस्त हों कि रेश्यो मीन के पास बहुत जल्दी आएगा। 

यह एकदम वैसा ही है जैसे एक शेर झाड़ियों में छुपा हो और अपने शिकार पर झपटने वाला हो। सिर्फ इस वजह से, क्योंकि शिकार खुले में है शेर उस पर हमला नहीं करेगा और उसको मारने का मौका हाथ से नहीं गंवाएगा। वह हमला तभी करेगा जब वो पूरी तरह से आश्वस्त हो कि वह शिकार को मार पाएगा। 

तो हम हमला करने की तैयारी में कैसे रहें और कैसे सही समय पर हमला करें यह जानना जरूरी है। 

इसके लिए हमें एक बार फिर से नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन और इसकी विशेषताओं पर नजर डालनी होगी। मुझे उम्मीद है कि आपको इसके बारे में पता होगा। फिर भी इस पर संक्षेप में नजर डाल लेते हैं –  

  • 1st स्टैंडर्ड डेविएशन में आप 68% डेटा को देख सकते हैं 
  • 2nd स्टैंडर्ड डेविएशन में आप 95% डेटा को देख सकते हैं 
  • 3rd स्टैंडर्ड डेविएशन में आप 99.7% डेटा को देख सकते हैं

तो रेश्यो के संदर्भ में इसका इस्तेमाल कैसे होगा – 

  • रेश्यो मीन के मुकाबले कहीं पर भी हो, उसका अपना एक स्टैंडर्ड डेविएशन होता है। उदाहरण के तौर पर हो सकता है कि रेश्यो मीन से कुछ प्वाइंट ही दूर हो और ये दूरी मीन से 0.5 स्टैंडर्ड डेविएशन पर हो 
  • अगर रेश्यो 2nd स्टैंडर्ड डेविएशन तक चला जाता है तो नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन के हिसाब से वहां पर इस बात की सिर्फ 5% संभावना है कि वो और ऊपर जाएगा। इसका मतलब यह है कि 95% संभावना इस बात की है कि रेश्यो मीन की तरफ वापस लौटेगा।
  • इसी तरह से अगर रेश्यो 3rd स्टैंडर्ड डेविएशन की तरफ जाता है तो इस बात की संभावना 0.3% ही है कि वह और ऊपर जाएगा। हम यह कह सकते हैं कि 99.7% संभावना इस बात की है कि रेश्यो मीन की तरफ ही जाएगा।

तो हर स्टैंडर्ड डेविएशन पर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि रेश्यो के मीन के पास जाने की कितनी संभावना है। इसका मतलब है कि जब भी हमें मौका दिखाई दे तो हम यह पता कर सकते हैं कि यहां पर ट्रेड करने के सफल होने की संभावना कितनी है और सफलता की अच्छी संभावना होने पर ही ट्रेड शुरु कर सकते हैं। 

एक और महत्वपूर्ण बात निकलती है कि रेश्यो मीन के मुकाबले कहां है-सिर्फ इसके आधार पर ट्रेड नहीं किया जा सकता, स्टैंडर्ड डेविएशन को भी देखना होता है। यानी हम यह कह सकते हैं कि रेश्यो को हर दिन ट्रैक करने के बजाय हम अगर रेश्यो के स्टैंडर्ड डेविएशन को हर दिन ट्रैक करें तो ज्यादा अच्छा होगा। 

इस ट्रैकिंग में हमारे काम आता है- डेंसिटी कर्व (Density Curve)। डेंसिटी कर्व कभी भी नेगेटिव नहीं होता। यह हमेशा 0 से 1 के बीच में होता है। मेरी सलाह यह है कि आप खान एकेडमी के इस वीडियो को देखिए ( watch this video) जो डेंसिटी कर्व के बारे में बताता है। 

डेंसिटी कर्व को एक्सेल शीट पर निकालना काफी सीधा और आसान है। आप इसे इस तरह से निकाल सकते हैं, नीचे के चित्र पर नजर डालिए 

आप चाहें तो एक्सेल में इसके लिए दिए गए फंक्शन Norm.dist का इस्तेमाल इसके लिए कर सकते हैं। इस फंक्शन में आपको 4 इनपुट देने होंगे

  • X – रेश्यो की दिन की वैल्यू 
  • मीन – रेश्यो के मीन या औसत की वैल्यू 
  • स्टैंडर्ड डेविएशन – रेश्यो का स्टैंडर्ड डेविएशन 
  • क्यूम्युलेटिव (Cumulative) – यहां पर आपको ट्रू (True) या फॉल्स (False) चुनना है। हमेशा ट्रू को ही डिफॉल्ट के तौर पर चुनिए 

मैंने सभी वेरिएबल के लिए डेंसिटी कर्व की गणना की है, नीचे के टेबल पर नजर डालिए – 

अब हम इस अध्याय को यहां खत्म करते हैं। अगले अध्याय में हम यह देखेंगे कि डेंसिटी कर्व का इस्तेमाल पेयर ट्रेड के ट्रिगर के तौर पर शॉर्ट और लॉन्ग के लिए कैसे किया जा सकता है। 

इस अध्याय में इस्तेमाल किए गए एक्सेल शीट को आप यहां से डाउनलोड (Download) कर सकते हैं।

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. रेश्यो एक ज्यादा अच्छा वेरिएबल है क्योंकि यह स्टॉक की कीमत को भी शामिल करता है।
  2. रेश्यो हमेशा अपनी मीन वैल्यू के ऊपर या नीचे रहता है। 
  3. यह माना जाता है कि जब रेश्यो मीन से दूर चला जाता है तो इसके फिर से मीन के पास वापस आने की संभावना होती है। 
  4. जब भी रेश्यो मीन से दूर चला जाए तो आप रिवर्जन टू मीन (reversion to mean) की संभावना को या प्रोबेबिलिटी को निकाल सकते हैं।
  5. रिवर्जन टू मीन को आप नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन से निकाल सकते हैं। 
  6. डेंसिटी कर्व एक गैर नेगेटिव (non negative) संख्या होती है जो 0 से 1 के बीच में होती है। इसे आसानी से एक्सेल का इस्तेमाल करके निकाला जा सकता है।



4 comments

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  1. super learner says:

    dhanaywad aabhar zeroda team

  2. Aamir says:

    vercity all chepter is pure gold lots of love lots of thank you so much team vercity

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