7.1 -संक्षिप्त विवरण (Overview)
अगर मैं आपसे पूछूं कि अपने शहर के ट्रैफिक का ताजा हाल बताओ तो आप क्या करेंगे?
आपके शहर में हजारों सड़कें और चौराहे होंगे, क्या आप सबका हाल पता करेंगे और फिर जवाब देंगे? समझदारी तो इसी में होगी कि आप कुछ मुख्य सड़कों और चौराहों का हाल पता करें जिनसे आप शहर की हर दिशा में ट्रैफिक का हाल बता सकें। अगर इन सड़कों पर भीड़ हो तो आप बोलेंगे कि शहर में बहुत ट्रैफिक है और नहीं तो कहेंगे कि ट्रैफिक सामान्य है।
ठीक इसी तरह अगर आपसे स्टॉक मार्केट का हाल पूछा जाए तो, क्या करेंगे आप? बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में करीब 5000 कंपनियां लिस्टेड हैं और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में करीब 2000, इन सबका हाल पता करना कि उनके शेयर ऊपर जा रहे हैं या नीचे, अपने आप में काफी मुश्किल काम होगा।
इसकी जगह आसान तरीका होगा कि कुछ खास तरह की इंडस्ट्री या उद्योग से जुड़ी कंपनियों के शेयरों की हालत पता कर ली जाए। अगर इनमें से अधिकतर कंपनियों के शेयर नीचे हैं तो बाजार नीचे और अगर ज्यादातर कंपनियों के शेयर ऊपर हैं तो बाजार ऊपर कहा जाएगा। अगर कुछ नीचे और कुछ ऊपर तो बाजार को मिला-जुला कहा जा सकता है।
इस तरह से कुछ कंपनियों को बाजार का प्रतिनिधि बनाया जा सकता है और उनका हाल देख कर बाजार का हाल बताया जा सकता है। इन कंपनियों का समूह शेयर बाज़ार सूचकांक यानी स्टॉक मार्केट इंडेक्स (Stock Market Index) बनाता है।
7.2- इंडेक्स- सूचकांक (The Index)
सौभाग्य से बाजार का हाल बताने के लिए इन चुनी हुई कंपनियों के समूह की हर कंपनी को भी अलग अलग देखना जरूरी नहीं है। इन सभी कंपिनयों को पहले ही एक साथ मिला दिया गया है और इस मिले हुए समूह पर लगातार निगाह रखी जाती है और उनके आधार पर बाजार का हाल बताया जाता है। कंपनियों के इस समूह को ही मार्केट इंडेक्स (Market Index) कहते हैं।
भारत में दो मुख्य मार्केट इंडेक्स हैं- S&P BSE Sensex जो बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स है और CNX Nifty जो NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का हाल बताने वाला इंडेक्स है।
S&P यानी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (Standard and Poor’s), एक अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। S&P इंडेक्स बनाने की विशेषज्ञ एजेंसी है और उन्होने BSE को लाइसेंस दिया है। इसलिए इस इंडेक्स में S&P का नाम जुड़ा है।
फ्टी (CNX Nifty) में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सबसे बड़े और सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाले (खरीदे बेचे जाने वाले) शेयर शामिल हैं। इस इंडेक्स को चलाने की जिम्मेदारी इंडिया इंडेक्स सर्विसेज एंड प्रॉडक्ट्स लिमिटेड (IISL) की है। ये NSE और CRISIL का ज्वाइंट वेंचर यानी संयुक्त उद्यम है। CNX का यहां मतलब है CRISIL और NSE.
एक अच्छा इंडेक्स हमें हर मिनट ये बताता है कि बाजार के खिलाड़ी बाजार का भविष्य कैसा देख रहे हैं। इंडेक्स का ऊपर-नीचे होना हमें बताता है कि बाजार से जुड़ी उम्मीदें किधर जा रही हैं। जब बाजार से जुड़े लोग मानते हैं कि भविष्य अच्छा है तो इंडेक्स ऊपर जाता है और जब ये लोग मानते हैं कि आने वाला समय खराब है तो इंडेक्स नीचे जाता है।
7.3 – इंडेक्स के उपयोग (Practical Uses of Index)
नीचे इंडेक्स के कुछ खास उपयोग बताए जा रहे हैं।
सूचना (Information)- इंडेक्स एक समय विशेष में बाजार की दिशा को बताता है। इंडेक्स के आधार पर देश की अर्थव्यवस्था का भी अनुमान मिलता है। ऊपर चढ़ रहा इंडेक्स बताता है कि लोग भविष्य बेहतर होने की उम्मीद कर रहे हैं। जब स्टॉक मार्केट इंडेक्स नीचे होता है तो ये माना जा सकता है कि लोग भविष्य को ले कर उत्साहित नहीं हैं।
उदाहरण के तौर पर 1 जनवरी 2014 को निफ्टी 6301 पर था और 24 जून 2014 को 7580। इसका मतलब है कि 1278 अंकों की बढोत्तरी यानी 20.3% का बदलाव। इसका मतलब है कि इस दौरान बाजार मजबूती के साथ ऊपर गया जिससे पता चलता है लोग भविष्य को ले कर आशावादी थे।
इंडेक्स का इस्तेमाल किसी भी समय सीमा के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए 25 जून 2014 को सुबह 9:30 बजे इंडेक्स 7583 पर था लेकिन एक घंटे बाद ये 7565 पर पहुंच गया, एक घंटे में आई ये 18 अंकों की गिरावट बताती है कि बाजार में लोग उत्साह में नहीं थे।
बेंचमार्क के लिए (Benchmarking)- आप ट्रेडिंग कर रहे हों या निवेश, इसके प्रदर्शन को कैसे नापेंगे? मान लीजिए आपने 100,000 रुपये लगाए और 20,000 कमाए, अब आपके पास 120,000 की रकम है। सुनने में तो ये बहुत अच्छा है कि आपको 20% का रिटर्न मिला। लेकिन इसी दौरान निफ्टी 6000 से 7800 पर आ गया यानी उसने 30% का रिटर्न दिया।
अब आपको लगेगा कि आपका रिटर्न मार्केट से कम रहा। अगर आप ये तुलना नहीं कर पाते तो आपको पता नहीं चलता कि आपका प्रदर्शन कैसा रहा। इसीलिए इंडेक्स को बेंचमार्क की तरह इस्तेमाल करके प्रदर्शन नापा जाता है। बाजार से जुड़े हर व्यक्ति की कोशिश होती है इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन करने की।
ट्रेडिंग (Trading)– इंडेक्स का सबसे अधिक उपयोग ट्रेडिंग के लिए होता है। बाजार के ज्यादातर ट्रेडर इंडेक्स में ट्रेड करते हैं। वो अर्थव्यवस्था या बाजार के भविष्य का अनुमान लगाते हैं और उसी के आधार पर सौदा करते हैं।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि सुबह 10:30 पर वित्त मंत्री बजट भाषण देने वाले हैं। इससे एक घंटे पहले निफ्टी 6600 पर है। आपको लगता है कि बजट में कुछ ऐसी घोषणा होगी कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। ऐसा होने पर इंडेक्स किधर जाएगा? ऊपर ना? तब आप एक ट्रेडर के तौर पर इंडेक्स 6600 पर खरीदेंगे।
अब बजट भाषण आपकी उम्मीद के मुताबिक रहता है और निफ्टी 6900 पर पहुंच जाता है। अब आप 300 प्वाइंट ऊपर अपने फायदे के साथ सौदे से निकल सकते हैं। ऐसे ट्रेड यानी सौदे बाजार के डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में किए जाते हैं। अभी डेरिवेटिव के बारे में सिर्फ इतना जान लीजिए कि यहाँ इंडेक्स का सौदा किया जा सकता है, इस पर विस्तार से बाद में जानेंगे।
पोर्टफोलियो हेजिंग (Portfolio Hedging)- निवेशक आमतौर पर शेयरों का एक पोर्टफोलियो बनाते हैं। जिसमें 10-12 कंपनियों के शेयर होते हैं, जिन्हें लंबे समय के लिए खरीदा गया होता है। लेकिन कभी कभी बाजार में ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं (साल 2008 की तरह) जब काफी समय तक बाजार खराब रहने की आशंका रहती है। ऐसे में पोर्टफोलियो की पूंजी को कम होने से बचाने के लिए हेजिंग करनी पड़ती है और इसके लिए इंडेक्स का उपयोग किया जाता है। इस पर हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।
7.4 – इंडेक्स बनाने का तरीका (Index construction methodology)
ये जानना जरूरी है कि इंडेक्स कैसे बनता है और उसकी गणना कैसे होती है, खासकर इंडेक्स ट्रेडर के लिए ये जानकारी काफी महत्वपूर्ण है। जैसा कि हम जान चुके हैं कि इंडेक्स कई सेक्टर के काफी सारे स्टॉक्स को मिला कर बनता है और ये पूरी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। इंडेक्स में शामिल करने के लिए स्टॉक में कुछ खासियतें देखी जाती हैं और जब तक उसमें वो खासियत मौजूद रहती हैं तब तक वो स्टॉक इंडेक्स में बना रहता है। लेकिन अगर उनमें से एक खासियत भी कम हो गयी तो उन खासियतों वाला दूसरा स्टॉक इंडेक्स में उसकी जगह ले लेता है।
इंडेक्स बनाने के लिए ऐसे स्टॉक्स की एक लिस्ट बनाई जाती है जो उन खासियतों की सभी शर्तें पूरी करते हैं। इसके बाद हर स्टॉक का एक वजन (weightage) तय किया जाता है। वजन यानी वेटेज का मतलब होता है कि उस स्टॉक का इंडेक्स में दूसरे शेयरों की तुलना में कितना महत्व है। जैसे निफ्टी में ÌTC का वजन यानी वेटेज 7.6% है, इसका मतलब ये हुआ कि निफ्टी के बढ़ने या गिरने में 7.6% भूमिका ITC की होती है।
अब सवाल ये है कि इंडेक्स में वजन यानी वेटेज तय कैसे किया जाता है?
इसके कई तरीके होते हैं लेकिन भारतीय बाजार यानी एक्सचेंज जिस तरीके का इस्तेमाल करते हैं उसे फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन ( Free Float Market Capitalisation) कहते हैं। स्टॉक्स का वेटेज उनके फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन पर तय होता है, जितना बड़ा मार्केट कैपिटलाइजेशन उतना ज्यादा इंडेक्स में वजन।
फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन निकालने के लिए शेयर बाजार में मौजूद उस कंपनी के शेयरों की संख्या को उसकी कीमत से गुणा कर दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर एक कंपनी के 100 शेयर बाजार में हैं और उस शेयर की कीमत 50 रूपये है तो उस शेयर की फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन 100x 50= 5000 होगा।
इस अध्याय को लिखते वक्त निफ्टी के 50 शेयरों की लिस्ट और उनके इंडेक्स में वजन का चार्ट कुछ इस प्रकार है..
क्रमांक | कंपनी का नाम | इंडस्ट्री | वेटेज (%) |
---|---|---|---|
1 | ITCलिमिटेड | सिगरेट | 7.6 |
2 | ICICIबैंक लि. | बैंक | 6.55 |
3 | HDFCलि. | हाउसिंग फाइनेंस | 6.45 |
4 | रिलायंस इंडस्ट्री लि. | रिफाइनरीज | 6.37 |
5 | इन्फोसिस लि. | कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर | 6.26 |
6 | HDFCबैंक लि. | बैंक | 5.98 |
7 | TCSलि. | कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर | 5.08 |
8 | L&Tलि. | इंजीनियरिंग | 4.72 |
9 | टाटा मोटर्सलि. | ऑटोमोबाइल | 3.09 |
10 | SBIलि. | बैंक | 2.9 |
11 | ONGCलि. | ऑयल एक्सप्लोरेशन | 2.73 |
12 | एक्सिस बैंक लि. | बैंक | 2.5 |
13 | सन फार्मालि. | फार्मास्युटिकल | 2.29 |
14 | M&Mलि. | ऑटोमोबाइल | 2.13 |
15 | HULलि. | FMCG | 1.87 |
16 | भारती एयरटेललि. | टेलीकॉम | 1.7 |
17 | HCLटेक्नोलॉजिस लि. | कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर | 1.61 |
18 | टाटा स्टील लि. | मेटल-स्टील | 1.42 |
19 | कोटक महिन्द्रा बैंक लि. | बैंक | 1.4 |
20 | सेसा स्टरलाइट लि. | खनन | 1.38 |
21 | डॉ रेड्डीज लैब लि. | फार्मा | 1.37 |
22 | विप्रो लि. | कम्प्युटर सॉफ्टवेयर | 1.37 |
23 | मारूति सुजुकी इंडिया लि. | ऑटो | 1.29 |
24 | टेक महिन्द्रा लि. | कम्प्युटर सॉफ्टवेयर | 1.24 |
25 | हीरो मोटोकॉर्प लि. | ऑटो | 1.2 |
26 | NTPCलि. | पावर | 1.15 |
27 | पावर ग्रिड कॉर्प लि. | पावर | 1.13 |
28 | एशियन पेन्ट्स लि. | पेन्ट्स | 1.1 |
29 | ल्यूपिन लि. | फार्मा | 1.09 |
30 | बजाज ऑटो लि. | ऑटो | 1.07 |
31 | हिन्डालको इन्डस्ट्रीज लि. | मेटल-अल्युमिनियम | 0.95 |
32 | अल्ट्राटेक सीमेन्ट्स लि. | सीमेन्ट | 0.95 |
33 | इन्डसइंड बैंक लि. | बैंक | 0.94 |
34 | कोल इंडिया लि. | खनन | 0.93 |
35 | सिप्ला लि. | फार्मा | 0.89 |
36 | BHELलि. | बिजली उपकरण | 0.79 |
37 | ग्रासिमइंडस्ट्रीज लि. | सीमेन्ट | 0.79 |
38 | गेल(इंडिया)लि. | गैस | 0.78 |
39 | IDFCलि. | फाइनेंशियल सर्विसेज | 0.74 |
40 | केर्न इंडिया लि. | ऑयल एक्सप्लोरेशन | 0.72 |
41 | यूनाइटेड स्पिरिटीजलि. | डिस्टीलरी | 0.7 |
42 | टाटा पावर कं.लि. | पावर | 0.68 |
43 | बैंक ऑफ बड़ौदा | बैंक | 0.63 |
44 | अम्बुजा सीमेंट्स लि. | सीमेन्ट | 0.61 |
45 | BPCL | रिफाइनरीज | 0.58 |
46 | पंजाब नेशनल बैंक | बैंक | 0.55 |
47 | NMDCलि. | खनन | 0.52 |
48 | ACCलि. | सीमेंट | 0.5 |
49 | जिन्दल पॉवर एंड स्टील | स्टील | 0.38 |
50 | DLFलि. | कंस्ट्रक्शन | 0.34 |
आप देख सकते हैं कि ITC का वेटेज सब से ज्यादा है। इसका मतलब है कि निफ्टी पर सबसे अधिक असर ITC के शेयर की कीमत में बदलाव का पड़ता है और सबसे कम DLF की कीमत में बदलाव का।
7.5- सेक्टर इंडेक्स ( Sector specific index)
जैसे सेंसेक्स और निफ्टी पूरे बाजार की दिशा बताते हैं उसी तरह अलग अलग इंडस्ट्री का हाल बताने वाले इंडेक्स भी होते हैं, जिनको सेक्टर इंडेक्स कहते हैं। जैसे बैंक निफ्टी बैंकिंग इंडस्ट्री का हाल बताने वाला सेक्टर इंडेक्स है। इसी तरह CNX IT नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में IT इंडस्ट्री के शेयरों का हाल बताता है। BSE और NSE दोनों पर सेक्टर इंडेक्स हैं और ये निफ्टी और सेंसेक्स की तरह ही काम करते हैं।
इस अध्याय की मुख्य बातें
- बाजार के इंडेक्स पूरी अर्थव्यवस्था का हाल बताते हैं।
- इंडेक्स ऊपर जाने का मतलब है कि बाजार में लोग भविष्य को ले कर आशान्वित हैं।
- इंडेक्स के नीचे जाने का मतलब है कि बाजार के लोग भविष्य को ले कर निराश हैं।
- भारत में दो मुख्य इंडेक्स हैं BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी।
- इंडेक्स का उपयोग सूचना, बेंचमार्क, ट्रेडिंग और हेजिंग के लिए भी होता है।
- इंडेक्स का सबसे प्रचलित उपयोग ट्रेडिंग के लिए होता है।
- भारत में फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन तरीके का उपयोग करके इंडेक्स का निर्माण होता है।
- अलग अलग सेक्टर का हाल बताने के लिए सेक्टर इंडेक्स होते हैं।
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thank you team zerodha
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Happy reading, Prakash 🙂
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Investment ke bare me bhi bataye
हमने इसको इसी अध्याय में समझाया है कृपया इसको पूरा पढ़ें।
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सरल शब्दों में शेयर मार्किट का इतना महत्वपूर्ण ज्ञान काफ़ी रोचक है,आपका प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है….
आपका धन्यवाद।
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आपका धन्यवाद।
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agar koi person 100 rupye ka tamatar sell kar rha hai aur koi use 100 me kharid rha hai to price uper kaise jaega kyu ki volume to same 100 rupye hi hoga
When demand and supply changes, the price also changes.
Good information to learning stage.
Happy learning 🙂