1.1 संक्षिप्त विवरण
पिछले मॉड्यूल में हमने स्टॉक मार्केट के बारे में ज़रूरी जानकारी प्राप्त कर ली है। अब हमें पता है कि स्टॉक मार्केट में सफल होने के लिए एक अच्छे रिसर्च के आधार पर अपना नजरिया तैयार करना जरूरी है। एक अच्छे नजरिए का मतलब है कि बाजार की दिशा का अंदाजा तो हो ही साथ में कुछ और जानकारी भी हो जैसे…
- शेयर की वो कीमत जिस पर उसे खरीदा और बेचा जाना चाहिए
- रिस्क कितना है
- कितना फायदा हो सकता है
- शेयर का होल्डिंग पीरियड
टेक्निकल एनालिसिस (TA या टी ए) वो तकनीक है जो आपको इन सारे सवालों के जवाब दे सकती है। इसके आधार पर शेयर और इंडेक्स दोनों पर नजरिया तैयार कर सकते हैं, साथ ही एन्ट्री यानी बाजार में प्रवेश करने का सही समय, एक्जिट यानी निकलने का सही समय और रिस्क के हिसाब से अपना सौदा भी फाइनल कर सकते हैं।
रिसर्च की सारी तकनीकों की तरह टेक्निकल एनालिसिस की अपनी विशिष्टताएं हैं जो कई बार काफी मुश्किल लग सकती हैं। लेकिन टेक्नालॉजी इसको कुछ आसान बना देती है।
इस मॉड्यूल में हम इन विशिष्टताओं को समझने की कोशिश करेंगे।
1.2- टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
एक उदाहरण से समझते हैं।
कल्पना कीजिए कि आप विदेश में छुट्टी मना रहे हैं, एक ऐसे देश में जहाँ भाषा, मौसम, रहन–सहन, खाना सब कुछ आपके लिए नया है। पहले दिन आप दिन भर घूमते हैं और शाम तक आपको जोर की भूख लग जाती है। आप एक अच्छा खाना चाहते हैं। आपको पता चलता है कि पास में ही एक जगह है जहाँ खाने पीने की कई मशहूर दुकानें हैं। आप उसे आजमाने का फैसला करते हैं।
वहाँ जा कर आपको बहुत सारी दुकानें दिखती हैं और वहाँ बिक रही हर चीज अलग और मजेदार दिखती है। अब आप असमंजस में हैं कि क्या खाया जाए? आप लोगों से पूछ भी नहीं सकते क्योंकि भाषा आपको नहीं आती। ऐसे में अब आप क्या करेंगे? क्या खाएंगे?
आपके सामने दो विकल्प हैं
विकल्प 1: आप पहली दुकान पर जाएंगे और देखेंगे कि वह क्या पका रहा है। पकाने के लिए वो किन-किन चीजों का इस्तेमाल कर रहा है, उसके पकाने का तरीका क्या है, और हो सके तो थोड़ा सा चख कर भी देखेंगे। तब आप तय कर पाएंगे कि यह चीज आपके खाने के लिए अच्छी है या नहीं। जब यह काम आप हर विक्रेता के साथ करेंगे, तब आप अपनी पसंद की जगह ढूंढ पाएंगे और मनपसंद चीज खा पाएंगे। इस तरीके का फायदा यह है कि आप पूरी तरीके से संतुष्ट रहेंगे कि आप क्या खा रहे हैं क्योंकि इसको खाने के लिए आपने खुद रिसर्च की है।
लेकिन दिक्कत यह है कि अगर 100 या उससे ज्यादा दुकानें हैं, तो आप हर दुकान को खुद चेक नहीं कर पाएंगे। अगर ज्यादा दुकानें हैं तो आपके लिए और भी मुश्किल हो सकती है। समय की कमी भी आपके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है क्योंकि आप कुछ ही दुकानों तक जा पाएंगे। ऐसे में यह संभव है कि आप से सबसे अच्छी चीज ही छूट जाए।
विकल्प 2: आप एक जगह खड़े होकर पूरे बाजार पर नजर डालें। यह देखने की कोशिश करें कि किस दुकान पर सबसे ज्यादा भीड़ लगी है और सबसे ज्यादा बिक्री हो रही है। इस तरह से आप अनुमान लगा सकते हैं कि उस दुकान में जरूर से अच्छा खाना मिल रहा होगा तभी वहां इतनी भीड़ है। अपने अनुमान के आधार पर आप उस दुकान पर जाएंगे और वहां खाना खाएंगे। इस तरीके से इस बात की संभावना ज्यादा होगी कि आप को उस बाजार का सबसे अच्छा खाना मिल सके।
इस तरीके का फायदा यह है कि आप अधिक से अधिक अच्छी दुकानों को जल्दी से खोज पाएंगे और सबसे ज्यादा वाली भीड़ वाली दुकान पर दाँव लगाकर अच्छा खाना पाने की उम्मीद कर सकते हैं। मुश्किल यह है कि हो सकता है कि भीड़ की पसंद गलत हो और आपको हर बार अच्छा खाना ना मिले।
इन दोनों विकल्पों को पढ़कर आपको समझ में आ ही गया होगा कि पहला विकल्प फंडामेंटल एनालिसिस के जैसा है, जहां पर आप खुद कुछ कंपनियों के बारे में गहराई से रिसर्च करते हैं। फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में विस्तार से अगले मॉड्यूल में चर्चा करेंगे।
विकल्प दो ज्यादा करीब है टेक्निकल एनालिसिस के। यहां पर आप पूरे बाजार में मौके तलाशते हैं यह देखते हुए कि बाजार इस समय किधर जा रहा है और बाजार की पसंद क्या है? टेक्निकल एनालिसिस की तकनीक में बाजार में मौजूद सभी कारोबारियों की पसंद को देखते हुए ट्रेडिंग के मौके ढूंढे जाते हैं। बाजार के ज्यादातर कारोबारियों की पसंद क्या है इस को पहचानने के लिए शेयर या इंडेक्स के चार्ट(chart/graph) को देखा जाता है। कुछ समय बाद उस चार्ट में एक पैटर्न बन जाता है और उस पैटर्न को देखकर आप बाजार का संकेत समझ सकते हैं। टेक्निकल एनालिस्ट (Technical Analyst) का काम है कि वो इस पैटर्न को समझे और अपना नजरिया बनाए।
किसी भी दूसरी रिसर्च तकनीक की तरह टेक्निकल एनालिसिस में भी बहुत सारी चीजों को मानकर चलना पड़ता है। टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर ट्रेड करने वाले लोगों को इन धारणाओं को दिमाग में रख कर ट्रेड करना पड़ता है। हम जैसे जैसे आगे बढ़ेंगे आप इन धारणाओं के बारे में विस्तार से समझ पाएंगे।
फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस में बेहतर कौन है इस पर कई बार बहस होती है। लेकिन वास्तव में बाजार में सबसे अच्छी तकनीक जैसी कोई चीज नहीं होती। हर तकनीक की मजबूतियां और कमजोरियां होती हैं।
दोनों तकनीक अलग-अलग हैं और उनके बीच में तुलना करने जैसा कुछ है नहीं। एक समझदार ट्रेडर वह है जो दोनों तकनीक को जानता हो और उनके आधार पर अपने लिए अच्छे कमाई के मौके तलाश कर सकता हो।
1.3- ट्रेड के किसी मौके से कितनी उम्मीद रखें
कई लोग यह सोचकर बाजार में आते हैं कि टेक्निकल एनालिसिस के रास्ते बाजार में जल्दी से बहुत सारा पैसा कमा लेंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि ये ना तो आसान है और ना तो जल्दी पैसा बनाने का रास्ता। हाँ, ये सही है कि अगर टेक्निकल एनालिसिस ठीक से किया जाए तो बड़ा मुनाफा मिल सकता है, लेकिन उसके लिए आपको बहुत सारी मेहनत करनी होगी और यह तकनीक सीखनी होगी। अगर आप टेक्निकल एनालिसिस के रास्ते जल्दी-जल्दी बहुत सारा पैसा बनाना चाहते हैं तो हो सकता है कि आप बहुत बड़ा नुकसान हो जाए। जब बाजार में बहुत सारे पैसे डूब जाते हैं तो आमतौर पर लोग इसका सारा जिम्मा टेक्निकल एनालिसिस पर डाल देते हैं जबकि ट्रेडर की गलती पर नज़र नहीं डालते। इसलिए जरूरी है कि टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर ट्रेड करने के पहले अपनी उम्मीदों को काबू में रखें और समझें।
- सौदे (Trades)- टेक्निकल एनालिसिस (TA) का सबसे अच्छा उपयोग है– शार्ट टर्म सौदे पहचानने के लिए। TA के आधार पर लंबे समय के निवेश के मौके मत तलाशें। लंबे निवेश के मौकों के लिए फंडामेंटल एनालिसिस ठीक होती है। हाँ, अगर आप फंडामेंटल एनालिस्ट हैं या फंडामेंटल एनालिसिस के ज़रिए निवेश करते हैं तो खरीदने का सही समय (एन्ट्री प्वाइंट) और बेचने का सही समय (एक्जिट प्वाइंट) जानने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का सहारा ले सकते हैं।
- हर सौदे से होने वाली कमाई (Return per trade)– चूंकि TA आधारित सौदे कम समय वाले होते हैं इसलिए बहुत बड़े मुनाफे की उम्मीद ना रखें। TA में सफलता के लिए जरूरी है कि आप लगातार जल्दी-जल्दी छोटे -छोटे सौदे करते रहें और उनसे मुनाफा कमाते रहें।
- होल्डिंग पीरियड (Holding Period)– आमतौर पर टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर किए गए सौदे कुछ मिनट से लेकर कुछ हफ्तों के लिए किए जाते हैं, उससे ज्यादा नहीं।
- रिस्क (Risk)– एक ट्रेडर किसी मौके को पहचान कर सौदा करता है, लेकिन कभी–कभी सौदा गलत भी पड़ सकता है और ट्रेडर नुकसान में जा सकता है। कई बार ट्रेडर इस उम्मीद में सौदे से नहीं निकलता कि नुकसान बाद में मुनाफे में बदल जाएगा। लेकिन याद रखिए कि TA पर आधारित सौदे शॉर्ट टर्म के होते हैं, इसलिए नुकसान कम से कम रखते हुए सौदे से निकल जाना और कमाई का नया मौका तलाशना ही समझदारी है।
इस अध्याय की खास बातें
- बाजार के बारे में अपना नजरिया बनाने के लिए टेक्निकल एनालिसिस एक प्रचलित तरीका है। TA के आधार पर आप खरीदने (एन्ट्री) और बेचने (एक्जिट) का समय भी तय कर सकते हैं।
- टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट के आधार पर बाजार के भागीदारों के मूड को पहचाना जाता है।
- चार्ट पर पैटर्न बनते हैं और इन्हीं के आधार पर ट्रेडर सौदों के मौके पहचानता है।
- सही तरीके से TA का इस्तेमाल करने के लिए कुछ धारणाओं को दिमाग में रखना जरूरी होता है।
- TA का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म सौदों के लिए सही होता है।
ITS NICE SIR STUDY MATERIAL IN HINDI. EVEN THOUGH IN ENGLISH IS NOT A ISSUE BUT LEARING IN HINDI IS TOO SIMPLE
Glad to note that 🙂
Please provide Hindi pdf of zerodha varsity.
Sir pdf files required in hindi
Will do. Thanks.
Vry good containt
Thanks alot
Cheers! Happy reading.
Sir zerodha varsity all chapter should be translation in Hindi language thank.
We are working on it.