9.1 – इंडेक्स फ्यूचर्स के मूल सिद्धांत

भारत के डेरिवेटिव बाजार में निफ्टी फ्यूचर्स का अपना एक खास स्थान है। फ्यूचर्स बाजार में सबसे ज्यादा कारोबार निफ़्टी फ्यूचर्स में होता है और यह सबसे ज्यादा लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट है। आपको शायद यह नहीं पता होगा लेकिन निफ्टी फ्यूचर्स दुनिया के 10 सबसे बड़े इंडेक्स फ्यूचर्स में से एक है जिनकी ट्रेडिंग होती है। एक बार जब आप फ्यूचर्स में कारोबार करना सीख जाएंगे तो मेरा मानना है कि बाकी लोगों की तरह आप भी निफ़्टी फ्यूचर्स में कारोबार जरूर करेंगे और इसी वजह से निफ्टी फ्यूचर्स को ठीक से समझना बहुत ज्यादा जरूरी है। लेकिन आगे बढ़ने से पहले मेरा आपसे अनुरोध है कि एक बार आप इंडेक्स के बारे में अपनी जानकारी को फिर से दोहरा लें। इस जगह पर हमने इंडेक्स पर चर्चा की थी। 

मैं उम्मीद करता हूं कि इंडेक्स के बारे में अब आपको पूरी जानकारी है और इसीलिए अब हम इंडेक्स फ्यूचर्स या निफ़्टी फ्यूचर्स की तरफ बढ़ते हैं। 

जैसा कि हम जानते हैं कि फ्यूचर्स इंस्ट्रूमेंट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट का एक हिस्सा हैं और यह अपने अंडरलाइंग एसेट की कीमत के साथ साथ ऊपर या नीचे जाता है। इसीलिए निफ़्टी फ्यूचर्स भी निफ़्टी इंडेक्स के ऊपर या नीचे गिरने पर साथसाथ चलता है।

निफ़्टी फ्यूचर्स के कॉन्ट्रैक्ट के स्नैपशॉट (Snapshot) पर नजर डालते हैं

किसी भी दूसरे फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की तरह निफ्टी फ्यूचर्स भी तीन प्रकार के होते हैं करेंट मंथ (Current month),  मिड मंथ (Mid month) और फॉर मंथ (Far month)। मैंने इनकी एक्सपायरी को हाईलाइट किया हुआ है। मैंने निफ़्टी फ्यूचर्स की कीमत को भी हाईलाइट किया हुआ है जो कि ₹11484.9 प्रति यूनिट पर उपलब्ध है। स्क्रीनशॉट लेने के समय निफ़्टी की स्पॉट कीमत ₹11470.70 है। यहां भी स्पॉट कीमत और फ्यूचर्स की कीमत में जो अंतर है वह फ्यूचर्स की कीमत के फार्मूले की वजह से ही है। फ्यूचर्स की कीमत के फार्मूले को हम अगले अध्याय में समझेंगे। 

आप यह भी देख सकते हैं कि लॉट साइज 75 का है। हमें पता है कि कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू

CV =  फ्यूचर्स की कीमत × लॉट साइज 

CV = Futures Price * Lot Size

= 11484.90 × 75

= ₹ 861,367

निफ़्टी फ्यूचर्स के कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार करने के लिए कितनी मार्जिन लगेगी यह पता करने के लिए हमने जेरोधा मार्जिन कैलकुलेटर इस्तेमाल किया और हमें जो मार्जिन पता चली– 

ऑर्डर का प्रकार मार्जिन
NRML Rs.68,810/-
MIS Rs.24,083/-
BO & CO Rs.12,902/-

 

ऊपर दी गई जानकारी के आधार पर अब आप निफ़्टी फ्यूचर्स को थोड़ा बहुत जान चुके हैं। निफ़्टी फ्यूचर्स की सबसे बड़ी खासियत उसकी लिक्विडिटी है। इसीलिए वह इतना लोकप्रिय है। आइए देखते हैं कि लिक्विडिटी क्या है और इसको कैसे नापते हैं।

9.2 इंपैक्ट कॉस्ट 

बाजार में आप बार-बार लिक्विडिटी शब्द को सुनते होंगे। आम भाषा में कहें तो लिक्विडिटी वह चीज है जो आपको किसी भी स्टॉक या फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट को आसानी से बेचने और खरीदने की सहूलियत देता है। जो स्टॉक ज्यादा लिक्विड होता है उसमें बड़े ट्रेडर कितनी भी बड़ी मात्रा में शेयर खरीद और बेच सकते हैं और उससे स्टॉक की कीमत पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ता। बाजार के बड़े खिलाड़ी यानी इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर भी लिक्विड स्टॉक में ही ज्यादा कारोबार करते हैं। जिस स्टॉक में लिक्विडिटी ज्यादा होती है वहां पर वोलैटिलिटी भी कम होती है। अगर स्टॉक ज्यादा लिक्विड है तो उसमें मार्केट आर्डर डालना भी आसान होता है। 

लिक्विडिटी को समझने के लिए उदाहरण के तौर पर MRF लिमिटेड के शेयर को लेते हैं। मान लीजिए एक विदेशी निवेश संस्थागत निवेशक MRF के 5000 शेयर खरीदना चाहता है। जैसा कि आपको पता है कि MRF कीमत के हिसाब से सबसे महंगे स्टॉक्स में से एक है। इसका एक शेयर ₹38000 के आसपास होता है। इसका मतलब है कि 5000 शेयर खरीदने के लिए खरीदने पर यह सौदा ₹20 करोड़ के आसपास का होगा। याद रखिए कि 20 करोड़ का सौदा किसी भी विदेशी संस्थागत निवेशक के लिए कोई बड़ा सौदा नहीं है। खैर, अभी आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि अगर वह 5000 शेयर खरीदना चाहते हैं तो बाजार में MRF की लिक्विडिटी कैसी है? इसके लिए NSE की वेबसाइट से लिए गए MRF लिमिटेड के ऑर्डर बुक पर नजर डालते हैं

अगर आप ज्यादा मात्रा में किसी शेयर को खरीदना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि बाजार में उसके कितने शेयर खरीदे जाने के लिए उपलब्ध हैं। जैसा कि आप ऊपर के चित्र में देख सकते हैं कि बाजार में MRF लिमिटेड के केवल 4313 शेयर ही बेचे जा रहे हैं। इसको यहां नीले रंग के तीर से हाईलाइट किया गया है। साफ है कि इस सौदे को पूरा करने के लिए जितने शेयरों की जरूरत है उतने शेयर बाजार में उपलब्ध ही नहीं हैं। इसका मतलब है कि MRF लिमिटेड का स्टॉक लिक्विड नहीं है। लिक्विडिटी को पता करने के लिए आप बिड आस्क स्प्रेड (Bid Ask Spread) को भी देख सकते हैं और उसकी इंपैक्ट कॉस्ट का अनुमान भी लगा सकते हैं। मार्केट ऑर्डर के लिए इंपैक्ट कॉस्ट को जानना काफी मददगार साबित हो सकता है।

इंपैक्ट कॉस्ट वह नुकसान है जो राउंड ट्रिप (Round-trip) सौदे में होता है। इस नुकसान को बिड और आस्क (Bid and Ask) कीमत के औसत के प्रतिशत के तौर पर बताया जाता है। राउंड ट्रिप ट्रेड एक ऐसा सौदा है जिसमें आप सबसे पहली उपलब्ध कीमत पर शेयर खरीदते हैं और सबसे पहली उपलब्ध कीमत पर शेयर बेच देते हैं। यह सौदा MRF में कर के देखते हैं।(ऊपर दिए गए ऑर्डर बुक के आधार पर)

खरीद कीमत  ₹38364.95

बिक्री कीमत  ₹38266.25

अगर मुझे यह राउंडट्रिप करना होगा तो मैं इस सौदे में अपना नुकसान कर बैठूंगा। वास्तव में, सारे राउंडट्रिप सौदे नुकसान ही कराते हैं। इस सौदे में होने वाला नुकसान है

= 38364.95 – 38266.25

= 98.7

बिड और आस्क का औसत होगा

= (38364.95+38266.25)/2

=  ₹38315.60

तो इंपैक्ट कॉस्ट होगी – 

राउंड ट्रिप नुकसान / बिड आस्क का औसत

= 98.7 / 38315.60

= 0.3%

तो अब आप इस जानकारी का उपयोग कहाँ करेंगे? यहां पर इसका सीधा मतलब है कि अगर आप बाजार में इस स्टॉक को खरीदने या बेचने का मार्केट आर्डर डालेंगे तो आप इंपैक्ट कॉस्ट की वजह से 0.3% का नुकसान उठाएंगे। हो सकता है कि हमेशा हर ट्रेड में ऐसा ना हो लेकिन आपको इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए। यह इस पर भी निर्भर करता है कि आप कितने शेयरों का सौदा करने वाले हैं। तो अगली बार जब आप अपने ब्रोकर को कोई भी शेयर खरीदने या बेचने का ऑर्डर दें तो याद रखें स्क्रीन पर आपको जो कीमत दिख रही है और जिस कीमत पर ब्रोकर वह सौदा करेगा दोनों में अंतर होगा और यह अंतर इंपैक्ट कॉस्ट की वजह से हो सकता है। 

0.3% का इंपैक्ट कॉस्ट काफी ज्यादा है। इसको अच्छे से समझने के लिए एक बार निफ़्टी फ्यूचर्स के एक सौदे पर नजर डालते हैं।

वह कीमत जिस पर आप खरीद सकते हैं = 11484.95 

 

वह कीमत जिस पर आप बेच सकते हैं = 11484.00 

राउंड ट्रिप नुकसान = 0.95 (11484.95 – 11484) 

बिड और आस्क का औसत = (11484+11484.95)/2

= 11484.47

इंपैक्ट कॉस्ट = 0.95/11484.47

= 0.0082% 

इसका मतलब है कि अगर आप निफ्टी फ्यूचर्स को बाजार कीमत पर खरीदेंगे तो आपको 0.0082% का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर इसकी तुलना आप MRF के इंपैक्ट कॉस्ट 0.3% से करेंगे तो आपको समझ में आएगा कि लिक्विडिटी का क्या असर पड़ता है। अब तक की बातचीत से जो खास बातें निकली हैं, वह हैं 

  1. इंपैक्ट कॉस्ट से लिक्विडिटी का अंदाजा मिलता है 
  2. किसी स्टॉक में लिक्विडिटी जितनी ज्यादा होती है इंपैक्ट कॉस्ट उतना ही कम होता है 
  3. खरीदने और बेचने की कीमत के बीच के स्प्रेड से भी लिक्विडिटी का अंदाज मिलता है 
  • ये स्प्रेड जितना ज्यादा होगा उतना ही इंपैक्ट कॉस्ट अधिक होगा 
  • स्प्रेड जितना कम होगा इंपैक्ट कॉस्ट उतना ही कम होगा 
  1. लिक्विडिटी जितनी ज्यादा होगी वोलैटिलिटी उतनी ही कम होगी 
  2. अगर किसी स्टॉक में लिक्विडिटी कम है तो उसके लिए मार्केट ऑर्डर डालना बहुत अच्छा रास्ता नहीं है 

हमें पता है कि निफ्टी फ्यूचर्स भारतीय बाजारों के सबसे लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट में से एक है। इसलिए 0.0082% को एक बेंचमार्क माना जा सकता है और इसी आधार पर यह कहा जा सकता है कि MRF का 0.3% का इंपैक्ट कॉस्ट बहुत ही ज्यादा है।  इसी से ये साफ है कि MRF बहुत ही कम लिक्विडिटी वाला स्टॉक है। निफ़्टी फ्यूचर्स के अलावा बहुत सारे कॉन्ट्रैक्ट ऐसे हैं जो कि काफी लिक्विड हैं जैसे बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंफोसिस, TCS ITC, DLF, सिप्ला आदि। आप इनमें से कुछ का इंपैक्ट कॉस्ट निकाल कर यह पता कर सकते हैं कि उनकी लिक्विडिटी कितनी है।

9.3 – निफ्टी में ट्रेड करने के फायदे 

जैसा कि आपको पता है कि Nifty50  शेयरों का एक समूह है। इन 50 शेयरों को भारतीय अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर से चुना जाता है। इसलिए निफ्टी भारतीय अर्थव्यवस्था का अच्छे से प्रतिनिधित्व करता है। इसीलिए स्वाभाविक तौर पर अगर भारत और भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छे से चल रही है तो निफ्टी के ऊपर जाने की संभावना होती है। इसी तरह अगर अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी है तो निफ्टी के नीचे जाने की आशंका बनती है। अपनी इसी खूबी की वजह से निफ्टी फ्यूचर्स में ट्रेड करना किसी एक स्टॉक में ट्रेड करने के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है। निफ्टी में ट्रेड करने की कुछ अच्छी वजहों पर नजर डालते हैं  

  1. यह डायवर्सिफाइड (Diversified) है कई बार किसी एक स्टॉक की दिशा को पता करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि उससे जुड़े हुए सारे रिस्क हमें पता नहीं होते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए मैं इंफोसिस लिमिटेड का शेयर खरीदना चाहता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि उसके तिमाही नतीजे अच्छे आने वाले हैं। लेकिन अगर उसके नतीजे बाजार को पसंद नहीं आए तो शेयर नीचे जाएगा और मुझे नुकसान उठाना पड़ेगा। उधर दूसरी तरफ, निफ़्टी फ्यूचर्स में 50 शेयरों की भागीदारी होती है इसलिए वो किसी एक शेयर के अच्छा या बुरा करने से ज्यादा प्रभावित नहीं होता है। वैसे निफ्टी में भी कुछ हेवी वेट (heavy weight) स्टॉक होते हैं लेकिन वो हर दिन एक तरह का असर नहीं डालते। खैर, मुद्दे की बात यह है कि निफ्टी फ्यूचर्स में ट्रेड करने पर आप कई तरीके के रिस्क से बच जाते हैं जिनको अनसिस्टमैटिक रिस्क (Unsystematic risk) कहते हैं आपको सिर्फ सिस्टमैटिक रिस्क (Systematic risk) का सामना करना पड़ता है। इन दोनों तरीके के रिस्क पर हम आगे विस्तार से हेजिंग के मुद्दे के साथ चर्चा करेंगे। 
  2. इसको मैनिपुलेट करना मुश्किल है निफ्टी में 50 सबसे ज्यादा मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के शेयर होते हैं, इसलिए इसके साथ छेड़छाड़ (manipulation) यानी भाव को ऊपर नीचे करना आसान नहीं होता। जबकि किसी एक स्टॉक के बारे में कई बार ऐसी शिकायतें सुनने में आती हैं कि उनके कीमतों से खिलवाड़ किया जा रहा है। आप सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज और भूषण स्टील का उदाहरण याद कर सकते हैं। 
  3. भारी लिक्विडिटी  हमने इस अध्याय में पहले लिक्विडिटी पर चर्चा की थी। क्योंकि निफ़्टी फ्यूचर बहुत ज्यादा लिक्विड है इसलिए आप इसमें कितनी भी बड़ी मात्रा में ट्रेड कर सकते हैं बिना इस बात की चिंता किए हुए की इंपैक्ट कॉस्ट की वजह से आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। 
  4. कम मार्जिन  निफ़्टी फ्यूचर्स का मार्जिन किसी एक स्टॉक के मार्जिन के मुकाबले हमेशा कम होता है। आमतौर पर निफ्टी का मार्जिन 12 से 15% के बीच में होता है, जबकि किसी किसी स्टॉक का मार्जिन 40 से 60% के बीच भी हो सकता है। 
  5. निफ्टी की दिशा अर्थव्यवस्था पर आधारित होती है निफ़्टी फ्यूचर्स में कारोबार करने के लिए आपको अर्थव्यवस्था की दिशा के बारे में एक राय बनानी होती है जबकि किसी कंपनी के शेयर की कीमत की दिशा जानने के लिए आपको बहुत सारी चीजों को जानना होता है। 
  6. टेक्निकल एनालिसिस आसान होती है जिस भी स्टॉक या फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में लिक्विडिटी ज्यादा होती है वहां पर टेक्निकल एनालिसिस आसान हो जाती है क्योंकि उस पर सीधा डिमांड यानी मांग और सप्लाई यानी आपूर्ति का ही असर होता है और टेक्निकल एनालिसिस सबसे ज्यादा डिमांड सप्लाई के भरोसे ही चलती है।
  7. कम वोलैटिलिटी निफ़्टी फ्यूचर्स में किसी एक स्टॉक के मुकाबले वोलैटिलिटी कम होती है। उदाहरण के तौर पर निफ्टी फ्यूचर्स का वार्षिक वोलैटिलिटी 16 से 17% के बीच में रहता है जबकि किसी-किसी स्टॉक्स में ये काफी ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर इंफोसिस में वार्षिक वोलैटिलिटी 30% तक होती है।

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. निफ़्टी फ्यूचर्स की कीमत उसके अंडरलाइंग यानी निफ़्टी 50 इंडेक्स पर आधारित होती है। 
  2. निफ़्टी फ्यूचर्स का लॉट साइज इस समय 75 का है। 
  3. निफ़्टी फ्यूचर्स भारतीय फ्यूचर्स बाजार के सबसे लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट में से एक है।
  4. किसी भी दूसरे फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की तरह निफ्टी फ्यूचर्स में भी करंट मंथ, मिड मंथ और फार मंथ के तीन कॉन्ट्रैक्ट उपलब्ध होते हैं। 
  5. राउंड ट्रिप ट्रेड एक ऐसा ट्रेड होता है जिसमें आप सबसे अच्छी उपलब्ध कीमत पर खरीदते हैं और सबसे अच्छी उपलब्ध कीमत पर बेच देते हैं। 
  6. एक राउंड ट्रिप ट्रेड में हमेशा नुकसान होता है।
  7. राउंड ट्रिप के नुकसान और बिड और आस्क के औसत के बीच के प्रतिशत को इंपैक्ट कॉस्ट कहा जाता है। 
  8. इंपैक्ट कॉस्ट जितना ज्यादा होगा, लिक्विडिटी उतनी कम होगी और अगर इंपैक्ट कॉस्ट कम है तो लिक्विडिटी ज्यादा होगी। 
  9. जब आप मार्केट ऑर्डर डालते हैं तो आपको इंपैक्ट कॉस्ट की वजह से थोड़ा-सा नुकसान सहना पड़ सकता है। 
  10. निफ्टी का इंपैक्ट कॉस्ट 0.0082% है जो कि इसे इस समय के बाजार का सबसे ज्यादा लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट बनाता है।



21 comments

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  1. rOSHAN says:

    9.2 Impact cost segment me jo calculation example ke taur pe use kiya gaya hai vo shayad sahi nahi hai

    • Kulsum Khan says:

      हमें Calculation में कोई विसंगति नहीं मिलती है, कृपया जांच के लिए Calculation में जो त्रुटि आपको मिल रही है, उसे बताएं।

  2. rOSHAN says:

    = (38264.95 – 38266.25)/ 2

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद। हमने कैक्ल्यूलेशन को ठीक कर दिया है।

  3. Laxman kanojiya says:

    Volume jese 1m h yeah usse jyada h iskke adhar pe liquidity nhi jaan sakte kya

    • Kulsum Khan says:

      Hi Laxman, लिक्विडिटी का पता लगाने के लिए आप हमारे २० डेप्थ डाटा को चेक कर सकते हैं। बिड – आस्क स्प्रेड से भी लिक्विडिटी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। और NSE जो इम्पैक्ट कॉस्ट हर महना पब्लिश करती है उससे भी लिक्विडिटी का पता चल सकता है।
      https://www1.nseindia.com/products/content/equities/indices/impact_cost.htm

  4. Gogy singh says:

    निफ्टी का इंपैक्ट कॉस्ट 0.0082% है जो कि इसे इस समय के बाजार का सबसे ज्यादा लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट बनाता है।
    Iska koi aur tarika nhi h kya jese
    Value or valume

    • Kulsum Khan says:

      इम्पैक्ट कॉस्ट नीचे दिए गए फार्मूला से कैलकुलेट किया जा सकता है।
      (Actual cost – ideal cost)/ideal cost*१००
      धन्यवाद।

  5. Gulshan kumar says:

    Sir
    Bank nifty ke bare me bhi batayiye na…🙏

    • Kulsum Khan says:

      Hi Gulshan, कृपया फुटुरेस और ऑप्शंस मॉड्यूल को माध्यम से पढ़ें, हमने उनमें बैंकनिफ्टी के बारे में बताया है।

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