12.1 – ओपन इंटरेस्ट और इसकी गणना

इस मॉड्यूल को खत्म करने के पहले हमें एक और महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करनी है। बाजार में ये सवाल बार-बार पूछा जाता है कि ओपन इंटरेस्ट क्या है और यह वॉल्यूम से अलग कैसे है? कई लोगों को यह भी नहीं समझ में आता कि वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट डेटा का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है? इस अध्याय में हम इन्हीं सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। इस अध्याय के बाद आपको ओपन इंटरेस्ट डेटा को वॉल्यूम के डेटा के साथ देखना और समझना आ जाएगा और इसका ट्रेडिंग में इस्तेमाल करना भी आ जाएगा। वॉल्यूम पर अपनी समझ को वापस ताजा करने के लिए आप इसको  पढ़िए।

ओपन इंटरेस्ट वो संख्या है जो हमें बताती है कि बाजार में इस समय फ्यूचर या ऑप्शंस के कितने कॉन्ट्रैक्ट आउटस्टैंडिंग हैं या अभी तक बंद नहीं किए गए हैं। आपको याद ही होगा कि हर सौदे में (या ट्रेड) में दो पार्टियां होती हैं, एक खरीदने वाली और एक बेचने वाली। मान लीजिए कि बेचने वाले ने खरीदने वाले को एक कॉन्ट्रैक्ट बेचा, बेचने वाला उस कॉन्ट्रैक्ट पर शॉर्ट है और खरीदने वाला उसी कॉन्ट्रैक्ट पर लॉन्ग है। इस ट्रेड की वजह से बाजार में एक ओपन इंटरेस्ट बना। 

इसको एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए बाजार में पांच ट्रेडर हैं जो निफ़्टी फ्यूचर्स में ट्रेड कर रहे हैं, जिनके नाम अर्जुन, नेहा, वरुण, जॉन और विक्रम हैं। आइए उनकी कुछ दिनों की ट्रेडिंग देखते हैं और समझते हैं कि ओपन इंटरेस्ट कैसे बदलता है। आपको इसे थोड़ा ध्यान से समझना होगा।

सोमवार:  अर्जुन ने 6 कॉन्ट्रैक्ट खरीदा, वरुण 4 कॉन्ट्रैक्ट खरीदता है जबकि नेहा ने इन सभी को 10 कॉन्ट्रैक्ट बेचा है। इन सौदों के बाद अब बाजार में 10 कॉन्ट्रैक्ट हैं और 10 लांग (6+4) और 10 शॉर्ट कॉन्ट्रैक्ट। इस तरह बाजार में ओपन इंटरेस्ट कुल 10 है। इसको आप नीचे के टेबल में देख सकते हैं:

मंगलवार : नेहा अपने 10 में से, 8 कॉन्ट्रैक्ट से निकलना चाहती है और वह ऐसा ही ट्रेड करती है जॉन के साथ, जो अभी-अभी बाजार में आया है। तो जॉन शॉर्ट कॉन्ट्रैक्ट नेहा से ले लेता है। अभी ध्यान देना होगा कि यहां पर कोई नया कॉन्ट्रैक्ट नहीं बना है। एक पुराना कॉन्ट्रैक्ट ही एक इंसान से दूसरे इंसान के पास चला गया है। इसलिए ओपन इंटरेस्ट अभी भी 10 ही रहेगा। मंगलवार के सौदों को आप नीचे के टेबल में देख सकते हैं:

बुधवार:  जॉन अपने 8 शॉट कॉन्ट्रैक्ट के अलावा 7 और शार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाना चाहता है। उधर अर्जुन और वरुण अपनी लॉन्ग पोजीशन बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में जॉन ने तीन कॉन्ट्रैक्ट अर्जुन को बेचे और दो कॉन्ट्रैक्ट वरूण को। तो अब यहां ये 5 नए कॉन्ट्रैक्ट बने। उधर नेहा अपनी 2 ओपन पोजीशन को बंद करना चाहती है। उसने ये दोनों कॉन्ट्रैक्ट जॉन को बेच दिए और अब नेहा के पास कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं बचा। अब टेबल ऐसी दिखेगी:

बुधवार के अंत तक अब बाजार में 15 लॉन्ग कॉन्ट्रैक्ट हैं और 15 शॉर्ट। तो इस तरह से ओपन इंटरेस्ट है 15। 

गुरुवार:  बाजार में एक नया खिलाड़ी आता है विक्रम। वह 25 कॉन्ट्रैक्ट बेचता है। जॉन अपने 10 कॉन्ट्रैक्ट को बंद करना चाहता है इसलिए वह विक्रम से 10 कॉन्ट्रैक्ट खरीदता है, मतलब वह अपने 10 कांट्रैक्ट विक्रम को ट्रांसफर कर देता है। अर्जुन भी विक्रम से 10 कॉन्ट्रैक्ट लेता है और वरुण तय करता है कि वह विक्रम से 5 और कॉन्ट्रैक्ट खरीदेगा। इस तरह से बाजार में 15 नए कॉन्ट्रैक्ट बनते हैं। अब ओपन इंटरेस्ट हो गया 30।

शुक्रवार विक्रम अपने 25 कॉन्ट्रैक्ट में से 20 कॉन्ट्रैक्ट स्क्वेयर ऑफ करना चाहता है। इसलिए वह 10 10 कॉन्ट्रैक्ट अर्जुन और वरुण से खरीदता है। इस तरह से बाजार में 20 कॉन्ट्रैक्ट स्क्वेयर ऑफ हो जाते हैं। यानी बाजार में 20 कॉन्ट्रैक्ट कम हो जाते हैं। इस तरह से नया ओपन इंटरेस्ट है 30 – 20 = 10। इसे आप नीचे के टेबल में देख सकते हैं:

यह चक्र इसी तरीके से चलता रहता है। अब आपको थोड़ा आभास हो गया होगा कि ओपन इंटरेस्ट क्या होता है। ओपन इंटरेस्ट यह बताता है कि बाजार में कितनी ओपन पोजीशन है। यहां एक बात पर ध्यान देने वाली है वह यह कि आप अगर ऊपर के टेबल में कॉन्ट्रैक्ट वाले कॉलम में देखेंगे और वहां पर लॉन्ग पोजीशन को + और शॉर्ट पोजीशन को मानते हुए सारी पोजीशन को जोड़ेंगे तो आपको जीरो मिलेगा। इस वजह से भी डेरिवेटिव को जीरो सम गेम (zero sum game) कहा जाता है। 

नीचे के चित्र पर नजर डालिए-

4 मार्च 2015 को निफ़्टी फ्यूचर्स ओपन इंटरेस्ट करीब 2.78 करोड़ है इसका मतलब है कि निफ्टी में 2.78 करोड़ के लॉन्ग पोजीशन और 2.78 करोड़ के शार्ट पोजीशन हैं। इसके अलावा 55,255 नए कॉन्ट्रैक्ट उस दिन जोड़े गए हैं। इस आँकड़े से पता चलता है कि बाजार कितनी लिक्विडिटी है। जितने ज्यादा ओपन इंटरेस्ट होंगे, बाजार उतना ही ज्यादा लिक्विड माना जाएगा और ऐसे में बाजार से निकलना और उसमें घुसना ज्यादा आसान हो जाता है। साथ ही बिड और आस्क के रेट भी अच्छे मिलते हैं।

12.2 ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम के डेटा का आकलन 

ओपन इंटरेस्ट का डेटा हमें बताता है कि बाजार में कितने कॉन्ट्रैक्ट ओपन हैं यानी अभी स्वेयर ऑफ नहीं हुए हैं जबकि वॉल्यूम हमें बताता है कि बाजार में कितना ट्रेड हुआ है। एक बेचने और उसे खरीदने के सौदे पर वॉल्यूम में एक की ही बढ़ोतरी होती है। उदाहरण के लिए अगर किसी दिन 400 कॉन्ट्रैक्ट बेचे गए और 400 खरीदे गए तो वॉल्यूम 400 होगा 800 नहीं। देखने में दोनों वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट डेटा एक जैसे लग सकते हैं लेकिन दोनों अलग-अलग जानकारी देते हैं। वॉल्यूम का डेटा हर दिन 0 से शुरू होता है और जैसे-जैसे सौदे होते जाते हैं यह बढ़ता जाता है इसलिए वॉल्यूम का डेटा इंट्राडे आधार पर ही बढ़ता है। लेकिन ओपन इंटरेस्ट वॉल्यूम की तरह नहीं होता। हर दिन के साथ साथ जैसे जैसे ट्रेडर कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाते या घटाते जाते हैं वैसे वैसे ओपन इंटरेस्ट बढ़ता या घटता जाता है।  अपने पिछले उदाहरण के आधार पर बना ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम डेटा नीचे के टेबल में डाल कर देखते हैं। 

ध्यान दीजिए कि ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम हर दिन बदल रहा है। लेकिन आज के वॉल्यूम का कल के वॉल्यूम पर कोई असर नहीं पड़ता है, जबकि ओपन इंटरेस्ट के मामले में ऐसा नहीं है। वैसे देखा जाए तो ,ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम दोनों अपने आप में कुछ ज़्यादा जानकारी नहीं देते हैं लेकिन ट्रेडर इन आंकड़ों को कीमत के उतार चढ़ाव के साथ जोड़कर देखते हैं और उस हिसाब से बाजार का अपना आकलन करते हैं। 

नीचे के टेबल से आपको पता चलेगा कि ट्रेडर किस तरीके से इन आंकड़ों का इस्तेमाल करता है।

कीमत वाल्यूम ट्रेडर का आकलन
वृद्धि वृद्धि बुलिश/तेजी का
कमी कमी मंदी यानी बेयरिश दौर की समाप्ति,ट्रेंड बदलने की शुरुआत
कमी वृद्धि बेयरिश/ मंदी
वृद्धि कमी बुलिश ट्रेंड की समाप्ति की संभावनt, ट्रेंड रिवर्सल की शुरूआत

वॉल्यूम बताता है कि उस दिन का बाजार की दिशा किस तरफ है लेकिन ओपन इंटरेस्ट बाजार की दिशा के बारे में नहीं बताता है। ओपन इंटरेस्ट यह बताता है कि बाजार में बुल और बेयर के पोजीशन कितने ताकतवर हैं। नीचे के टेबल में आप देख सकते हैं कि ट्रेडर ओपन इंटरेस्ट के डेटा और कीमत के आधार पर कैसे बाजार का आकलन करता है।

कीमत OI ट्रेडर का आकलन
वृद्धि वृद्धि ज्यादा सौदे लॉन्ग वाले
कमी कमी लोग लॉन्ग की पोजीशन कम कर रहे हैं, इसे लॉन्ग अनवाइंडिंग (Long Unwinding) भी कहते हैं
कमी वृद्धि ज्यादा सौदे शॉर्ट वाले
वृद्धि कमी शॉर्ट वाले अपनी पोजीशन कवर ,इसे शॉर्ट कवरिंग (Short Covering) भी कहते हैं  

 

ध्यान दीजिए कि अगर ओपन इंटरेस्ट में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है और कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी या गिरावट हो रही है तो यह संभलने या सावधान हो जाने का समय है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि बाजार में बहुत ज्यादा उत्साह है और लोग बहुत ज्यादा लेवरेज पोजीशन बना रहे हैं। ऐसे में एक छोटा सा गलत संकेत भी बाजार में डर की स्थिति पैदा कर सकता है।

इसके साथ अब हम फ्यूचर्स ट्रेडिंग का यह मॉड्यूलल यहीं खत्म करते हैं। 

आगे हम ऑप्शन थ्योरी के बारे में बात करेंगे। 

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. ओपन इंटरेस्ट यह बताता है कि बाजार में कितने कॉन्ट्रैक्ट अभी भी ओपन हैं।
  2. जब नए कॉन्ट्रैक्ट जुड़ते हैं तो ओपन इन्टरेस्ट बढ़ता है और जब कॉन्ट्रैक्ट बंद होते हैं तो ओपन इंटरेस्ट घटता है।
  3. जब कॉन्ट्रैक्ट एक से दूसरे इंसान के पास पहुंचता है तो ओपन इंटरेस्ट में कोई बदलाव नहीं होता। 
  4. वॉल्यूम डेटा एक दिन का होता है जबकि ओपन इंटरेस्ट हर दिन जुड़ता जाता है। 
  5. अपने आप में ओपन इंटरेस्ट या वॉल्यूम की जानकारी बहुत ज्यादा काम की नहीं होती लेकिन आप इसको कीमत के साथ जोड़ कर देखेगें तो इनमें परिवर्तन का बाजार पर असर कैसे पड़ता है, इसे समझ सकते हैं। 
  6. ओपन इंटरेस्ट बहुत अधिक होने का मतलब है कि बाजार में लेवरेज है। ऐसी स्थिति में आपको सावधान हो जाना चाहिए।

ध्यान दें : 24th Aug 2016 – अगर आप इंट्राडे ओपन इंट्रेस्ट की जानकारी को महत्वपूर्ण जानकारी बनाकर अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनाते हैं तो ट्रेड करने से पहले इसे ज़रूर पढ़ें।





40 comments
  1. brajesh kumar rai says:

    good information for begener

  2. Somu says:

    Share market kya hai

  3. Yadav g says:

    Your right

  4. Paramjeet says:

    सर इसे सही से देखा जाए कन्फ्यूज कर दिया

  5. Pratima says:

    जॉन 8 शॉर्ट कॉन्ट्रैक्ट नेहा से ले लेता है तो इसे buy कहां जाएगा या sell आपने जान की 8 शॉर्ट कॉन्ट्रैक्ट कार्रवाई को sell में दिखाया है क्या यह सही है? उत्तर की प्रतीक्षा में

  6. Suraj kushwaha says:

    Best option direction advice

  7. Pankaj wane says:

    Thank you ! For your explained in hindi

  8. Rahi says:

    Bhai pahle apni English better kar , ok 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣

  9. arjun says:

    live market me open intest NSE ki website pr kitne time interval pr update hota h???
    for eg:- 1 min , 2 min etc

  10. Yets says:

    बेचने वाला उस कॉन्ट्रैक्ट पर लॉन्ग है और खरीदने वाला उसी कॉन्ट्रैक्ट पर शॉर्ट है। according to English version sentence need to be change to बेचने वाला उस कॉन्ट्रैक्ट पर शॉर्ट है और खरीदने वाला उसी कॉन्ट्रैक्ट पर लॉन्ग है।

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद, हम इसको सही करदेंगे।

  11. B S Sharma says:

    Kripya Jab Kisi dusre adhyaay ki link de to \”Hindi\” waale adhyaay ki link dewe….Jaise aapne is adhyaay ke shuru me hi \”Volume\” wale chapter ki link thi hai lekin wah english me hai…..

    • Kulsum Khan says:

      हम आपके फीडबैक पर नज़र डालेंगे, धन्यवाद 🙂

  12. Krishnadeo Mane says:

    मान लीजिए कि बेचने वाले ने खरीदने वाले को एक कॉन्ट्रैक्ट बेचा, बेचने वाला उस कॉन्ट्रैक्ट पर लॉन्ग है और खरीदने वाला उसी कॉन्ट्रैक्ट पर शॉर्ट है।

    इस जगह…

    मान लीजिए कि बेचने वाले ने खरीदने वाले को एक कॉन्ट्रैक्ट बेचा, बेचने वाला उस कॉन्ट्रैक्ट पर शॉर्ट है और खरीदने वाला उसी कॉन्ट्रैक्ट पर लॉन्ग है।

    ऐसा होना चाहिए क्या….???

  13. Sagar says:

    ध्यान दें : 24th Aug 2016 – अगर आप इंट्राडे ओपन इंट्रेस्ट की जानकारी को महत्वपूर्ण जानकारी बनाकर अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनाते हैं तो ट्रेड करने से पहले इसे ज़रूर पढ़ें।

    ye yaha pe koi link nai he….

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद, हम इसको अपडेट करदेंगे।

  14. Dhananjay Lachake says:

    Please explain me how to calculate IO…

    • Kulsum Khan says:

      ओपन ट्रेड से सभी कॉन्ट्रैक्ट को जोड़कर और ट्रेड बंद होने पर कॉन्ट्रैक्ट को घटाकर ओपन इंटरेस्ट की गणना की जाती है।

  15. anas danish says:

    nice work ,,,

  16. URMENDER SINGH says:

    Thanks a lot sir.

  17. Avinash says:

    गलत
    कीमत OI ट्रेडर का आकलन
    कमी कमी ज्यादा सौदे शॉर्ट वाले
    वृद्धि वृद्धि शॉर्ट वाले अपनी पोजीशन कवर ,इसे शॉर्ट कवरिंग (Short Covering) भी कहते हैं

    सही
    कीमत OI ट्रेडर का आकलन
    कमी वृद्धि ज्यादा सौदे शॉर्ट वाले
    वृद्धि कमी शॉर्ट वाले अपनी पोजीशन कवर ,इसे शॉर्ट कवरिंग (Short Covering) भी कहते हैं

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद। हमने इसको सही करदिया है।

  18. Avinash says:

    कीमत,OI और ट्रेडर का आकलन टेबलमें तीसरा और चौथा पंक्ति गलत हुआ हैं।

  19. Karan boldra says:

    Tq bhaisha

  20. VINOD RAWAT says:

    ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम दोनों अपने आप में बहुत की जानकारी नहीं हैं
    सर एक नज़र इस वाक्य पर भी डालिये, मुझे लगता है, इसे सुधारा जा सकता है।

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद, हमने इसे सही कर दिया है।

  21. Prithviraj Ambade says:

    I read it is amazing..please provide in translate further modules like option theory for professional trading…sir

  22. in price vs oi table last two rows are wrong.pl correct it says:

    price drop with increase in OI -indicate shorting and price increase with drop in price means short covering

  23. Manjeet says:

    Sir , please translate the 5th module also in hindi.
    Thanking You
    Regards

  24. Yesh says:

    Sir , please translate the 5th module also in hindi.
    Thanking You
    Regards
    Yesh Agrawal

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