9.1 – बुलियन जुड़वा – The Bullion Twins 

सोना, चाँदी और प्लैटिनम इनको एक साथ बुलियन कहा जाता है। यह माना जाता है कि सोने और चाँदी की कीमतें एक तरह से एक साथ चलती हैं। अगर सच में ऐसा होता है तो यह दोनों मिलकर पेयर ट्रेडिंग स्ट्रैटजी जैसे ट्रेडिंग के कई मौके देते हैं। हम पेयर ट्रेडिंग पर विस्तार से आगे चर्चा करेंगे, लेकिन अभी यह देखते हैं कि क्या यह सच है कि सोना और चाँदी साथ साथ चलते हैं। मैंने सोने और चाँदी के कोरिलेशन को जांचने के लिए पिछले 3 महीने के 30 मिनट वाले इंट्राडे डेटा को देखा और ये हैं उसके नतीजे –इंट्रा डे में यह कोरिलेशन 0.7 निकलता है जो कि काफी अच्छा है। मेरा अनुमान है कि अगर हम इस कॉरिलेशन को एंड ऑफ द डे के हिसाब से निकालें तो यह संख्या और भी बड़ी आएगी। तो इसका मतलब है कि ये दोनों धातुएं इंट्राडे के हिसाब से साथ साथ चलती हैं। आपको याद होगा कि हमने कोरिलेशन के बारे में USD INR के अध्याय में चर्चा की थी। अगर आपने उसे नहीं पढ़ा है तो अध्याय 5 के 5.3 हिस्से को पढ़िए। 

अगर इंट्राडे कोरिलेशन 0.7 जितना करीब है तो हम सोने पर लॉन्ग और चाँदी पर शॉर्ट या चाँदी पर शॉर्ट और सोने पर लॉन्ग जैसे ट्रेड ले सकते हैं। ये एक तरीके की हेजिंग स्ट्रैटेजी होगी जहां पर एक ही ऐसेट पर आप एक समय में लॉन्ग और शार्ट दोनों होते हैं। यहां पर सिर्फ यह बताने की कोशिश की जा रही है कि इस तरह की ट्रेडिंग स्ट्रैटजी को बनाना संभव है। अभी तुरंत आपको ऐसा कोई ट्रेड करने की ज़रूरत नहीं है। 

ऐसा ट्रेड करने के लिए अभी और बहुत सारी चीजों को जानना जरूरी है। पेयर ट्रेडिंग के बारे में हम आगे बात करेंगे, लेकिन अभी आप सोना और चाँदी के इस इंट्रा डे चार्ट पर नजर डालिए, मैंने जानबूझ कर इसको सौ से शुरू किया है जिससे आप ठीक से दोनों की तुलना कर सकें –

अगर आपको सिर्फ इस ग्राफ को दिखाया जाए और कहा जाए कि यह बताइए कि दोनों धातुएं यानी सोना और चाँदी कितना साथ साथ चलते हैं तो आप शायद यही कहेंगे कि इन दोनों के बीच में कोई संबंध नहीं है। लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते हैं ।

जैसा मैंने पहले कहा था कि मैंने कोरिलेशन और ग्राफ बनाने के लिए यहां पर इंट्राडे डेटा लिया है। थोड़े लंबे समय का डेटा और अच्छी सूचनाएं दे सकता है। मैंने थॉमसन रॉयटर के एक सर्वे में से भी सोने और चाँदी के बीच के कोरिलेशन का डेटा निकाला है और उस डेटा से ये पता चला – 

इन दोनों के बीच के कोरिलेशन को जब तिमाही के आधार पर देखा गया तो ये औसतन 0.8 है और शायद इसीलिए ट्रेडर्स इन दोनों को बुलियन जुड़वा कहते हैं। 

एंड ऑफ द डे का कोरिलेशन इतना मजबूत होने का मतलब है कि ट्रेडर और इन्वेस्टर सोने और चाँदी दोनों को सुरक्षित निवेश मानते हैं, खासकर आर्थिक संकट के समय में। साथ ही ये भी पता चलता है कि विश्व के किसी भी आर्थिक या राजनीतिक संकट के समय सोने और चाँदी दोनों की कीमतें बढ़ती हैं। 

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि चाँदी और कच्चे तेल के बीच में कोरिलेशन बहुत अच्छा नहीं है और आप इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

9.2 – चाँदी से जुड़ी जरूरी जानकारी

चाँदी का उपयोग औद्योगिक उत्पादन में, फोटोग्राफी में, फैशन में और इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामानों में होता है। इसीलिए चाँदी की मांग हमेशा बनी रहती है। अमेरिका के सिल्वर इंस्टिट्यूट ने हाल ही में किए गए अपने सर्वे में कहा है कि दुनिया भर में चाँदी की मांग 1170.5 मिलियन आउंस की है। अगर इतिहास देखें तो दिखेगा कि चाँदी की मांग हर साल करीब 2.5% बढ़ जाती है। इसमें से ज्यादातर मांग औद्योगिक उत्पादन से ही आती है। इससे साफ है कि चाँदी की मांग इस बात पर निर्भर करती है कि दुनिया भर में वस्तुओं का उत्पादन और औद्योगिक उत्पादन कैसा चल रहा है। इसके लिए भी खास तौर पर चीन और भारत जैसे अर्थव्यवस्था पर नजर रखी जाती है। 

दूसरी तरफ अगर सप्लाई पर नजर डालें तो, दुनिया भर में खदानों से निकलने वाली चाँदी, सरकारी बिक्री और स्क्रैप सहित सभी तरह की चाँदी को मिलाकर कुल उत्पादन 1040.6 मिलियन आउंस का होता है। इससे साफ है कि चाँदी एक ऐसी कमोडिटी है जिसमें सप्लाई मांग से कम है। वास्तव में चाँदी की सप्लाई में सालों से बड़ी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इसकी सप्लाई में करीब 1.4% का ही इजाफा हुआ है। 

नीचे के चार्ट में आप चाँदी की डिमांड और सप्लाई पर नजर डाल सकते हैं – 

इस पूरे सर्वे की रिपोर्ट को आप यहां पढ़ सकते हैं।  survey report

डिमांड और सप्लाई की स्थिति को देखते हुए यह साफ है कि चाँदी में ट्रेड करने के काफी मौके मिल सकते हैं। तो अब अगला सवाल यह है कि चाँदी की कीमत कौन तय करता है। वास्तव में चाँदी की कीमत भी उसी तरीके से तय होती है जैसे सोने की कीमत तय होती है, यानी लंदन में पार्टिसिपेटिंग बैंकों के द्वारा ये कीमत तय की जाती है। सोने और चाँदी की कीमत कैसे तय होती है यह जानने के लिए आप इसे पढ़ सकते हैं –read this.

9.3 – चाँदी के कॉन्ट्रैक्ट

चाँदी के कॉन्ट्रैक्ट 4 तरीके के होते हैं जिनको आप MCX पर ट्रेड कर सकते हैं। इन कॉन्ट्रैक्ट के बीच का अंतर मुख्यतः उनकी कीमत का अंतर होता है। इसी वजह से उनके लिए मार्जिन भी अलग-अलग होती है। एक नजर डालिए इन चारों कॉन्ट्रैक्ट पर –

कॉन्ट्रैक्ट प्राइस कोट लॉट साइज टिक साइज P&L/टिक एक्सपायरी डिलीवरी यूनिट
सिल्वर 1 किलोग्राम 30 किलो Rs.1/टिक Rs.30/टिक एक्सापयरी महीने का पाँचवा दिन 30 किलो
सिल्वर मिनी 1 किलोग्राम 5 किलो Rs.1/ टिक Rs.5/टिक एक्सपायरी महीने का अंतिम दिन 30 किलो
सिल्वर माइक्रो 1 किलोग्राम 1 किलो Rs.1/ टिक Rs.1/टिक एक्सपायरी महीने का अंतिम दिन 30 किलो
सिल्वर 1000 1 किलोग्राम 1 किलो Rs.1/ टिक Rs.1/टिक एक्सपायरी महीने का अंतिम दिन 1 किलो

ऊपर के चारों कॉन्ट्रैक्ट में सिल्वर 30kg कॉन्ट्रैक्ट और सिल्वर मिनी कॉन्ट्रैक्ट सबसे ज्यादा ट्रेड होते हैं। हम इन पर विस्तार से चर्चा करेंगे। सबसे पहले सिल्वर के मुख्य कॉन्ट्रैक्ट पर नजर डालते हैं।

सिल्वर कॉन्ट्रैक्ट में चाँदी की कीमत को किलोग्राम में कोट किया जाता है। इसका मतलब यह है कि MCX के ट्रेडिंग टर्मिनल पर चाँदी के कॉन्ट्रैक्ट की जो कीमत दिखाई जाती है वो 1 किलो चाँदी की होती है। इस कीमत में इंपोर्ट ड्यूटी, टैक्स और दूसरे तरीके के शुल्क शामिल होते हैं। नीचे के स्क्रीनशॉट पर नजर डालिए, इसे काइट से लिया गया है –

चाँदी के दिसंबर फ्यूचर की मौजूदा कीमत 42,266 रूपए है, ध्यान दें कि ये प्रति किलो कीमत है। ये कॉन्ट्रैक्ट 30 किलोग्राम (लॉट साइज) का है इसलिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू होगी –

= 30 * 42,266

= Rs 12,67,980

चाँदी पर मार्जिन करीब 5% होती है। नीचे के चित्र में आप देख सकते हैं कि इन कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेड करने के लिए कितना मार्जिन देना पड़ेगा –

अगर प्रतिशत में निकालना हो तो

1267980 / 68619

= 5.41%

प्रति टिक P&L निकालने के लिए इस फार्मूले का इस्तेमाल करना होगा

प्रति टिक P&L = (लॉट साइज / क्वोटेशन) * टिक साइज

= (30 kgs /1 kg) * Rs.1/-

Rs30/-

तो चाँदी के हर टिक पर आप या तो Rs.30/- कमाते हैं या Rs.30/- गंवाते हैं

एक्सपायरी के हिसाब से देखें तो अक्टूबर 2016 को जो कॉन्ट्रैक्ट मौजूद हैं वो हैं (सभी कॉन्ट्रैक्ट उस महीने की 5 तारीख को एक्सपायर होते हैं)  – 

  • दिसंबर  2016
  • मार्च 2017
  • मई 2017
  • जुलाई 2017
  • सितंबर 2017

जब दिसंबर 2016 का कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होता है तो दिसंबर 2017 का कॉन्ट्रैक्ट जारी होता है। अब तक आप यह बात जान चुके हैं कि सबसे ज्यादा लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट वह होते हैं जो अपनी एक्सपायरी के करीब होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हम अक्टूबर 2016 में हैं और हमें चाँदी में ट्रेड करना है तो मैं दिसंबर 2016 के कॉन्ट्रैक्ट को चुनुंगा। 

यहां यह भी याद रखिए कि इक्विटी में सेटलमेंट हमेशा कैश में होता है, फिजिकल नहीं होता है। लेकिन जब कमोडिटी की बात आती है तो सेटलमेंट फिजिकल होता है और इसलिए वहां पर डिलीवरी देनी होती है। इसका मतलब है कि अगर आपने चाँदी के 10 लॉट ले रखे हैं और आपने डिलीवरी लेना चुना है तो आपको 300 किलो चाँदी की डिलीवरी मिलेगी। इस डिलीवरी को लेने के लिए आपको शुरू में ही इंगित करना होता है, ये काम आप एक्सपायरी के 4 दिन पहले तक कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर एक्सपायरी 5 तारीख को है तो आपको डिलीवरी लेने का अपना इरादा 1 तारीख तक बताना होता है। 

अगर आप ज़ेरोधा पर ट्रेड कर रहे हैं तो हम आपको इस बात की इजाजत नहीं देते हैं कि आप किसी कमोडिटी की फिजिकल डिलीवरी लें। इसका मतलब यह है कि आपको अपनी पोजीशन को एक्सपायरी महीने की 1 तारीख के पहले क्लोज करना होगा। जहां तक मेरी बात है मैं व्यक्तिगत तौर पर यह पसंद करता हूं कि अपनी पोजीशन को जल्दी से जल्दी क्लोज कर सकूं और कमोडिटी की फिजिकल डिलीवरी के चक्कर में ना पड़ूं। 

ध्यान देने वाली एक और बात है कि चाँदी के मेन कॉन्ट्रैक्ट में डिलीवरी जरूरी है लेकिन सिल्वर मिनी और सिल्वर माइक्रो कॉन्ट्रैक्ट में यह जरूरी नहीं है। इसका मतलब यह है कि आप सिल्वर मिनी या माइक्रो कॉन्ट्रैक्ट को एक्सपायर होने दे सकते हैं और कैश में सेटलमेंट कर सकते हैं। लेकिन सिल्वर 30kg कॉन्ट्रैक्ट में आपके पास यह सुविधा नहीं है कि आप कैश में सेटल कर सकें।

अब एक और जरूरी बात, जरा इस चित्र पर नजर डालिए – 

ऊपर के टेबल में आप देखेंगे कि हर कमोडिटी के साथ एक जगह का नाम भी दिया गया है। जैसे उदाहरण के तौर, पर सिल्वर माइक्रो के आगे अहमदाबाद का नाम लिखा है। इसका क्या मतलब है ?

हमें पता है कि एक्सपायरी पर स्पॉट मार्केट में अंडरलाइंग की कीमत और फ्यूचर कीमत एक जगह पर आकर मिल जाती हैं। इक्विटी के मामले में तो अंडरलाइंग और उसका फ्यूचर एक ही प्लेटफॉर्म पर ट्रेड होते हैं। मतलब NSE या BSE पर। उदाहरण के तौर पर, इंफोसिस का स्पॉट NSE पर इंफोसिस के फ्यूचर कीमत में मिल जाएगा, लेकिन कमोडिटी के मामले में ऐसा नहीं होता क्योंकि यहां पर स्पॉट मार्केट अलग होता है। उदाहरण के तौर पर काली मिर्च और रबर – कोच्चि में ट्रेड होते हैं, सोना मुंबई और अहमदाबाद में ट्रेड होता है। इसलिए एक्सपायरी पर सोने के फ्यूचर की कीमत सोने के किस स्पॉट कीमत से मिलेगी, मुंबई की कीमत से मिलेगी या अहमदाबाद की कीमत से? इसी वजह से MCX में हर कमोडिटी के आगे उस कमोडिटी के स्पॉट मार्केट का नाम लिखा है जिससे आपको पता चल सके कि एक्सपायरी पर कीमत किस जगह की स्पॉट कीमत से मिलेगी।

9.4 – चाँदी के दूसरे कॉन्ट्रैक्ट

अगर आपने ऊपर बताए गए मेन सिल्वर कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी को समझ लिया है तो आपके लिए MCX पर ट्रेड हो रहे किसी भी दूसरे सिल्वर कॉन्ट्रैक्ट को समझना आसान होगा। इनके बीच का अंतर सिर्फ लॉट साइज का और मार्जिन का है। 

मैं आपके लिए मार्जिन के आंकड़ें और डिलीवरी का विकल्प नीचे दिखा रहा हूं जिससे आप अलग-अलग कॉन्ट्रैक्ट के बारे में समझ सकें और यह तय कर सकें कि आप डिलीवरी लेना चाहेंगे या फिर कैश में सेटल करेंगे। 

कॉन्ट्रैक्ट मार्जिन % में मार्जिन डिलीवरी विकल्प
सिल्वर Mini Rs.13,158/- 6.27% कैश /फिजिकल
सिल्वर Micro Rs.2,618/- 5.1% कैश / फिजिकल
सिल्वर 1000 Rs.2,711/- 6.2% फिजिकल

जैसा कि आप देख सकते हैं कि यहां पर दिए गए मार्जिन सिल्वर के मेन कॉन्ट्रैक्ट के मुकाबले काफी कम हैं। 

जहां तक ट्रेडिंग की बात है, सोने की तरह ही चाँदी में भी फंडामेंटल काफी मुश्किल होते हैं और उनको हर दिन देखना और समझना आसान काम नहीं होता। इसीलिए कमोडिटी बाजार के ज्यादातर ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लेते हैं। मुझे भी लगता है कि यह एक ज्यादा अच्छा तरीका है। 

टेक्निकल एनालिसिस के अलावा आप चाहे तो क्वांटिटेटिव यानी मात्रा पर आधारित तकनीकों का भी सहारा ले सकते हैं, जैसे पेयर ट्रेडिंग। जैसा कि इस अध्याय में मैंने पहले भी कहा है कि इस तकनीक के बारे में हम अलग मॉड्यूल में चर्चा करेंगे। 

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. सोना और चाँदी दोनों इंट्रा डे आधार पर काफी करीब से कोरिलेटेड होते हैं 
  2. सोना और चाँदी एक अच्छा जोड़ा बनाते हैं और इस जोड़े की ट्रेडिंग के लिए पेयर ट्रेडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है 
  3. चाँदी का कच्चे तेल से बढ़िया कोरिलेशन नहीं है 
  4. MCX पर चाँदी के 4 तरीके के कॉन्ट्रैक्ट ट्रेड होते हैं  
  5. चाँदी के मुख्य यानी मेन कॉन्ट्रैक्ट का लॉट साइज 30 किलो का होता है और इसके लिए करीब 75000 की मार्जिन लगती है 
  6. चाँदी में आमतौर पर औसत मार्जिन कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का 5-6% होता है 
  7. चाँदी के ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस काफी अच्छे तरीके से काम करती है

 




1 comment

  1. Chaitanya pawar says:

    What is position of silver micra on Monday 25/5/2022

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