8.1 – एक सीधा संबंध
आज मैं संख्याओं के दो समूहों के बीच के संबंधों की बात करूंगा। हम यह देखेंगे कि उनके बीच में अगर कोई संबंध है तो उसको कैसे नापा जा सकता है।
लेकिन उसके पहले एक बार हम फिर से अब तक सीखी चीजों को दोहरा लेते हैं। हमने इस मॉड्यूल में अध्याय 1 से 7 के बीच में पेयर ट्रेडिंग की एक सीधी और आसान तकनीक पर चर्चा की है। इस तकनीक को हमें मार्क विसलर ने समझाया था। अब इस अध्याय से आगे जाते हुए हम एक थोड़ी जटिल पर सुधरी हुई तकनीक पर चर्चा करेंगे। इसे स्टैटिसटिकल आर्बिट्राज (Statistical Arbitrage) या रिलेटिव वैल्यू ट्रेडिंग (Relative Value Trading-RVT) कहते हैं।
तो आइए शुरू करते हैं।
हो सकता है कि आपने स्कूल में गणित सीखते हुए स्ट्रेट लाइन इक्वेशन (Straight Line Equation) के बारे में पढ़ा हो। यह इक्वेशन या समीकरण इस तरह से होता है
Y = mx + E
इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए आप यहांClick here क्लिक कर सकते हैं। अगर सिर्फ इसकी जरूरी जानकारी पाना चाहते हैं तो आगे बढ़ते हैं।
समीकरण पर और चर्चा करने के पहले इस के अलग-अलग नोटेशन (Notation) बारे में जान लीजिए –
y = डिपेंडेंट वेरिएबल (Dependent Variable)
M = स्लोप (Slope)
X = इंडिपेंडेंट वेरिएबल (Independent Variable)
E = इंटरसेप्ट (Intercept)
इस समीकरण के मुताबिक, आप डिपेंडेंट वेरिएबल यानी Y की कीमत को इंडिपेंडेंट वेरिएबल X के जरिए निकाल सकते हैं। इसके लिए आपको X को Y के साथ के स्लोप से गुणा करना होगा और उसमें इंटरसेप्ट यानी को E जोड़ना होगा।
इसे समझना थोड़ा मुश्किल है
लेकिन मैं विस्तार से समझाने की कोशिश करता हूं। इसे मैं इसलिए भी समझा रहा हूं क्योंकि इस स्ट्रेट लाइन इक्वेशन (Straight Line Equation) का रिलेटिव वैल्यू ट्रेडिंग यानी RVT से बहुत गहरा संबंध है।
अब मान लीजिए कि दो लोग हैं जो अपनी सेहत को सुधारना चाहते हैं। उनको हम इस वक्त FF1 और FF2 कहते हैं। अब FF2 एक ऐसा इंसान है जो FF1 के मुकाबले थोड़ा ज्यादा मेहनत करने को तैयार है। अगर FF1 किसी दिन 5 पुश अप करता है तो FF2 उस दिन 10 करता है, इसी तरह से, अगर FF1 किसी दिन 20 पुश अप करता है तो FF2 उस दिन 40 पुशअप करता है। नीचे के टेबल में यह दिखाया गया है कि इन दोनों ने सोमवार से शनिवार तक कितने पुश अप किए हैं
–
दिन | FF1 | FF2 |
---|---|---|
सोमवार | 30 | 60 |
मंगलवार | 15 | 30 |
बुधवार | 40 | 80 |
गुरूवार | 20 | 40 |
शुक्रवार | 10 | 20 |
शनिवार | 15 | ??? |
अब अगर आपको यह अनुमान लगाना हो कि शनिवार को FF2 कितने पुश अप करेगा तो यह बहुत आसान होगा। वो 30 पुश अप करेगा।
इसका यह मतलब है कि FF2 कितने पुश अप करेगा यह एक तरीके से इस बात पर निर्भर करता है कि FF1 कितने पुश अप कर रहा है। FF1 को इस बात से कोई असर नहीं पड़ता कि FF2 क्या कर रहा है, वह जितने कर पाता है उतने पुश अप कर रहा है जबकि FF2 कोशिश कर रहा है कि वो FF1 के मुकाबले दोगुने पुश अप कर ले।
तो इस वजह से FF2 एक डिपेंडेंट वेरिएबल बन जाता है और FF1 एक इंडिपेंडेंट वेरिएबल। तो, एक स्ट्रेट लाइन इक्वेशन (Straight Line Equation) में FF2 = Y औऱ FF1 = X,
FF2 = FF1 * M + E
साधारण भाषा में कहें तो, FF2 कितने पुश अप करेगा यह बराबर है, FF1 कितने पुश अप कर रहा है उसमें और एक संख्या के गुणा करने से मिले परिणाम और फिर उस परिणाम में एक अचर (Constant) को जोड़ने से मिलने वाली संख्या के।
इस संख्या को स्लोप (M) कहा जाता है, जो कि यहां पर 2 है, और वो अचर यानी E है 0, तो ये समीकरण हुआ
FF2 = FF1 * 2 + 0
तो ये तो साफ हो गया होगा, अब पहले दी गयी परिभाषा को मैं वापस लाता हूं –
स्ट्रेट लाइन इक्वेशन यानी समीकरण के मुताबिक, आप डिपेंडेंट वेरिएबल यानी Y की कीमत को इंडिपेंडेंट वेरिएबल X के जरिए निकाल सकते हैं। इसके लिए आपको X को Y के साथ उसके स्लोप से गुणा करना होगा और उसमें इंटरसेप्ट यानि e को जोड़ना होगा।
The straight line equations states, the value of a dependent variable ‘y’ can be derived from an independent variable ‘x’, by multiplying x by its slope with y’ and adding the intercept ‘e’ to this product.
अब एक दूसरा उदाहरण लेते हैं,
दो भूखे इंसान हैं, H1 औऱ H2, लगभग FF1 और FF2 की तरह ही, H2 हमेशा H1 के मुकाबले दोगुने पराठों से 1.5 पराठे ज्यादा खाता है। उदाहरण के लिए, अगर H1 2 पराठे खाता है तो H2 4 पराठे और उसके साथ 1.5 पराठे खाएगा। H2 का पेट कितना भी भरा हो लेकिन वो ये 1.5 पराठे अधिक जरूर खाता है।
नीचे के टेबल में ये दिखाया गया है कि इन दोनों ने पिछले 6 दिनों में कितने पराठे खाए
–
दिन | H1 | H2 |
---|---|---|
सोमवार | 2 | 5.5 |
मंगलवार | 1.5 | 4.5 |
बुधवार | 1 | 3.5 |
गुरूवार | 3 | 7.5 |
शुक्रवार | 3.5 | 8.5 |
शनिवार | 4 | ??? |
तो आप देख सकते हैं कि H2 ने हमेशा H1 के मुकाबले दोगुने पराठों से 1.5 पराठे ज्यादा खाए हैं, तो शनिवार को वह कितने पराठे खाएगा –
4*2 + 1.5 = 9.5 पराठे
याद रखिए कि H2 कितने पराठे खाएगा ये इस पर निर्भर करता है कि H1 ने कितने पराठे खाए हैं, जबकि H1 उतने पराठे ही खाता है जितनी उसको भूख है। तो इस आधार पर एक स्ट्रेट लाइन इक्वेशन बनाते हैं
H2 = H1 * 2 + 1.5
यहां पर H2 एक डिपेंडेंट वेरिएबल बन जाता है जिसकी वैल्यू H1 पर निर्भर करती है, स्लोप है 2 और अचर यानी E है 1.5
हम इससे आगे बढ़ें यहां पर पराठे वाले उदाहरण में एक बदलाव करते हैं, Y को अपना वजन घटाने वाला व्यक्ति मान लेते हैं जो कि सिर्फ 1.5 पराठा ही खाता है चाहे उसे कितनी भी भूख लगी हो।
तो X अगर 3 पराठे खाता है तो भी Y 1.5 पराठे खाता है, X अगर 5 पराठे खाता है तो भी Y 1.5 पराठे खाता है और X अगर 2.5 पराठे खाता है तो भी Y 1.5 पराठे ही खाता है, तो अब समीकरण क्या होगा –
y = x*0 + 1.5
यहां पर स्लोप 0 है, इसलिए Y अब X पर निर्भर नहीं है, वास्तव में, Y की वैल्यू 1.5 पर स्थिर है। मुझे उम्मीद है कि अब तक आपको समझ आ गया होगा कि संख्याओं के दो समूहों में संबंध कैसे जोड़ सकते हैं।
अब संख्याओं के दो नए समूहों पर नजर डालते हैं –
X | Y |
---|---|
10 | 3 |
12 | 6 |
8 | 4 |
9 | 17 |
20 | 36 |
18 | 22 |
यहां पर X इंडिपेंडेंट वेरिएबल है और Y डिपेंडेंट वेरिएबल है। तो क्या आपको इन दोनों में कोई संबंध दिखता है? सीधे तौर पर देखने से पता चलता है कि यहां पर X और Y में कोई भी संबंध नहीं है, कम से कम वैसा कोई संबंध नहीं है जैसा कि पिछले दोनों उदाहरणों में था। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि इनमे कोई संबंध ही नहीं है, बस ये दिख नहीं रहा है।
तो अब इमनें संबंध कैसे स्थापित करें? यहां पर हम कैसे स्लोप और इंटरसेप्ट यानी E की वैल्यू कैसे निकालें?
इसके लिए काम आएगा लीनियर रिग्रेसन (Linear Regression) ।
इस पर हम अगले अध्याय में चर्चा करेंगे।
इस अध्याय की मुख्य बातें
- स्ट्रेट लाइन इक्वेशन यानी समीकरण के जरिए आप दो वेरिएबल में संबंध परिभाषित कर सकते हैं।
- इन दोनों वेरिएबल में से डिपेंडेंट वेरिएबल होता है और दूसरा इंडिपेंडेंट वेरिएबल।
- स्ट्रेट लाइन इक्वेशन में स्लोप यानी M हमें बताता है कि इंडिपेंडेंट वेरिएबल को कितना बढ़ाना है।
- इस समीकरण में E हमें अचर संख्या को बताता है
- अगर स्लोप 0 है तो फिर Y = ɛ
- कई बार दो वेरिएबल में संबंध साफ दिखाई नहीं देता।
- जब दो वेरिएबल में संबंध साफ दिखाई नहीं देता तो लीनियर रिग्रेसन (Linear Regression) तकनीक का इस्तेमाल करके इस संबंध को पता किया जा सकता है।