SLB पर मूल बातें (स्टॉक लेंडिंग एंड बारोइंग)
ट्रेडर्स,
- क्या आपके पास ऐसे स्टॉक हैं जो आपके Zerodha डीमैट अकाउंट में बेकार पड़े हैं, और क्या यह इंटरेस्ट देगा अगर मैंने कहा कि आप उन शेयर्स को उधार देकर एक्स्ट्रा कमा सकते हैं?
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क्या आप उन आर्बिट्रेज ट्रेडिंग अवसरों को लेना चाहते हैं जैसे कि जब फ्यूचर डिस्काउंट पर हो, लेकिन ऐसा करने के लिए आपके पास स्टॉक नहीं है?
इस पोस्ट में हम SLB को समझने की कोशिश करेंगें। हाल ही में ये बहुत ही लोकप्रिय होता जा रहा है। ये सुविधा आपको अब Zerodha द्वारा उपलब्ध है। इसमें बारोइंग और लेंडिंग सिक्युरटीज़ दोनों शामिल है। ध्यान दें कि अगर आपके पास Zerodha डीमैट अकाउंट है तभी आप हमारे माध्यम से इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकते है।
SLB परिचय
SLB लीगली एप्रूव्ड माध्यम है जहाँ सिक्युरटीज़ को उधार में देतें और लेते हैं। रेग्युलेशन मूल रूप से मई 1997 में SEBI द्वारा बनाया गया था और आख़री बार नवंबर 2012 में मॉडिफाई किया गया था। भारतीय सिक्युरटीज़ मार्केट में रिटेल (क्वालिफाइड फॉरेन इन्वेस्टर्स को छोड़कर) सहित सभी मार्केट पार्टिसिपेंट को सिक्युरटीज़ को उधार देने/उधार लेने की अनुमति दी गई है, लेकिन केवल एक ऑथराइज़्ड इन्टर्मीडीएरी (AI) के माध्यम से।
अभी फिलहाल NCL (NSE क्लियरिंग लिमिटेड) और BOISL (BSE क्लियरिंग कॉरपोरेशन) केवल ये दो ही 2 ऑथराइज़्ड इन्टर्मीडीएरीज़ हैं। NCL को प्राथमिकता दी जाती है और आज ज़्यादातर ट्रांसक्शन यहाँ होतें हैं।
लेंडर
एक लेंडर यानि ऋणदाता के लिए इसमें क्या है?
यह इनएक्टिव पोर्टफोलियो पर काफ़ी अच्छा रिटर्न देता है। इसलिए अगर मेरे पास Infosys के 1000 शेयर हैं, जिन्हें मैं लंबी समय के लिए रखने का सोचता हूँ, तब शॉर्ट टर्म में जब भी कोई डिमांड आता है तब मैं इसे उधार दे सकता हूँ और उधार फ़ीस ले सकता हूँ ज़्यादा रिटर्न के रूप में, यह जानते हुए कि NCL गारंटर हैं।
सोचिए कि अगर कल हम बैंक लॉकर में बेकार पड़े सोने के गहनों को फ़ीस के लिए उधार दे सकते हैं और NCL जैसा कोई है जो गहनों की रिटर्न की गारंटी देता है।
ऋणदाता यानि लेंडर्स कौन हैं?
इन्शुरन्स कम्पनीज़, बैंक्स, HNI, म्यूच्यूअल फंड्स और रिटेल
बारोअर
उधारकर्ता यानि बारोअर के लिए इसमें क्या है?
एक बारोअर शायद इन अवसरों में से किसी एक को देख रहा है, 2 एक्सचेंजों के बीच स्टॉक की कीमत में आर्बिट्रेज, रिवर्स आर्बिट्रेज, जब स्टॉक में फ्यूचर डिस्काउंट पर होता है, शॉर्ट पोजीशन को कवर करने के लिए: सेटलमेंट की असफलता से बचने के लिए , ऑप्शन में मिस-प्राइसिंग, और दूसरे F&O आर्बिट्रेज या हेजिंग स्ट्रैटजीज़ से बचने के लिए जिसके लिए आपको स्टॉक की ज़रूरत होती है और इसे SLB का इस्तेमाल करके फ़ीस के लिए लेंडर्स से उधार लिया जा सकता है।
एक साधारण उदाहरण, कई रिवर्स आर्बिट्रेज अवसर जो टाटा मोटर्स बीते हुए समय में दे रहा है। स्टॉक की कीमत 400 रुपये है, लेकिन फ्यूचर प्राइस 394 पर है, यानि 6 रुपये का डिस्काउंट जबकि यह आदर्श रूप से प्रीमियम पर होनी चाहिए (टाटा मोटर्स का लॉट साइज 1000 है)।
एक अर्बिट्रेजर SLB का इस्तेमाल टाटा मोटर्स के 1000 शेयर्स को फ़ीस के लिए उधार लेने और 400 रुपये में मार्केट में बेचने के लिए करेगा। साथ ही वह 394 पर 1 लॉट टाटा मोटर्स फ्यूचर्स खरीदेगा और एक्सपायरी के दिन जब टाटा मोटर्स फ्यूचर्स और स्टॉक का प्राइस एक सा होगा, तब वह फ्यूचर्स बेच देगा और स्टॉक वापस खरीदेगा और लेंडर को देगा। संभावित रूप से 6000 रुपये प्रति लॉट (1000 x 6) के रिस्क को कम करेगा।
बारोअर कौन हैं?
कैश और डेरिवेटिव्स अर्बिट्रेजर, शॉर्ट सेलर – ख़ास तौर से लंबी अवधि के शॉर्ट्स, मार्केट मेकर्स और रिटेल ट्रेडर्स।
शुरू करते
अपडेट: जनवरी 2019 तक, Zerodha ब्रोकिंग लिमिटेड SLB सेगमेंट में NSE और BSE का सदस्य बन गया है। अलग-अलग नियमों और शर्तों की स्वीकृति को ध्यान में रखतें हुए शेयर्स को उधार लेने और उधार देने की सुविधा को प्रदान कर रहा है।
प्रक्रिया
- लेंडर्स पार्टिसिपेंट के साथ स्टॉक, उधार देने का क्वांटिटी, समय अवधि को बताते हुए आर्डर प्लेस करता है। साथ ही लेंडिंग फ़ीस जो वो चाहता है। लेंडिंग फ़ीस प्रति शेयर के आधार पर कोट किया जाता है, इसलिए टाटा मोटर्स के उदाहरण में यह 3 रुपये/शेयर पर उधार देने के लिए 1000 शेयर हो सकते हैं।
- बारोअर पार्टिसिपेंट के साथ स्टॉक, समय अवधि, क्वांटिटी और लेंडिंग फ़ीस को बताते हुए आर्डर प्लेस करता है जो वह पे करने के लिए तैयार है।
- लेंडिंग फ़ीस पर ऑर्डर मैचिंग, एक्सचेंज पर ट्रेडिंग के समान होता है।
- लेंडर्स को कुल स्टॉक का 25% अमाउंट माँगा जाता है जो वह तुरंत उधार दे रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह उधार देने के लिए हाँ कहने के बाद डिफ़ॉल्ट ना करें। जैसे ही स्टॉक उसके डीमैट अकाउंट से पार्टिसिपेंट के पास जाता है, यह मार्जिन जारी किया जाता है। Zerodha में हम उसी दिन लेंडर्स से सिक्योरिटी मांगते हैं और इसलिए 25% मार्जिन नहीं मांगते हैं।
- बारोअर को मार्जिन के रूप में उधार लेने वाले स्टॉक वैल्यू का 125% और मार्जिन के ऊपर लेंडिंग फ़ीस लाने के लिए कहा जाता है। पूछे गए 125% में से, एक बार जब वह उधार लेता है तब वह केवल 25% को ब्लॉक करके स्टॉक को बेच सकता है। लेकिन उसे लेनदेन में प्रवेश करते समय 125% लाना होगा।
- बारोअर डिफ़ॉल्ट रिस्क ना हो उसे सुनिश्चित करने के लिए मार्जिन पर डेली MTM।
- कॉन्ट्रैक्ट के अंत में, लेंडर्स को स्टॉक वापस मिल जाता है और बारोअर के मार्जिन को जारी किया जाता है।
किन शेयर्स को उधार दिया या फिर लिया जा सकता है और कितने समय के लिए?
आमतौर पर, F&O सेगमेंट में सभी स्टॉक जो ट्रेड होते है वह SLB सेगमेंट में उपलब्ध होते हैं। साथ कुछ अन्य शेयर्स भी होते हैं जिन्हे एक्सचेंज द्वारा निर्धारित किया जाता है। आप यहां उपलब्ध शेयर्स की लिस्ट पा सकते हैं (सिक्युरटीज़ लेंडिंग एंड बॉरोइंग पर जाएं -> List of eligible securities) उधार देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट की अवधि तत्काल एक्सपायरी (1 महीने) से लेकर 12 महीने तक भिन्न हो सकती है। आमतौर पर उधार लेने और उधार देने के लिए मैक्सिमम लिक्विडिटी 1 महीने के लिए होगी।
List of F&O stocks
साथ ही एक दिलचस्प बात यह है कि अगर बारोअर जल्दी रीपेमेंट चाहता है या लेंडर्स जल्दी वापस लेना चाहता है तब ऐसा करने के लिए एक प्रक्रिया है। बारोअर उस फ़ीस के साथ रीपेमेंट रिक्वेस्ट जल्द करेगा जो वे लेने के लिए तैयार हैं और लेंडर्स उस फ़ीस के साथ रिक्वेस्ट करेगा जो वे पे करने के लिए तैयार हैं।
NSE पर SLBM के लिए लाइव मार्केट को देखने के लिए यहां क्लिक करे।
डिविडेंड पेआउट, स्टॉक स्प्लिट या अन्य जैसी कॉर्पोरेट एक्शन के मामले में क्या होता है?
बारोअर एक्सचेंज को रिकॉर्ड डेट+1 (स्टॉक के एक्स डिविडेंड के 1 दिन बाद) पर मिले डिविडेंड को पे करता है। एक्सचेंज इसे सिक्युरटीज़ के लेंडर को दे देता है।
स्टॉक स्प्लिट के मामले में, उधारकर्ताओं के obligation को आनुपातिक रूप से यानि proportionately एडजस्ट किया जाता है और लेंडर्स को रिवाइज़्ड (revised) क्वांटिटी मिलता है।
कहना का मतलब लेंडर स्टॉक होल्ड कर रहा है वैसा ही इसे माना जाता है, इसलिए उसे किसी भी कॉर्पोरेट एक्शन के सभी लाभ प्राप्त होंगे, भले ही वह अपने डीमैट अकाउंट में स्टॉक नहीं होल्ड करता हो। साथ ही, लेंडर्स के रूप में आपको यह नहीं पता होगा कि आप किसको स्टॉक उधार दे रहे हैं और वही बारोअर के साथ भी होता है – उसे नहीं पता होगा कि वह किससे स्टॉक उधार ले रहा है।
बारोअर रिस्क?
ऊपर के उदाहरण में क्या होगा अगर आर्बिट्रेजर 1000 शेयर उधार लेता है और वापस नहीं कर पता है? AI (ऑथराइज़्ड इन्टर्मीडीएरी) यह कैसे सुनिश्चित करता है कि रिस्क कवर किया गया है?
बारोअर को उधार लिए गए स्टॉक के वैल्यू का 125% का मार्जिन लगाने के लिए कहा जाता है, जो कि फ्यूचर के समान रोज़ाना मार्क टू मार्केट होता है। तो 4 लाख रुपये (400 x 1000 रुपये) के शेयर्स को उधार लेने के लिए, बारोअर को AI के पास 5 लाख रुपये (चार लाख का 125%) का मार्जिन रखना होगा। लेंडर्स यह जानते हुए कि बारोअर द्वारा 125% मार्जिन रखा गया है, SLB का इस्तेमाल करके सुरक्षित महसूस करता है और स्टॉक को लेंड करता है।
लेंडर्स के पास क्लोज़ आउट रिस्क, एकमात्र रिस्क होगा (जब बारोअर चूक करता है लेकिन उन शेयर्स को खरीदने के लिए ऑक्शन करके ब्लॉक्ड बारोअर मार्जिन के 125% का इस्तेमाल करके AI (NSCCL) से शेयर्स का क्रेडिट प्राप्त करता है)। शेयर्स के इस क्लोज़ आउट क्रेडिट को सेल ट्रांसक्शन के रूप में समझा जाता है। जब लेंडर ने इसे खरीदा था उस समय से अगर स्टॉक ऊपर जाता है, तब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स, लाभ पर लागू होगा।
हालांकि मार्जिन का 125% ब्लॉक्ड होता है, एक बार जब बारोअर को शेयर मिल जाता है और उसे मार्केट में बेच देता है तब उसे T+2 दिन पर स्टॉक का मूल्य वापस मिल जाता है। प्रभावी रूप से केवल 25% मार्जिन को ही ब्लॉक करता है।
कॉस्ट्स
लेडर
Zerodha लेंडिंग फ़ीस पर एक प्रतिशत कमीशन लेता है। लेंडिंग फ़ीस पर GST लागू होता है।
अभी फिलहाल कोई रेगुलेटरी चार्ज लागू नहीं है, कोई – स्टाम्प ड्यूटी, एक्सचेंज ट्रांसक्शन चार्ज, SEBI फ़ीस या STT नहीं है।
आपके डीमैट से शेयर डेबिट करने के लिए लागू डिपॉजिटरी चार्ज।
ध्यान दें कि उधार देने का मतलब बिक्री नहीं है और इसलिए कोई शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लागू नहीं होगा। लेकिन जैसा कि ऊपर बताया गया है, अगर ट्रांसक्शन क्लोज़ मोड में जाता है तब STCG लागू होगा।
बारोअर
प्रोसेसिंग फ़ीस जो Zerodha (जिसे पार्टिसिपेंट भी कहा जाता है) द्वारा लिया जाता है + GST, यह लेंडिंग फ़ीस का एक % होगा।
अभी फिलहाल कोई रेगुलेटरी चार्ज लागू नहीं है, कोई – स्टाम्प ड्यूटी, एक्सचेंज ट्रांसक्शन चार्ज, SEBI फ़ीस या STT नहीं है।
आपके डीमैट से शेयर्स को डेबिट करने के लिए डिपॉजिटरी चार्ज लागू होते हैं, जब आप उधार के शेयर्स को मार्केट में बेचते हैं और जब आपको उन्हें लेंडर्स (lender) को वापस देना होता है।
उम्मीद है कि यह SLB पर आपके किसी भी मूल प्रश्नों का उत्तर दे सकता है। आप NSE वेबसाइट पर उपलब्ध कई तरह के रिपोर्ट भी देख सकते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप अच्छी क्वांटिटी में स्टॉक (आपके Zerodha डीमैट अकाउंट में प्रति स्टॉक 10 लाख रुपये से ऊपर है) पर बैठे हैं, या अगर आप ट्रेड आईडिया को एक्सेक्यूट करने के लिए स्टॉक उधार लेना चाहते हैं, तब SLB के लिए हमारे माध्यम से रेजिस्टर्ड हो जाएं और जब अवसर आएगा तो आप तैयार होंगे।
हैप्पी ट्रेडिंग,