1. सिक्योरिटीज मार्केट में इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा करना;
2. सिक्योरिटीज मार्केट के विकास को बढ़ावा देना; और
3. सिक्योरिटीज बाजार को सही तरीके से रेगुलेट करना ।
यदि आप मार्केट रेगुलेटर्स के लाये हुए नियमों को नियमति रूप से देख रहे हैं तो आप देखेंगे कि पिछले कुछ समय में काफी सारे रेगुलेशंस लगाए गए हैं , जिनका उद्देश्य इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा करना है। क्लाइंट के कैश से बैंक अकाउंट बैलेंस को रिपोर्ट करने से लेकर और लिवरेज को इंडस्ट्री के सभी लोगो के लिए एक जैसा बनाना ऊपर दिए गए तीनों उद्देश्य तक पहुंचने में मदद करते हैं। नये प्लेजिन्ग सिस्टम का उद्देश्य भी इन्वेस्टर्स की सुरक्षा करना है।
एक ब्रोकरेज फर्म क्लाइंट के फंड और सिक्योरिटीज का कस्टोडियन होता है। जब आप अपने ब्रोकर को फंड या स्टॉक ट्रांसफर करते हैं, तो आप उसे बिना शंका के इन एसेट्स को संभालने की जिम्मेदारी दे रहे हैं। इसके बाद भी , अभी भी ब्रोकर्स द्वारा क्लाइंट के फंड या शेयर्स को अपने फायदे के लिए गलत उपयोग करने की खबरें आती रही हैं। इन सब रिपोर्ट्स के बाद, SEBI ने नियमों को मजबूत करने के लिए और कदम उठाए हैं जिससे शेयरों के लिए नया प्लेज-अनप्लेज सिस्टम आया है।
जब आप अपने ब्रोकर के यहाँ ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो आपको अपने ट्रेड्स के लिए मार्जिन मेन्टेन करने की जरुरत होती है। आप मार्जिन को कैश या स्टॉक की तरह दे सकते हैं।कैश को सीधे अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सकता है। जहां तक शेयरों का सवाल है, आज, जब कोई क्लाइंट ज्यादा मार्जिन लेने के लिए अपने शेयरों को गिरवी रखना/प्लेज करना चाहता है, तो उसे अपने अकाउंट से ब्रोकर के अकाउंट में शेयर्स को ट्रांसफर करना पड़ता है। इसके बाद ब्रोकर इन शेयर्स को क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन गिरवी रख/प्लेज कर देता है। शेयर्स का अपने असली मालिक के नाम से कही और ट्रांसफर करने से यह सिस्टम में एक अंतर(gaping hole) छोड़ देता है, जिससे (कुछ) ब्रोकर्स को इन शेयर्स का दुरुपयोग करने का अवसर मिल जाता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए नए प्लेज सिस्टम को शुरू किया गया है जो 01 अगस्त, 2020 से लाइव होगी।
नए प्लेज सिस्टम में, स्टॉक इन्वेस्टर्स के डीमैट अकाउंट में ही रहते हैं और ब्रोकर के अकाउंट में एक प्लेज मार्क किया जाता है। ब्रोकर को इसके लिए एक अलग डीमैट अकाउंट खोलना पड़ता है जिसे ‘‘TMCM- क्लाइंट सिक्योरिटीज मार्जिन प्लेज अकाउंट’ लेबल दिया जाता है (TMCM का मतलब ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर है)।इसके बाद ब्रोकर इन सिक्योरिटीज को क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर(favour) में फिर से प्लेज करता है और मार्जिन प्राप्त करता है।
नये प्लेज सिस्टम के कुछ फायदे यहाँ दिए गए हैं:
1. सिक्योरिटीज का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा: स्टॉक इन्वेस्टर के अकाउंट में ही रहते हैं, इसलिए सिक्योरिटीज के दुरुपयोग की संभावना कम होती है। साथ ही, एक क्लाइंट के शेयरों को प्लेज करके दूसरे क्लाइंट को मार्जिन नहीं दी जा सकेगी ।
2. कॉर्पोरेट एक्शन्स : अभी के प्लेज सिस्टम में, शेयर्स ब्रोकर के कोलैटरल अकाउंट में रखे जाते हैं, इसलिए ब्रोकर सभी कैश और नॉन-कैश कॉर्पोरेट एक्शन्स के फायदे जैसे डिविडेंड, बोनस, राइट्स इशू आदि अपने अकाउंट में प्राप्त करता है।ब्रोकर को खुद से यह फायदे इन्वेस्टर को ट्रांसफर करने होते है , लेकिन कोई इन्वेस्टर जो इसके बारे में नहीं जानता है, वह इसे मांगना भूल सकता है और ब्रोकर इसका फायदा उठाते हैं।
3. सभी एप्रूव्ड सिक्योरिटीज को प्लेज की अनुमति : कुछ ब्रोकर (Zerodha सहित) एक्सचेंजस के द्वारा एप्रूव्ड सभी इंस्ट्रूमेंट्स को प्लेज नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ लिक्विड फंड उसी फंड के कुछ और यूनिट्स को डिविडेंड की तरह देते हैं। इन डिविडेंड्स को रिकन्साइल करके इन्वेस्टर्स के अकाउंट ट्रांसफर करना बहुत कठिन है इसलिए हम इन्हें स्वीकार नहीं करते थे। लेकिन इस नियम के बाद , क्योंकि स्टॉक्स क्लाइंट के डीमैट अकाउंट में रहेंगे कोई भी एप्रूव्ड सिक्योरिटी प्लेज के लिए स्वीकार कर ली जाएगी।
4. प्लेज किये गए शेयरों को बेचने की सुविधा: यह एक ऐसी सुविधा है जिस पर हम काम कर रहे हैं, जिससे आप प्लेज रखे शेयरों को बिना अनप्लेज की रिक्वेस्ट डाले बेच सकते हैं और जब तक कि वे आपके डीमैट अकाउंट में क्रेडिट ना हो जाएँ तब तक इंतज़ार कर सकते हैं।नये प्लेज सिस्टम के साथ इसे लागू करना बहुत आसान हो जाता है। यह आपके द्वारा प्लेज किये गए शेयरों में बाजार के उतार-चढ़ाव के रिस्क को कवर करता है।
आने वाले समय में Zerodha में क्या प्रोसेस होगा ?
हमने काफी हद तक प्रोसेस को नहीं बदला है, सिर्फ कुछ और स्टेप्स जोड़े हैं, जिसमें क्लाइंट को CDSL की वेबसाइट पर एक OTP डालकर प्लेज को ऑथोराइज़ करने की जरुरत होती है, जैसे स्टॉक बेचने के लिए TPIN को प्री-ऑथराइज़ किया जाता है। चूंकि CDSL अभी भी पूरी तरह से काम करने वाला API बना रहे है, इसलिए इन्वेस्टर्स को OTP डालने और प्लेज को ऑथराइज़ करने के लिए उन्हें ईमेल पर आये हुए लिंक पर क्लिक करना होगा। प्रोसेस नीचे समझाया गया है:
1. Console पर लॉगिन कीजिये
2. Holdings पेज पर जाएँ। जो स्टॉक्स आप प्लेज कर सकते हैं उनकी लिस्ट यहाँ दिखेगी
3. जो स्टॉक्स आप प्लेज करना चाहते हैं , उनकी क्वांटिटी एंटर कीजिये और प्लेज में क्लिक कीजिये
4. CDSL आपके रजिस्टर्ड ईमेल ID पर प्लेज अप्प्रूव करने के लिए एक लिंक भेजेगा
5. लिंक विजिट करने पर OTP जेनेरेट करने का एक ऑप्शन आएगा। जिसके बाद आपके रजिस्टर्ड फ़ोन नंबर और ईमेल ID पर एक OTP आएगा। CDSL के पेज पर प्लेज अप्प्रोवे करने के लिए OTP डालिये।
6. प्लेज अप्प्रोवे होने के बाद , T+1 दिन के बाद से मार्जिन दी जाएगी। आने वाले समय में API पूरी तरह से उपलब्ध होने के बाद, हम प्लेज करते समय ही मार्जिन देने की कोशिश करेंगे।
7. अनप्लेज करने के लिए होल्डिंग्स पेज पर जाएँ और अनप्लेज की रिक्वेस्ट डालिये। स्टॉक्स क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन से अनप्लेज हो जायेंगे और फ्री हो जायेगे (यदि उससे मिली मार्जिन आपने किसी पोजीशन के लिए इस्तेमाल नहीं की है)।
प्लेज करने की फीस वही रहेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि डिपॉजिटरी द्वारा प्लेज करने और री-प्लेज करने के लिए एक फीस लगाई जाती है। इसके अलावा, यह भी ध्यान दें कि क्लाइंट को 50:50 के कैश: कोलैटरल के रेश्यो में पोसिशन्स को मेन्टेन करना होगा, ऐसा न करने पर आपको ब्याज/इंटरेस्ट लगाया जाएगा। यदि आप अपने मार्जिन ओब्लिगेशंस को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो ब्रोकर के पास आपके प्लेज को हटाकर(revoke) और डेबिट अमाउंट लेने के लिए आपके शेयर्स को बेचने का अधिकार होगा।
01 अगस्त, 2020 से सभी नए प्लेज रिक्वेस्ट को नये प्लेज सिस्टम को पालन करते हुए करना होगा। ब्रोकर्स को वर्तमान में मौजूद प्लेज प्रकिया का इस्तेमाल करके प्लेज रखी गई सभी सिक्योरिटीज को वापस करके और उन्हें नए प्लेज सिस्टम का उपयोग करके फिर से प्लेज करने के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया है।इसी बीच, हम आपको अन-प्लेज करने की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे। कृपया ध्यान दें कि आपके पास होल्ड की गयी पोसिशन्स के लिए पर्याप्त मार्जिन है ।
अपडेट: SEBI ने इस सर्कुलर के माध्यम से मार्जिन प्लेज के वर्तमान सिस्टम को 31 अगस्त 2020 तक उपलब्ध रहने की अनुमति दी है। नये प्लेज सिस्टम को जल्द ही लाइव किया जाएगा और इसी बीच में , हम आपको अन-प्लेजिंग की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे।