एक अस्पताल जाने के बारे में सोचिये।यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से थका सकता है और इसका खर्च भी बहुत ज्यादा होता है। शारीरिक और मानसिक परेशानी इसमें ऐसी होती है कि सिर्फ सोचकर ही डर लगता है। लेकिन यदि आप किसी बहुत बड़ी बीमारी से गुजर रहे हैं, तो यह एक बहुत बड़ा फाइनेंशियल बर्डन(financial burden) हो सकता है। कुछ लोग कहेंगे कि ऐसा बहुत कम लोगों के साथ होता है और सरकार उनकी सहायता भी करती है जिनको वाकई में पैसों की जरुरत होती है।जो भी हो, लेकिन यह सच नहीं है। मेडिकल खर्च का दो तिहाई खर्च अपनी क्षमता के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा ही दिया जाता है। कुछ जगहों में , यह 90% तक जा सकता है। ऐसी स्तिथि से निकलने में आपको बाहर से कोई मदद नहीं मिलती है और मिलने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
इसका सिर्फ एक समाधान स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदना है ताकि आप पर फाइनेंशियल बोझ ज्यादा न हो। लेकिन, लोग इस को खरीदते समय अक्सर गलती करते हैं।
उदाहरण के लिए, जब हम लोगों से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते समय एक कवर चुनने के लिए कहते हैं, तो ज्यादातर लोग ₹2–3 लाख से ज्यादा का सम नहीं चुनते हैं । यदि आप उनसे पूछते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, तो वह अपने पुराने अनुभवों के बारे में बात करते हैं जैसे कि अस्पताल में भर्ती होना बहुत कम होता है और जब भी होते है तो -मलेरिया , हड्डी टूटना या एपेंडिसाइटिस के कारण। इन सब में मेडिकल खर्च शायद ही 2-3 लाख से ज्यादा होता है और इससे ज्यादा के कवर का कोई फायदा नहीं होता है।
लेकिन स्वास्थ्य बीमा के बारे में सोचने का यह सही तरीका नहीं है।यह ठीक है कि ₹2–3 लाख का खर्च भी कोई छोटा अमाउंट नहीं है। लेकिन इसे खर्च करने के बाद आपकी जिंदगी नहीं बदलने वाली है। यदि आपको कभी किसी बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, तो आप बिना बीमा कंपनी के भी इस अमाउंट को दे सकते हैं। हाँ ,यह उतना सरल और आसान नहीं होगा। लेकिन कुछ ऐसा भी हो सकता है जिसे आपका खर्च और भी ज्यादा होने की उम्मीद कर सकते है और आपको वाकई में पैसों की जरुरत होगी ।
आपको जो चीज परेशान कर देगी वह है बोन मैरो ट्रांसप्लांट जिसका खर्च ₹25 लाख है या कैंसर का खर्चा जो आपको फाइनेंशियल रूप से बरबाद कर सकता है। इसके बाद आपके पास सिर्फ एक ऑप्शन है क़र्ज़ लेते रहना या अपने ट्रीटमेंट को क्राउडफंड करना – यानि खर्च के लिए दोस्तों और परिवारवालों से मदद मांगना। यदि ऐसा करके पैसे इक्क्ठे नहीं होते है, तो आपको सरकारी अस्पताल में जाना होगा और देखना होगा कि वे आपके लिए क्या कर सकते हैं।
यह सब घटनायें आपकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल सकती है, और यह आपको पस्त और बुरे तरीके से नुकसान पहुँचा सकती हैं। तो सबसे पहले आप यह करें-
1. सही कवर अमाउंट को चुनें: अब ज्यादातर लोग आपसे कहेंगे कि ऑप्टीमल कवर अमाउंट जैसी कोई चीज नहीं होती है क्योंकि स्तिथि के अनुसार चीजें बदलती रहती हैं — जैसे आपका इलाज कहां किया जा रहा है? आपके शहर में रहने का खर्च क्या है? आप हर साल कितना प्रीमियम देने को तैयार हैं? इन सब चीजों को ध्यान में रखे बिना कोई कैसे कवर अमाउंट को कैसे बता सकता है? आप ऐसा नहीं कर सकते हैं । लेकिन अगर इसके लिए कोई नियम होता, तो हम 10 लाख से शुरू करते। यह अमाउंट अच्छा प्रोटेक्शन देता है और भविष्य में भी उचित प्रोटेक्शन दे सकता है।
हमारा यह कहने से क्या मतलब है ?
मेडिकल इन्फ्लेशन अभी 7% पर है। तो कुछ वर्षों में, ₹10 लाख की वैल्यू इतनी अधिक नहीं होगी। दूसरी तरफ, यदि आप कम अमाउंट से शुरू करते हैं, जैसे कि ₹5 लाख, तो आपके पास एक मामूली सा कवर होगा । यह आपको जिंदगी बदलने वाली बीमारियों से पूरी तरह से नहीं बचाएगा जिसके बारे में हमने पहले चर्चा की थी। तो ₹10 लाख से शुरू करना कुछ समझ में आता है, हालांकि, अगर आप लगातार प्रीमियम नहीं दे सकते हैं, तो शायद ₹5 लाख से भी शुरू कर सकते हैं ।
जिस पल हम इस बारे में सोचते हैं, अधिकांश लोग ज़्यादा हाई कवर के साथ जाना चाहेंगे – ₹20 लाख, ₹50 लाख या एक करोड़ भी।लेकिन हम इस तरीके से जाने को नहीं कहेंगे क्योंकि प्रोटेक्शन जोड़ने के और भी सस्ते तरीके हैं।
थिंक सुपर टॉप्स: यह प्रोडक्ट आपको काफी सस्ते प्राइस पर एक करोड़ तक का प्रॉटेक्शन देते हैं। वह यह कैसे करते हैं? खैर, शुरुवात के लिए, ज्यादातर सुपर टॉप-अप प्रोडक्ट केवल डेडक्टिबल से अधिक के खर्चे के लिए अमाउंट देते हैं।इसलिए यदि आपके पास ₹1 करोड़ के कवर के साथ एक सुपर टॉप-अप पॉलिसी है और ₹10 लाख पर डेडक्टिबल सेट है, तो आपका सुपर टॉप-अप एक्टिवट होने से पहले आपको शुरुवात के खर्च का 10 लाख देना होगा और उसके बाद का खर्च बीमा कम्पनी वहन करेंगी । हालाँकि, यदि आपके पास पहले से ही एक बेस प्लान है, तो आप इसका उपयोग ₹10 लाख तक के सभी खर्चों को देने के लिए कर सकते हैं और फिर जो अमाउंट बचा है उसके लिए सुपर टॉप का उपयोग कर सकते हैं।
बॉटम लाइन : सबसे अच्छा तरीका है ₹10–₹20 लाख की बेस पॉलिसी लेना और फिर कुछ गंभीर मामलों के लिए एक सुपर टॉप-अप (एक करोड़ तक) जोड़ना।
2. एक विस्तृत(comprehensive) प्रोडक्ट ख़रीदना: एक कम्प्रेहैन्सिव पॉलिसी में सभी बीमारियाँ नहीं होती हैं (जैसे डेंटल कवर, अंतर्राष्ट्रीय उपचार और OPD खर्च )। इसमें बेसिक जरूरतों पर सीमाएं नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, आप नहीं चाहेंगे कि आपकी पॉलिसी में कमरे के किराए पर कोई सीमा हो – जहाँ आपको हर बार निर्धारित सीमा से अधिक किराया होने पर और पैसे देने के लिए कहा जाए या बीमारी के अनुसार सीमायें तय की जाएँ — जैसे जब कोई पॉलिसी आपको एक बड़ा कवर देती है लेकिन फिर आपको बताती है, तो आप मोतियाबिंद और कैंसर सहित कुछ बीमारियों के लिए कुल कवर का एक छोटा सा हिस्सा का ही क्लेम कर सकते हैं।
अब आप उन बीमारियों की लिस्ट को देखना चाहेंगे, जिन्हें विशेष बीमारियों की लिस्ट में रखा गया है।अब इस लिस्ट के बारे में अक्सर बात नहीं की जाती है। लेकिन हर बीमा कंपनी इस लिस्ट में शामिल बीमारी के लिए कस्टमर्स को 2 साल तक इंतज़ार करने के लिए कहेंगी (जहां उनका मानना है कि कस्टमर्स के पास इलाज में देरी की जा सकती है)। आप इस कदम के पीछे के तर्क को समझ सकते हैं।आखिरी चीज जो बीमा कंपनी चाहती है वह यह है कि जब कस्टमर को पता चले कि उसे मोतियाबिंद की बीमारी है तो वह जल्द से जल्द पॉलिसी ख़रीदे ताकि बीमा कंपनी उसके खर्च के लिए पैसे दे । हालांकि, कभी-कभी बीमा कंपनियां कैंसर सहित हर गंभीर बीमारी को इस लिस्ट में शामिल करके इन्हें भी लम्बे समय तक खींचती हैं।जो सही नहीं है, और ऐसी स्तिथि में आपको दूसरे ऑप्शंस को देखना पड़ सकता हैं।
साथ ही, एक कम्प्रेहैन्सिव पॉलिसी(जिसमे सब कुछ हो) हमेशा आपको ज्यादा प्रोटेक्शन देने के लिए लगभग हर साल मुफ्त स्वास्थ्य जांच की सुविधा देती है। कुछ कंपनियों ने डायग्नोस्टिक पार्टनर्स के साथ पार्टनरशिप की है ताकि आपका पूरा हेल्थ टेस्ट किया जा सके । यहां तक कि कुछ लोगों के पास एक अलग सेक्शन होगा जो उन सभी डायग्नोस्टिक प्रक्रियाओं को बताएगा और वह “फ्री हेल्थ टेस्ट ” प्रोग्राम का हिस्सा होगा। यदि आपके पास पहले से ही कोई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, तो उसे देखिये कि क्या आपकी पॉलिसी में यह फायदे शामिल हैं। जिसे देखने के बाद आपको आश्चर्य होगा ।
आप एक बीमा कंपनी से बीमा ले रहें हैं, जो क्लेम्स के पैसे देते समय काफी सावधान है।इस बात का ध्यान रखें, इस डिपार्टमेंट में कोई भी बीमा कंपनी परफेक्ट नहीं है। लेकिन, आप कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए आने वाले रिजल्ट की अपेक्षा कर सकते हैं। आप जिस कंपनी का बीमा खरीदने की सोच रहे है क्या वह कंपनी पिछले कुछ सालों में लगातार हाई क्लेम सेटलमेंट (लगभग 90%) के पैसे देती है? अगर उत्तर हाँ है, तो शायद यह एक अच्छा ऑप्शन है।
3. कम उम्र में खरीदना और ईमानदार होना: ज्यादातर लोग कम उम्र में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं खरीदना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें कुछ नहीं होगा, और उनका मानना है कि वे इस खरीदारी को तब तक के लिए टाल सकते हैं जब तक कि पहले लक्षण दिखना शुरू नहीं हो जाते। लेकिन ऐसी सोच गलत है। उदाहरण के लिए, यदि आप मार्केट से सही प्राइस चाहते हैं, तो आपको बीमाकर्ता को यह साबित करना होगा कि आप स्वस्थ हैं। यदि आपके पास पहले से मौजूद (प्रे-एक्सिस्टिंग) कंडीशन या दूसरे लक्षण हैं, तो आपका प्रीमियम बढ़ जाता है। इसके और बढ़ने पर और कभी-कभी कंपनियां आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर आपको कवर भी नहीं देती हैं। यह एक बड़े खर्चे की तरह आपके सामने आ सकता है। इसलिए जब आप कम उम्र के हो और स्वस्थ हों तो स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदना हमेशा सही होता है।
दूसरा, यदि आप स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को लेने के लिए अपनी मौजूदा स्थिति के बारे में संवेदनशील जानकारी को नहीं बता रहे हैं, तो हम आपको बता देते हैं कि ऐसा करने से कोई फायदा नहीं है। बीमा कंपनियों को बाद में पता चल ही जायेगा कि आप मेडिकल जाँच के दौरान सच नहीं बताया था । वे इस बिज़नेस में बहुत लंबे समय से हैं, और उनके पास टीमें हैं जो आपके दावों को गलत साबित कर देंगी। जो सिर्फ एक काम आप यहाँ कर रहे हैं वह यह है कि समय पर प्रीमियम ये सोचकर दे रहे है कि आपके किसी संवेदनशील जानकारी को नहीं बताने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा जब आपको प्रोटेक्शन की जरुरत होगी।
लेकिन, बीमा कंपनियाँ आपकी रिक्वेस्ट को उसी पल रिजेक्ट कर सकती हैं, जब उन्हें थोड़ी सी भी जानकारी का पता चलता है, जो पहलेनहीं दी गयी थीं । दूसरी तरफ, यदि आपने कुछ वर्षों के लिए पॉलिसी रखी है और आपने पूरे समय ईमानदारी से प्रीमियम दिया हैं, तो बड़े क्लेम्स का अमाउंट देते समय भी बीमा कंपनियों को आपके लिए सहानुभूति हो सकती है। उन्हें आपकी रिक्वेस्ट पर अधिक विश्वास होगा। इसलिए जब आप कम उम्र के और स्वस्थ होते हैं तो स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदना हमेशा अच्छा होता है।