पीक मार्जिन, इंट्राडे लेवरेज & 2nd ऑर्डर इफेक्ट्स – 1 दिसंबर, 2020

June 7, 2022

इंट्राडे लिवरेज पर प्रतिबन्ध 

पीक मार्जिन रिपोर्टिंग को इसलिए लाया गया है, ताकि ब्रोकर्स द्वारा VAR+ELM (स्टॉक के लिए कम से कम 20% के साथ) और SPAN+ एक्सपोजर (F&O – इक्विटी, कमोडिटी, करेंसी) से ज्यादा लिवरेज देने पर रोक लगायी जा सके।  1 दिसंबर, 2020 से ब्रोकर द्वारा दी जाने वाली अधिकतम इंट्राडे लिवरेज पर रोक लगाया गया है और यह सितंबर 2021 के बाद और कम हो जाएगी जिसके बाद एक ब्रोकर ज्यादा से ज्यादा यह लीवरेज दे सकता है = VAR + ELM (कम से कम 20%) या स्पैन + एक्सपोजर।
  • Dec 2020 से  Feb 2021 तक — पेनल्टी लगेगी यदि स्टॉक्स के लिए ब्लॉक की गयी मार्जिन ट्रेड वैल्यू (VAR+ELM) के 20% से कम है और F&O के लिए SPAN+एक्सपोज़र के 25% से कम है।
  • March 2021 से May 2021 तक  — पेनल्टी लगेगी यदि ब्लॉक की गयी मार्जिन मिनिमम रिक्वायर्ड मार्जिन से 50% कम है 
  • June 2021 से Aug 2021 तक — पेनल्टी लगेगी यदि ब्लॉक की गयी मार्जिन मिनिमम रिक्वायर्ड मार्जिन से 75 % कम है 
  • Sept 2021 से— पेनल्टी लगेगी यदि ब्लॉक की गयी मार्जिन मिनिमम रिक्वायर्ड मार्जिन से 100 % कम है
जैसा कि मैंने बताया था कि स्टॉक्स के लिए मिनिमम मार्जिन VAR+ELM(कम से कम 20% होती है) और F&O के लिए SPAN +Exposure होती है। इस मार्जिन में लिवरेज जुडी हुयी है या इनक्लूडेड है, लेकिन इससे और ज्यादा लिवरेज नहीं मिल सकती है।  
हमने इस पोस्ट में पूरी जानकारी दी है। पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए 

2nd ऑर्डर इफेक्ट्स 

इस इंट्राडे लिवरेज प्रतिबंध को लगाने के लिए, क्लियरिंग कॉरपोरेशन (CC)मार्केट के दौरान दिन में अलग अलग समय पर क्लाइंट पोजीशन के 4 स्नैपशॉट लेंगे और देखेंगे कि उस समय ब्रोकर के पास उचित मार्जिन उपलब्ध था या नहीं।अभी के समय में ब्रोकर मार्जिन रिपोर्टिंग दिन के आखिरी में सिर्फ एक बार करते है, इंट्राडे पर नहीं। इसलिए क्लाइंट के पास उचित मार्जिन नहीं होने पर भी हम ज्यादा मार्जिन दे सकते थे, इस शर्त में कि वह मार्केट बंद होने से पहले (end of the day ) अपनी पोजीशन स्क्वायर ऑफ कर दें। लेकिन आने वाले समय में, यदि क्लाइंट इंट्राडे पोजीशन के लिए एक्सचेंज द्वारा लगने वाली कम से कम मार्जिन (मिनिमम मार्जिन ) नहीं रखते हैं, तो शार्ट मार्जिन पेनल्टी लगेगी। उसी प्रकार जैसे आज कम मार्जिन रखने वालों को एन्ड ऑफ़ द डे(end of the day) पोजीशन के लिए लगती है। यह इंडस्ट्री के लिए पूरी तरह से नया प्रोसेस है और एक्सचैंजेस, रेगुलेटर्स और ब्रोकर्स के बहुत सलाह-मशवरे के बाद एक्सचेंज ने 27 नवंबर को FAQ निकाला है जिसमे पीक मार्जिन कलेक्शन और रिपोर्टिंग पर सफाई दी गयी है। इस FAQ का मतलब है कि नए पीक मार्जिन रिपोर्टिंग के इंट्राडे लिवरेज पर प्रतिबन्ध के अलावा दूसरे प्रभाव भी होंगे।  

होल्डिंग्स बेचने से 80% क्रेडिट उसी दिन इस्तेमाल किया जा सकता है

यदि आप अपने डीमैट या T1(BTST) से शेयर बेचते है, तो आने वाले समय में उसी या दूसरे सेगमेंट पर उसी दिन के किसी और ट्रेड के लिए बेचे गए वैल्यू का सिर्फ 80% क्रेडिट उपलब्ध होगा।अभी आपको 100% क्रेडिट ट्रेड डे पर मिलता है लेकिन आगे से आपको 100% क्रेडिट T+1 दिन(अगले ट्रेडिंग दिन) में मिलेगा।  
इसका कारण यह है कि अब हमे बेची गयी वैल्यू का 20% मार्जिन तब तक ब्लॉक करने की जरुरत है जब तक हम आपके डीमैट अकाउंट से शेयर डेबिट करके CC(अर्ली पे-इन या EPIके द्वारा )को नहीं दे देते है। जो सामान्य रूप से ट्रेडिंग दिन में मार्केट बंद होने के बाद होता है।  
तो इसका मतलब यह भी है कि यदि आपने रिलायंस के 1000 शेयर बेचे हैं जो आपके डीमैट अकाउंट में हैं, तो आप उसी दिन बायबैक करते समय रिलायंस के 800 शेयर ही खरीद पाएंगे, यदि आपके पास कोई एक्स्ट्रा फण्ड नहीं है। इसका कारण यह है कि 1000 शेयर बेचने के बाद अब आपको 80% क्रेडिट ही मिलेगा, इसलिए आपके पास केवल 80% शेयरों को बायबैक करने के लिए फण्ड होगा।लेकिन, यदि आपके अकाउंट में और मार्जिन है, तो आप पूरा 100% वापस खरीद सकते हैं।

हमेशा पहले F&O पोजीशन के पोर्टफोलियो के ज्यादा रिस्क (मार्जिन) लेग से बाहर निकलें

मान लीजिए आपने निफ्टी फ्यूचर्स का 1 लॉट खरीदा है और निफ्टी पुट का 1 लॉट खरीदा है। नेकेड निफ्टी फ्यूचर्स के लिए लगने वाली मार्जिन Rs 1.5 लाख है, लेकिन क्योंकि आपने पुट भी खरीदे हैं जो पूरी तरह से रिस्क को कवर करते हैं, इस ट्रेड पर लगने वाली मार्जिन की जरुरत कम होकर Rs 30,000 हो जाती है। मान लीजिये कि आपके अकाउंट में Rs 1.5 लाख थे और आपने अपने अकाउंट में बचे हुए Rs 1.2 लाख का उपयोग करके कुछ और शेयर खरीद लिए और मार्जिन Rs 30,000 बची है, जिसके बदले आप 1 निफ्टी लॉन्ग फ्यूचर और 1 निफ्टी लॉन्ग फ्यूचर रखते या होल्ड किये हुए हैं।
यदि आप अब पहले निफ्टी लॉन्ग पुट पोजीशन से एग्जिट करते हैं, तो निफ्टी फ्यूचर के लिए 1 लॉट के लिए मार्जिन की जरुरत बढ़ कर Rs. 1.5 लाख हो जाएगी क्योंकि अब पोजीशन हेज नहीं है।जबकि आप लॉन्ग निफ्टी फ्यूचर से तुरंत बाहर निकल या एग्जिट कर सकते हैं, लेकिन जब तक आप बाहर नहीं निकलते हैं, तब तक आपके अकाउंट में मार्जिन केवल Rs 30,000 है, जिसके बदले आपके पास 1 निफ्टी फ्यूचर है, जिसका मतलब है कि आपको से Rs. 1.2 लाख पर एक पीक मार्जिन पेनल्टी लग सकती है।यदि इस समय CC ने आपकी टोटल पोजीशन + उपलब्ध मार्जिन  के स्नैपशॉट लिए।
इसलिए आने वाले समय में , यदि आपके पास कोई एक्स्ट्रा मार्जिन नहीं है, तो यह अच्छा होगा कि आप ज्यादा रिस्क/मार्जिन वाली पोजीशन को कम रिस्क/मार्जिन वाली पोजीशन के पहले बेच दें।  इसलिए ऊपर के उदाहरण में पहले लॉन्ग निफ़्टी फ्यूचर को बेचिये और फिर लॉन्ग पुट को जिससे पीक मार्जिन पेनल्टी न लगे।  

यदि आप होल्डिंग्स को बायबैक करने की सोच रहे हैं तो इंट्राडे ट्रेड्स के लिए होल्डिंग सेल के क्रेडिट का उपयोग न करें

मान लें कि आपके डीमैट में रिलायंस के 100 शेयर हैं और आपके अकाउंट में कोई मार्जिन नहीं है। आज, आप 100 शेयरों को Rs 2000 में बेच सकते हैं और Rs 2 लाख के पूरे क्रेडिट का उपयोग स्टॉक या F&O में इंट्राडे ट्रेड करने के लिए कर सकते हैं। जैसा कि मैंने पहले बताया, पीक मार्जिन नियम के बाद अब आप केवल Rs 1.6 लाख का ही उपयोग कर पाएंगे, Rs 2 लाख का नहीं। लेकिन यहाँ एक और इशू है। मान लें कि आपने इस Rs 1.6 लाख का इस्तेमाल निफ्टी फ्यूचर्स के 1 लॉट के इंट्राडे ट्रेड (खरीदें और बेचें) में किया और रिलायंस के Rs 1.6 लाख के शेयर वापस(बायबैक) खरीदे जो आपने पहले उसी ट्रेडिंग दिन में बेचे थे। आने वाले समय में, निफ्टी फ्यूचर ट्रेड के लिए शायद पीक मार्जिन पेनल्टी लग सकती है, जिसका कारण नीचे दिया है।  
जैसा कि हमने इस पोस्ट में बताया है, जिस कारण से हम आपको स्टॉक बेचने के बाद मिलने वाले क्रेडिट का उपयोग दूसरे स्टॉक खरीदने या उसी दिन F&O ट्रेड करने देते हैं, वह यह है कि हम आपके डीमैट से शेयरों को डेबिट करते हैं और इसे क्लियरिंग कॉर्पोरेशन (CC) को उसी ट्रेडिंग दिन अर्ली पे-इन या EPI के द्वारा देते हैं।EPI के द्वारा ट्रांसफर किए गए शेयरों को तब अपफ्रंट और पीक मार्जिन दोनों मार्जिन की जरूरतों के लिए उपयोग किया जा सकता है। लेकिन ऊपर दिए गए उदाहरण में, यदि आपने बेचे गए 80% शेयरों को वापस खरीदा है, तो केवल 20 शेयर या Rs 40,000 की वैल्यू के रिलायंस होंगे जो CC में ट्रांसफर हो जाएंगे। इसका मतलब यह है कि जब आपने निफ्टी फ्यूचर्स का कारोबार किया, तो आपके अकाउंट में Rs. 1.2 लाख (1.6 लाख रुपये – Rs 40 हजार) कम थे, जिस पर पीक मार्जिन पेनल्टी लग सकती है।
इसलिए, यदि आप अपनी होल्डिंग्स को बेचते हैं और बेची गई होल्डिंग्स को उसी दिन बायबैक करते हैं, और यदि आपने एक और इंट्राडे ट्रेड लेने के लिए बेची गई होल्डिंग्स से मिले हुए पैसे का उपयोग किया था, तो इंट्राडे ट्रेड पर एक पीक मार्जिन पेनल्टी लग सकती है यदि आपके पास होल्डिंग बेचने के बाद मिले हुए पैसे को अलावा और कोई मार्जिन नहीं है।  इसलिए ऐसे ट्रेड लेने से बचें। 
इसके अलावा, एक ब्रोकरेज फर्म ने अपनी पॉलिसी को बदल कर यह निर्णय लिया है कि इस समस्या से बचने के लिए वह उतनी ही मार्जिन के साथ मल्टीप्ल ट्रेड्स (multiple trades) करने की अनुमति नहीं देंगे। लेकिन Zerodha में हम ऐसा नहीं करेंगे।आप अपने फ्री कैश का उपयोग करके, अपनी होल्डिंग्स या पोसिशन्स बेच कर मल्टीप्ल(multiple) इंट्राडे ट्रेड्स कर सकते हैं।  
तो 1 दिसंबर, 2020 से ब्रोकरेज फर्मों द्वारा दिए जाने वाले इंट्राडे लीवरेज पर रोक लगने जा रहा है। होल्डिंग्स बेचने से 80% क्रेडिट उसी दिन के और दूसरे ट्रेड्स के लिए उपलब्ध होगा और 100% T+1 दिन से उपलब्ध होगा। यदि आप F&O पोजीशन का पोर्टफोलियो रखते हैं तो हमेशा पहले ज्यादा रिस्क/मार्जिन पोजीशन से बाहर निकलें। यदि आप अपनी होल्डिंग बेचते हैं और इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए उसी पैसे का उपयोग करते हैं, तो बेचे हुए स्टॉक को वापस ना लें यदि आपके पास इंट्राडे ट्रेड के लिए और फंड्स ना हों। 
यदि आपके पास कोई और प्रश्न है , कृपया उन्हें यहाँ tradingqna पर पोस्ट कीजिये।  

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