इन्वेस्टमेंट एडवाइर्स के लिए महत्वपूर्ण स्‍पष्‍टीकरण

June 8, 2022
सितंबर 2020 में, SEBI ने रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) गाइडलाइन्स में नए बदलाव को जारी किया। नयी गाइडलाइन्स में कुछ बड़े और जरुरी बदलाव किए गए:
1. क्लाइंट लेवल पर एडवाइजरी और डिस्ट्रीब्यूशन को अलग अलग रखना  
2. किसी भी एडवाइस को देने के पहले एडवाइर्स और क्लाइंट के बीच में जरुरी एग्रीमेंट करना 
3. AUM बेस्ड मॉडल्स के लिए 2.5% की ज्यादा से ज्यादा फीस और फिक्स्ड-फी मॉडल के लिए Rs 1,25,000 PA की फीस 
4. एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और नेट वर्थ जरूरतों को बढ़ाना 
ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म्स, वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म्स और ब्रोकर्स के गाइडलाइन्स को अप्लाई करने को लेकर अलग अलग विचार और प्रश्न थे और यह मुख्य रूप से क्लाइंट और एडवाइर्स के बीच में फॉर्म्स और एग्रीमेंट को लेकर फीस चार्ज करने को लेकर था।  
एक ब्रोकर और ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफार्म द्वारा मांगे गए दो इनफॉर्मल गाइडेंस [1, 2] के जवाब में, SEBI ने इन मुद्दों में से बहुत कुछ साफ़ किया है। ये क्लैरिफिकेशन ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म, वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (RIAs) के रूप में रजिस्टर्ड ब्रोकर पर लागू होते हैं।

ब्रोकर्स जो RIAs है वह एडवाइस के लिए ब्रोकरेज चार्ज नहीं कर सकते 

बहुत सारे ब्रोकर इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की तरह भी रजिस्टर्ड होते है और एडवाइजरी सर्विसेज ऑफर करते हैं। ऐसे ब्रोकर्स के क्लाइंट ब्रोकर्स के द्वारा ऑफर्ड प्लेटफॉर्म में उनकी एडवाइस को एक्सेक्यूटे करते हैं। ब्रोकर एक्सेक्यूशन के लिए ब्रोकरेज चार्ज कर सकता या नहीं इस प्रश्न के जवाब में SEBI ने क्लियर किया है कि यदि क्लाइंट्स उनकी एडवाइस को एक्सेक्यूटे करते है तो ब्रोकर ब्रोकरेज चार्ज नहीं कर सकते हैं।  
मतलब , यदि कोई ब्रोकरेज फर्म एडवाइजरी प्रोडक्ट ऑफर करती है तो यह इसे फ्री में नहीं दे सकती और ना ही उसके बदले में ब्रोकरेज चार्ज कर सकती है। उन्हें सीधे तौर पर एडवाइजरी फी चार्ज करना पड़ेगा – या फ्लैट या फिर अलग से AUM के आधार पर फी।  और ब्रोकर क्लाइंट के ट्रेडिंग अकाउंट पर एडवाइजरी फीस चार्ज नहीं कर सकता है। क्लाइंट को अपने बैंक अकाउंट से ब्रोकर को अलग से पेमेंट ट्रांसफर करना होगा।  
यदि क्लाइंट के ट्रेडिंग अकाउंट से पैसे डिडक्ट करने की अनुमति होगी तो चीज़ें काफी सरल हो जायँगी और ब्रोकर्स और दूसरे स्टार्टअप को कम प्राइस पर एडवाइसरी सुविधाएँ मिलना शुरू हो जाएँगी। लेकिन फीस लेने का तरीका भारतीय एडवाइजरी सिस्टम के लिए बड़ी समस्या है।  

एडवाइस के पहले एग्रीमेंट को अनिवार्य रूप से साइन करना होगा 

SEBI ने यह साफ़ किया है कि किसी एडवाइसर को क्लाइंट को एडवाइस करने के पहले अनिवार्य रूप से अग्र्रिमेंट साइन करना होगा। इससे भी ज्यादा जरुरी बात यह है कि इलेक्ट्रॉनिक कंसेंट जैसे “I agree ” चेकबॉक्स स्वीकार नहीं होंगे। एग्रीमेंट को या तो e-साइन करना होगा या उस पर पेन से सिग्नेचर होना चाहिए। यह इस बात की परवाह किए बिना है कि क्या RIA एडवाइस के लिए चार्ज ले रहा है या इसे मुफ्त में दे रहा है।
इसलिए यदि आप फ्री और पेड एडवाइस के दोनों के साथ फ्रीमियम मॉडल के साथ एक डिजिटल एडवाइजरी या इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म बना रहे हैं, तो अब भी आपको एग्रीमेंट करना होगा।

KYC का रीइंबर्समेंट, पेमेंट गेटवे और लगने वाले क्लाइंट मेंटेनेंस कॉस्ट 

आज, सभी ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म्स जो डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड ऑफर करते है वह फ्री हैं। उनमें से ज्यादातर KYC का प्राइस, पेमेंट गेटवे और दूसरे टेक्निकल कॉस्ट्स क्लाइंट से लिए बिना खुद बर्दाश्त करते हैं। इस प्रश्न के उत्तर में कि क्या यह प्लेटफॉर्म को देने वाले AMC को इसकी कॉस्ट लेने कह को सकते हैं तो SEBI ने क्लियर किया कि ऐसा नहीं किया जा सकता हैं।  
प्लेटफार्मों के लिए एकमात्र ऑप्शन किसी न किसी तरीके से अपने यूजर बेस से पैसे कमाना है। यह एडवाइजरी फीस, एक्सेक्यूशन का चार्ज, या दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट को क्रॉस-सेलिंग के द्वारा हो सकता है।
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