भारत में स्टॉक ट्रेडिंग गेम्स और कॉपी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
दुनिया भर के शेयर मार्केट्स में रिटेल भागीदारी लंबे समय से इतनी ज़्यादा नहीं रही है। कम इंटरेस्ट रेट्स, घर से काम करने से निजी फाइनेंस के बारे में सोचने के लिए अधिक समय और बैंडविड्थ, और इनकम के दूसरे साधन की तलाश करने वाले लोग ही इस बढ़ते हुए एक्टिविटी के हिस्सेदार होते हैं।
ऐतिहासिक रूप से, भारत में स्टार्टअप समुदाय ने कैपिटल मार्केट के लिए प्रोडक्ट्स को बनाने में ज़्यादा महत्त्व नहीं दिया है। मुख्य रूप से लगभग 70 लाख भारतीयों के छोटे TAM (टोटल एड्रेसेबल मार्केट) के कारण, जो साल में एक बार इन्वेस्ट करते हैं, जिससे स्टार्टअप्स के लिए हाई वलुएशन्स को सही ठहराना मुश्किल हो जाता है। कंप्लायंस और रेगुलेटरी ज़रूरतें भी एक बचाव के रूप में काम करते हैं। लेकिन पिछले 4 महीनों में नए इन्वेस्टर्स की इस भीड़ ने एक उम्मीद स्थापित की है कि TAM काफ़ी तेजी से बढ़ सकता है। जबकि भारतीय शेयर मार्केट्स में पहले से ही इन्वेस्ट करने वाले लोग लगभग 70 लाख हैं, कम से कम 4 करोड़ भारतीय ऐसे हैं जो इन्वेस्ट करने की क्षमता रखते हैं। यह एक बहुत ही अच्छा अवसर की तरह लगता है। इसमें ना सिर्फ़ स्टार्टअप्स ने, बल्कि VCs ने भी रुचि दिखाया है। ये उन कम्पनीज़ को सपोर्ट करने वाले है, जो इस अवसर के पीछे जातें हैं।
सुझ-भुज से, मुझे लगता है कि हम सभी सोचते होंगे कि दर्शकों को संबोधित करने का सबसे आसान तरीका शेयर मार्केट में गेमिफिकेशन के तत्वों को लाना है, जहाँ लोग डेमो / नकली पैसे के साथ ट्रेड कर सकते हैं और साथ ही ट्रेड करना भी सीख सकतें हैं। ड्रीम 11 और अन्य फंतासी लीग की सफलता के साथ, इसके लिए मोनेटाइजेशन प्लान भी एक सा हो सकता है – हर कोई खेल खेलने के लिए पेमेंट करता है, जिसमे विजेता सबसे अधिक लेता है और प्लेटफार्म कटौती करता है। या हो सकता है कि सोशल ट्रेडिंग जहां अच्छे प्रदर्शन ट्रैक रिकॉर्ड वाले ट्रेडर्स अपने ट्रेडों को शेयर करते हैं और यह खुद ही उन सभी के लिए कॉपी हो जाता है जो यूज़र को फॉलो कर रहे हैं?
हमने पिछले कुछ महीनों में कम से कम 5 स्टार्टअप्स से बात की है जो ऊपर बताये गए दो विचारों के आधार पर प्रोडक्ट बनाने के अलग-अलग स्टेजेस में होते हैं। मैंने सोचा कि इन स्टार्टअप्स के साथ हमने जो शेयर किया है, उसे सभी को बताना एक अच्छा आईडिया होगा – यह प्रोडक्ट अभी भारत में संभव क्यों नहीं है।
रेग्युलेशन किसी प्रतियोगिता/खेल/लीग की अनुमति नहीं देते हैं
इस साल की शुरुआत में SEBI के इस डाक्यूमेंट्स को देखें (पेज 25)।
कोई भी व्यक्ति सिक्योरिटीज़ पर या सिक्योरिटीज़ मार्केट्स से संबंधित किसी योजना/प्रतियोगिता/खेल/लीग का आयोजन या प्रस्ताव नहीं करेगा।
एक रेगुलेटेड बिज़नेस में, आप ऐसा कुछ नहीं कर सकते जिसे रेगुलेटर अल्लॉव नहीं करता है। SEBI ने अब एक रेगुलेटरी सैंडबॉक्स खोला है जहां आप इनोवैटिव आईडिया के लिए अप्रूवल प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं। ये रिटेल इन्वेस्टर्स की मदद कर सकते हैं और साथ ही कैपिटल मार्केट एकोसिस्टम को भी बढ़ा सकते हैं। लेकिन, यहाँ एक और समस्या है।
एक्सचेंज डेटा फ़ीड कॉस्ट
एक्सचेंज को दो जगह से रेवन्यू आता है – ट्रांसक्शन कॉस्ट और डेटा फीड। अंतरराष्ट्रीय लेवल पर एक्सचेंज डेटा फीड से ज़्यादातर रेवन्यू कमाते हैं। उदाहरण के लिए, US में, भारत में ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आपको मुफ़्त में प्राप्त होने वाले डेटा की क्वालिटी (मार्केट डेप्थ, OHLCV, आदि) के लिए आपको हर महीने $15 से ज़्यादा का पेमेंट करना पड़ सकता है। US में ज़्यादातर रिटेल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आपको केवल लास्ट ट्रेडेड प्राइस डेटा देते हैं – वह भी कम ट्रेडिंग वॉल्यूम के कारण ख़राब क्वालिटी वाले छोटे एक्सचेंजों से, जो बड़े वाले से मैच करने के लिए मुफ्त में डेटा दे सकते हैं (US के पास करीब करीब 12 एक्सचेंज है)। भारत में, एक्सचेंज ज़्यादातर ट्रांसक्शन फ़ीस जो एक्सेक्यूटेड ट्रेड्स से जेनेरेट किये जातें हैं उससे कमाते हैं – जो एक एक्सचेंज के लिए सही बिज़नेस मॉडल है। ये उन्हें अनुमति नहीं देता है की वह छोटे इन्वेस्टर्स के लिए कोई तरह का एंट्री रोड़ा क्रिएट करें।
लेकिन, डेटा फीड केवल स्टॉक ब्रोकरेज फर्मों के लिए मुफ़्त है। या एक्सचेंज के सदस्यों के लिए मुफ्त है, जो एक्सचेंज पर रेजिस्टर्ड कस्टमर्स के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को पावर दिया। कहने का मतलब है कि अगर डेटा फ़ीड का इस्तेमाल किसी दूसरे उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, तब इसके लिए कीमत देना होगा। लाइव डेटा फीड के लिए यह कॉस्ट काफी ज़्यादा है, जो इसे बड़े पैमाने पर एक fantasy स्टॉक मार्केट गेम चलाने के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। जबकि देर से आने वाला डेटा फ़ीड सस्ता है, आप वास्तव में गेम नहीं चला सकते हैं, अगर इसे खेलने वाला इंसान स्टॉक की कीमत को पहले से जानता हो।
8 अगस्त 2020 को, हमें एक्सचेंज से पता चला कि उन्हें किसी भी वर्चुअल ट्रेडिंग या गेमिंग प्लेटफॉर्म पर डेटा प्रदान करने की अनुमति नहीं है। साथ ही एक्सचेंज वेबसाइट या अन्य ब्रोकिंग वेबसाइटों से डेटा स्क्रैप करने वालों पर ऐक्शन लिया जायेगा जो इसका इस्तेमाल प्लेटफॉर्म पर करते हैं।
सोशल ट्रेडिंग
सोशल या “कॉपी” ट्रेडिंग वह जगह है जहाँ कोई व्यक्ति जिसके पास प्रॉफिटेबल ट्रैक रिकॉर्ड है, वह अपने ट्रेड्स को प्लेटफॉर्म पर लाइव पब्लिश करता है। इन ट्रेड्स के साथ आम तौर पर ट्रेड लेने का रैशनैल (समर्थन) और/या सब्सक्राइबर्स के लिए ऐसे सभी ट्रेड्स को कॉपी करने का यह एक फीचर है। प्रभावित व्यक्ति को प्लेटफार्म से रेवन्यू शेयर मिलता है। जो ट्रेड्स जेनेरेट हो चूका है उससे या फालोअर्ज़ यानि प्रशंसकयों से डायरेक्ट फ़ीस कलेक्ट करते हैं।
Etoro, Zulu, आदि जैसे प्लेटफॉर्म ने CFD (कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस) की दुनिया में इस अवधारणा यानि कांसेप्ट को लोकप्रिय बना दिया है। CFDs उन क्षेत्राधिकारों (jurisdictions) में काम करते हैं जहाँ नियम मुश्किल नहीं हैं। भारत सहित ज़्यादातर देशों में यह बैन्ड (banned) है।
भारत में इस तरह के प्लेटफार्म को नियमों के कारण बनाया नहीं जा सकता है। जब आप बहुत से लोगों को ट्विटर पर ट्रेडिंग आईडिया को शेयर करते हुए देखते हैं, तो वह भी ग्रे होते है। लेकिन यह अभी भी ठीक है क्योंकि जब आप सोशल मीडिया पर कोई आईडिया शेयर करते हैं तब कोई पैसे से जुड़ा विचार नहीं होता है। जैसे ही आईडिया शेयर करने वाला व्यक्ति किसी तरह से भी फ़ीस कलेक्ट करता है, तब Registered Investment Adviser (RIA) या Research Analyst (RA) को ज़रूरत पड़ती है। अगर आप किसी ख़ास व्यक्ति को आईडिया देते हैं तब RIA लाइसेंस की ज़रूरत होती है और अगर आप दर्शकों को ट्रेडिंग आईडिया देते हैं तब RA लाइसेंस की ज़रूरत होती है। हालांकि एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना संभव है जहां हर कोई ट्रेडिंग या तो RIA या RA हो, लेकिन इसे स्केल करना बहुत मुश्किल है क्योंकि RA या RIA होने के लिए रेगुलेटरी ज़रूरतें काफ़ी कठिन होते हैं। SEBI के हाल का सर्कुलर भी RIAs या RA को मुफ्त ट्रायल देने से रोकता है, इसलिए भले ही RIAs या फिर RA हों, आप प्रोडक्ट को आजमाने के लिए आप फर्स्ट टाइम यूज़र को ट्रायल ऑफर नहीं कर सकते हैं। SEBI ने रिटेल के लिए ऑटोमेटेड ट्रेडिंग को बैन्ड (banned) कर दिया है। कहने का मतलब, प्लेटफार्म follower को यह अनुमति नहीं देता है की जब भी influencer ट्रेड करे, वो ट्रेड को ऑटोमेटिकली एक्सेक्यूट कर सकें — जो कॉपी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का मुख्य आकर्षण है, इसलिए “copy” ट्रेडिंग।
जबकि ऊपर बताये गए आर्टिकल निराशावादी लग सकता है, लेकिन हमें ये आईडिया पसंद हैं। रिटेल इन्वेस्टर का जो शौक है उसमे कोई तरह का समझौता ना हो, यह सुनिश्चित करने के लिए अच्छे से इसकी जांच और संतुलन के साथ इन्हें अच्छी तरह से एक्सेक्यूट करने का एक तरीका है। इस आईडिया पर काम करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए, मुझे लगता है कि MVP (मिनिमम वाइअबल प्रोडक्ट) सबसे ज़रूरी है। इसके साथ SEBI रेगुलेटरी सैंडबॉक्स के लिए अप्लाई करें और रेगुलेटरी मंजूरी प्राप्त करें। हमें यह साबित करना होगा की ऐसा करने से इन्वेस्टर और एकोसिस्टम को मदद मिलेगी। अगर आपको ज़रूरी अनुमति मिलती है, तो कृपया हमें [email protected] पर लिखें। हम इसे फंड करने के साथ-साथ मदद भी कर सकतें हैं। हम आपको ऐसे दर्शकों तक पहुंचने में मदद कर सकतें है जो आईडिया और प्रोडक्ट को जल्द वैलिडेट कर सकते हैं।
चियर्स,