16.1 – इतिहास और पृष्ठभूमि
हम इस अध्याय में नैचुरल गैस के बारे में चर्चा करेंगे, हमेशा की तरह हम इस बार भी हम पृष्ठभूमि को जानेंगे, थोड़ा इतिहास समझेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि इसको कैसे निकाला जाता है।
नैचुरल गैस अपने आप से पैदा होने वाली एक हाइड्रोकार्बन गैस का मिश्रण है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इसका काफी इस्तेमाल होता है, जैसे बिजली बनाने के लिए, चीजों को गर्म करने के लिए और खाना पकाने के लिए। इसके अलावा नैचुरल गैस का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए और प्लास्टिक उद्योग में भी होता है।
ऐसा कहा जाता है कि ईसा पूर्व 1000 BC में प्राचीन ग्रीस के माउंट पैरनासस पर्वत पर जमीन से नैचुरल गैस निकल आई और उसने आग पकड़ ली, वहां ज्वाला निकलने लगी। ग्रीक लोगों ने इस जगह को ओरेकल ऑफ डेल्फी (Oracle at Delphi) का नाम दिया और वहां पर एक मंदिर बना दिया। अगर आपको आश्चर्य हो रहा है कि जमीन से नैचुरल गैस खुद अपने आप कैसे निकल आई तो नीचे के चित्र में देखिए जहां पर गैस अपने आप निकली है और उसमें आग लगी हुई है।
चीन में लोगों को ईसा पूर्व करीब 500 BC में नैचुरल गैस मिली। उन लोगों ने इसका बेहतर इस्तेमाल किया। चीन के लोगों ने बांस को एक पाइपलाइन की तरह इस्तेमाल किया। वो बांस के जरिए गैस को दूसरी जगह तक ले गए जहां पर उससे समुद्र के पानी को उबाला जाता था और उसे पीने लायक बनाया जाता था।
नैचुरल गैस का व्यवसायिक तौर पर पहला इस्तेमाल ग्रेट ब्रिटेन में 1785 के आसपास हुआ। ब्रिटेन में नैचुरल गैस का इस्तेमाल करके सड़कों और घरों को रौशन किया जाता था।
अब तक आपको समझ में आ गया होगा कि नैचुरल गैस जमीन के नीचे होती है। अब सवाल ये है कि नैचुरल गैस वहाँ क्यों और कैसे होती है।
अब से लाखों साल पहले जब पेड़ पौधे और जानवरों के मृत्यु के बाद जमीन में दबते गए, तो वक्त के साथ ये लगातार नीचे जाते गए। उनके जीवाश्म से ही कोयला, तेल और नैचुरल गैस जैसी चीजें बनी। इस पूरी प्रक्रिया में लाखों साल लग गए। कुछ स्थानों पर नैचुरल गैस जमीन की दरारों के जरिए नीचे से निकल आई जबकि दूसरी कुछ जगहों पर यह छेद वाले पत्थरों के जरिए बाहर आ गई। अपने प्राकृतिक रूप में नैचुरल गैस में ना कोई रंग होता है, ना कोई गंध होती है और ना ही इसका कोई स्वाद होता है। यह अपने आप में यह एक खतरनाक स्थिति है – कल्पना कीजिए कि नैचुरल गैस कहीं से लीक हो और फैलने लगे और किसी को भी इसका पता ना चले कि वहां के वातावरण में नैचुरल गैस फैल रही है, यह काफी खतरनाक स्थिति हो सकती है। इसीलिए नैचुरल गैस का उत्पादन करने वाले लोगों ने इसमें मरकैप्टन (Mercaptan) नाम का एक पदार्थ मिलाया जिसकी वजह से नैचुरल गैस में एक तीखी गंध आने लगी और इसके लीक होने पर इसकी पहचान करना आसान हो गया।
नैचुरल गैस की तलाश लगभग वैसे ही की जाती है जैसे कच्चे तेल की तलाश की जाती है। जियोलॉजिस्ट यानी भूगर्भ वैज्ञानिक उन जगहों का पता लगाते हैं जहां पर नैचुरल गैस हो सकती है। कई बार यह जगह जमीन पर होती है और कभी-कभी समुद्र में गहरे पानी के बीच में भी हो सकती हैं। वैज्ञानिक इसके बाद एक सीस्मिक सर्वे (seismic survey) करते हैं जिससे यह पता चलता है कि किस जगह पर खुदाई करके नैचुरल गैस निकालने की संभावना सबसे ज्यादा है। अगर किसी जगह यह संभावना दिखती है तो वहां पर पहले एक छोटा सा कुआं खोदकर इसकी जांच और गहराई से की जाती है। अगर उसके बाद यह लगा कि इस जगह नैचुरल गैस को निकालने से आर्थिक तौर पर फायदा हो सकता है तो फिर वहां पर ज्यादा खुदाई करके नैचुरल गैस निकालने का काम किया जाता है।
भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा नैचुरल गैस का उत्पादक है। पूरी दुनिया के कुल उत्पादन का 2.5% नैचुरल गैस भारत से निकलता है। भारत में पैदा होने वाले नैचुरल गैस का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए, उद्योगों के ईंधन के तौर पर और एलपीजी (LPG) के तौर पर होता है। नैचुरल गैस उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा खाद उद्योग में कच्चे माल के तौर पर काम भी आता है।
नैचुरल गैस के उत्पादन और इस्तेमाल पर ये चर्चा काफी लंबी चल सकती है लेकिन हम नैचुरल गैस में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करना चाहते हैं इसलिए इससे अधिक चर्चा की जरूरत शायद नहीं है।
आगे हम नैचुरल गैस के कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बात करेंगे। लेकिन नैचुरल गैस पर कोई भी चर्चा तब तक अधूरी है जब तक हम अमरंथ नैचुरल गैस गैंबल (Amarant Natural Gas gamble) के बारे में चर्चा ना करें।
16.2 – अमरंथ नैचुरल गैस गैंबल
सन 2000 में अमेरिका में एक हेज फंड की शुरुआत की गई जिसका नाम था अमरंथ एडवाइजर्स। यह फंड अमेरिका के कनेटिकट (Connecticut) में ग्रीनविच नाम की जगह से चलता था। यह फंड बहुत सारे काम करता था और हेज फंड रणनीति बनाता था जैसे कन्वर्टिबल बॉन्ड, मर्जर आर्बिट्राज, लेवरेज्ड ऐसेट्स और एनर्जी ट्रेडिंग। सन 2006 के मध्य में यह कंपनी करीब 9 बिलियन डॉलर की हो चुकी थी। इसमें कंपनी का वह मुनाफा भी शामिल था जो वापस इस फंड में डाल दिया गया था। इस तरह से अमरंथ अमेरिका के सबसे बड़े हेज फंड में से एक बन चुका था।
अमरंथ के एनर्जी ट्रेडिंग डेस्क में कामकाज तब बढ़ा जब उन्होंने ब्रायन हंटर नाम के एक बहुत जाने-माने ट्रेडर को अपने यहां काम पर रखा। हंटर को इसके पहले काफी लोकप्रियता मिल चुकी थी जब वो डॉयशे बैंक (Deutsche Bank) में नैचुरल गैस के लिए एनर्जी ट्रेडिंग की रणनीति बनाता था। ऐसा माना जाता है कि वहां पर उसे कई मिलियन डॉलर का वार्षिक बोनस मिलता था। उसने जब अमरंथ के एनर्जी डेस्क के मुखिया के तौर पर काम करना शुरू किया तो भी उसकी सफलता जारी रही। यहां आ कर भी उसने नैचुरल गैस में ही ट्रेडिंग करना जारी रखा। हंटर की वजह से अमरंथ को काफी मुनाफा हुआ, सन 2006 के अप्रैल तक अमरंथ को करीब 2 बिलियन डॉलर का मुनाफा हो चुका था। अमरंथ के ग्राहक और वहां का मैनेजमेंट हंटर के ट्रेडिंग के तरीकों से काफी खुश था।
यहां पर मैं यह बता दूं कि भले ही नैचुरल गैस एक अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी है, लेकिन इसमें खेल करना काफी आसान है। कोई भी ठीक-ठाक से आकार वाला हेज फंड आसानी के साथ कुछ हजार कॉन्ट्रैक्ट की पोजीशन ले सकता है और बाजार पर कब्जा कर सकता है। अमरंथ तब तक नैचुरल गैस के बाजार में काम करने वाले दुनिया के सबसे बड़े हेज फंड में से एक बन गया था।
खैर, 6 अप्रैल 2006 के बाद जो हुआ उस पर नजर डालते हैं-
- हंटर को दिखा कि अमेरिका में नैचुरल गैस की जरूरत से ज्यादा इन्वेंटरी है जिसकी वजह से नैचुरल गैस की कीमतें अमेरिका में नीचे जा सकती हैं।
- नैचुरल गैस की इन्वेंटरी को कच्चे तेल के इन्वेंटरी की तरह सप्लाई डिमांड के बीच के अंतर को भरने के लिए आसानी से एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंचाया जा सकता।
- हंटर को यह भी उम्मीद थी कि अमेरिका में आने वाली सर्दियां काफी भारी होंगी (या फिर एक चक्रवात आएगा) जिसकी वजह से इसकी सप्लाई पर असर पड़ेगा और नैचुरल गैस की कीमतें ऊपर जाएंगी।
- ऐसा माना जाता है कि जब 2005 में अमेरिका में कैटरीना और रीटा नाम के चक्रवात आए थे तो हंटर ने काफी मुनाफा कमाया था।
- इन स्थितियों का फायदा उठाने के लिए हंटर ने एक रणनीति बनाई। इसके लिए उसने कई तरह के कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल किया। यह एक बहुत ही ज्यादा लेवरेज वाली सट्टा पोजीशन थी।
- लेकिन हंटर और अमरंथ की योजना के मुताबिक कुछ नहीं हुआ, चक्रवात आने की संभावना कम हो गई और नैचुरल गैस की सप्लाई बढ़ गई।
- ऐसे में नैचुरल गैस के बुल्स ने अपनी पोजीशन छोड़नी शुरू कर दी और नैचुरल गैस की कीमत नीचे गिर गई। इसकी कीमत ने 5.5 डॉलर के मनोवैज्ञानिक सपोर्ट को भी तोड़ दिया।
- इसके बाद बाजार में जोरदार बिकवाली आई और नैचुरल गैस की कीमत एक ही दिन में 20% नीचे गिर गई।
- अमरंथ को काफी नुकसान उठाना पड़ा लेकिन हंटर को अभी भी भरोसा था और बाजार में उसकी इज्जत अभी भी थी। ऐसे में, अमरंथ ने बाजार से पैसे उधार पर लिए और अपनी पोजीशन को दोगुना कर दिया।
- उनकी लेवरेज एक के मुकाबले आठ तक पहुंच गई, मतलब अगर उनकी पूंजी का $1 लगा था तो उसके सामने उन्होंने बाजार $8 की उधार ली हुई पूंजी लगा रखी थी।
- लेकिन इसके बावजूद नैचुरल गैस की कीमतों में गिरावट रुकी नहीं, गिरावट चलती रही और इस वजह से अमरंथ में भी गिरावट आई।
- अंत में अमरंथ को अपनी पोजीशन को छोड़ना पड़ा और 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा जो इतिहास में किसी भी हेज फंड के सबसे बड़े नुकसान में से एक था।
अमरंथ की इस कहानी से जो सबसे बड़ी सीख मिलती है वह फिर से वही है कि रिस्क मैनेजमेंट कितना महत्वपूर्ण है। रिस्क मैनेजमेंट आपके ट्रेडिंग के हर फैसले से बहुत ज्यादा जरूरी होता है और उन सब से ऊपर होता है।
रिस्क की इज्जत कीजिए और रिस्क आप की इज्जत करेगा। अगर आपने उसकी इज्जत नहीं की तो यह आपके लिए नुकसानदायक होगा।
इसी वजह से हम अगला मॉड्यूल रिस्क और उससे जुड़े ट्रेडिंग पर करेंगे।
अब नैचुरल गैस के कॉन्ट्रैक्ट पर नजर डालते हैं
16.3 – कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी जानकारी
अब नैचुरल गैस के कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी जानकारियों पर एक नजर डालते हैं।
कीमत -प्राइस कोट (Price Quote) – रूपया प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट –Rupee per Million British Thermal Unit (mmBtu)
लॉट साइज – 1250 mmBtu
टिक साइज – ₹ 0.10
प्रति टिक P&L – ₹125
एक्सपायरी – महीने की 25 तारीख
डिलीवरी यूनिट – 10,000 mmBtu
फरवरी 2017 में एक्सपायर हो रहे नैचुरल गैस के कॉन्ट्रैक्ट के कोट (Quote) पर नजर डालते हैं
यहां पर कीमत ₹ 217.3 प्रति mmBtu दिख रही है। इसलिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू होगी –
लॉट साइज * कीमत
= 1250 * 217.3
= Rs.271,625/-
NRML ट्रेड की मार्जिन को नीचे दिखाया गया है –
जैसा कि आप देख सकते हैं कि NRML ट्रेड (ओवरनाइट पोजीशन) के लिए मार्जिन 40,644 रुपये है, यानी NRML ट्रेड का मार्जिन करीब 15% है (शायद बाजार में सबसे अधिक) जबकि MIS मार्जिन 20,322 रुपया है यानी MIS पोजीशन का करीब 7 %
कॉन्ट्रैक्ट जारी करने और एक्सपायरी के तर्क सीधे-सादे हैं, नीचे के टेबल को देखिए
हर चौथे महीने एक नया कॉन्ट्रैक्ट जारी किया जाता है उदाहरण के तौर पर जनवरी 2017 का कॉन्ट्रैक्ट अक्टूबर 2016 में जारी हुआ था और यह 25 जनवरी 2017 को एक्सपायर होगा।
यहां पर एक और बात जो आपको गौर करनी चाहिए वह यह है कि भले ही नैचुरल गैस एक अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी है पर भारत में इसकी स्पॉट कीमत घरेलू बाजार में इसकी डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है। लेकिन MCX पर इसका फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट लगभग वैसे ही काम करता है जैसे NYMEX पर लिस्ट किया हुआ नैचुरल गैस का कॉन्ट्रैक्ट।
इस चित्र में आपको नैचुरल गैस का MCX का कॉन्ट्रैक्ट NYMEX के कॉन्ट्रैक्ट के साथ दिखाई दे रहा है, आप देख सकते हैं कि दोनों फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक तरीके से चलते हैं। NYMEX पर नैचुरल गैस की कीमतों पर जिन चीजों का असर पड़ता है, उन्हीं चीजों का असर MCX नैचुरल गैस फ्यूचर पर भी पड़ता है।
- नैचुरल गैस का इन्वेंटरी डाटा/डेटा – इन्वेंटरी में बढ़त से कीमत नीचे जाती हैं जबकि इन्वेंटरी कम होने पर फ्यूचर की कीमत ऊपर जाती है।
- अमेरिका में मौसम की स्थिति- नैचुरल गैस का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है इसलिए अमेरिकी मौसम की स्थिति बहुत ज्यादा मायने रखती है। अमेरिका में कड़ाके की सर्दी पड़ने पर नैचुरल गैस की खपत बढ़ जाती है क्योंकि लोग नैचुरल गैस को अपने घर को गर्म रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से इन्वेंटरी काफी तेजी से कम होती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।
- अमेरिका में चक्रवात- चक्रवात से मौसम पर तो असर पड़ता ही है यह नैचुरल गैस इन्वेंटरी पर भी असर डालता है। इसीलिए अगर आप किसी चक्रवात को अमेरिकी तट की ओर बढ़ते देखें तो नैचुरल गैस पर लॉन्ग जाने की सोचें, नहीं तो कम से कम नैचुरल गैस के कॉन्ट्रैक्ट को शार्ट तो ना ही करें।
- कच्चे तेल की कीमत- नैचुरल गैस ना सिर्फ एक ज्यादा साफ सुथरा इंधन है बल्कि यह कच्चे तेल के मुकाबले सस्ता भी है। ऐतिहासिक तौर पर यह दोनों कॉन्ट्रैक्ट एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। वैसे पिछले कुछ समय में यह साथ-साथ नहीं चल रहे हैं। आप यहां इसे देख सकते हैं। Check this!
अगली बार जब आप नैचुरल गैस में ट्रेड करें तो देख लें कि अमेरिका में मौसम कैसा है।
इसके साथ ही नैचुरल गैस का ये अध्याय खत्म होता है। और साथ ही करेंसी और कमोडिटी पर हमारा मॉड्यूल भी।
इस अध्याय की मुख्य बातें
- नैचुरल गैस प्रकृति में अपने आप बनती और मिलती है, यह जमीन के नीचे मिलती है।
- नैचुरल गैस का इस्तेमाल प्राचीन काल से हो रहा है।
- नैचुरल गैस का मुख्य इस्तेमाल बिजली बनाने, गर्म करने और खाना पकाने के लिए होता है।
- भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा नैचुरल गैस उत्पादक है।
- नैचुरल गैस का लॉट साइज 1250 mmBtu है इसका प्राइस कोट 100 mmBtu का है।
- नैचुरल गैस प्रति टिक P&L – ₹125 प्रति टिक है।
- MCX पर नैचुरल गैस के फ्यूचर की कीमत और NYMEX पर नैचुरल गैस के फ्यूचर की कीमत एक जैसे ही चलती है।
thanks for giving new knowledge
You’re welcome, Happy learning 🙂
Sarif aadmi Ko bhee aadmi Ko bhee padhna padhta hai
Mai padhte padhte takla Ho Gaya hu
What will happen if dont square off naturalgas future position on expiry date
Then upon expiry, it will be settled by your broker.
Thankyou sir, could you also tell me the time till I can hold my future position on expiry day in zerodha
You can hold it till market close 🙂