7.1 – इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म 

टैक्स से जुड़ा अंतिम कदम है आपका इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना और इसके लिए आपको आइटीआर (ITR) फॉर्म की जरूरत पड़ती है। एक निवेशक या ट्रेडर के तौर पर ITR से जुड़ी जिन महत्वपूर्ण बातों को आपको जानना चाहिए, उनके बारे में हमने नीचे संक्षेप में बताया है। 

मैंने जब भी लोगों से बात की है तो मुझे एक बात समझ में आई है कि लोग अक्सर इनकम टैक्स देने और इनकम टैक्स फाइल करने का अंतर नहीं समझ पाते। कई लोगों को ऐसा लगता है कि अगर वो इनकम टैक्स देते हैं तो इनकम टैक्स फाइल करना जरूरी नहीं होता। यह सच नहीं है, मैं समझाता हूं क्यों।

इनकम टैक्स देना – अगर आप नौकरी करते हैं और आपको वेतन मिलता है तो आपको पता है कि आपको नौकरी देने वाला आपकी तरफ से आपका टैक्स (आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से) काटता है और इनकम टैक्स अदा भी करता है। आमतौर पर इसे टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (Tax Deducted at Source) यानी TDS – टीडीएस कहते हैं। लेकिन अगर आपके वेतन के अलावा भी आपकी कमाई का कोई स्त्रोत या ज़रिया हो तो?

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि किसी साल वेतन के अलावा आप शेयर में डिलीवरी वाले ट्रेड करके भी कमाई करते हैं। आप जानते हैं कि इस तरह की कमाई गैर सट्टा व्यवसाय आमदनी मानी जाती है। क्योंकि आपको नौकरी देने वाला आपकी इस कमाई के बारे में नहीं जानता इसलिए यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपनी आमदनी के इस स्त्रोत के बारे में इनकम टैक्स विभाग को बताएं और उस पर सही टैक्स अदा करें। 

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना – इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना वह जरूरी तरीका है जिसके जरिए आप इनकम टैक्स विभाग को अपने वेतन समेत अपनी आमदनी के सभी स्रोतों के बारे में बताते हैं। इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म यानी ITR एक ऐसा फॉर्म है जिसे भर कर आप अपने आमदनी के सभी स्रोतों को डिक्लेअर करते हैं या बताते हैं। अलग-अलग तरीके के आमदनी के स्त्रोतों के लिए अलग-अलग तरह के ITR फॉर्म होते हैं। आप सोच सकते हैं कि अगर मुझे वेतन के अलावा और कोई आमदनी नहीं होती तो मुझे रिटर्न फाइल करने की क्या जरूरत है। ऐसा करना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि इस तरह से आप आधिकारिक तौर पर इनकम टैक्स विभाग को यह बता रहे होते हैं कि वेतन के अलावा आपके पास आमदनी का कोई दूसरा जरिया नहीं है। 

तो वास्तव में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर के आप आधिकारिक तौर पर अपनी आमदनी के स्रोतों के बारे में इनकम टैक्स विभाग को सूचित करते हैं साथ ही, यह भी बताते हैं कि आपने इस आमदनी पर टैक्स दिया हुआ है। इसके लिए आपको सही ITR फॉर्म भरना होता है।

औपचारिक तौर पर, ITR फॉर्म एक ऐसा निर्धारित फॉर्म होता है जिसके जरिए कोई व्यक्ति इनकम टैक्स विभाग को किसी वित्त वर्ष में अपनी आमदनी और उस पर दिए गए टैक्स के बारे में सूचना देता है। ITR फॉर्म कई तरह के होते हैं और हर इंसान को आमदनी के स्त्रोतों के हिसाब से सही फॉर्म चुनना होता है। सही ITR फॉर्म आप  https://incometaxindiaefiling.gov.in/ से डाउनलोड कर सकते हैं 

7.2 – अलग-अलग ITR फॉर्म और उनका इस्तेमाल 

इस मॉड्यूल में हम उन लोगों की चर्चा कर रहे हैं जो अपने निवेश के जरिए कैपिटल गेन करते हैं या फिर ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम के तौर पर दिखाते हैं, ऐसे लोगों के लिए कुछ महत्वपूर्ण ITR फॉर्म हैं- 

ITR 1 – जब आपकी आमदनी सिर्फ वेतन, इंटरेस्ट इनकम यानी ब्याज से, एक मकान के किराए से यानी रेंटल इनकम से होती है तो  आप ITR -1 फॉर्म का इस्तेमाल कर के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं (कुल आमदनी 50 लाख तक) । यह सबसे सीधा और सरल ITR फॉर्म है। लेकिन अगर आपको कैपिटल गेन हो रहा है या आप ट्रेडिंग को बिजनेस दिखा रहे हैं तो आप इस ITR फॉर्म के जरिए रिटर्न नहीं फाइल कर सकते। 

ITR 2 – ऐसे व्यक्ति या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) यानी हिंदू अविभाजित परिवार, जो कि कोई बिजनेस नहीं कर रहे हैं और जिनकी आमदनी वेतन, इंटरेस्ट (ब्याज) इनकम या घर के किराए से होती है या फिर उनको कैपिटल गेन होता है तो वो ITR 2 का इस्तेमाल कर सकते हैं। तो अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जो बाजार में सिर्फ इनवेस्ट करता है (याद रखिए इन्वेस्टर इसको सिर्फ कैपिटल गेन होता है) तो आप ITR 2 का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ITR 3 –(सन 2017 से ITR 4 को ITR 3 का नाम दे दिया गया है) – जब आपको वेतन मिलता है ब्याज से आमदनी होती है घर के किराए से आमदनी होती है, कैपिटल गेन से आमदनी होती है और आपको किसी बिजनेस या ऑपरेशन से भी आमदनी होती है तो आप ITR 3 का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसने ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम के तौर पर दिखाया है तो आप ITR 3 का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप अगर एक इन्वेस्टर और ट्रेडर दोनों हैं तो आप ITR 3 में अपने ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम के तौर पर और इन्वेस्टमेंट को कैपिटल गेन के तौर पर दिखा सकते हैं। 

ITR 4 (पहले ITR 4S) – यह फॉर्म ITR 3 की तरह ही होता है बस इसमें सेक्शन 44 AD सेक्शन 44 AE के तहत बिजनेस इनकम की अनुमानित गणना की जाती है। ITR 4S का इस्तेमाल कैपिटल गेन के लिए नहीं किया जा सकता, अगर आप अपने घाटे को कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हैं तो भी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। तो आप ITR 4S का इस्तेमाल बिजनेस इनकम (सट्टा या गैर सट्टा) के लिए कर सकते हैं, लेकिन अगर आप इस फॉर्म का इस्तेमाल अपनी टैक्स देनदारी घटाने के लिए कर रहे हैं तो इसके इस्तेमाल से आपको बचना चाहिए।

7.3 – ITR 4 को समझें (2017 तक ITR 4S)

ITR 4 को इस्तेमाल करने का फायदा ये है कि इसका इस्तेमाल ऐसे कर दाता (टैक्स पेयर) कर सकते हैं जिनका का टर्नओवर दो करोड़ से कम हो और जो कि अपने अकाउंट या बही खाता नहीं रखते या जो नहीं चाहते कि उनके बही खातों का ऑडिट हो । 

आप अपना बही खाता रखने या उसका ऑडिट कराने से बच सकते हैं अगर आपने सेक्शन 44AD के आधार पर अपने टर्नओवर की गणना पहले से ही कर ली है और अपने अनुमानित टर्नओवर के 6% को अपना मुनाफा घोषित कर दिया हो। इसके बाद आपको अपनी बाकी की आमदनी में अपने टर्नओवर के 6% को अपनी ट्रेडिंग की आमदनी के तौर पर और जोड़ना है और फिर उस रकम पर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है। 

तो, अगर आप ऐसे ट्रेडर हैं जिसका साल का टर्नओवर दो करोड़ से कम (FY 15/16 तक ये सीमा 1 करोड़ थी) है और मुनाफा भी टर्नओवर के 6% से कम है और जिसकी सिर्फ बिजनेस इनकम है (कैपिटल गेन वालों के लिए यह संभव नहीं है) तो आप अपनी अनुमानित आमदनी टर्नओवर का 6% बता सकते हैं और खाते रखने और खातों का ऑडिट कराने से बच सकते हैं। आपको एडवांस टैक्स देने की भी जरूरत नहीं है लेकिन अगर आप ITR 4 (पहले ITR 4S) का इस्तेमाल करते हैं तो अपने बिजनेस खर्चों को डिडक्ट करने की सुविधा नहीं मिलती।

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि पिछले वित्त वर्ष के लिए मेरा वेतन ₹500,000 है और मैंने F&O में 400,000 के टर्नओवर पर 25,000 का नुकसान किया है, क्योंकि मेरा मुनाफा टर्नओवर के 6% से कम (25,000/ 400,000) है इसलिए मुझे ITR 4 का इस्तेमाल करना होगा, अपने बही खाते बनाने होंगे और उनका ऑडिट कराना होगा। इसके बदले अगर मैं ITR 4S का इस्तेमाल कर सकता हूं और 400,00 के टर्नओवर के 6% यानी 24,000 को अपनी आमदनी दिखा सकता हूं, भले ही मुझे ट्रेडिंग में नुकसान हुआ है। 

ध्यान दें कि असेसमेंट ईयर 2017-18 या वित्त वर्ष 201617 से इस प्रतिशत को 8 से घटाकर 6% किया गया है 

साल की मेरी कुल आमदनी ₹500000 (वेतन से) + ₹24000 (बिजनेस इनकम) = ₹524000  इसलिए मेरी टैक्स देनदारी होगी 

  • 0 – 250000 – कोई टैक्स नहीं
  • 250,000 से 500,000 – 5% टैक्स यानी 12,500 
  • 500000 – 524,000 – 20% टैक्स यानी 4800 
  • इस तरह कुल टैक्स : ₹12500+ ₹4800 = 17,300 

इस तरह से अपनी अनुमानित बिजनेस आमदनी 24000 दिखाकर मैं सिर्फ ₹4800 का अतिरिक्त टैक्स दे रहा हूं। यह उस से रकम से कम है अगर मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपने खाते बनवाता और अपने खातों का ऑडिट कराता और इसके लिए उसको ₹15000 देता। तो इसलिए ITR 4 का इस्तेमाल तभी फायदेमंद होता है जब आप का टर्नओवर कम हो, तब टर्नओवर के 6% को अपनी आमदनी दिखाना एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को ऑडिट की फीस देने के मुकाबले ज्यादा सस्ता पड़ता है। 

7.4 – कुछ जरूरी सवाल और उनके जवाब

आय का रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक तौर पर कैसे फाइल करें?

इनकम टैक्स विभाग ने रिटर्न ई फाइल करने के लिए अलग से एक वेबसाइट बनायी है। आप रिटर्न ई फाइल करने के लिए  www.incometaxindiaefiling.gov.in पर लॉग इन कर सकते हैं। ई फाइलिंग पर आप इनकम टैक्स विभाग का ये वीडियो भी देख सकते हैं।

क्या इनकम के रिटर्न के साथ दूसरे दस्तावेज लगाना जरूरी है?

ITR रिटर्न फॉर्म मैं किसी तरीके का अटैचमेंट नहीं लगाना होता है। चाहे आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ITR फइल कर रहे हों या फिजिकल तरीके से, ITR के साथ किसी भी तरीके का डॉक्यूमेंट (निवेश के सबूत,TDS सर्टिफिकेट आदि) लगाने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन आपको यह सारे डॉक्यूमेंट अपने पास रखने होते हैं और जब भी टैक्स अधिकारी मांगे तो आपको इन्हें दिखाना पड़ता है। ऐसा तब होता है जब आप असेसमेंट, इंक्वायरी या स्क्रूटनी के तहत बुलाए जाते हैं। 

लेकिन अगर आपका ऑडिट वाला केस है तो कुछ दस्तावेज़ देने पड़ते हैं। ऑडिट वाले मामलों में आपको बैलेंस शीट, P&L  और दूसरे दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी और ऑडिट रिपोर्ट भी साथ लगानी होती है।

पेमेंट और ई-फाइलिंग के बीच में क्या अंतर होता है?

ई-पेमेंट का मतलब होता है कि आप अपने टैक्स का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कर रहे हैं (नेट बैंकिंग या SBI क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए) 

ई-फाइलिंग का मतलब यह होता है कि आप अपने इनकम के रिटर्न को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फाइल कर रहे हैं। 

ई-पेमेंट और ई-फाइलिंग सुविधाओं का इस्तेमाल करके आप आसानी से और जल्दी से अपना टैक्स भर सकते हैं या टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। 

अगर मुझे कोई पॉजिटिव आमदनी नहीं हुई है या सिर्फ नुकसान हुआ हो, तो क्या मुझे रिटर्न फाइल करना जरूरी है?

अगर वित्त वर्ष के दौरान आपको नुकसान हुआ है और जिसे आप अगले सालों में कैरी फारवर्ड करना चाहते हैं ताकि बाद में अपनी आमदनी के सामने के सामने उसे दिखा कर अपने टैक्स कम कर सकें तो आपको अपने रिटर्न को समय पर फाइल करना चाहिए। जिससे आप अपने नुकसान को क्लेम कर सकें और ये काम आपको ड्यू डेट (निर्धारित तिथि) से पहले करना होता है।

रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख यानी ड्यू डेट क्या है?

अगर ऑडिट नहीं है तो जुलाई 31 और 

अगर ऑडिट है तो सितंबर 30 

ITR 3 (2017 तक ITR 4) में नेचर ऑफ बिजनेस के सामने क्या लिखना होता है? 

ट्रेडिंग या अन्य (कोड 0204) को नेचर ऑफ बिजनेस बताया जा सकता है। 

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए, कोड 13010 वाला फाइनेंसियल इंटरमीडिएशन या इन्वेस्टमेंट एक्टिविटी ही ट्रेडिंग जैसी गतिविधियों के सबसे करीब है। 

अगर मैंने ड्यू डेट के अंदर अपना रिटर्न नहीं फाइल किया तो क्या मुझे पेनाल्टी या फाइन देना पड़ेगा? 

हां, अगर आपने ड्यू डेट के पहले रिटर्न नहीं भरा तो आपको अपने टैक्स रकम पर ब्याज (इंटरेस्ट) देना पड़ेगा। अगर आपने अब एसेसमेंट साल के अंत होने के पहले रिटर्न नहीं फाइल किया तो इंटरेस्ट के साथ-साथ आपको सेक्शन 271 के तहत ₹5000 की पेनाल्टी या दंड का भुगतान भी करना पड़ेगा। 

बैलेंस शीट पर प्रॉफिट और लॉस यानी नफानुकसान कैसे दिखाते हैं?

अपने पॉजिटिव टर्नओवर यानी मुनाफे को ग्रॉस रिसीट (gross receipt) के तौर पर दिखा सकते हैं और नेगेटिव टर्नओवर यानी घाटे को ग्रॉस सेल (gross sale) के तौर पर दिखा सकते हैं।

क्या ड्यू डेट के बाद भी रिटर्न फाइल किया जा सकता है?

जी हां आप ऐसा कर सकते हैं। ड्यू डेट के बाद फाइल किए गए रिटर्न को बिलेटेड रिटर्न (Belated Return) कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति निर्धारित तारीख तक अपनी इनकम का यानी अपनी आमदनी का रिटर्न नहीं फाइल कर पाता है तो वह बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है। बिलेटेड रिटर्न को 1 साल के अंदर या फिर असेसमेंट में से जो भी पहले हो, उसके पहले फाइल करना होता है। जैसा कि पहले बताया गया है कि बिलेटेड रिटर्न फइल करने पर इंटरेस्ट और पेनाल्टी दोनों भरना पड़ता है। 

उदाहरण के तौर पर अगर आप वित्त वर्ष 2013-14 में की गयी आमदनी का रिटर्न फाइल करना चाहते हैं तो आपको यह काम 31 मार्च 2016 से पहले करना होगा, लेकिन 31 मार्च 2016 के पहले भी रिटर्न फाइल करने पर आपको सेक्शन 271 के तहत पेनल्टी देनी पड़ सकती है।

अगर मैंने अपने ओरिजिनल रिटर्न में कोई गलती कर दी है तो क्या मैं दोबारा गलती सुधार कर रिटर्न फाइल कर सकता हूं?

हां आप ऐसा कर सकते हैं, अगर आपने अपना पहला रिटर्न ड्यू डेट के पहले या निर्धारित समय के पहले भरा है और इनकम टैक्स विभाग ने उसका एसेसमेंट (assessment) नहीं किया है तो आप ऐसा कर सकते हैं। ये माना जाता है कि ओरिजिनल यानी वास्तविक रिटर्न में गलती हुई है और यह गलती जानबूझकर नहीं की गई है, या पहले जान-बूझकर की गई किसी गलती को सुधारा नहीं जा रहा है। लेकिन बिलेटेड रिटर्न में, जो रिटर्न ड्यू डेट के बाद फाइल किया जाता है, उसमें सुधार नहीं किया जा सकता। 

रिटर्न में सुधार एसेसमेंट (assessment) वर्ष खत्म होने के 1 साल के अंदर या विभाग की तरफ से एसेसमेंट (assessment) पूरा होने के पहले ही किया जा सकता है, 

उदाहरण के तौर पर अगर वित्त वर्ष 2013 14 की आमदनी का रिटर्न (बिना ऑडिट वाले मामले) है तो उसको फाइल करने की निर्धारित तारीख 31 जुलाई 2014 है। अगर यह रिटर्न 31 जुलाई 2014 से पहले फाइल किया गया है और तो इस रिटर्न में सुधार 31 मार्च 2016 तक किया जा सकता है (अगर तब तक विभाग ने असेसमेंट पूरा नहीं किया है) लेकिन 31 जुलाई 2014 के बाद फाइल किया गया रिटर्न यानी कि बिलेटेड रिटर्न में कोई सुधार नहीं किया जा सकता। 

वास्तव में ITR फॉर्म एक तरीके का माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल शीट होता है, जहां पर आप जरूरी जानकारी भरते हैं और उसके हिसाब से गणना अपने आप हो जाती है।

यहां पर हमने ITR -4 फॉर्म को अटैच किया है, जिसमें हर तरीके की आमदनी यानी वेतन, कैपिटल गेन, ट्रेडिंग, रेंटल यानी किराए की आमदनी की जानकारी है। अगर आप अपना रिटर्न खुद से फाइल करना चाहते हैं तो आप इस फॉर्म को देखकर सीख सकते हैं और उसी आधार पर अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं। यह फॉर्म वित्त वर्ष 1314 यानी एसेसमेंट ईयर 14-15 का फॉर्म है।

http://zerodha.com/varsity/wp-content/uploads/2015/06/M7C6_Excel1.xlsx

http://zerodha.com/varsity/wp-content/uploads/2015/07/2016_ITR4_PR2.xls

http://zerodha.com/varsity/wp-content/uploads/2015/07/Computation.xlsx

https://tradingqna.com/t/sample-itr3-forms-for-fy18-19/59689

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. अपने टैक्स का भुगतान करना टैक्स पेमेंट कहलाता है, जिसको आप e-payment के जरिए कर सकते हैं। 
  2. अपनी अलग-अलग तरीके की आमदनी के बारे में इनकम टैक्स विभाग को जानकारी देना और उस पर अदा किए गए टैक्स की जानकारी देने को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना कहा जाता है। 
  3. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी होता है भले ही आपने अपना टैक्स पहले ही दे दिया हो।  
  4. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए एक ITR फॉर्म का इस्तेमाल करना होता है। 
  5. अलग-अलग तरीके की आमदनी के लिए अलग अलग तरीके के ITR होते हैं।
  6. अनुमानित बिजनेस आमदनी के लिए ITR 4S का इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल करके आप अपने खर्चे कम कर सकते हैं (टैक्स Vs ऑडिट की फीस)।



13 comments

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  1. Ankit says:

    मैं जानना चाहता हूँ कि वित्तीय वर्ष 2019-20 मैं मेरा option buying se approx 450000 है but मेरा टोटल gain 250000 से कम है तो क्या मुझे ITR file karnaa mandatory hai

    • Kulsum Khan says:

      जी हाँ नए टैक्स रूल के हिसाब से आपको फाइल करना पड़ेगा ।

  2. Ankit Vashishtha says:

    mere Demat account m mujhe 13000 ka short term capital loose hai orr mera intraday m 100 rs profit hai & mera option buying se 500000 lakh ka turnover hai but profit only 1000 rs. hai to & mere ek fixed deposit se 40000 per year ki income hai or mai ek student hoon to mujhe kon sa ITR form file krna hoga.
    plz reply me.

  3. Rajat tiwari says:

    Mai 2020-2021 ka ITR File nahi kar paya hu kya kiya ja sakta hai plz any suggestions

    • Kulsum Khan says:

      हमने इसको इसी अध्याय में समझाया है आप कृपया इसको पूरा पढ़ें।

  4. Shankar Kumawat says:

    सरकारी कर्मचारी जो निवेशक है उसे कौनसा ITR फॉर्म भरना चाहिए

    • Kulsum Khan says:

      हमने इसको इसी अध्याय में मेंशन किया है कृपया इसको पूरा पढ़ें।

  5. Uday says:

    Maine April 2021 se trading start ki aur mai equity cash intraday and Banknifty aur nifty me option trading and currency me USDINR me option trading kar rha hu. Mujhe 18000 ka loss hua hai kya mujhe Tax ke liye return file bharni chahiye , tax audit karvani chahiye or income declaration deni chahiye income tax department ko ya nahi aur kya mai ye audit and declaration and return file fill nahi karta hu to kya mere upar koi penalty lagayi ja sakti hai. Jabki meri koi dusri jagah se income ke koi aur source nahi h. Muje kya karna chahiye income tax ke bare me mera knowledge zero hai. Aur year me kitni baar return file aur income declaration and audit ka procedure Karna padta hai aur kitni date ko karna padta hai.
    Kya mai kud mobile se audit and income declaration and return file fill kar sakta hu ya fir chartered accountant ki help lene par mujhe chartered accountant ko kya fees deni hogi . Please tell me all information.

    • Kulsum Khan says:

      टैक्स ऑडिट ज़रूरी है आप इस अध्याय को पूरा पढ़ें आपको सारिओ जानकारी मिल जाएगी।

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