F&O स्टॉक की फिजिकल डिलीवरी और उनके रिस्क
स्टॉकऑप्शन की फिजिकल डिलीवरी से कैपिटल मार्केट में सिस्टेमैटिक रिस्क आ सकता है और यह रिस्क ट्रेडर्स को है। लेकिन इससे पहले हम इस खतरे के बारे में बात करें , मैं आपको रेगुलेटरी में पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलाव के बारे में बताता हूँ ,जिसके कारण ऐसा हुआ है।
बैकग्राउंड
भारत में स्टॉक फ्यूचर्स और ऑप्शंस अक्टूबर 2019 तक कैश सेटल्ड होते थे और तब से, एक्सपायरी पर कंपलसरी फिजिकल डिलीवरी शुरू की गयी थी। इसलिए यदि आप कोई स्टॉक फ्यूचर या स्टॉक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट रखें है, जो एक्सपायरी के दिन इन-द-मनी बंद होता है, तो आपको अंडरलाइंग स्टॉक के कॉन्ट्रैक्ट की पूरी वैल्यू की डिलीवरी देने या लेने की जरुरत है। ज्यादा जानकारी के लिए आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
जबकि फिजिकल डिलीवरी अक्टूबर 2019 में शुरू की गयी थी, मैंने इसका संकेत दिया था कि फिजिकल डिलीवरी में होने वाला रिस्क अक्टूबर 2021 के आसपास शुरू हो सकता है, जब एक्सचेंजों ने CTM स्ट्राइक्स (option strikes that are expiring close to market) के लिए सर्कुलर डिस्कन्टिन्यूइंग द DNE पब्लिश (Do not एक्सरसाइज फैसिलिटी) किया था।
DNE सुविधा STT इशू के कारण Aug 2017 में इंडस्ट्री के बहुत सारे रिप्रेसेंटेशन के बाद शुरू की गयी थी। सभी स्टॉक ऑप्शंस जो इन-द- मनी एक्सपायर होते थे , उन पर पुरे कॉन्ट्रैक्ट(फिजिकल डिलीवरी ट्रेड के अनुसार) की वैल्यू के 0.125% STT चार्ज की जाती थी और यह प्रीमियम वैल्यू का 0.017% नहीं थी जो कि एक्सचेंज पर बेचने पर चार्ज होती थी। उस रेट पर , STT ऑप्शन स्ट्राइक के लिए प्रीमियम वैल्यू पर बहुत ज्यादा होती थी। ट्रेडर्स कुछ हजार के प्रीमियम के लिए CTM कॉन्ट्रैक्ट पर लाख रुपयों की STT दे रहे थे। ज्यादा जानकारी के लिए आप इस पोस्ट को देख सकते हैं। DNE सुविधा ने ब्रोकर्स को कस्टमर्स की ओर से ऑप्शन स्ट्राइक को एक्सरसाइज नहीं करने की अनुमति दी, जहां STT चार्ज इन द मनी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में बंद होने वाले प्रीमियम प्राइस से ज्यादा था।
DNE को अक्टूबर 2021 में हटा दिया गया था क्योंकि STT का खतरा ख़त्म हो गया था। अगस्त 2019 में , STT एक्सरसाइज ऑप्शन के लिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के 0.125% से कम कर के इन्ट्रिंसिक वैल्यू का 0.125% कर दी गयी थी। इसलिए एक्सरसाइज के समय लगाई गयी STT भी प्रीमियम का काफी छोटा अमाउंट था।
लेकिन DNE सुविधा को हटाने के बाद , ज्यादा STT का रिस्क शिफ्ट होकर कस्टमर के पास डिलीवरी लेने और देने के लिए नही होने वाले फंड्स पर हो गया। जब DNE फैसिलिटी शुरू की गयी थी , स्टॉक- ऑप्शंस कैश-सेटल्ड थे तो यह ध्यान में रख के कि STT अब कोई इशू नहीं होगा , इसे हटाना सही था लेकिन DNE सुविधा को हटाने के बाद फिजिकल डिलीवरी लेने के रिस्क पर विचार नहीं किया गया।
फिजिकल डिलीवरी का रिस्क
जैसा कि मैंने पहले बताया है, यदि आप एक्सपायरी के पास कोई स्टॉक फ्यूचर्स या इन द मनी ऑप्शंस रखते या होल्ड करते हैं, तो आपको स्टॉक के पूरे कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू की डिलीवरी देना या लेना पड़ता है। लेकिन कस्टमर के पास डिलीवरी लेने के लिए पर्याप्त फंड्स या डिलीवरी देने के लिए स्टॉक नहीं होने से यह रिस्क बढ़ जाता है, फ्यूचर या शॉर्ट ऑप्शन पोजीशन रखने जैसे-जैसे हम एक्सपायरी के पास जाते हैं, जरुरी मार्जिन बढता जाता है। एक्सपायरी के आखिरी दिन फ्यूचर्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का लेटेस्ट 40% मार्जिन जरुरी है। इन द मनी लॉन्ग या बाय ऑप्शन पोजीशन के लिए, एक्सपायरी से 4 दिन पहले डिलीवरी मार्जिन दिया जाता है। इन द मनी लॉन्ग ऑप्शंस के लिए मार्जिन कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के लिए 10% से 50% तक बढ़ जाता है – एक्सपायरी के आखिरी के दो दिनों में 50%। यदि कस्टमर के पास डिलीवरी देने या लेने के लिए जरुरी फंड्स या स्टॉक नहीं है, तो ब्रोकर कॉन्ट्रैक्ट को स्क्वायर ऑफ कर देता है। यदि कस्टमर ज्यादा मार्जिन ब्लॉक होने के बाद होल्ड किया रहता है, तो यह डिलीवरी देने या लेने का इरादा दिखाता है।
लेकिन रिस्क आउट ऑफ़ द मनी ऑप्शंस से आता है जो एक्सपायरी के आखिरी दिन अचानक से इन द मनी में बदल जाता हैं। एक्सपायरी के सप्ताह में OTM ऑप्शंस के लिए ज्यादा मार्जिन ब्लॉक नहीं किया जाता है, और जब यह अचानक से इन द मनी में बदल जाता है, तो एक कस्टमर जिसके पास कम प्रीमियम का ऑप्शन है और मार्जिन नहीं है उसे बड़ी डिलीवरी पोजीशन को लेना या देना पड सकता है जिससे ट्रेडर और ब्रोकरेज फर्म का रिस्क बहुत बढ़ जाता है।
एक उदाहरण
यह दिसंबर एक्सपायरी, गुरुवार 30 दिसंबर 2021 को हुआ। हिंडाल्को के शेयर एक्सपायरी पर Rs 449.65 पर बंद हुए। इसका मतलब यह हुआ कि हिंडाल्को का 450 PE सिर्फ 35 पैसे में खत्म हो गया। इसका मतलब यह है कि हर कोई जिसने इस 450 PE को खरीदा था और इसे अपने अकाउंट में रखा था, उसे हिंडाल्को स्टॉक-हिंडाल्को के हर एक लॉट के लिए 1075 शेयर देने करने की जरुरत थी।
30 दिसंबर को हिंडाल्को के शेयरों के साथ ऐसा हुआ था:
Hindalco on Dec 30th
एक्सपायरी के दिन और उससे कुछ दिन पहले ज्यादातर समय स्टॉक Rs 450 से ऊपर था। क्योंकि यह आउट-ऑफ़-द-मनी था, इसमें ऊपर से कोई मार्जिन नहीं लगाया गया, और इस स्ट्राइक को रखने वाले सभी लोगों ने यह सोचा होगा कि यह आउट-ऑफ़-द-मनी एक्सपायर हो जाएगा।जिन्होंने भी इस ऑप्शन को रखा या होल्ड किया होगा उन्होंने इस ट्रेड को नुकसान माना और सोचा कि ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम का नुकसान होगा।
इसलिए दोपहर के 3 बजे, जब हिंडाल्को के शेयर का प्राइस 450 से नीचे चला गया , तो मार्केटडेप्थ(marketdepth ) ऐसा दिखा होगा । जिसके कारण लोगों को लगा कि यह ऑप्शन इन द मनी बंद होगा उन्होंने बेचने की कोशिश की होगी लेकिन बिना बायर के वह Rs 0.05 पर भी नहीं बेच पायेगा जबकि जब स्ट्राइक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू Rs 0.35 है ।
Hindalco marketdepth
लॉन्ग पुट रखने वाले सभी कस्टमर्स को हिंडाल्को के शेयर की डिलीवरी देने के लिए मजबूर किया गया । हिंडाल्को का 1 लॉट = 1075 शेयर्स = ~ Rs 5 लाख का कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू । जिन कस्टमर ने कुछ हज़ार रुपये के साथ पुट ऑप्शंस खरीदे थे, उन्हें हिंडाल्को के बहुत सारे शेयर्स देने की जरुरत थी। डिलीवरी नहीं देने का मतलब है कि यह ट्रेड शॉर्ट डिलीवरी में बदल जायेगा । शार्ट डिलीवरी होने से ऑक्शन होगा और उसकी पेनल्टी लगेगी। इसके अलावा एक्सपायरी के दिन से ऑक्शन दिन तक हिंडाल्को के शेयर का प्राइस बढ़ने से नुकसान होगा । हिंडाल्को का स्टॉक शुक्रवार को पहले ही 5% ऊपर था,और ऑक्शन T+3 दिनों या मंगलवार को होता है, और यह मानते हुए कि स्टॉक का प्राइस ऊपर नहीं जायेगा , Rs 0.35 के प्रीमियम के लिए यह अभी भी Rs 25 (हिंडाल्को का 5%) का नुकसान है ।
यदि यह पुट न होकर कॉल होता, तो इसमें शार्ट डिलीवरी का रिस्क नहीं होता लेकिन फिर भी मार्केट रिस्क होगा जो कि कस्टमर को एक्सपायरी के दिन से शेयर बेचने वाले दिन तक लेना होगा । लेकिन बाय डिलीवरी (बाय फ्यूचर्स, बाय कॉल्स, शॉर्ट पुट) के मामले में, स्टॉक को अगले दिन ही बेचा जा सकता है और इसलिए 3 दिनों के लिए मार्के टू मार्केट रिस्क नहीं है। F&O पोजीशन जिसके कारण शार्ट डिलीवरी होती है उसमे रिस्क कहीं ज्यादा होता है (शॉर्ट फ्यूचर्स, सेल कॉल, बाय पुट)।
फ्यूचर्स, शॉर्ट ऑप्शंस और ITM ऑप्शन खरीदने पर भी रिस्क होता है। लेकिन इन पर जो मार्जिन ब्लॉक की जाती हैं वह ऑप्शन के एक्सपायरी के पास जाने पर भी पर्याप्त होती है , एक कस्टमर जो किसी पोजीशन को होल्ड करने के लिए अपनी मर्ज़ी से ज्यादा मार्जिन दे रहा होता है या नहीं देने पर पोजीशन स्क्वायर ऑफ कर दी जाती है। लेकिन OTM ऑप्शंस के लिए कोई ज्यादा मार्जिन का प्रावधान नहीं है और क्योंकि ज्यादातर ऑप्शन बायर सोचते हैं कि जब वे ऑप्शन खरीदते हैं तो वे ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम के बराबर पैसे खो सकते हैं और कुछ नहीं करना होता है, लेकिन यहाँ पूरे इकोसिस्टम के लिए रिस्क बढ़ जाता है। आप Tradingqna के कमेंट देख सकते है।
ट्रेडर्स के लिए रिस्क के अलावा, यह एक सिस्टेमेटिक इशू हो सकता है क्योंकि यदि किसी कस्टमर का अकाउंट डेबिट में जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी ब्रोकर की है। किसी ब्रोकर के बहुत सारे ट्रेडर्स या कस्टमर्स के बड़े ग्रुप ज्यादा डेबिट में आकर एक ब्रोकरेज फर्म को दिवालिया कर सकते हैं और उसके कारण, दूसरे कस्टमर्स को भी रिस्क होता है । स्टॉक का प्राइस एक्सपायरी के दिन बहुत तेजी से बढ़ सकता है, और आउट ऑफ़ द मनी ऑप्शंस अचानक से इन-द-मनी ऑप्शंस में ट्रांसफर हो सकते हैं, जिस पर एग्जिट करने के समय लिक्विडिटी नहीं होती है, जिससे ब्रोकर की रिस्क मैनेजमेंट टीम के लिए कुछ भी करना मुश्किल हो जाता है। सभी ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट का सेटलमेंट लास्ट ट्रेडेड प्राइस पर ना होकर अंडरलाइंग स्टॉक के आखिरी के 30 मिनट का एवरेज लेकर किया जाता है, ऐसा होने से यह जानना और भी मुश्किल है कि CTM ऑप्शन स्ट्राइक मार्केट बंद होने के बाद इन द मनी बंद होगा या नहीं। और जैसा मैंने पहले बताया था , रिस्क केवल ऑक्शन और शार्ट डिलीवरी का ही नहीं है, बल्कि 3 दिनों के लिए मार्क टू मार्केट रिस्क भी है ।
जो भी हो, यदि आप हिंडाल्को 450 पुट को मार्केट बंद होने के आसपास मार्केट डेप्थ पर देखते हैं , सोचिये क्या होगा यदि कोई ब्रोकरेज फर्म को नुकसान पहुंचाने के लिए कस्टमर के अकाउंट से सिर्फ Rs 100 प्रति लॉट देकर हजारों लॉट खरीदता है? सबसे पहले हिंडाल्को स्टॉक असाइन(assigned ) होने के कारण करोड़ों रुपये की मार्जिन पर होने वाला नुकसान और फिर ऑक्शन पेनल्टी और मार्क टू मार्केट नुकसान एक मध्यम आकार(mid-sized) की ब्रोकरेज फर्म को नीचे लाने के लिए काफी होगा। Zerodha और कुछ और दूसरे ब्रोकरेज फर्मों ने, इस रिस्क से बचाने के लिए एक्सपायरी से दो दिन पहले नए स्टॉक ऑप्शन पोजीशन को खरीदना ब्लॉक कर दिया है, लेकिन रिस्क मैनेजमेंट पॉलिसी सभी ब्रोकरों के लिए अलग है। लेकिन इन कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेडिंग नहीं करने देने से लिक्विडिटी की समस्या बढ़ जाती है।
ट्रेडर्स को बड़ी डिलीवरी देने या लेने के लिए मजबूर करने से बड़े ट्रेडर्स और ऑपरेटर्स स्टॉक के प्राइस को नियंत्रित कर उसका गलत उपयोग कर सकते हैं।
पोटेंशियल फिक्सेस या इसमें सुधार कैसे किया जा सकता है
DNE(Do not exercise) या एक्सरसाइज ना करने की इस सुविधा को फिर से शुरू किया गया तो कुछ लोगों ने कहा कि ऑप्शन राइटर को इससे नुकसान है, ऐसा नहीं है। ऑप्शन राइटर को उस प्रीमियम से फायदा मिलता है जब एक जस्ट इन द मनी या CTM शुन्य हो जाता है। DNE को CTM कॉन्ट्रैक्ट से आगे भी बढ़ाना एक अच्छा तरीका हो सकता है। जब तक ऑप्शन के खरीदार को लगता है कि डिलीवरी लेने या देने का कॉस्ट प्रीमियम से अधिक है, तब तक DNE को एक्सरसाइज न करने की सुविधा देना और ऑप्शन खरीदार को बड़े रिस्क और नुकसान उठाने के लिए मजबूर नहीं करना अच्छा है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकता भी है, अपने स्टॉक (अमेरिकन) और इंडेक्स (यूरोपीयन) दोनों ऑप्शन के लिए OCC (अमेरिका में ऑप्शन क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन) से इस लिंक की जांच करें – अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडर्स हमेशा निर्देश दे सकते है कि क्या करना है या नहीं एक्सरसाइज करें या न करें।
ब्रोकर एसोसिएशन ने एक्सपायरी के बाद का ट्रेडिंग सेशन रखने का अनुरोध किया है जहां सभी F&O स्टॉक्स को 1% विंडो के अंदर ट्रेड करने की अनुमति है। इस सेशन का उपयोग या तो उन सभी स्टॉक को खरीदने या बेचने के लिए किया जा सकता है, जिनके लिए इन द मनी ऑप्शन या फ्यूचर्स एक्सपायर्ड कॉन्ट्रैक्ट के कारण स्टॉक डिलीवरी असाइन की गई है।