14.1 – प्रसतीशत रिस्क
पिछले अध्याय में हमने पोजीशन साइजिंग की तीन महत्वपूर्ण तकनीकों पर नजर डाली थी। इनमें से हर तकनीक की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। ये तीन तकनीक हैं –
- यूनिट पर फिक्स्ड अमाउंट (Unit per fixed amount)
- मार्जिन का प्रतिशत या परसेंटेज मार्जिन (Percentage Margin)
- वोलैटिलिटी का प्रतिशत या परसेंटेज वोलैटिलिटी (Percentage Volatility)
यह तीनों तकनीक अलग-अलग तरीके से काम करती हैं और जब आप इन तकनीकों को इक्विटी का अनुमान लगाने की तकनीक के साथ मिलाते हैं तो ये अलग-अलग नतीजे देती हैं। इसीलिए यह पूरी तरीके से आप पर निर्भर करता है कि पोजीशन साइजिंग और इक्विटी का अनुमान लगाने की किन दो तकनीकों को आपस में मिला कर आप अपने लिए सबसे बेहतर नतीजा पा सकते हैं।
हम आगे बढ़ें, इससे पहले जरूरी है कि मैं आपको एक और महत्वपूर्ण पोजीशन साइजिंग तकनीक के बारे में जानकारी दे दूं। इसे परसेंटेज रिस्क तकनीक कहते हैं। मेरे जानने वाले बहुत सारे ट्रेडर इसका इस्तेमाल करते हैं और मैं भी इसको बहुत सीधा और आसान तकनीक मानता हूं।
परसेंटेज रिस्क मॉडल आपके इस अनुमान पर काम करता है कि किसी ट्रेड में आप कितना नुकसान सहने को तैयार हैं। जैसा कि आपको पता है कि आम भाषा में इसे स्टॉप लॉस भी कहते हैं। किसी भी ट्रेड के लिए स्टॉप लॉस वह कीमत होती है जहां पर आप अपने ट्रेड को छोड़ देते हैं और नुकसान सह लेते हैं। परसेंटेज रिस्क तकनीक में स्टॉप लॉस के द्वारा तय की गई रिस्क के आधार पर पोजीशन की साइज तय होती है।
स्टॉक फ्यूचर्स का एक उदाहरण लेते हैं और यह समझते हैं कि यह तकनीक कैसे काम करती है।
यह टाटा मोटर्स का इंट्राडे चार्ट है। यहां 15 मिनट की फ्रीक्वेंसी दिखाई गयी है (14 सितंबर 2017, करीब 11.30 बजे)
मुझे यह ट्रेड बहुत ही रोचक लगता है।
टाटा मोटर्स ₹393.65 पैसे पर है जोकि प्राइस एक्शन जोन भी है क्योंकि पिछले कुछ समय में इसने दो बार इस स्तर को छुआ है। इसी वजह से 393.65 टाटा मोटर्स के इंट्रा डे के लिए सपोर्ट कीमत भी है। पिछली दोनों बार जब टाटा मोटर्स के स्टॉक ने 393.65 का लेवल छुआ था तो तो उसके बाद स्टॉक की कीमत नीचे चली गई थी, इसलिए इस बात की काफी संभावना है कि कीमत 393.65 पर पहुंचे और प्रतिक्रिया में उछल कर उस स्तर पर जाए जहां से इसमें यह गिरावट शुरू हुई थी यानी कि ₹400।
इस बात का भी ध्यान रखिए कि 400 और 393.65 के बीच में लो वॉल्यूम रिट्रेसमेंट है। मैंने टेक्निकल एनालिसिस के मॉड्यूल में इस बात पर चर्चा की थी कि मुझे ऐसे ट्रेड क्यों पसंद आते हैं अगर आपने वह मॉड्यूल नहीं पढ़ा है तो आपको उसे पढ़ना चाहिए।
इन सब बातों को ध्यान रखते हुए एक ट्रेडर 393.65 पर टाटा मोटर्स फ्यूचर्स में लॉन्ग पोजीशन बनाना चाहेगा।
लेकिन मान लीजिए कि ट्रेड उल्टा पड़ गया तो स्टॉप लॉस क्या होगा?
मैंने ₹390 पर भी एक सपोर्ट देखा है इसलिए मैं इस स्तर पर एक स्टॉप लॉस लगाना पसंद करूंगा।
आप देख सकते हैं कि यह ट्रेड सेटअप काफी सीधा सादा है।
अब यह ट्रेड इस तरह से बनेगा-
स्टॉक – टाटा मोटर्स लिमिटेड
ट्रेड – लॉन्ग
ट्रेड कीमत – 393.65
टारगेट कीमत – कम से कम 400
टारगेट का मूल्य – 6.35
स्टॉप लॉस कीमत – 390
स्टॉप लॉस की वैल्यू – 3.65
रिवार्ड टू रिस्क – 1.7
लॉट साइज – 1500
मार्जिन – 73,500
अब मान लीजिए कि मेरे पास ₹500,000 का कैपिटल है। अब अगर टाटा मोटर्स के हर लॉट के लिए मार्जिन 73,500 है तो मैं टाटा मोटर्स के कितने लॉट खरीद सकता हूं?
तकनीकी तौर पर मैं 6.8 या 6 लॉट ले सकता हूं
500,000/73,500
=6.8
लेकिन सवाल यह है कि क्या आप अपने पूरे कैपिटल यानी पूंजी को सिर्फ एक ट्रेड पर लगा देंगे, मेरी राय में यह बहुत समझदारी वाला काम नहीं होगा। अगर यह सौदा गलत पड़ गया तो आप ₹32850 (3.65*1500*6) का नुकसान कर बैठेंगे।
दूसरे शब्दों में कहें तो आप अपनी कुल पूंजी का
32850/500,000
= 6.57% सिर्फ एक ट्रेड में गंवा देंगे
कोई भी ट्रेड सेटअप, चाहे वह कितना ही अच्छा क्यों ना हो, उस पर इतनी ज्यादा पूंजी का रिस्क लेना सही नहीं होता। आमतौर पर एक प्रोफेशनल ट्रेडर अपनी पूंजी के 1% से 3% से अधिक का रिस्क किसी एक ट्रेड पर नहीं लेता है और यही नियम या सीमा परसेंटेज रिस्क पोजीशन साइजिंग तकनीक का आधार है।
इसके आधार पर, अब हम यह तय करते हैं कि किसी ट्रेड पर अधिकतम रिस्क की हमारी सीमा (मैक्सिमम रिस्क पर ट्रेड/maximum risk per trade) क्या है ? मान लीजिए कि अभी ये 1.5% है। इसका मतलब है कि इस एक ट्रेड पर मैं जो अधिकतम नुकसान से सह सकता हूं वह है
1.5*500,000
= 7500
इसका अर्थ यह हुआ कि मैं किसी भी एक सौदे पर ₹7500 से ज्यादा का नुकसान सहने को तैयार नहीं हूं, यह मेरे नुकसान की अधिकतम सीमा है।
हमें पता है कि इस ट्रेड के लिए स्टॉप लॉस 390 का है। मेरे 393.65 की एंट्री कीमत के मुकाबले इस स्टॉप लॉस की रुपए में कीमत होगी –
393.65 – 390
= 3.65
इस तरह से हर लॉट पर नुकसान होगा –
3.65*1500
= 5475
तो, अब अगर यहां पर स्टॉप लॉस ट्रिगर होता है तो मैं ₹5475 प्रति लॉट का नुकसान उठाऊंगा।
मुझे अगर यह पता करना है कि मैं इस सौदे में कितने लॉट का रिस्क लेने को तैयार हूं, तो उसके लिए मुझे अपनी अधिकतम सीमा को हर ट्रेड पर होने वाले नुकसान से विभाजित करना होगा –
7500/5475
= 1.36
इसका मतलब हुआ कि मैं इस ट्रेड के लिए 1 लॉट खरीद सकता हूं और इसके लिए मुझे ₹73,500 का मार्जिन देना पड़ेगा।
यहां पर अच्छा ये होगा कि अगले ट्रेड के लिए कुल ब्लॉक होने वाली पूंजी को कम कर दिया जाए और साथ ही, नुकसान को सहने की अधिकतम सीमा में भी बदलाव किया जाए। आइए देखते हैं कि , नुकसान को सहने की अधिकतम सीमा क्या हो सकती है-
500,000 – 73,500
= 426,500
1.5% * 426500
= 6397.5
इसके बाद, अब मैं अगले ट्रेड का स्टॉप लॉस निकालूंगा, फिर उसको लॉट साइज से गुणा करूंगा। अब मिलने वाली संख्या को नुकसान की अधिकतम सीमा यानी 6397.5 से विभाजित करने से मुझे पता चलेगा कि मैं कितने लॉट खरीद सकता हूं।
इसी तरह आगे भी किया जा सकता है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि वो ट्रेड कैसा हुआ तो आइए देखते हैं-
मुझे इस तरह के ट्रेड पसंद है जहां पर कीमत स्टॉप लॉस के आसपास भी नहीं जाती। जैसा कि मैंने पहले कहा था कि इस ट्रेड पर मुझे बहुत भरोसा था। अब हम अपने अगले टॉपिक की तरह बढ़ते हैं, जब किसी ट्रेड को लेकर आप बहुत ज्यादा आश्वस्त हों तो ऐसे में पोजीशन साइजिंग कैसे करनी चाहिए? क्या मुझे ऐसी स्थिति में थोड़ा ज्यादा पूंजी लगानी चाहिए?
आइए बढ़ते हैं केली क्राइटेरिया की तरफ।
14.2 – केली क्राइटेरिया
केली क्राइटेरिया की कहानी काफी रोचक है। केली क्राइटेरिया को 1950 के दशक में जॉन केली ने सबके सामने प्रस्तुत किया था। जॉन केली उस समय AT&T के बेल लैबोरेट्रीज में काम करते थे। उन्होंने इस सिद्धांत को टेलीकॉम कंपनियों के लिए बनाया था, जिससे कि वो कंपनियां लंबी दूरी के टेलीफोन कॉल में आने वाली आवाजों की समस्या से बच सकें। लेकिन उनके इसी सिद्धांत को जुआ खेलने वालों ने अपना सही दांव पता करने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। जल्दी ही, यह सिद्धांत स्टॉक मार्केट में भी आ गया जहां पर बहुत सारे ट्रेडर और निवेशकों ने भी केली क्राइटेरिया का इस्तेमाल अपने अपने निवेश की रकम पता करने के लिए करना शुरू कर दिया। शायद यह अपनी तरीके की कुछ ही तकनीकों में से है जिसका इस्तेमाल ट्रेडर और इन्वेस्टर दोनों करते हैं।
केली क्राइटेरिया के जरिए हमें ये अंदाजा लगाने में मदद मिलती है कि कुल कितनी रकम (या पूंजी का कितना हिस्सा) किसी एक ट्रेड में लगाना हमारे लिए सही होगा। जब
- हमें अपने निवेश के बारे में पक्की जानकारी हो
- उस ट्रेड को लेने के लिए हम तैयार हों
अब सीधे एक उदाहरण से केली क्राइटेरिया को समझते हैं। केली क्राइटेरिया एक तरीके का समीकरण है जिसका परिणाम प्रतिशत में मिलता है। इसीलिए इसे केली प्रतिशत भी कहते हैं। यह समीकरण है –
Kelly % = W – [(1-W)/R]
जहां पर,
W = जीतने या सही होने की संभावना को बताता है
R = जीत / हार का अनुपात है
- यहां पर जीतने की संभावना का मतलब उस संख्या से है जितनी बार कुल ट्रेड में से जीत हुई है, यानी जीत वाले ट्रेड में से कुल ट्रेड को विभाजित करने पर मिलने वाली संख्या
- जीत हार का अनुपात वो संख्या है जो जीत वाले ट्रेड में होने वाली औसत कमाई को हार वाले ट्रेड में होने वाले औसत नुकसान से विभाजित करने से मिलती है
इसको अच्छे से समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं, मान लीजिए मेरे पास एक ट्रेडिंग सिस्टम है जिससे मुझे निम्नलिखित नतीजे मिल रहे हैं आसानी से समझने के लिए मान लेते हैं कि इस ट्रेडिंग सिस्टम से मुझे सिर्फ एक स्टॉक का ट्रेड मिलने वाला है और वह है टाटा मोटर्स
क्रम सं | संकेत मिलने की तारीख | नतीजा | P&L (रूपए में) |
---|---|---|---|
01 | 3rd Sept | Win/जीत | + 5,325 |
02 | 4th Sept | Win/जीत | +2,312 |
03 | 5th Sept | Win/जीत | +4,891 |
04 | 6th Sept | Loss/हार/नुकसान | – 6,897 |
05 | 11th Sept | Win/जीत | +1,763 |
06 | 12th Sept | Loss/हार/नुकसान | -3,231 |
07 | 13th Sept | Loss/हार/नुकसान | -989 |
08 | 14th Sept | Loss/हार/नुकसान | -1,980 |
09 | 15th Sept | Win/जीत | +8,675 |
10 | 18th Sept | Win/जीत | +4,231 |
ऊपर के डेटा के मुताबिक –
W = जीत वाले ट्रेड की संख्या / कुल ट्रेड की संख्या
W = Total Number of winners / Total number of trades
= 6/10
= 0.6
R = औसत कमाई / औसत नुकसान
R = Average Gain / Average Loss
औसत कमाई = [5325, 2312, 4891, 1763, 8675, 4231] का औसत
= 4,532
औसत नुकसान = [6897, 3231, 989, 1980] का औसत
=3,274
R = 4532 / 3274
= 1.384
ध्यान दीजिए कि 1 से बड़ी कोई संख्या अच्छी मानी जाएगी क्योंकि ये बताता है कि आपकी औसत कमाई आपके औसत नुकसान से अधिक है।
अब इन आंकड़ों को केली क्राइटेरिया के समीकरण में डालते हैं –
Kelly % = W – [(1-W)/R]
= 0.6 – [(1-0.6)/1.384]
=0.6 – [0.4/1.384]
= 0.31 or 31%.
अपने मूल सिद्धांत के मुताबिक केली प्रतिशत हमें बताता है कि पूंजी का कितना हिस्सा एक सौदे में लगाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर टाटा मोटर्स के 11वें ट्रेड के लिए केली क्राइटेरिया ये बता रहा है कि इस ट्रेड में कैपिटल यानी पूंजी का 31% लगाना चाहिए।
लेकिन मुझे लगता है कि यह सुझाव थोड़ा दिक्कत पैदा करने वाला है। मान लीजिए कि अगर हमारे पास ऐसा ट्रेडिंग सिस्टम है जो बहुत सही संकेत देता है, तो केली प्रतिशत यहां पर 70% भी हो सकता है। मतलब यह हमें एक ट्रेड (सौदे) में अपनी पूंजी का 70% लगाने का सुझाव दे रहा होगा। मेरे हिसाब से यह बहुत अच्छी बात नहीं है। आप पूछेंगे क्यों? अगर किसी सिस्टम 70% सही भविष्यवाणी कर रहा है तो रकम बढ़ाने में किया दिक्क्त है?
ऐसा इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि इस बात की 30% संभावना अभी भी है कि आप अपनी 70% पूंजी को गंवा बैठें।
तो इससे बचने के लिए केली क्राइटेरिया में एक बदलाव को देखते हैं। एक बार फिर वापस जाते हैं परसेंटेज रिस्क पोजीशन साइजिंग तकनीक पर, जिसके बारे में हमने पिछले अध्याय में चर्चा की थी।
परसेंटेज रिस्क तकनीक एक ऐसी तकनीक है जो हमारे ट्रेड में 1.5% (या किसी और आंकड़े का) का रिस्क लेने का अनुमति देता है। अब केली क्राइटेरिया के सुझाव के बाद हम उस 1.5% को बदलकर 5% तक या किसी भी ऐसे प्रतिशत कर सकते हैं जो कि ठीक लगता हो।
इसका मतलब ये है कि किसी एक ट्रेड में मैं 5% से अधिक पूंजी नहीं लगाउंगा। तो अब मुझे 0.1% से 5% तक पूंजी के किसी भी हिस्से पर रिस्क लेने की छूट है। लेकिन सही प्रतिशत का चुनाव कैसे करें?
यहां पर हम केली प्रतिशत का इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर केली प्रतिशत 30% है तो हम 30% का 5% हिस्सा लगाएंगे। यानी कुल पूंजी का 1.5%। अगर केली प्रतिशत 70% है तो हम पूंजी का 70% का 5% यानी 3.5% लगाएंगे।
तो केली प्रतिशत जितना अधिक होगा पूंजी उतनी ही अधिक लगेगी और कम होने पर कम।
अगर आपको केली प्रतिशत के गणित वाले हिस्से को समझना है तो आप ये वीडियो देख सकते हैं। खास कर 10वें मिनट के बाद का हिस्सा।
इसके साथ ही पोजाशन साइजिंग पर इस चर्चा को मैं यहीं खत्म करता हूं। उम्मीद है कि अब आपको पोजीशन साइजिंग करने में सहूलियत होगी।
इस अध्याय की मुख्य बातें
- परसेंटेज रिस्क तकनीक पोजीशन साइजिंग की एक आसान तकनीक है।
- इसमें रिस्क लेने की अपनी अधिकतम सीमा को तय करना होता है, इसके बाद मिली संख्या को स्टॉप लॉस से विभाजित करने पर पता चल जाता है कि एक ट्रेड में कितनी रकम लगानी चाहिए।
- केली क्राइटेरिया बताता है कि पूंजी का कितना हिस्सा एक सौदे में लगाना चाहिए।
- केली क्राइटेरिया को परसेंटेज रिस्क तकनीक के साथ मिला कर एक अच्छा परिणाम पाया जा सकता है।
Hi,
औसत नुकसान = [6897, 231, 989, 1980] का औसत
Isme 231 ki jagaha 3231 hona chahiye.
danyewad.
सूचित करने के लिए धन्यवाद हम इसको सही करदेंगे।