7.1 – याद रखें 

पिछले अध्याय के अंत में हमने डेंसिटी कर्व पर बात की थी और यह जाना था कि डेंसिटी कर्व की वैल्यू देख कर कैसे हमें पेयर ट्रेडिंग के मौके पता चल सकते हैं। इस अध्याय में हम सीखने की कोशिश करेंगे कि हम कैसे ट्रेडिंग के उन मौकों को पहचान सकें और एक वास्तविक ट्रेड कर सकें। साथ ही हम इससे जुड़ी हुई दूसरी बातें भी सीखेंगे। 

यहां पर मैं एक बार फिर से याद दिला दूं कि अभी पेयर ट्रेडिंग की जिस तकनीक पर हम चर्चा कर रहे हैं, वह ट्रेडिंग पेयर्स नाम की एक पुस्तक पर आधारित है और इसे लिखा है मार्क विसलर ने। इस तकनीक की अच्छी बात यह है कि यह काफी सीधी और सरल है। लेकिन इसकी सरलता ही मुझे पसंद नहीं आती है। इसीलिए मैंने अपने हिसाब से इस तकनीक में कुछ सुधार किया है और एक नई तकनीक बनाई है। जिस पर मैं अगले अध्याय से चर्चा शुरू करूंगा। 

शुरुआत में ही मैंने अपनी तकनीक इसलिए नहीं बताई क्योंकि मुझे लगता है कि मार्क विसलर की इस तकनीक से आपको पेयर ट्रेडिंग को समझने में आसानी होगी और उसके बाद अगर मैं जब एक कठिन तकनीक समझाऊंगा तो उसको समझना भी आपके लिए आसान हो जाएगा। मैं कोशिश करूंगा कि मैं मार्क विसलर की तकनीक पर अपनी चर्चा को इस अध्याय में समाप्त कर सकूं। जिससे मैं अगले अध्याय में नई तकनीक की शुरुआत कर सकूं। 

इसीलिए, अब इस अध्याय में मार्क विसलर की पेयर ट्रेडिंग की तकनीकी गहराइयों में जाने के बजाय सीधे इसके इस्तेमाल की तरफ बढ़ता हूं। देखते हैं कि इससे ट्रेड सेटअप कैसे किया जा सकता है।

7.2 – डेंसिटी कर्व का इस्तेमाल

डेंसिटी कर्व एक ट्रिगर की तरह काम करता है जिससे हम ट्रेड के मौके को पहचानते हैं। यहां मैं आपका ध्यान दो चीजों की तरफ दिलाना चाहता हूं।

  1. डेंसिटी कर्व को एक टाइम सीरीज डेटा के आधार पर निकाला जाता है। हमारे संदर्भ में यह टाइम सीरीज डेटा रेश्यो का है। जैसा कि आपने पिछले अध्याय में देखा था कि डेंसिटी कर्व का मुख्य इनपुट –  रेश्यो के टाइम सीरीज का डेटा, रेश्यो का मीन और रेश्यो का स्टैंडर्ड डेविएशन होता है। 
  2. डेंसिटी कर्व की वैल्यू 1 से 0 के बीच में होती है और डेंसिटी कर्व हमें रेश्यो के मीन तक वापस जाने की संभावना या प्रोबेबिलिटी (probability) को बताता है। 

हो सकता है कि कुछ लोगों को ऊपर का यह दूसरा प्वाइंट ठीक से समझ में ना आए। लेकिन मुझे पक्का विश्वास है कि आगे चलते हुए यह आपको समझ में आ जाएगा। 

अभी कुछ समय के लिए फिर से नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन पर नजर डालते हैं।  

आमतौर पर किसी भी टाइम सीरीज डेटा ((जैसे रेश्यो) का एक औसत/माध्य (यानी मीन) वैल्यू होता है। उदाहरण के तौर पर हमारे रेश्यो की टाइम सीरीज का मीन या औसत 1.87 है। (इसे हमने पिछले अध्याय में कैलकुलेट किया था)। ज्यादातर समय रेश्यो इस मीन वैल्यू या औसत के आस-पास ही रहता है। अगर रेश्यो अपने मीन वैल्यू यानी औसत से दूर चला जाता है तो आप यह उम्मीद कर सकते हैं कि रेश्यो वापस मीन की तरफ लौटेगा। 

उदाहरण के तौर पर अगर रेश्यो की मौजूदा वैल्यू 2.5 है तो आप उम्मीद कर सकते हैं कि कुछ समय बाद रेश्यो वापस 1.87 के पास पहुंचेगा। इसी तरीके से अगर रेश्यो की वैल्यू अपने मीन से काफी नीचे चली जाती है तो भी वह वापस मीन पर लौट आती है।

अब सवाल यह है कि जब रेश्यो मीन से दूर चला जाता है (जो कि करीब-करीब हर बार, हर दिन होता है) तो क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हम यह नाप सकें कि रेश्यो के मीन तक लौटने की संभावना कितनी है।

उदाहरण के तौर पर अगर रेश्यो 2.5 पर है और हम जानते हैं कि यह वापस 1.87 पर जाएगा, तो ऐसा होने की संभावना कितनी है 10%, 20% या 90% । 

डेंसिटी कर्व इसी काम में मदद करता है। डेंसिटी कर्व की वैल्यू हमें बताती है कि स्टैंडर्ड डेविएशन के हिसाब से रेश्यो मीन से कितना दूर गया है। अब अगर हमें स्टैंडर्ड डेविएशन के हिसाब से वैल्यू पता है तो साथ में उसकी प्रोबेबिलिटी या संभावना भी पता चल जाती है क्योंकि ये दोनों साथ जुड़े होते हैं। फिर, उसी के हिसाब से हम अपना ट्रेड सेटअप कर सकते हैं। 

इसे एक उदाहरण से समझते हैं 

इस डेटा को देखिए – 

नया/नवीनतम रेश्यो –  2.87 

रेश्यो का मीन – 1.87 

डेंसिटी कर्व – 0.92

इस डेटा को आप इस तरह से समझ सकते हैं – डेंसिटी कर्व के 0.92 पर होने का मतलब है कि 2.87 पर चला गया रेश्यो करीब 2nd स्टैंडर्ड डेविएशन तक चला गया है और इसीलिए इस बात की 95% संभावना है कि 2.87 से रेश्यो वापस 1.87 पर आ जाएगा। 

हमने यह निष्कर्ष कैसे निकाला कि रेश्यो के 2.87 तक जाने का मतलब है कि यह 2nd स्टैंडर्ड डेविएशन तक चला गया है? वास्तव में, इसके लिए हमने सिर्फ डेंसिटी कर्व की वैल्यू को देखा जो कि 0.92 है।

डेंसिटी कर्व की 0 से 1 के बीच की वैल्यू ही हमें स्टैंडर्ड डेविएशन का भी पता बताती है। उदाहरण के तौर पर देखिए – 

  1. डेंसिटी कर्व का 0.16 होने का मतलब है कि यह -1 स्टैंडर्ड डेविएशन पर है और यह मीन से नीचे है।
  2. डेंसिटी कर्व के 0.84 पर होने का मतलब है कि यह + 1 स्टैंडर्ड डेविएशन पर है और मीन से ऊपर है।
  3. डेंसिटी कर्व पर 0.997 होने का मतलब है कि यह 3rd स्टैंडर्ड डेविएशन पर है और मीन से ऊपर है। 

एक बार स्टैंडर्ड डेविएशन पता चल जाता है तो हमें प्रोबेबिलिटी या संभावना भी पता चल जाती है। 

आपके दिमाग में यह सवाल उठ सकता है कि हमने 0.16, 0.84, 0.997 कहां से लिया? वास्तव में ये सब स्टैंडर्ड डेविएशन की वैल्यू है। लेकिन अभी इस पर चर्चा करने का समय नहीं है, मैं आपको इसका एक टेबल बनाकर दे रहा हूं जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं – 

डेंसिटी कर्व की वैल्यू स्टैंडर्ड डेविएशन से दूरी मीन तक लौटने की संभावना/Probability
0.16 – 1 SD 65%
0.025 – 2 SD 95%
0.003 –  3 SD 99.7%
0.84 + 1 SD 65%
0.974 + 2 SD 95%
0.997 + 3 SD 99.7%

 

ऊपर के टेबल में हम जान सकते हैं कि अगर डेंसिटी कर्व 0.19 के पास है तो रेश्यो – 1 स्टैंडर्ड डेविएशन के पास है, इसलिए इसके मीन तक वापस जाने की संभावना करीब 65% है। अगर डेसिटी कर्व की वैल्यू 0.999 है तो यो – 3 स्टैंडर्ड डेविएशन के पास है और इसके मीन तक वापस लौटने की संभावना 99.7% है। 

इसी तरीके से इस टेबल का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

7.3 – पहला पेयर ट्रेड 

तो अब समय आ गया है कि हम अपने पहले पेयर ट्रेड को शुरू करें। यहां कुछ बातें याद रखनी होंगी –

  1. रेश्यो को निकालने के लिए स्टॉक A की कीमत को स्टॉक B की कीमत से विभाजित किया जाता है। हमारे उदाहरण में स्टॉक A एक्सिस बैंक है और स्टॉक B है ICICI बैंक, इसलिए रेश्यो = एक्सिस बैंक / ICICI बैंक 
  2. रेश्यो हर दिन बदलता है और यह बदलाव इसलिए आता है क्योंकि एक्सिस बैंक और ICICI बैंक के स्टॉक की कीमत बदलती रहती है 
  3. रेश्यो और डेंसिटी कर्व की वैल्यू को भी हर दिन निकालना या कैलकुलेट करना पड़ता है 

यहां पर हमारी ट्रेडिंग फिलॉसफी (Philosophy) है – 

  1. अगर दो बिजनेस एक ही तरीके से काम करते हैं और उनके बिजनेस का माहौल एक ही है, जैसे एक्सिस बैंक और ICICI बैंक, तो उनके स्टॉक कीमत एक तरह से चलती है। 
  2. बिजनेस के माहौल में होने वाला कोई भी बदलाव इन दोनों स्टॉक की कीमतों पर असर डालेगा।
  3. किसी एक कंपनी को प्रभावित करने वाली कोई घटना केवल उस कंपनी की कीमत पर असर डालेगी और उसकी कीमत की चाल में बदलाव होगा, ऐसे दिनों में स्टॉक का रेश्यो भी बदलेगा।
  4. हमें ऐसे बदलाव को ही देखना है क्योंकि उससे ही ट्रेडिंग के सही मौके निकलते हैं। 

तो, यहां पर दिख रहा है कि पेयर ट्रेडर हमेशा रेश्यो और उससे जुड़े डेंसिटी कर्व की वैल्यू को ट्रैक करता है। जब भी रेश्यो (और डेंसिटी कर्व) मीन से एक अच्छी खासी दूरी पर चले जाते हैं तो फिर ट्रेड सेट अप किया जाता है।   

इसके साथ अगला सवाल यह है कि वो अच्छी खासी दूरी क्या है, या डेंसिटी कर्व की वो वैल्यू क्या हो जब हम ट्रेड की शुरुआत करें? 

यहां पर मैं इसके कुछ सामान्य नियम दे रहा हूं –

 –

कौन सा ट्रेड ट्रिगर (डेसिटी कर्व) स्टैंडर्ड डेविएशन टारगेट स्टॉप लॉस
लांग 0.025 & 0.003 के बीच 2nd & 3rd के बीच 0.25 या नीचे 0.003 या ऊपर
शॉर्ट 0.975& 0.997 के बीच 2nd & 3rd के बीच 0.975 या नीचे 0.997 या ऊपर

 

ट्रेड शुरू करते वक्त कोशिश यह की जानी चाहिए कि जब रेश्यो 2nd और 3rd स्टैंडर्ड डेविएशन के बीच में हो, तभी ट्रेड को शुरू किया जाना चाहिए। जब रेश्यो दूसरे स्टैंडर्ड डेविएशन से नीचे चला जाए तो पोजीशन को स्क्वेयर ऑफ कर देना चाहिए। वैसे यह मीन के जितना पास जाएगा आप का मुनाफा उतना ही ज्यादा होगा। 

अब ऊपर के इस टेबल के आधार पर एक ट्रेड सेटअप करते हैं। इसके लिए मेरी सलाह ये है कि आप पिछले अध्याय के अंत में दिए गए एक्सेल शीट को डाउनलोड कर लें। 

25 अक्टूबर 2017 को डेंसिटी कर्व की वैल्यू थी 0.05234 और उस समय रेश्यो था 1.54, लॉन्ग पेयर ट्रेड के लिए यह एक ठीक-ठाक सेट अप है। लेकिन यह लॉन्ग ट्रेड की परिभाषा में फिट नहीं बैठता (इसके लिए डेंसिटी कर्व 0.025 से 0.003 के बीच में होना चाहिए) लेकिन इस टाइम सीरीज में सबसे अच्छी वैल्यू यही है। 

अगर रेश्यो स्टॉक A को स्टॉक B की कीमत से विभाजित करने पर मिल रहा है तो –

  1. एक लॉन्ग ट्रेड में आपको स्टॉक A को खरीदना है और स्टॉक B को बेचना है 
  2. शॉर्ट ट्रेड में आपको स्टॉक A को बेचना है स्टॉक B को खरीदना है 

हमने रेश्यो को एक्सिस / ICICI  की 25 अक्टूबर की क्लोजिंग के आधार पर निकाला है इसलिए 

  1. एक्सिस बैंक को 473 रुपये की कीमत पर खरीदें 
  2. ICICI को 305.7 रुपये के रेट पर बेचें

एक्सिस का लॉट साइज 1200 है इसलिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू होगी 1200 * 473 = 567,600, ICICI का लॉट साइज 2750 है इसलिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू होगी 2750 * 305.7 = 840,675/

आमतौर पर कोशिश यह होनी चाहिए कि लॉन्ग और शॉर्ट दोनों ट्रेड की रुपए में कीमत एक बराबर हो।  इसे रूपी न्यूट्रैलिटी (Rupee Neutrality) कहते हैं। लेकिन अभी इसको मैं चर्चा इस पर नहीं करूंगा। जब हम पेयर ट्रेडिंग की अगली तकनीक पर बात करेंगे तो इस सिद्धांत पर चर्चा करेंगे। 

एक बार आपका ट्रेड सेटअप हो गया तो हमें पेयर के मीन की तरफ वापस लौटने का इंतजार करना होता है। सैद्धांतिक तौर पर सबसे अच्छा पेयर ट्रेड तब होता है जब आप इसे 3rd स्टैंडर्ड देविएशन के पास शुरू करें और रेश्यो के मीन तक जाने का इंतजार करें। लेकिन कई बार ये इंतजार काफी लंबा होता है। ऐसे में, मार्क टू मार्केट (MTM) काफी परेशानी देता है। जिसके पास मार्क टू मार्केट (MTM) की इस समस्या को झेलने के लिए ज्यादा रकम ना हो उसे यह पेयर ट्रेड जल्दी बंद करना पड़ता है। 

31 अक्टूबर 2017 को यह रेश्यो 1.743 तक चला गया और उसके हिसाब से डेंसिटी कर्व की वैल्यू हो गई 0.26103 जो कि हमारे टारगेट के काफी करीब है। इसलिए हम इस ट्रेड को यहां पर बंद कर सकते हैं। हम एक्सिस बैंक को 523 के रेट पर बेचेंगे और ICICI बैंक को 300.1 के रेट पर खरीदेंगे। इस ट्रेड का P&L  होगा

 

तिथि स्टॉक ट्रेड लॉट साइज स्क्वेयर ऑफ तारीख स्क्वेयर ऑफ कीमत P&L
9th Aug Axis Bank Sell @ 574.1 1200 8th Sept Buy @ 571 3.1*1200 = 3.72K
9th Aug ICICI Bank Buy @ 245.3 2750 8th Sept Sell @276.33 31.03*2750 = 85.3K
कुल P&L Rs.89,052/-

 

यहां पर आपको दिखेगा कि ज्यादातर मुनाफा एक्सिस बैंक से आ रहा है, जिसका मतलब यह है कि एक्सिस बैंक अपने आम ट्रेडिंग पैटर्न से दूर चला गया था। 

अब एक शॉर्ट ट्रेड को देखते हैं 

9 अगस्त 2016 को डेंसिटी कर्व की वैल्यू थी 0.99063156 जो कि शॉर्ट ट्रेड शुरू करने के लिए ठीक वैल्यू है। याद रखिए कि शॉर्ट ट्रेड में हम एक्सिस बैंक को बेचेंगे और ICICI को खरीदेंगे। 

अगर आपके लिए यह याद रखना मुश्किल हो रहा हो कि किस को खरीदना है और किस को बेचना है, तो आप इसको इस तरह से याद रख सकते हैं – जो स्टॉक विभाजित हो रहा है वो यानी न्यूमैरेटर (Numerator/अंश) स्टॉक ज्यादा महत्वपूर्ण स्टॉक होता है। इसलिए पेयर ट्रेड में जब आप लॉन्ग जाते हैं तो आप ऊपर वाले यानी न्यूमैरेटर स्टॉक को खरीदते हैं। इसी तरीके से जब पेयर ट्रेड में आप शॉर्ट जा रहे होते हैं तो आप न्यूमैरेटर (Numerator/अंश) को शॉर्ट करते हैं। आप जो कुछ भी न्यूमैरेटर स्टॉक के साथ करते हैं उसका उल्टा आपको डिनॉमिनेटर ( Denominator/ विभाजक) यानी नीचे वाले स्टॉक के साथ करना होता है। 

इसीलिए हम एक्सिस बैंक (Numerator/अंश) को बेच रहे हैं और ICICI बैंक ( Denominator/ विभाजक)  को खरीद रहे हैं। 

इस ट्रेड का विवरण है –

  • शॉर्ट एक्सिस बैंक @ 574.1
  • ICICI बैंक को खरीदें @ 245.35
  • रेश्यो – 2.34
  • डेंसिटी कर्व की वैल्यू – 0.99063156

इस ट्रेड को बंद करने का मौका मिला 8 सितंबर को, मतलब यह ट्रेड करीब 1 महीने तक खुला रहा। बंद करते समय इस ट्रेड का विवरण इस प्रकार था –

  • एक्सिस बैंक खरीदा  @ 571
  • ICICI बैंक को बेचा @ 276.33
  • रेश्यो – 2.27
  • डेंसिटी कर्व की वैल्यू – 0.979182

कुछ लोगों को यह लग सकता है कि इस ट्रेड में थोड़ा और इंतजार करना चाहिए था, ताकि डेंसिटी कर्व और ज्यादा नीचे गिर जाता। लेकिन जैसा मैंने कहा था कि पेयर ट्रेड में हमेशा इस बात का संतुलन बना कर रखना होता है कि समय कितना दे रहे हैं और मार्क टू मार्केट कितना है। 

इस ट्रेड का P&L ऐसा है – 

 

तिथि स्टॉक ट्रेड लॉट साइज स्क्वेयर ऑफ तारीख स्क्वेयर ऑफ कीमत P&L
9th Aug Axis Bank Sell @ 574.1 1200 8th Sept Buy @ 571 3.1*1200 = 3.72K
9th Aug ICICI Bank Buy @ 245.3 2750 8th Sept Sell @276.33 31.03*2750 = 85.3K
कुल P&L Rs.89,052/-

 

आपको फिर दिखेगा की ज्यादा कमाई एक ही स्टॉक यानी ICICI से से हो रही है, जिसका मतलब है कि ICICI का स्टॉक अपने आम रास्ते से दूर चला गया था।

यहां पर मैं एक बात कबूल करता हूं कि इन दोनों ही ट्रेड में हमने उस टेबल का अनुसरण नहीं किया है जिसको हमने ट्रेड में इंटर और एग्जिट करने की गाइडलाइन के तौर पर बनाया था। लेकिन मैंने पहले भी कहा था कि इस टेबल का इस्तेमाल आपको एक गाइडलाइन के तौर पर करना है और इसके बाद आपको अपने अनुभव से सीखना है। 

मैं आपसे कहूंगा कि आप एक्सिस और ICICI बैंक में इस के तरह से और उदाहरण को भी देखें। 

मुझे यहां लगता है कि इस ट्रेड में हुआ मुनाफा यानी इसका P&L आपको इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि आप पेयर ट्रेडिंग के बारे में और जानें और इसका इस्तेमाल करें। अब मैं अपनी बात यहां बंद कर रहा हूं और आपके लिए कुछ जरूरी प्वाइंट छोड़कर जा रहा हूं

  1.  अभी तक आपने जो कुछ सीखा है वह उसका सिर्फ 25% है जो मैं आपको आगे बताने वाला हूं।
  2. अब तक शुरू के 7 अध्यायों में मैंने पेयर ट्रेडिंग की जिस तकनीक पर चर्चा की है वह बहुत ही साधारण और बेसिक है। लेकिन मैंने इसके जरिए आपके लिए एक भूमिका तैयार करने की कोशिश की है। 
  3. मैंने ट्रेड के स्टॉपलॉस और टारगेट जैसी चीजों की तय परिभाषा के हिसाब से काम नहीं किया है। मैंने सब कुछ बहुत ही सरल तरीके से समझाया है। 
  4. दोनों पोजीशन के लिए न्यूट्रैलिटी बहुत जरूरी चीज है लेकिन मैंने अभी तक उस पर चर्चा नहीं की है।
  5. मैंने पेयर ट्रेडिंग से जुड़े हुए रिस्क पर भी चर्चा नहीं की है।
  6. पेयर ट्रेडिंग में मार्जिन के लिए बहुत सारा पैसा लगता है। इसलिए पेयर ट्रेड करने के पहले आपके पास काफी पैसे होने चाहिए लेकिन इसका P&L इस निवेश की भरपाई कर देता है। 
  7. किसी भी पेयर में आपको साल में दो या तीन बार ही मौके या सिग्नल मिलते हैं, इसलिए आपको कई पेयर को ट्रैक करना होगा जिससे आपको लगातार मौके मिलते रहें। 

मुझे उम्मीद है कि अब आप पेयर ट्रेडिंग के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे। 

एक्सेल शीट को आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैं।Download

इस अध्याय की मुख्य बातें 

  1. किसी पेयर ट्रेड को शुरू करने के लिए डेंसिटी कर्व एक ट्रिगर के तौर पर काम करता है। 
  2. पेयर ट्रेड तब शुरू किया जाता है जब रेश्यो जब रेश्यो 2nd और  3rd स्टैंडर्ड डेविएशन के बीच में हो।
  3. एक पेयर ट्रेड को तब बंद कर दिया जाता है जब रेश्यो वापस मीन की तरफ लौट जाए। 
  4. लॉन्ग पेयर ट्रेड में आपको न्यूमैरेटर को खरीदना होता है और डिनॉमिनेटर को बेचना होता है। 
  5. शॉर्ट पेयर ट्रेड में आपको न्यूमैरेटर को बेचना होता है और डिनॉमिनेटर को खरीदना होता है।
  6. आमतौर पर पेयर ट्रेड के P&L में ज्यादा कमाई किसी एक स्टॉक से होती है जो कि पेयर की आम चाल से काफी दूर चला गया हो। 
  7. एक पेयर ट्रेड काफी लंबा हो सकता है लेकिन उससे होने वाला P&L इस इंतजार की कीमत चुका देता है।
  8. पेयर ट्रेडिंग में बहुत ज्यादा मार्जिन मनी देनी पड़ती है।

 




5 comments

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  1. Bhagirath says:

    Hi,
    [31 अक्टूबर 2017 को यह रेश्यो 1.743 तक चला गया और उसके हिसाब से डेंसिटी कर्व की वैल्यू हो गई 0.26103 जो कि हमारे टारगेट के काफी करीब है। इसलिए हम इस ट्रेड को यहां पर बंद कर सकते हैं। हम एक्सिस बैंक को 523 के रेट पर बेचेंगे और ICICI बैंक को 300.1 के रेट पर खरीदेंगे। इस ट्रेड का P&L होगा –

    तिथि स्टॉक ट्रेड लॉट साइज स्क्वेयर ऑफ तारीख स्क्वेयर ऑफ कीमत P&L
    9th Aug Axis Bank Sell @ 574.1 1200 8th Sept Buy @ 571 3.1*1200 = 3.72K
    9th Aug ICICI Bank Buy @ 245.3 2750 8th Sept Sell @276.33 31.03*2750 = 85.3K
    कुल P&L Rs.89,052/-]

    ऊपर मेँ दिए गये उदा. में P&L मैच नहीं हो रहा हैं। नीचे के उदा. और इस में दिया उदा. P&L एक समान दिख रहा हैं।
    दन्यवाद!

    • Kulsum Khan says:

      सूचित करने के लिए धन्यवाद हम इसको सही करदेंगे।

  2. Dk says:

    कृप्या मॉड्यूल ११ और १२ का हिन्दी जल्द उपलब्ध कराए बहोत समय हो गया है।

    • Kulsum Khan says:

      हम उस पर काम कर रहे हैं, वह भी जल्द ही उपलब्ध कराया जायेगा।

  3. sonu says:

    Madam yha pr Icici aur axis ka alag – alag density curve ratio kaise nikala gya hai.

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