12.1- स्टॉक चुनने का आधार

पिछले कुछ अध्यायों में हमने समझा है कि फाइनेंशियल स्टेटमेंट को कैसे पढ़ा जाए और कुछ जरूरी फाइनेंशियल रेश्यो को कैसे निकाला जाए।  इन सब का इस्तेमाल करके हम फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर शेयर चुनने का अपनी शर्तें बनाना शुरू कर सकते हैं। हमने पहले भी बात की है कि हर कंपनी में निवेश के पहले यह देखना होता है कि वह निवेश के लायक कंपनी है या नहीं।  हर वह कंपनी जो निवेश योग्य कंपनी की शर्तों को पूरा करती है उसमें निवेश किया जा सकता है।

 सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि निवेश के योग्य कंपनी कौन सी होती है? हो सकता है कि मेरे लिए जो निवेश योग्य कंपनी हो आप के लिए वो निवेश योग्य ना हो और जो आपके लिए निवेश योग्य कंपनी हो वह मेरे लिए निवेश योग्य ना हो। उदाहरण के तौर पर मैं ऐसी कंपनियों को चुनना पसंद कर सकता हूं जिसमें कॉरपोरेट गवर्नेंस के पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा हो। लेकिन कोई दूसरा निवेशक हो सकता है जो कॉरपोरेट गवर्नेंस ध्यान ना दे वह कह सकता है कि सब कंपनियों में कुछ ना कुछ गड़बड़ होती ही है जब तक कंपनी के नतीजे और बाकी आंकड़े अच्छे दिख रहे हैं मैं  उनमें निवेश करने के लिए तैयार हूं।

इस बात का मतलब यह है कि शेयरों को चुनने के लिए कोई एक तय चेक लिस्ट नहीं होती है। हर निवेशक को अपने हिसाब से अपने पसंदीदा शर्तें बनानी होती हैं जिनके आधार पर वह निवेश करेगा। हर निवेशक अपने अनुभव के आधार पर यह शर्तें तय करता है। लेकिन यह ध्यान देना चाहिए कि यह शर्तें किसी तर्क पर आधारित हों। वैसे इस अध्याय के अंत में मैं अपनी चेक लिस्ट आपको दिखाऊंगा। अगर आप निवेश करना अभी शुरू कर रहे हैं तो आप मेरी इस चेकलिस्ट इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और उसमें से अपनी पसंद की शर्तें चुन सकते हैं।

12.2- स्टॉक चुनना कैसे शुरू करें

 हम स्टॉक में निवेश के लिए एक चेक लिस्ट बनाएं, उसके पहले कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए। स्टॉक चुनने की  प्रक्रिया की शुरुआत के तौर पर हमें सबसे पहले कुछ ऐसे शेयर तलाशने चाहिए जो हमें पसंद आ रहे हों। कुछ शेयरों को पसंद करने के बाद हमें देखना चाहिए कि वो हमारी चेक लिस्ट की शर्तों को पूरा करते हैं या नहीं। अगर वह शर्तें पूरी करते हैं तो उसमें निवेश करना चाहिए और अगर नहीं तो हमें दूसरे शेयरों की ओर देखना चाहिए।

तो सबसे पहला सवाल यह है कि हम वह स्टॉक कैसे चुनें जिनके बारे में हम कह सकें कि वो हमें पसंद आ रहे हैं और  जिनको हम अपने चेक लिस्ट की शर्तों पर जांचना चाहते हैं। इसको करने के कुछ रास्ते हैं:

  1. जनरल ऑब्जर्वेशन (General Observation) यानी आर्थिक गतिविधियों पर नजर-  सुनने में यह बहुत साधारण सी बात लगेगी लेकिन स्टाक चुनने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण तरीका है। आपको सिर्फ यह करना है कि अपने आसपास हो रही आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखें और अपने आंख और कान खुले रखें। देखें कि लोग क्या खरीद रहे हैं, क्या बेच रहे हैं? किस तरह के उत्पाद की मांग ज्यादा है? आपके पड़ोस में लोग किन उत्पादों के बारे में बातचीत कर रहे हैं? अमेरिकी शेयर बाजार के बहुत जाने-माने निवेशक पीटर लिंच ने अपनी किताब “वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट(One up on Wall Street)” में इस तरीके की चर्चा की है। व्यक्तिगत तौर पर मैंने भी इस तरीके का इस्तेमाल किया है। मैंने PVR सिनेमा का स्टॉक निवेश के लिए चुना (क्योंकि मुझे दिख रहा था कि मेरे आस-पास PVR के मल्टीप्लेक्स काफी तेजी से खुल रहे हैं) कमिंस इंडिया का स्टॉक (मुझे दिखा कि मेरे आस-पास की हर कंपनी बिल्डिंग में कमिंस का डीजल जनरेटर लगा हुआ है), इंफोएज लिमिटेड का स्टॉक (क्योंकि मुझे दिखा कि ये को भारत में सबसे लोकप्रिय जॉब वेबसाइट naukri.com को चलाती है)
  2. स्टॉक स्क्रीनर (Stock Screener)- इसे आप एक ऐसी छननी के तौर पर मान सकते हैं जिससे आप बहुत सारे स्टॉक्स में से अच्छे स्टॉक्स निकाल सकते हैं।  इसका मतलब है कि स्टॉक चुनने के लिए ऐसी प्रक्रिया बनाना जिसको आप खुद तय करेंगे। इसके जरिए आप अच्छी क्वालिटी के शेयर चुन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप एक ऐसा स्क्रीनर बना सकते हैं जिसमें आपने शर्त रखी हो कि शेयर का ROE 25% और PAT मार्जिन 20% से कम ना हो। इस तरीके से आप बहुत सारे स्टॉक्स में से कुछ काम के स्टॉक चुन सकते हैं। वैसे काफी स्टॉक स्क्रीनर ऑनलाइन मौजूद हैं लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं गूगल फाइनेंस का स्टॉक स्क्रीनर और screener.in को पसंद करता हूं।
  3. अर्थव्यवस्था के संकेत-  अच्छे स्टॉक चुनने का एक बेहतरीन तरीका है कि आप अर्थव्यवस्था के हालात पर नजर बनाए रखें। इसे एक उदाहरण से समझते हैं- आप देखेंगे कि इन दिनों भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर काफी ज्यादा जोर दिया जा रहा है। नए नए पुल, सड़कें और ऐसी तमाम चीजें बनाई जा रही है।देश में काम कर रही सीमेंट कंपनियों को इसका सीधा फायदा मिलेगा । इसलिए मैं ऐसी सीमेंट कंपनियों को और की ओर देखूंगा जो मेरी चेक लिस्ट की शर्तों को पूरा करती है और इस नए चलन का फायदा उठा सकती हैं।
  4. सेक्टर के ट्रेंड (चलन)- इसमें आप उन सेक्टरों  को पहचानने की कोशिश करते हैं जहां पर नए चलन दिखाई पड़ रहे हैं। फिर उन सेक्टर में काम कर रही कंपनियों को पहचानने की कोशिश करते हैं जिनको इस चलन का फायदा मिल सके। उदाहरण के तौर पर हम जानते हैं कि 3 तरह के पेय पदार्थ भारत में काफी ज्यादा बिकते हैं  कॉफी, चाय और बोतल का पानी। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पिछले दिनों एक नया चलन शुरू हुआ है वह एनर्जी ड्रिंक का। यह बाजार काफी तेजी से बढ़ा है और इसमें काफी संभावनाएं नजर आ रही है। अब आप इस सेक्टर की उन कंपनियों को खोजने की कोशिश कर सकते हैं जो एनर्जी ड्रिंक के कारोबार में जुड़ी हुई हैं या इसमें घुसने की तैयारी में है।
  5. खास घटना या खास स्थिति-  शेयर आईडिया निकालने का यह एक थोड़ा मुश्किल तरीका है। इसके लिए आपको कंपनियों, कंपनियों से जुड़ी खबरों और  कंपनी की ऐसी घटनाओं पर नजर रखनी पड़ती है, जिससे आगे चलकर कंपनी को फायदा हो सकता है। मुझे एक उदाहरण याद है। सन 2013 में देश के बड़े टूर ऑपरेटर्स में से एक कॉक्स एंड किंग्स ने एचडीएफसी के केकी मिस्त्री को अपने एडवाइजरी बोर्ड में शामिल किया। केकी मिस्त्री की बिजनेस और इंडस्ट्री में काफी इज्जत है माना जाता है कि उनको बिजनेस की अच्छी समझ है। मेरे एक दोस्त ने कहा कि केकी मिस्त्री के आने से कॉक्स एंड किंग्स को फायदा होगा। इसलिए उसने कंपनी के बारे में और रिसर्च करना शुरू किया ताकि वह देख सके कि निवेश की दूसरी शर्तें पूरी होती है या नहीं। फिर उसने उस शेयर में निवेश किया और आज वह 200% के मुनाफे पर बैठा है।
  6. सर्किल ऑफ कांपीटेंस (Circle of Competence)/ अपनी योग्यता का इस्तेमाल- यह स्टॉक आईडिया निकालने का वह तरीका है जहां पर अपनी आप अपनी जानकारी या अपनी योग्यता का फायदा उठाते हैं। यह एक नए निवेशक के लिए सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है। उदाहरण के तौर पर आप बैंक में काम करते हैं तो आपको बैंकिंग इंडस्ट्री की अच्छी समझ होगी आप अपने आसपास देखेंगे या अपने सहकर्मियों से बात करेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि कौन सा बैंक ज्यादा अच्छी स्थिति में है और आगे चलकर बड़ा मुनाफा कमा सकता है। इसी तरह से मेडिकल इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग हेल्थ केयर से जुड़ी कंपनियों के बारे में दूसरों के मुकाबले ज्यादा बेहतर जानकारी रखते हैं। उन्हें बस करना यह है कि वह देखें कि उनकी इंडस्ट्री में कौन सी लिस्टेड कंपनियां हैं और इनमें से किस में यह क्षमता है कि आगे चलकर वह मुनाफा कमा सके। इस तरह आप अपनी क्षमता का इस्तेमाल करके स्टाक आइडिया निकाल सकते हैं।

कहने का मतलब यह है कि स्टाक आइडिया कहीं से भी मिल सकता है। आपको जब भी कोई स्टाक पसंद आए तो उसको अपनी लिस्ट में शामिल कर लीजिए और उस पर नजर रखिए क्योंकि हो सकता है कि वह स्टॉक उस समय आपके निवेश की शर्तों को पूरा ना कर रहा हो। लेकिन उस पर नजर रखेंगे तो हो सकता है कि आने वाले समय में वह निवेश की शर्तों को पूरा करे और आपके लिए एक अच्छा निवेश का आईडिया बन सके। आपको ऐसे स्टॉक्स की एक लिस्ट हमेशा अपने पास रखनी चाहिए जिन पर आप नजर रख रहे हैं।

12.3 – The Moat 

शेयरों को पहचानने के बाद अगला काम होता है, यह देखना कि शेयर चेक लिस्ट की शर्तों पर खरे उतर रहे हैं या नहीं। निवेश के पहले का यह जरूरी काम बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इसके हर हिस्से पर आपको बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।

चेक लिस्ट पर दोबारा नजर डालने के पहले एक और सिद्धांत को समझना चाहिए जिसे कहते हैं मोट (The Moat)। इसको वारेन बफेट ने प्रचलित किया है। यह बताता है कि कंपनी अपने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले कितनी ज्यादा दूरी पर है और ये स्थिति कंपनी कब तक बनाए रख सकती है। आपको पता ही होगा कि मोट का मतलब वह खाई होता है जो पुराने जमाने में किले के बाहर चारों तरफ इसलिए बनाई जाती थी जिससे दुश्मन उसको पार करके किले तक ना पहुंच सके। वॉरेन बफेट ने इसी के आधार पर यह कहा है कि कंपनियां को एक ऐसा मोट बनाना चाहिए जिससे उनके और उनके प्रतिद्वंदियों के बीच में एक खाई बनी रहे और उनका मुनाफा प्रभावित ना हो। यह खाई जितनी चौड़ी होगी कंपनी के लिए उतना ही बेहतर होगा।

मोट को समझने के लिए उदाहरण लेते हैं। आयशर मोटर्स लिमिटेड कंपनी कमर्शियल व्हेकिल यानी गाड़ियां बनाती है और साथ ही रॉयल एनफील्ड बाइक भी बनाती है। रॉयल एनफील्ड बाइक देश और विदेश, दोनों में बहुत ही लोकप्रिय हैं। एक खास तरीके के ग्राहकों को ये बाइक बहुत ही ज्यादा पसंद आती है। यह बाइक ना तो हार्ली डेविडसन की तरह बहुत महंगी है और ना ही टीवीएस की बाइक की तरह बहुत सस्ती। किसी भी दूसरी कंपनी के लिए रॉयल एनफील्ड के मुकाबले में एक नई बाइक लाना और उसका मुकाबला करना आसान नहीं होगा। इसका मतलब है कि आयशर मोटर्स का मोट काफी चौड़ा है, उसके प्रतिद्वंदियों के लिए उसको मुकाबला देना आसान नहीं होगा।

आज बहुत सारी कंपनियां हैं जिनके पास ऐसे मोट हैं। शेयर बाजार में पैसा बना कर देने वाली हर कंपनी के पास कहीं ना कहीं एक ऐसा मोट जरूर होता है। उदाहरण के तौर पर इंफोसिस को देखिए जिसके पास ये मौका था कि वह भारत से वही सेवा दे सके जो कि अमेरिका में बहुत ही ऊंचे दाम पर मिल रही थी। पेज इंडस्ट्री के पास ये मोट बनाथा जब उसे जॉकी इनरवियर के लिए भारत का लाइसेंस मिला था। भारत में प्रेशर कुकर बेचने वाली कंपनी प्रेस्टीज के पास भी ऐसा ही एक मोट है। आपको ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिल जाएंगे।

12.4 – जरूरी काम और सावधानियां

शेयर बाजार पर रिसर्च और निवेश करने के पहले का सबसे जरूरी काम है 

  1. बिजनेस को समझना जिसमें वार्षिक रिपोर्ट को पढ़ना भी शामिल है। 
  2. अपनी चेकलिस्ट की शर्तों को पर नजर डालना और निवेश करने योग्य हर कंपनी को उस कसौटी पर कसना।  
  3. कंपनी का वैल्यूएशन करना जिससे उस बिजनेस को पूरी तरह से समझा सके।

किसी कंपनी के बारे में जानने के लिए हमें उसके हर पहलू को ठीक से जानना और पहचानना होगा। हमें अपने प्रश्नों की एक लिस्ट बनानी होगी जिसके जवाब में ढूंढने होंगे। जैसे सबसे पहला सवाल यही होगा कि कंपनी करती क्या है? इन सवालों का जवाब हमें गूगल पर नहीं ढूंढना है, जवाब मिलेंगे कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में या कंपनी की वेबसाइट पर। इससे हमें यह भी पता चलेगा कि कंपनी को अपने बारे में और अपने बिजनेस के बारे में क्या कहना है। व्यक्तिगत तौर पर मैं ऐसी कंपनियों में निवेश पसंद करता हूं जिसमें कंपटीशन यानी प्रतियोगिता कम हो और सरकार के हस्तक्षेप की संभावना भी कम हो। उदाहरण के तौर पर जब मैंने PVR सिनेमा में निवेश किया तो उस समय केवल तीन कंपनियां थी जो इस क्षेत्र में काम करती थी PVR, आईनॉक्स और सिनेमैक्स। बाद में सिनेमैक्स का PVR में विलय हो गया बाजार में सिर्फ दो ही कंपनियां रह गयीं। अब और कई नए खिलाड़ी इस बाजार में आ गए हैं।  इसलिए अब समय है कि मैं PVR में अपने निवेश को एक बार फिर से देखूं और तय करूं कि आगे मुझे क्या करना है। कंपनी के बिजनेस को जानने के बाद अगला कदम होता है यह देखना कि कंपनी हमारी चेक लिस्ट की शर्तों में से कितनी शर्तें पूरा कर रही है। एक नजर डालिए मेरी चेक लिस्ट पर जिसमें 10 शर्ते हैं।

 

क्रम संख्या

काम की शर्त टिप्पणी

इसका अर्थ

1 ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन (GPM) > 20% GPM जितना अधिक हो उतना अच्छा, कंपनी का मोट या खाई उतनी बड़ी होगी
2 आमदनी में बढत मुनाफे की दिशा में होनी चाहिए मुनाफे के बराबर की रफ्तार से बढ़नी चाहिए
3 EPS EPS को नेट प्रॉफिट की रफ्तार से बढ़ना चाहिए अगर कोई कंपनी नई इक्विटी जारी कर रही है तो ये अच्छी बात नहीं है। मौजूदा शेयरधारकों का हिस्सा कम हो जाएगा 
4 कर्ज का स्तर कंपनी बहुत कर्ज में ना डूबी हो ज्यादा कर्ज का मतलब होता है कि कंपनी कारोबार के लिए कर्ज पर निर्भर है। इससे फाइनेंस कॉस्ट बढ़ती है और मुनाफा इसमें जाने लगता है
5 इन्वेंटरी मैन्युफैक्चरिंग या उत्पादन से जुड़ी कंपनियों पर लागू इन्वेंटरी और  PAT मार्जिन का साथ साथ बढ़ना एक अच्छा संकेत होता है। इन्वेंटरी नंबर ऑफ डेज जरूर चेक करें 
6 सेल्स vs रिसीवेबल्स रिसीवेबल्स के भरोसे सेल्स (बिक्री) आ बढ़ना अच्छा संकेत नहीं है ऐसा होने का मतलब है कि कंपनी सिर्फ बिक्री के आंकड़े ज्यादा दिखाने की कोशिश में लगी है
7 ऑपरेशन का कैश फ्लो कैश फ्लो पॉजिटिव होना चाहिए अगर कंपनी के पास उसके कारोबार से कैश नहीं आ रहा तो साफ है कि कंपनी पर दबाव है।
8 रिटर्न ऑन इक्विटी >25% ROE जितना अधिक हो निवेशक के लिए उतना अच्छा है , लेकिन साथ ही में कर्ज का स्तर भी जांच लें।
9 कारोबार में विविधता कंपनी सिर्फ 1 या 2 तरह के कारोबार में हो सी कंपनियों से बचें जिनके कई तरह के धंधे हों। सिर्फ एक या दो तरह का कारोबार करने वाली कंपनी बेहतर होती है
10 सब्सिडियरी कम होनी चाहिए अगर कंपनी की बहुत सारी सब्सिडियरी कंपनियां हैं तो ये एक संकेत हो सकता है कि कंपनी उनके बहाने पैसे निकाल रही है। ऐसी कंपनी में निवेश से बचें

अगर कोई स्टॉक इन शर्तों को पूरा करता है तो आपको उसकी कीमत देखनी चाहिए। अगर वह सही कीमत पर नहीं मिल रहा है तो शेयर को खरीदने का कोई मतलब नहीं है। सही कीमत का मतलब क्या है आप इसे कैसे पता करेंगे? यही हमारे लिए स्टेज 3 या तीसरा चरण होगा। हमें कुछ वैल्यूएशन प्रयोग करना होगा। वैल्यूएशन के लिए सबसे जाना-माना तरीका है डिस्काउंटेड कैश फ्लो एनालिसिस (Discounted Cash Flow- DCF)।

अगले कुछ अध्यायों में हम यह देखेंगे कि किसी कंपनी के बारे में रिसर्च यानी इक्विटी रिसर्च करने के लिए क्या करना चाहिए। इक्विटी रिसर्च पर हम जो चर्चा करेंगे वो स्टेज 2 और 3 का हिस्सा होगा। मुझे लगता है कि स्टेज 1 में हमें वार्षिक रिपोर्ट को सही तरीके से और विस्तार से पढ़ना चाहिए। 

इस अध्याय की मुख्य बातें

  1. एक स्टॉक आइडिया कहीं से भी आ सकता है 
    1. आप अपनी आंख-कान खुले रख कर या अपनी योग्यता का इस्तेमाल करके भी आईडिया पा सकते हैं 
  2. वॉच लिस्ट यानी ऐसी लिस्ट बनाकर रखें जिसमें आप उन स्टॉक को रखें जिस पर आप की नजर है। 
  3. एक बार आपने उन स्टॉक्स को चुन लिया जिस पर आप की नजर है तो फिर देखिए कि उनमें किसके पास मोट (Moat) है। 
  4. इसके बाद आती है जांच की प्रक्रिया यानी जरूरी काम की प्रक्रिया जिसमें हम कंपनी के बिजनेस के बारे में और उसके चेक लिस्ट की शर्तों को पूरा करने के बारे में देखते हैं और साथ ही हमें यह पता करते हैं कि कंपनी का अब तक का परफॉर्मेंस कैसा रहा है और उसकी वैल्यूएशन कितनी है। 
  5. जब हम बिजनेस को समझने की कोशिश कर रहे होते हैं तो हमें कंपनी के बिजनेस के हर पहलू की जांच करनी चाहिए। 
  6. जैसे जैसे आपको बाजार में अनुभव होता जाए वैसे वैसे अपनी चेक लिस्ट में बदलाव और सुधार करते रहिए।
  7. किसी कंपनी के वैल्यूएशन को पता करने के लिए DCF यानी डिस्काउंटेड कैश फ्लो का तरीका सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।



82 comments

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  1. shah says:

    mail pdf

    • Kulsum Khan says:

      Hi, हिंदी मॉड्यूल के लिए पीडीएफ अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। हम जल्द ही इस पर गौर करेंगे।

  2. Bhavesh sharma says:

    Sir cox and kings toh bank corrupt ho gaii
    Toh company ko kese pahchane ki wo aane wale samay me bank corrupt nhi hogi

    • Kulsum Khan says:

      Hi,आप कंपनी की बुनियादी बातों पर नज़र रख सकते हैं जैसे कि यह बैलेंस शीट, quick ratio, कैशफ्लो स्टेटमेंट आदि है। यह डेटा आपको टिकर टेप द्वारा भी उपलब्ध कराया जाता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया उनकी वेबसाइट पर जाएँ। इस जानकारी से आप कंपनी के बारे में एक संक्षिप्त विचार प्राप्त कर पाएंगे और यह कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

  3. DINESH Deoli says:

    Sir maine bhi knowledge ke abaav me apne 12lac rs dead kr diye h share market me pandemic ke time par maine investment kiya but no bhi stock choose kiye usme hi nuksaan utaana pada jo maine short term base par kiya jisme intraday v stoploss factor involve h
    Mere stocks bajaj finance, page industry, sbi, petromet, reliance, future retail, edelweiss securities liye mera experience ye rha jb purchase kiya tb yhi stock ki value down chale gye jb sold kiye TB value increase huvi kuch smj nhi aaya kya krna chahiye stock market se out kru ya investment strategy ke liye kya karna chahiye plz suggest kre

    • Kulsum Khan says:

      Hi Dinesh, आप वर्सिटी के सारे मॉड्यूल्स को पढ़ें आपको कैसे निवेश करना है उसका एक आईडिया मिलेगा आप हमारे Innerworth – Mind over Markets वाला मॉड्यूल भी अर्ह सकते हैं इसमें उच्च ट्रेडिंग साइकोलॉजी के कुछ आर्टिकल्स हैं जो आपको एक मिंडसेट बनाने में मदद कर सकते हैँ।

  4. Rajkumar says:

    कृपया हिंदी भाषा में पीडीएफ फ़ाइल उपलब्ध कराएं
    Thanks to team Zerodha

  5. Ritesh kumar says:

    Please provide pdf file in Hindi
    Thanks

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