3.1 संक्षिप्त विवरण

शेयर बाजार में आपके एक शेयर खरीदने से ले कर उस शेयर के आपके डीमैट एकाउंट में आने तक कई तरह की कॉरपोरेट एंटिटीज (Corporate Entities) यानी कई संस्थाएं बैकएंड में काम कर रही होती हैं, जिससे ये काम सही तरीके से हो जाए। पर्दे के पीछे काम कर रहीं ये एंटिटीज सेबी के कायदे कानूनों के मुताबिक आपके सौदे को मुमकिन बनाती हैं जिससे आपको कोई दिक्कत न हो। इन एंटिटीज को फाइनेंशियल इन्टरमीडियरीज (Financial Intermediaries) के नाम से जाना जाता है। 

ये इन्टरमीडियरीज एक दूसरे के काम पर निर्भर होती हैं और एक साथ मिल कर वो इकोसिस्टम तैयार करती हैं जिसके बिना वित्तीय बाजार का चलना असंभव है। इस अध्याय में आपको इन इन्टरमीडियरीज के बारे में बताया जाएगा।

3.2 शेयर दलाल/स्टॉक ब्रोकर (The Stock Broker)

ब्रोकर या दलाल शायद शेयर बाजार का सबसे महत्वपूर्ण इन्टरमीडियरी है, इसके बारे में जाने बगैर आपका काम नहीं चलेगा। ये एक कॉपोरेट एंटिटी  (Corporate Entity) है जो शेयर एक्सचेंज में ट्रेडिंग मेंबर के तौर पर रजिस्टर्ड होते हैं और इनके पास स्टॉक ब्रोकिंग का लाइसेंस होता है। और ये सेबी के नियमों के तहत काम करते हैं।

एक तरह से स्टॉक ब्रोकर आपके लिए शेयर बाजार का दरवाजा है। शेयर बाजार में आने के लिए आपको किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग एकाउंट खोलना जरूरी होता है। आप ब्रोकर अपनी मर्जी से या अपनी पसंद का चुन सकते हैं। 

आपका ट्रेडिंग एकाउंट आपके ब्रोकर के पास होता है जिसके जरिए आप शेयर खरीद या बेच सकते हैं। 

तो मान लीजिए कि आपने ट्रेडिंग एकाउंट खोल लिया है और आप कोई सौदा करना चाहते हैं जिसके लिए आपको अपने ब्रोकर से संपर्क करना है तो इसके क्या तरीके हैं?

  1. आप खुद ब्रोकर के ऑफिस में जाएं और वहां बैठे डीलर से मिल कर उसे बताएं कि आपको क्या सौदा करना है। डीलर वहां इस तरह के ऑर्डर को पूरा करने के लिए ही बैठता है। 
  2. आप अपने ब्रोकर को फोन कर सकते हैं, अपनी पहचान, क्लायंट कोड जैसी जानकरी देने के बाद अपना ऑर्डर बता सकते हैं। इसके बाद डीलर आपके सौदे को पूरा करेगा। फिर आपको फोन पर ही बता देगा कि आपका ऑर्डर पूरा हो गया। 
  3. आप खुद भी सौदा कर सकते हैं। एक ट्रेडिंग टर्मिनल साफ्टवेयर के जरिए। आपको अपने कम्प्यूटर पर सिर्फ लॉग इन करना होगा और आप खुद शेयर की लाइव (LIVE) यानी उस वक्त की कीमत देख सकेंगे और ऑर्डर कर सकेंगे। इसीलिए ये सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला तरीका है।

 

ब्रोकर आपको कुछ जरूरी सुविधाएं देता है, जैसे:

    1. बाजार में शेयर खरीदने बेचने की सुविधा।
    2. ट्रेडिंग के लिए मार्जिन। इसकी हम बाद में विस्तार से चर्चा करेंगे।
    3. अगर फोन पर ट्रेडिंग करनी है तो वहाँ ब्रोकर आपको मदद करेगा। साथ ही सॉफ्टवेयर का सपोर्ट भी जिससे आपके ट्रेडिंग में दिक्कत ना आए।
    4. हर सौदे का कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी करना। ये नोट उस दिन के सौदे का लिखित प्रमाण होता है।
    5. आपके बैंक एकाउंट और ट्रेडिंग एकाउंट के बीच पैसा ट्रांसफर करना।
    6. बैक ऑफिस का लॉग इन बनाना, जिससे आप अपने एकाउंट की पूरी जानकारी देख सकें।
    7. अपनी तरफ से दी गयी इन सुविधाओं के लिए ब्रोकर आपसे एक फीस लेता है जिसे ब्रोकरेज चार्ज कहते हैं। हर ब्रोकर के यहां ये फीस अलग अलग होती है। आपको वो ब्रोकर चुनना होता है जहाँ फीस और सुविधाओं का सही संतुलन हो।

3 .3 डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी पॉर्टिसिपेंट (Depository and Depository Participants)

जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो उसके कागज संभाल कर रखते हैं जिसे समय आने पर आप दिखा सकें कि आपने कब और कहाँ से उसे खरीदा था। इसलिए कागज को सुरक्षित जगह पर रखना महत्वपूर्ण होता है। 

इसी तरह जब आप शेयर खरीदते हैं (जो कि वास्तव में उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है) तो आपको अपनी हिस्सेदारी साबित करने के लिए शेयर सर्टिफिकेट को संभाल कर रखना होता है। क्योंकि उसी में सारी जानकरी लिखी होती है कि आपके पास कंपनी का कितना हिस्सा है। 

1996 तक शेयर सर्टिफिकेट कागज का होता था। लेकिन उसके बाद से शेयर सर्टिफिकेट डिजिटल तरीके से जारी होने लगा। कागज के शेयरों को डिजिटल में बदलने की प्रक्रिया को डीमैटेरियलाइजेशन (Dematerialization) कहा जाता है जिसे छोटे में डीमैट (DEMAT) कहा जाने लगा।

1996 के बाद इन डीमैट शेयरों को डिजिटली रखने की जरूरत आ पड़ी और तब से एक डीमैट एकाउंट जरूरी हो गया। डीमैट एकाउंट की सुविधा देने के लिए डिपॉजिटरी को बनाया गया। डिपॉजिटरी आपके डीमैट एकाउंट आपके सभी शेयरों को डिजिटल फॉर्म में रखने का काम करती है। इसे आप अपनी डिजिटल तिजोरी भी मान सकते हैं। 

आपके ब्रोकर के पास खोला गया ट्रेडिंग एकाउंट और डिपॉजिटरी के पास खुला डीमैट एकाउंट आपस में जुड़े होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप इन्फोसिस का शेयर खरीदना चाहते हैं तो आप अपने ट्रेडिंग एकाउंट पर लॉग इन करेंगे, अपनी कीमत डालेंगे और खरीदने का ऑर्डर डालेंगे और शेयर खरीद लेंगे। यहाँ आ कर ट्रेडिंग एकाउंट का काम खत्म। इसके बाद इन्फोसिस का शेयर अपने आप आपके डीमैट एकाउंट में आ जाएगा। 

इसी तरह बेचते समय आपको शेयर की कीमत और ऑर्डर ट्रेडिंग एकाउंट पर डालना होगा और शेयर आपके डीमैट एकाउंट से अपने आप निकल जाएंगे।

अभी देश में डीमैट एकाउंट की सर्विस देने वाली सिर्फ दो डिपॉजिटरी हैं। एन एस डी एल (NSDL) यानी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (The National Securities Depository Limited) और सी डी एस एल (CDSL) यानी सेन्ट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (Central Depository Services- India- Limited)। दोनों मे एक जैसी सर्विस मिलती है और दोनों सेबी के नियमों के तहत काम करती हैं। 

जैसे आप शेयर ट्रेडिंग एकाउंट खोलने के लिए ब्रोकर के पास जाते हैं, NSE या BSE नहीं, उसी तरह डीमैट एकाउंट खोलने के लिए आप NSDL या CDSL के पास नहीं किसी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (Depository Participant- DP) के पास जाएंगे। ये DP आपका एकाउंट खोलने के लिए डिपॉजिटरी के एजेंट की तरह काम करते हैं और सेबी के नियमों के अधीन होते हैं। 

 

3.4 बैंक (Banks)

शेयर बाजार के मामले में बैंक की भूमिका काफी सीधी होती है। ये बैंक से ट्रेडिंग एकाउंट और ट्रेडिंग एकाउंट से बैंक के बीच पैसों का ट्रांसफर करते हैं। इसके लिए ट्रेडिंग एकाउंट और बैंक एकाउंट में एक ही नाम होना जरूरी है।

आप अपने कई बैंक एकाउंट अपने ट्रेडिंग एकाउंट से जोड़ सकते हैं। जैसे जेरोधा (Zerodha) पर एक प्राइमरी बैंक एकाउंट और तीन सेकेंडरी बैंक एकाउंट आपके ट्रेडिंग एकाउंट से जोड़ने की सुविधा है। आप शेयर खरीदने के लिए पैसे इनमें से किसी भी बैंक एकाउंट से डाल सकते हैं। लेकिन बेचते समय पैसे सिर्फ प्राइमरी बैंक एकाउंट में ही जाएंगे। आपका प्राइमरी बैंक एकाउंट आपके ट्रेडिंग एकाउंट, डिपॉजिटरी और रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट (Registrar and transfer agents- RTA) से भी जुड़ा होता है। 

तो ट्रेडिंग, बैंक और डिपॉजिटरी एकाउंट आपस में इलेक्ट्रानिक तरीके से जुड़े होते हैं जिससे आप आसानी से सौदे कर सकें। 

3.5 एन एस सी सी एल (NSCCL)  और आई सी सी एल (ICCL)

नेशनल सेक्योरिटीज क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (National Security Clearing Corporation Limited- NSCCL) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)की और इंडियन क्लियरिंग कारपोरेशन लिमिटेड BSE यानी बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज की सब्सिडियरी हैं। इनका काम है एक्सचेंज पर होने वाले हर सौदे का सेटेलमेंट करना। अगर आपने बॉयोकॉन का एक शेयर 446 के भाव पर खरीदा है तो किसी ने आपको ये शेयर 446 रूपए में बेचा होगा। क्लियरिंग कॉरपोरेशन का काम ये सुनिश्चित करना है कि शेयर बेचने वाले के डीमैट एकाउंट से निकल कर खरीदने वाले के डीमैट एकाउंट में पहुंच जाए। और पैसे खरीदने वाले के बैंक से निकल कर बेचने वाले के बैंक एकाउंट में। तो कुल मिलाकर क्लियरिंग कॉरपोरेशन किसी भी सौदे में ये काम करता है:

  1. खरीदार और बेचने वाले की पहचान करना और उनके एकाउंट में पैसे और शेयर का हिसाब किताब जोड़ना।
  2. ये पक्का करना कि सौदा पूरा हो और कोई भी पार्टी सौदे से पीछे ना हट जाए।

वैसे किसी भी निवेशक के लिए क्लियरिंग कॉरपोरेशन के बारे में बहुत विस्तार से जानना जरूरी नहीं है। उसे कभी सीधे इनसे काम नहीं पड़ने वाला। उसे सिर्फ इतना पता होना चाहिए कि एक प्रोफेशनल संस्था पूरे नियम कानूनों के साथ ये काम कर रही है। 


इस अध्याय की ज़रूरी बातें: 

  1. बाजार में कई इन्टरमीडियरी अलग अलग काम करते हैं जिसके मिलने से वो पूरा तंत्र बनता है जिससे बाजार में आसानी से कामकाज हो सके।
  2. शेयर बाजार में आपके घुसने का रास्ता ब्रोकर से हो कर जाता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी जरूरत और सुविधा को ध्यान में रख कर सही ब्रोकर चुनें।
  3. ब्रोकर आपको ट्रेडिंग एकाउंट की सुविधा देता है जिसके जरिए आप शेयर खरीद या बेच सकते हैं।
  4. डिपॉजिटरी एक ऐसी संस्था है जो आपके शेयर डिजिटल फार्म में रखती है और इसके लिए आपका डीमैट एकाउंट बनाती है।
  5. देश में दो डिपॉजिटरी है एन एस डी एल (NSDL) और सी डी एस एल (CDSL)
  6. डीमैट एकाउंट खोलने के लिए आपको डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट से संपर्क करना होगा। वो डिपॉजिटरी के एजेंट के तौर पर काम करते हैं।
  7. क्लियरिंग कॉरपोरेशन आपके सौदे को क्लियर करने और सेटल करने का काम करता है।



76 comments

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  1. Jitendra Kumar Yadav says:

    Very nice knowledge

  2. Bhavesh sharma says:

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  3. Bhavesh Maru says:

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  4. sajal soni says:

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  5. Shreya Jadhav says:

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